जयप्रकाश नारायण का जीवन परिचय | Jai Prakash Narayan Ka Jeevan Parichay
जयप्रकाश नारायण का जीवन परिचय, बायोग्राफी, धर्म, जाति, माता पिता, व्यवसाय, राजनीतिक दल, पुरस्कार एवं सम्मान, मृत्यु (Jay Prakash Narayan Ki Jivani, Biography, Religion, Caste, Parents, Profession, Political Party, Awards and Honors, Death)
इस आर्टिकल हम बात करेंगे जयप्रकाश नारायण जी के बारें में, जिन्हें लोक नायक के नाम से भी जाना जाता है यहा इस लेख में हम इनकी सम्पुर्ण जीवनी को बिल्कुल विस्तार से समझेंगे। जयप्रकाश नारायण जी के जीवन से सम्बंधित बहुत से ऐसे प्रश्न है जो, अकसर परीक्षाओं में पुछे जाते है हम उन सभी प्रश्नों को यहा पर अच्छे से समझेंगे, जिन प्रश्नो की हम बात कर रहे है वो कुछ इस प्रकार हैं, जयप्रकाश नारायण का जन्म कब और कहां हुआ, जयप्रकाश नारायण के पत्नी का नाम, जयप्रकाश नारायण के माता-पिता का नाम, जयप्रकाश नारायण का मृत्यु कब हुआ था और जयप्रकाश नारायण जी को मिली पुरस्कार एवं सम्मान आदि। ऐसे ही और भी बहुत से प्रश्नों के उत्तर आपको इस आर्टिकल में देखने को मिलेंगे। तो, अगर आप Jai Prakash Narayan Ka Jivan Parichay अच्छे से समझना चाहते है तो इस लेख को पुरा अन्त तक जरुर पढ़े।
यदि एक ऐसे गाँधीवादी व्यक्ति का नाम लेने को कहा जाए, जो आवश्यकता पड़ने पर क्रान्ति का मार्ग अपनाने में भी पीछे न हटा हो, तो जुबाँ पर केवल एक ही महान् व्यक्ति, जयप्रकाश नारायण का नाम आएगा, जो अपनी जुझारू प्रवृत्ति और अभूतपूर्व नेतृत्व क्षमता के कारण अपने समकालीन युवा वर्ग ही नहीं, बल्कि पूरे जनमानस के लोकप्रिय नेता बनकर उभरे और जनता ने जिन्हें 'लोकनायक' के सम्बोधन से विभूषित किया। तो, चलिये अब हम जयप्रकाश नारायण की जीवनी को बिल्कुल विस्तारपूर्वक से समझेंगे।
नाम | जयप्रकाश नारायण |
अन्य नाम | जेपी, लोक नायक |
जन्म तिथि | 11 अक्टूबर 1902 |
जन्म स्थान | सिताब दियारा, बिहार (वर्तमान में बलिया उत्तर प्रदेश), भारत |
मृत्यु तिथि | 8 अक्टूबर 1979 |
मृत्यु स्थान | पटना, बिहार (भारत) |
आयु (मृत्यु के समय) | 76 वर्ष |
मृत्यु का कारण | हृदय की बीमारी और मधुमेह नामक रोग |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | हिन्दू |
जाति | कायस्थ |
व्यवसाय | राजनीतिज्ञ, कार्यकर्ता, सिद्धांतवादी |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, जनता पार्टी |
पुरस्कार | रेमन मैग्सेसे पुरस्कार (1965), भारत रत्न (1999) |
पिता का नाम | हरसू दयाल श्रीवास्तव |
माता का नाम | फूल रानी देवी |
भाई का नाम | ज्ञान नही |
बहन का नाम | ज्ञान नही |
पत्नी का नाम | प्रभावती देवी |
बच्चे का नाम | ज्ञान नही |
जयप्रकाश नारायण का जीवन परिचय
जयप्रकाश नारायण का जन्म बिहार प्रान्त में छपरा जिले के सिताबदियारा नामक गाँव में 11 अक्टूबर, 1902 को हुआ था। उनके पिता का नाम श्री हरसू दयाल तथा माता का नाम श्रीमती फूलरानी देवी था। उनकी माता एक धर्मपरायण महिला थीं। तीन भाई और तीन बहनों में जयप्रकाश अपने माता-पिता की चौथी सन्तान थे। उनसे बड़े एक भाई और एक बहन की मृत्यु हो जाने के कारण उनके माता-पिता उनसे अपार स्नेह रखते थे।
अपने गाँव सिताब दियारा में प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् जयप्रकाश जी आगे की पढ़ाई के लिए पटना चले गए। 16 मई, 1920 को बिहार के प्रसिद्ध जनसेवी बृजकिशोर बाबू की सुपुत्री प्रभावती देवी से जयप्रकाश जी का विवाह हुआ। वर्ष 1921 में गाँधीजी के असहयोग आन्दोलन में सक्रिय भाग लेने के लिए वे सरकारी कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर राजेन्द्र प्रसाद के नेतृत्व में चल रहे बिहार विद्यापीठ में चले गए।
वहीं से उन्होंने इण्टरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्ष 1922 में वे एक छात्रवृत्ति पर अध्ययन के लिए अमेरिका चले गए और वहाँ के ओहियो विश्वविद्यालय से स्नातक एवं स्नातकोत्तर (एम ए) की डिग्रियाँ प्राप्त की। अमेरिका में उन्होंने विषम परिस्थितियों का सामना किया तथा होटलों में काम किया और दवाइयाँ बेचीं।
जयप्रकाश नारायण का स्वतन्त्रता आन्दोलन में योगदान
अमेरिका से लौटने के पश्चात् कुछ समय तक वे बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के प्रवक्ता रहे, लेकिन भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में भाग लेने के उद्देश्य से उन्होंने नौकरी छोड़ दी और कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता बन गए। वर्ष 1934 में कांग्रेस की नीतियों से असन्तुष्ट नवयुवकों ने जब अखिल भारतीय कांग्रेस समाजवादी पार्टी की, स्थापना की तो जयप्रकाश नारायण इसके संगठन मन्त्री बनाए गए। इस पार्टी में उनके साथ राम मनोहर लोहिया, अशोक मेहता और आचार्य नरेन्द्र देव जैसे राजनेता भी थे। आचार्य नरेन्द्र देव एवं जयप्रकाश दोनों ने मिलकर समाजवादी आन्दोलन को आगे बढ़ाया। जयप्रकाश नारायण देशभर में घूमकर समाजवादी आन्दोलन का प्रचार किया करते थे।
इसके कारण वर्ष 1934 से 1946 के बीच ब्रिटिश सरकार ने उन्हें कई बार जेल की सलाखों के पीछे भेजा, किन्तु बार-बार जयप्रकाश जेल कर्मचारियों को चकमा देकर फरार होने में सफल रहे। उनके विचारों में मतभेद होने के बाद भी गाँधीजी जयप्रकाश जी से काफ़ी अनुराग रखते थे। 7 मार्च, 1940 को जब उनको पटना में गिरफ्तार कर चाईबासा जेल में बन्द कर दिया गया, तब गाँधीजी ने कहा था- "जयप्रकाश नारायण की गिरफ्तारी एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। वे कोई साधारण कार्यकर्ता नहीं हैं, बल्कि समाजवाद के महान् विशेषज्ञ हैं। "में देश की आजादी के प्रति उनकी ललक और इसे शीघ्र प्राप्त करने के लिए उनके अदम्य साहस भरे कारनामों के बिना उनकी जीवनगाथा अधूरी ही रह जाएगी।
वर्ष 1942 में जब पूरा देश गाँधीजी के 'करो या मरो' के नारे के उद्घोष के साथ अंग्रेज़ों को मुँहतोड़ जवाब दे रहा था, तब उस समय ये हजारीबाग जेल से फरार होने के उपाय ढूँढ रहे थे। 9 नवम्बर, 1942 को दीपावली की रात्रि का वह समय था, जब उन्होंने सिद्ध कर दिया कि दुनिया में कोई ऐसी जेल बनी ही नहीं, जो अधिक दिनों तक जयप्रकाश को कैद में रख सके। उस रात जब सभी बन्दी दीपावली का त्योहार मनाने में व्यस्त थे, अपने छः मित्रों के साथ जयप्रकाश धोतियों से बनाई रस्सी की सहायता से जेल की दीवार को लाँघकर फरार होने में कामयाब रहे। उनके फरार होने से जेल अधिकारियों के होश उड़ गए। सरकार ने उन्हें जिन्दा या मुर्दा पकड़ने के लिए ₹ 10,000 के इनाम की घोषणा की।
जयप्रकाश का आज़ाद घूमना ब्रिटिश सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी। वर्ष 1942 से 1946 तक कई बार उन्हें जेल भेजा गया, पर अपनी मातृभूमि के सच्चे सपूत जयप्रकाश नारायण अपनी जान की परवाह किए बिना हर बार अंग्रेज़ों को तब तक चकमा देते रहे, जब तक वर्ष 1946 में सरकार ने स्वयं उन्हें कारागार से मुक्त नहीं कर दिया। स्वतन्त्रता आन्दोलन के दौरान नेपाल जाकर 'आज़ाद दस्ते' का गठन किया तथा उसे प्रशिक्षण दिया।
जयप्रकाश नारायण जी का स्वतन्त्रता के पश्चात् भूमिका
वर्ष 1947 में देश की आज़ादी के बाद भी जयप्रकाश नारायण राजनीतिक रूप से सक्रिय रहे। 19 अप्रैल, 1954 को बिहार के गया में उन्होंने विनोबा भावे के सर्वोदय आन्दोलन के लिए जीवन समर्पित करने की घोषणा की। सर्वोदय के सन्देश को पूरे विश्व में फैलाने के लिए उन्होंने कई देशों की यात्रा की। वर्ष 1972 में जयप्रकाश जी ने चम्बल के डाकुओं के आत्मसमर्पण में अग्रणी भूमिका अदा कर उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का वह कार्य कर दिखाया, जो कोई और नहीं कर सकता था।
वर्ष 1970 से उन्होंने तत्कालीन सरकार की नीतियों का विरोध करना प्रारम्भ किया। वर्ष 1974 में बिहार तथा गुजरात के छात्र आन्दोलन का उन्होंने सफलतापूर्वक नेतृत्व करते हुए सम्पूर्ण क्रान्ति की घोषणा की। में कामयाब यही वह समय था, जब जयप्रकाश अपने संक्षिप्त नाम 'जेपी' के रूप में प्रसिद्ध हए और 'लोकनायक' कहलाने लगे। वर्ष 1975 में तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने जब राष्ट्रीय आपातकाल लागू किया, तब जयप्रकाश जी ने इसका भरपूर विरोध किया।
इस विरोध को दबाने के लिए उन्हें चण्डीगढ़ जेल में डाल दिया गया। अन्ततः वे अपने संघर्ष और अपने अभूतपूर्व नेतृत्व के बल पर जनता पार्टी को वर्ष 1977 के चुनाव में विजयश्री दिलवाई। वे चाहते तो उस समय सरकार में कोई भी उच्च पद प्राप्त कर सकते थे, किन्तु सभी पदों को अस्वीकार कर उन्होंने सिद्ध कर दिया कि उन्हें केवल देशसेवा से लगाव था, न कि पद और सत्ता। भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें वर्ष 1998 में सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया। इससे पूर्व उन्हें 'रैमन मैग्सेसे पुरस्कार' से भी वर्ष 1965 में सम्मानित किया गया।
अपने अमेरिका प्रवास के दौरान जयप्रकाश समाजवादी विचारधारा से प्रभावित हुए थे और जीवनभर इसे बढ़ाने के लिए संघर्ष करते रहे। इस उद्देश्य को ध्यान में रखकर उन्होंने 'फ्रॉम सोशलिज्म टू सर्वोदय' , 'टूवर्ड्स स्ट्रगल' , 'ए पिक्चर ऑफ़ सर्वोदय सोशल ऑर्डर, 'सर्वोदय एण्ड वर्ल्ड पीस' नामक कई पुस्तकें भी लिखीं। उनकी रचनाओं का संग्रह 'ए रिवोल्यूशनरी क्वेस्ट' के नाम से प्रकाशित है। उनका मानना था कि भारत की समस्याओं का समाधान समाजवादी तरीके से ही सम्भव है।
समाजवाद का अर्थ- उनके लिए स्वतन्त्रता, समानता तथा बन्धुत्व की स्थापना था। उनकी दृष्टि में समाजवाद, सामाजिक-आर्थिक पुनर्निर्माण के लिए एक पूर्ण विचारधारा थी। जयप्रकाश नारायण लोकतन्त्र में व्याप्त भ्रष्टाचार के आलोचक थे। वे ऐसे समाज की स्थापना पर बल देते थे, जो सहकारिता, आत्मानुशासन और उत्तरदायित्व की भावना से परिपूर्ण हो। वे सत्ता का विकेन्द्रीकरण कर ग्राम स्वराज्य की स्थापना को महत्त्वपूर्ण मानते थे।
जयप्रकाश नारायण का निधन 8 अक्टूबर, 1979 को पटना में हृदय की बीमारी और मधुमेह नामक रोग के कारण हो गया। तत्कालीन प्रधानमन्त्री चौधरी चरण सिंह ने उनके सम्मान में 7 दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की। उनके इस दुनिया से विदा लेने के साथ ही उनकी क्रान्ति मन्द पड़ गई, किन्तु देश को सर्वोदय एवं समाजवादी क्रान्ति की जो राह उन्होंने दिखाई, उस पथ पर चलते हुए भारत आज भी समाजवादी, लोकतन्त्र के रूप में अपने राजनीतिक पथ पर सफलतापूर्वक एवं तीव्र गति से अग्रसर है।
FAQ: जयप्रकाश नारायण के जीवन से जुड़े कुछ प्रश्न और उनके उत्तर
प्रश्न -- जयप्रकाश नारायण कौन थे?
उत्तर -- जयप्रकाश नारायण, जिन्हें लोकप्रिय रूप से जेपी या लोक नायक के रूप में जाना जाता है, एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता, सिद्धांतवादी, समाजवादी और राजनीतिक नेता थे।
प्रश्न -- जयप्रकाश नारायण का जन्म कब हुआ?
उत्तर -- जयप्रकाश नारायण जी का जन्म 11 अक्टूबर 1902 में हुआ था।
प्रश्न -- जयप्रकाश नारायण का जन्म कहां हुआ था?
उत्तर -- जयप्रकाश नारायण जी का जन्म बिहार के सिताब दियारा नाम ग्राम में हुआ था। जोकि, वर्तमान में बलिया (उत्तर प्रदेश) है।
प्रश्न -- जयप्रकाश नारायण के पिता का नाम क्या था?
उत्तर -- जयप्रकाश नारायण जी के पिता का नाम हरसू दयाल श्रीवास्तव था।
प्रश्न -- जयप्रकाश नारायण की पत्नी का क्या नाम था?
उत्तर -- जयप्रकाश नारायण की पत्नी का प्रभावती देवी था।
प्रश्न -- जयप्रकाश नारायण को भारत रत्न कब मिला?
उत्तर -- जयप्रकाश नारायण जी को सन् 1998 में मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मनित किया गया।
प्रश्न -- जयप्रकाश नारायण का निधन कब हुआ?
उत्तर -- जयप्रकाश नारायण जी का निधन पटना, बिहार में 8 अक्टूबर 1979 में हुआ था।
जयप्रकाश नारायण का जीवन परिचय Pdf
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निष्कर्ष
यहा पर इस लेख में हमने Jayaprakash Narayan Biography In Hindi को बिल्कुल विस्तार समझा, हमने यहा इनके जीवन से जुड़े बहुत से सवालों के जवाब जाने, जिससे की आपको इनकी जीवनी को अच्छे से समझने में असानी हो। इसी के साथ हम आशा करते है की आपको यह लेख जरुर पसंद आया होगा और हमे उमीद है की, इस आर्टिकल की सहायता से आपको जयप्रकाश नारायण का जीवन परिचय बिल्कुल अच्छे से समझ में आ गया होगा। अगर आपके मन में इस लेख से सम्बंधित कोई सवाल या सुझाव है तो, आप नीचे कमेंट जरुर करे। साथ इस jai prakash narayan ki jeevani को आप अपने दोस्त एवं सहपाठी के साथ शेयर जरुर करे।
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