2024 मोहन राकेश का जीवन परिचय | Mohan Rakesh ka Jivan Parichay [ PDF ]
मोहन राकेश की जीवनी (Mohan Rakesh Biography In Hindi)
नाम | मोहन राकेश |
बचपन का नाम | मदनमोहन गुगलानी |
जन्म तिथि | 8 जनवरी, 1925 |
जन्म स्थान | अमृतसर, पंजाब (भारत) |
मृत्यु तिथि | 3 दिसंबर, 1971 |
मृत्यु स्थान | दिल्ली (भारत) |
आयु (मृत्यु के समय) | 47 वर्ष |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
व्यवसाय | साहित्यकार |
भाषा | हिन्दी एवं अंग्रेज़ी |
शिक्षा | एम.ए. |
पिता का नाम | श्री करमचन्द गुगलानी |
मोहन राकेश का जीवन परिचय (Mohan Rakesh ka Jivan Parichay)
मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी, 1925 ई० को अमृतसर में हुआ था। इनके पिता श्री करमचन्द गुगलानी पेशे से वकील थे और साहित्य एवं संगीत में विशेष रुचि रखते थे। इन्होंने लाहौर के ओरियण्टल कॉलेज से 'शास्त्री' की परीक्षा उत्तीर्ण करके हिन्दी व संस्कृत में एम० ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। इन्होंने बम्बई (मुम्बई), शिमला, जालन्धर और दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन-कार्य किया, किन्तु शीघ्र ही वे इससे ऊब गये; अत : अध्यापन-कार्य को छोड़कर हिन्दी की कहानी पत्रिका 'सारिका' का सम्पादन कार्य करने लगे, परन्तु कार्यालय की नीरस कार्य-पद्धति से ऊबकर इन्होंने यह कार्य भी छोड़ दिया।
सन् 1963 ई० से जीवन के अन्त तक स्वतन्त्र-लेखन इनकी जीविकोपार्जन का साधन रहा। इन्हें 'नाटक की भाषा' पर कार्य करने के लिए नेहरू फेलोशिप भी प्राप्त हुई थी, लेकिन 1972 ई० में असमय मृत्यु के कारण यह कार्य पूर्ण न हो सका। ये जीवन भर आर्थिक अभावों से जूझते रहे, किन्तु इन्होंने कभी मन के विपरीत कोई समझौता नहीं किया। इनका वैवाहिक जीवन भी टूटता-बिखरता रहा। इन्हें नये-नये स्थलों की यात्रा करना बहुत पसन्द था। इनकी रचनाओं में गहन संवेदना व उच्चकोटि की बौद्धिकता विद्यमान है।
मोहन राकेश की साहित्यिक सेवाएँ
राकेश जी ने स्वतन्त्रता के पश्चात् अपने साहित्य में भारतीय मानस के नयी परिस्थितियों में बदले हुए जीवन को भोगने का सर्वप्रथम सफल चित्रण किया। इन्होंने हिन्दी - कहानी को प्राचीन परम्परा से मुक्त कर नयी कहानी के रूप में प्रतिष्ठित किया। इनकी 'नये बादल' कहानी इसी दिशा में सफल प्रयोग है।
इन्होंने अपने उपन्यासों में आज के निरन्तर बदलते हुए मानव-जीवन के जटिल द्वन्द्व का यथार्थ अंकन किया है। मोहन राकेश जी ने यात्रावृत्त नामक विधा को नया स्वरूप और आधार प्रदान किया। इनके 'आखिरी चट्टान तक' नामक यात्रावृत्त में प्रकृति का मार्मिक चित्रण और नये जीवन-मूल्यों की खोज की गयी है। इन्होंने नाटक के क्षेत्र में युगान्तर उपस्थित करके हिन्दी की नयी नाटक विधा को जन्म दिया। प्रसाद जी के बाद हिन्दी नाटक विधा में नये युग का सूत्रपात मोहन राकेश ने ही किया।
मोहन राकेश की कृतियाँ
राकेश जी ने नाटक, उपन्यास, कहानी, यात्रावृत्त, निबन्ध आदि विविध विधाओं पर साहित्य-सृजन किया। इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं
(1) उपन्यास -- अन्तराल, अन्तराल, अँधेरे बन्द कमरे, न आने वाला कल, नीली रोशनी की बाँहें (अप्रकाशित)
(2) नाटक -- आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस, आधे-अधूरे।
(3). एकांकी -- अण्डे के छिलके, दूध और दाँत (अप्रकाशित)।
(4). अनूदित नाटक -- मृच्छकटिक, शाकुन्तल (अप्रकाशित)।
(5) कहानी-संग्रह -- क्वार्टर, पहचान, वारिस। इन तीनों संग्रहों में कुल 54 कहानियाँ हैं।
FAQ : मोहन राकेश के प्रश्न उत्तर
प्रश्न -- मोहन राकेश कौन थे?
उत्तर -- मोहन राकेश 1950 के दशक में भारत में हिंदी साहित्य के नई कहानी साहित्यिक आंदोलन के अग्रदूतों में से एक थे।
प्रश्न -- मोहन राकेश का पूरा नाम क्या है?
उत्तर -- मोहन राकेश का पूरा नाम मदनमोहन गुगलानी है।
प्रश्न -- मोहन राकेश का जन्म कब हुआ था?
उत्तर -- मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी सन् 1925 में हुआ था।
प्रश्न -- मोहन राकेश का जन्म कहां हुआ था?
उत्तर -- मोहन राकेश जी का जन्म अमृतसर में हुआ था।
प्रश्न -- मोहन राकेश के पिता का नाम?
उत्तर -- मोहन राकेश के पिता जी का नाम करमचन्द गुगलानी था।
प्रश्न -- मोहन राकेश का प्रथम नाटक?
उत्तर -- मोहन राकेश का पहला आधुनिक हिंदी नाटक आषाढ़ का एक दिन था।
प्रश्न -- मोहन राकेश की मृत्यु कब हुई?
उत्तर -- मोहन राकेश की मृत्यु दिल्ली में 3 दिसंबर सन् 1971 में हूई थी।
मोहन राकेश का जीवन परिचय pdf
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निष्कर्ष
यहा पर इस लेख में हमने mohan rakesh ka jivan parichay एकदम विस्तारपूर्वक से समझा, यह जीवनी आपको कैसा लगा हमे कमेंट के माध्यम से जरुर बताए। हमे उमीद है की आपको इस लेख की सहायता से मोहन राकेश का जीवन परिचय कैसे लिखें? आपको अच्छे से समझ में आ गया होगा। यदि आपके मन में इस लेख से सम्बंधित कोई प्रश्न है तो, आप नीचे कमेंट करके पुछ सकते हैं। साथ ही इस mohan rakesh ki jivani को आप अपने सभी सहपाठी एवं मित्रों के साथ शेयर जरुर करे।
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