[ PDF ] बिहारीलाल का जीवन परिचय 2024 | Bihari Lal Ka Jivan Parichay

Bihari Lal Ka Jivan Parichay

इस आर्टिकल में हम हिंदी कवि "बिहारीलाल" जी के बारे में बात करने जा रहे हैं, इस लेख में हम बिहारीलाल जी की पूरी जीवनी को बहुत विस्तार से समझेंगे। 

यहां हम बिहारीलाल जी के जीवन से जुड़े उन सभी सवालों को बखूबी देखेंगे जो अक्सर परीक्षाओं में पूछे जाते हैं

जैसे कि बिहारीलाल का जन्म कब और कहां हुआ था, बिहारी लाल जी के पिता का क्या नाम था, बिहार लाल के गुरु का नाम क्या था, बिहारीलाल की रचनाएं कौन सी है, बिहारी की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए, बिहारीलाल का साहित्यिक परिचय और बिहारीलाल की मृत्यु कब और कहां हुई थी आदि। 

इन सभी सवालों के जवाब आपको इस लेख में बहुत विस्तार से मिलेंगे, इसलिए यदि आप बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो आपके लिए इस जीवनी को पढ़ना बहुत ही जरूरी है।

क्योंकि बोर्ड की परीक्षाओं में बिहारीलाल की जीवनी निश्चित रूप से हिंदी के विषय में लिखने को आता है। और बिहारीलाल की यह जीवनी कक्षा 10 के छात्रों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।

इसलिए आप इस जीवनी को ध्यान से पढ़िए। और अगर आप Biharilal Ka Jivan Parichay बिल्कुल अच्छे से पढ़ना और समझना चाहते हैं, तो उसके लिए आपको इस लेख को शुरू से अंत तक पढ़ना होगा। तो चलिए अब कवि बिहारी की जीवनी को विस्तार से समझते हैं।
यहां ध्यान दे -- आपकी सुविधा के लिए इस लेख के अंत में हमने बिहारी लाल की जीवनी का पीडीएफ फाइल भी दिया है। जिसे आप बहुत ही आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं और उस पीडीएफ की मदद से आप बिहारी लाल की जीवनी कभी भी, कहीं भी पढ़ सकते हैं।

 


बिहारीलाल की जीवनी (Biharilal Biography In Hindi)

नाम बिहारी लाल
पुरा नाम बिहारी लाल चौबे
जन्म तिथि सन् 1603 ई . (सम्वत् 1660 वि.)
जन्म स्थान वसुआ गोविन्दपुर, ग्वालियर, मध्य प्रदेश (भारत)
मृत्यु तिथि सन् 1663 ई. (सम्वत् 1720 वि.)
मृत्यु स्थान वृंदावन, उत्तर प्रदेश (भारत)
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म हिन्दू
पेशा कवि
अवधि रीति काली
गुरु स्वामी बल्लभाचार्य
भाषा साहित्यिक ब्रजभाषा
शैली मुक्तक काव्या
रचनाएँ बिहारी सतसई
पिता का नाम केशव राय
माता का नाम ज्ञात नही
साहित्यिक आंदोलन रीतिकाली

बिहारीलाल का जीवन परिचय (Biharilal Ka Jivan Parichay)

कविवर बिहारीलाल का जन्म सन् 1603 के लगभग मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के अन्तर्गत वसुआ गोविन्दपुर में हुआ था। इनके पिता का नाम केशवराय था। इनका बाल्यकाल बुन्देलखण्ड में व्यतीत हुआ। युवावस्था सुसराल मथुरा में दोहों से स्पष्ट होती है।

"जन्म  ग्वालियर जानिये,  खण्ड बुंदेल बाल।
तरुनाई आयी सुधर, मथुरा  बसि  ससुराल।।"
"प्रकट भये द्विजराज कुल, सूवस बसे ब्रज आई।
मेरो हरौ क्लेश  सब, केसौ-केसौ राई।।"

इनका विवाह मथुरा के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। विवाह के बाद बिहारी ससुराल में रहने लगे किन्तु जब उन्हें वहाँ निरादर का अनुभव हुआ तो आगरा आ गये। आगरा से जयपुर राजा जयसिंह के दरबार में चले गये। कहा जाता है कि जयपुर नरेश राजा जयसिंह उस समय अपनी नवविवाहिता पत्नी के साथ राग - रंग में मस्त रहते थे । तब बिहारी ने निम्न दोहा लिखकर राजा के पास भिजवाया 

"नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास यहि काल !
अली कली ही सौं बिन्थ्यौ, आगे कौन हवाल।।"

इस दोहे को पढ़कर राजा की आँखें खुल गयीं और फिर अपने राजकार्य में लग गये। राजा जयसिंह ने बिहारी को अपना राजकवि बना लिया। राजा जयसिंह बिहारी की काव्य प्रतिभा पर बड़े मुग्ध थे। उन्होंने बिहारी को प्रत्येक दोहे की रचना पर एक स्वर्ण मुद्रा देने का वचन दिया। राज दरबार में रहकर बिहारी ने अपनी 'सतसई' की रचना की। पत्नी की मृत्यु हो जाने के बाद बिहारी जयपुर छोड़कर वृन्दावन चले आये और वहाँ भगवान कृष्ण की भक्ति करने लगे। सन् 1663 में बिहारी जी की मृत्यु हो गई।

बिहारीलाल का साहित्यिक परिचय (Biharilal Ka Sahityik Parichay)

बिहारीलाल रीति काल के प्रतिनिधि कवि हैं। इनकी एकमात्र रचना 'बिहारी सतसई' है जिसमें 719 दोहों का संग्रह है। इनकी 'सतसई' हिन्दी साहित्य की एक अमूल्य निधि है जिसके आधार पर ही बिहारी लोक प्रसिद्ध हैं। इनकी 'सतसई' में भक्ति, नीति और श्रृंगार की त्रिवेणी प्रवाहित है। हिन्दी साहित्याकाश में बिहारी पीयूषवर्षी भेद्य के समान हैं। संक्षेप में बिहारी हिन्दी साहित्य के महान कवियों में गिने जाते हैं। इनकी 'सतसई' के दोहों के सम्बन्ध में कहा जाता है

सतसैया के दोहरे, ज्यों नाविक के तीर
देखत में छोटे लगैं, घाव करें गम्भीर।।

वास्तव में नाविक के नन्हें-नन्हें वाणों के समान ही बिहारी के छोटे-छोटे दोहे भी सहृदय पाठकों के मर्म को वेध देते हैं।

बिहारीलाल जी की रचनाएँ

बिहारी की एकमात्र रचना 'सतसई' है। इसमें 719 दोहे हैं। 'सतसई' में नीति, भक्ति और श्रृंगार सम्बन्धी दोहे हैं। बिहारी हिन्दी जगत के एकमात्र ऐसे कवि हैं जिन्होंने केवल एक छोटे से ग्रन्थ की रचना करके इतनी अधिक ख्याति प्राप्त की है।

FAQ: बिहारीलाल जी के जीवन से सम्बंधित पुछे जाने वाले कुछ प्रश्न और उनके उत्तर

प्रश्न -- बिहारी लाल कौन थे?

उत्तर -- बिहारी लाल एक हिंदी कवि थे, जो ब्रजभाषा में सतसंग लिखने के लिए प्रसिद्ध है।

प्रश्न -- बिहारीलाल का पूरा नाम क्या है?

उत्तर -- बिहारीलाल का पूरा नाम बिहारीलाल चौबे हैं।

प्रश्न -- बिहारीलाल का जन्म कब हुआ था?

उत्तर -- बिहारीलाल का जी जन्म सन् 1603 में हुआ था।

प्रश्न -- बिहारीलाल का जन्म कहां हुआ था?

उत्तर -- बिहारीलाल जी का जन्म ग्वालियर, मध्य प्रदेश (भारत) में हुआ था।

प्रश्न -- बिहारी लाल जी के पिता का क्या नाम था?

उत्तर -- बिहारीलाल के पिता का नाम केशव राय था।

प्रश्न -- बिहारीलाल के गुरु का नाम क्या था?

उत्तर -- बिहारीलाल जी के गुरु का नाम स्वामी बल्लभाचार्य था।

प्रश्न -- बिहारीलाल की रचनाएं कौन कौन सी है?

उत्तर -- बिहारीलाल की एकमात्र रचना 'सतसई' है।

प्रश्न -- बिहारीलाल की मृत्यु कब हुई थी?

उत्तर -- बिहारीलाल जी का मृत्यु सन् 1663 में हुआ था।

प्रश्न -- बिहारीलाल की मृत्यु कहां हुई थी?

उत्तर -- बिहारीलाल जी का मृत्यु वृंदावन, उत्तर प्रदेश (भारत) में हुआ था।

कविवर बिहारी का जीवन परिचय PDF

छात्रों की सुविधा के लिये हमने बिहारीलाल जी की पुरी जीवनी को पीडीएफ के रुप में सहेजा है जिसे आप नीचे दिये गये लिंक से बड़े ही असानी से PDF को डाउनलोड कर सकते है, और उसकी मदद से आप बिहारीलाल का जीवन परिचय को कभी भी पढ़ सकते है।



निष्कर्ष 

यहा पर हमने कविवर बिहारीलाल के जीवन परिचय को बिल्कुल विस्तार से समझा, जोकि बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है।

इस लेख में हमने बिहारी लाल जी के जीवन से सम्बंधित उन सभी प्रश्नों को अच्छे से समझा जो इनके बारे में ज्यादातर पुछे जाते है।

बिहारीलाल की जीवनी बोर्ड के परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिये बेहद ही इम्पोर्टेन्ट है। तो अगर आप भी उन छात्रों में से है जो इस समय कक्षा 10 या 12 में पढ़ रहा है। 

तो आप इस जीवनी को ध्यानपूर्वक पढ़े एवं याद करे, क्योकि इससे आपको परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने में काफी मदद मिलेगी। 

इसी के साथ हम आशा करते है की आपको यह जीवनी जरुर पसंद आया होगा और हमे उमीद है की, इस लेख की सहायता से आपको biharilal ka jeevan parichay को अच्छे से समझने में काफी मदद मिली होगी।

अगर आपके मन में इस जीवनी से सम्बंधित कोई सवाल या सुझाव है, तो आप हमे नीचे कमेंट कर सकते है। साथ ही इस biharilal ki jeevani को आप अपने सभी सहपाठी एवं मित्रों के साथ शेयर भी जरुर से करे।

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