सूरदास का जीवन परिचय 2024 | Surdas Ka Jeevan Parichay [ PDF ]

सूरदास का जीवन परिचय

इस आर्टिकल में हम 16वीं शताब्दी के एक अंधे हिंदू भक्ति कवि और गायक, सूरदास जी के जीवन परिचय को बिल्कुल विस्तार से समझने वाले है। यहा पर हम इनके जीवन से जुड़े लगभग सभी महत्वपुर्ण प्रश्नों को समझेंगे, जिससे की आपको सूरदास के बारे में पूरी जानकारी हो जाये। अगर आप उन छात्रों में से है जो इस समय कक्षा 10 या 12 में पढ़ रहा है। तो, आपके लिये यह जीवनी काफी महत्वपुर्ण है क्योकी सूरदास का जीवन परिचय कक्षा 10 के बोर्ड परीक्षा में हिन्दी के विषय में सबसे ज्यादा पुछा जाता है। इसके अलावा सूरदास का जीवन परिचय Class 12 के परिक्षा में भी आने की सबसे ज्यादा संभावना होती है। 

ऐसे में यदि आप सूरदास का जीवन परिचय अच्छे से पढ़ कर समझे रहेंगे तो, आपको इससे परिक्षा में काफी मदद मिलेगी। और इस लेख में सूरदास के जीवन से सम्बंधित उन सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों को सामिल किया गया है जो, बोर्ड की परीक्षा में पुछे जाते है इसलिए आप इस लेख को पुरा ध्यानपूर्वक से जरुर पढ़े। जिन महत्त्वपूर्ण प्रश्नों की हम बात कर रहे है वो कुछ इस प्रकार है - सूरदास का जन्म कब और कहाँ हुआ था, सूरदास के माता का नाम क्या था, सूरदास के गुरु जी का नाम क्या था, सूरदास की मृत्यु कब और कहाँ हुई थी, सूरदास का साहित्यिक परिचय और सूरदास की प्रमुख रचनाएँ आदि। इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको इस लेख में बिल्कुल विस्तार से देखने को मिल जायेंगे। तो, अगर आप Surdas Ka Jeevan Parichay एकदम अच्छे से समझना चाहते है तो इस लेख को पुरा अन्त तक जरुर पढ़े। चलिये अब हम सूरदास की सम्पुर्ण जीवनी को विस्तारपूर्वक से समझे।


सूरदास की जीवनी (Surdas Biography In Hindi)

नाम सूरदास
जन्म तिथि सन् 1478 ई. (सम्वत 1535 वि.)
जन्म स्थान रुनकता (आगरा)
मृत्यु तिथि सन् 1583 ई. (सम्वत् 1640 वि .)
मृत्यु स्थान ब्रज, उत्तर प्रदेश (भारत)
आयु (मृत्यु के समय) अनुमानित 101 वर्ष
धर्म हिन्दू
राष्ट्रीयता भारतीय
पेशा कवि और गायक
गुरु स्वामी बल्लभाचार्य
भाषा ब्रजभाषा
शैली गीति काव्य की भावपूर्ण और संगीतमयी
रस वात्सल्य, शृंगार
अलंकार उपमा रूपक उत्पेक्षा
रचनाएँ साहित्यलहरी सूरसारावली सूरसागर
पत्नी का नाम अविवाहित
पिता का नाम रामदास सारस्वत
माता का नाम जमुनादास

सूरदास का जीवन परिचय

सूरदास भक्ति-काव्य की सगुण धारा की कृष्ण भक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि हैं। कहा जाता है कि इनका जन्म सन् 1478 ई. (सम्वत् 1535 वि.) में आगरा से मथुरा जाने वाली सड़क पर स्थित रुनकता में हुआ था। कुछ विद्वान् इनका जन्म दिल्ली के निकट सीही नामक ग्राम में मानते हैं। इनके पिता का नाम पं. रामदास सारस्वत था। जनश्रुति है कि सूरदास जन्म से ही अन्धे थे। परन्तु कुछ विद्वान् इसमें सन्देह करते हैं क्योंकि सूरदास ने वात्सल्य और श्रृंगार का जैसा अनुपम वर्णन किया है, वैसा जन्मान्ध कवि नहीं कर सकता। 

अत: उनका बाद में अन्धा होना ही अधिक उचित समीचीन जान पड़ता है। सूरदास बचपन से ही विरक्त हो गये थे और गऊघाट में रहकर विनय के पद गाया करते थे। यहाँ पर बल्लाभाचार्य से इनकी भेंट हो गयी। भेंट के समय सूरदास ने उन्हें स्वरचित एक पद गाकर सुनाया। बल्लभाचार्य उसे सुनकर गद्गद् हो गये। सूर बल्लभाचार्य के शिष्य बन गये। बल्लभाचार्य से गुरु दीक्षा लेकर उनके आदेशानुसार सूरदास कृष्ण लीला का गान करने लगे। 

बाद में गुरु जी ने इनको गोवर्धन के श्रीनाथ जी के मन्दिर में कीर्तन का भार सौंप दिया। बल्लभाचार्य के पुत्र विट्ठलनाथ ने आठ कृष्ण भक्त कवियों का एक मण्डल बनाया जिसे 'अष्टछाप' कहा जाता है। सूरदास अष्टछाप के प्रमुख और सर्वश्रेष्ठ कवि थे। अपने जीवन के अन्तिम दिनों में सूरदास गोवर्धन के पारसौली नामक स्थान पर चले गये। यहीं पर सन् 1583 ई. (सम्वत् 1640 वि.) के लगभग इनका देहावसान हो गया। प्राणान्त होने से पूर्व बिट्ठलनाथ के पूछने पर उन्होंने अग्र पद बनाकर सुनाया

'खंजन जैन रूप रस माते।
अति सै चारु चपल अनियारे पल पीजरा न समाते।'

सूरदास का साहित्यिक परिचय

सूरदास हिन्दी साहित्य के अनुपम कवि हैं। इनका काव्य भाव और कला दोनों ही पक्षों की दृष्टि से उच्चकोटि का काव्य है। सूरदास जी कवि सम्राट हैं और शृंगार रस के श्रेष्ठतम कवि हैं। सूरदास भक्ति काल की कृष्णाश्रयी शाखा के प्रमुख एवं प्रतिनिधि कवि हैं। निश्चय ही सूरदास हिन्दी साहित्याकाश के सूर्य हैं, जैसा कि निम्न दोहे से स्पष्ट है।

सूर-सूर तलसी ससी, उडगन केशवदास।
अब के कवि खद्योत सम, जह-तह करत प्रकास।।

'अस्तु, हिन्दी साहित्य में सूर का स्थान सर्वोच्च है।' 

सूरदास की रचनाएँ

सूरदास की प्रमुख रचना 'सूरसागर' है। सूरसागर में उन्होंने सवा लाख पदों का संकलन किया। किन्तु अभी तक केवल साढ़े पाँच हजार पद ही प्राप्त हुए हैं। 'सूर सारावली' और 'साहित्य लहरी' भी सूरदास द्वारा रचित अन्य रचनाएँ हैं।

FAQ: सूरदास के बारे में पुछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर

प्रश्न -- सूरदास जी का जन्म कब हुआ था?

उत्तर -- सूरदास का जन्म 1478 और 1483 के बीच में हुआ था।

प्रश्न -- सूरदास के गुरु का नाम?

उत्तर -- सूरदास जी के गुरु का नाम गुरुस्वामी बल्लभाचार्य था।

प्रश्न -- सूरदास के माता का नाम?

उत्तर -- सूरदास के माता जी का नाम जमुनादास था।

प्रश्न -- सूरदास के पिता का नाम?

उत्तर -- सूरदास के पिता जी का नाम रामदास सारस्वत था।

प्रश्न -- सूरदास की मृत्यु कब और कहाँ हुई?

उत्तर -- सूरदास जी की मृत्यु 1579 और 1584 के बीच, ब्रज उत्तर प्रदेश में हुई थी।

प्रश्न -- क्या सूरदास ने विवाह किया था?

उत्तर -- सूरदास जी अविवाहित थे, लेकिन ऐसा माना जाता है कि सूरदास ने विवाह किया था। और उनकी पत्नी का नाम रत्नावली बताया जाता है।

प्रश्न -- सूरदास का प्रिय अलंकार कौन सा है?

उत्तर -- सूरदास जी का प्रिय अलंकार अनुप्रास, रूपक आदि हैं।

सूरदास का जीवन परिचय PDF

छात्रों की सुविधा के लिए, सूरदास के इस जीवन परिचय को हमने पीडीएफ के रुप में यहा पर दिया है जिसे आप बहुत ही असानी से डाउनलोड कर सकते है। सूरदास जीवन परिचय PDF में डाउनलोड करने के लिए आप नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करे और पीडीएफ को असानी से डाउनलोड करे।


निष्कर्ष

यहा पर इस लेख में हमने सूरदास जी का जीवन परिचय बिल्कुल ही सहज भाषा में समझा, जिसे आप अपने बोर्ड के परिक्षा में लिख सकते है। यह जीवनी जो हमने यहा पर शेयर किया है वो कक्षा 10 और 12 में पढ़ रहे छात्रों के लिये काफी महत्वपुर्ण है इसके बारे में अभी हमने ऊपर बात किया। तो अगर आप इन दोनो कक्षाओं में से किसी भी कक्षा के छात्र है तो, इस जीवनी को अच्छे से ध्यानपूर्वक जरुर पढ़े, ताकी आपको इससे परिक्षा में मदद मिले। इसी के साथ हम आशा करते है की आपको यह जीवनी जरुर पसंद आया होगा और हमे उमीद है की, इस लेख की सहायता से आपको surdas ka jivan parichay बिल्कुल अच्छे से समझ में आ गया होगा। अगर आपके मन में इस लेख को लेकर कोई प्रश्न है तो, आप हमसे नीचे कमेंट के माध्यम से पुछ सकते है। और साथ ही इस surdas ki jeevani को आप अपने सहपाठी एवं मित्रों के साथ शेयर भी जरुर से करे।

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