[ PDF ] कबीर दास का जीवन परिचय और उनकी रचनाएँ | Kabir Das Ka Jivan Parichay

About Kabir Das In Hindi

इस आर्टिकल में हम कबीर दास जी के जीवन परिचय को एकदम विस्तार से समझेंगे। यह जीवनी बोर्ड के परीक्षा की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिये काफी उपयोगी साबित हो सकता हैं, क्योकी कबीर का जीवन परिचय Class 10 एवं 12 के हिन्दी के परीक्षा में लिखने को जरुर आता है। ऐसे में यदि आप भी उन्हीं छात्रों में से है जो बोर्ड के परीक्षा की तैयारी कर रहा है। तो आप इस लेख में दिये गए कबीर दास की जीवनी को पूरे ध्यानपूर्वक से जरुर पढ़े, क्योकी इससे आपको परीक्षा में काफी मदद मिल सकती है।

हम इस लेख में कबीर दास के जीवन से सम्बंधित उन सभी महत्वपुर्ण प्रश्नों को देखेंगे, जो आपके बोर्ड की परीक्षा में पुछे जा सकते हैं। जिन महत्वपुर्ण प्रश्नो की हम बात कर रहे है वो कुछ इस प्रकार है- कबीर दास का जन्म कब और कहां हुआ था, कबीर दास का वास्तविक नाम क्या है, कबीर दास के माता पिता का नाम क्या था, कबीर दास की पत्नी का क्या नाम था, कबीर दास के कितने बच्चे थे, कबीर दास की साहित्यिक सेवाएँ, कबीर दास की प्रमुख कृतियाँ, कबीर दास का साहित्य में स्थान और कबीर दास की मृत्यु कब और कहां हुई थी आदि। इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको यहा पर एकदम विस्तार से देखने को मिल जायेंगे, इसलिए आप इस लेख को पूरा अन्त तक अवश्य पढ़े। तो चलिए अब हम Kabir Das Ka Jeevan Parichay एकदम विस्तार से देखें।

कबीर दास की जीवनी (Kabir Das Biography In Hindi)

नाम संत कबीरदास
अन्य नाम कबीर साहब, कबीरा, कबीर परमेश्वर
जन्म वर्ष सन् 1398 (संवत् 1455 वि॰)
जन्म स्थान वाराणसी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु वर्ष सन् 1518 (संवत् 1575 वि॰)
मृत्यु स्थान मगहर, उत्तर प्रदेश
पेशा कवि, दार्शनिक, गीतकार, जुलाहा
काल भक्तिकाल
शिक्षा निरक्षर
माता का नाम नीमा
पिता का नाम नीरु
पत्नी का नाम लोई
संतान 2
पुत्र का नाम कमाल
पुत्री का नाम कमाली
गुरु का नाम स्वामी रामानंद
रचनाएँ साखी, सबद, रमैनी

कबीर दास का जीवन परिचय (Kabir Das Ka Jivan Parichay)

सन्त (ज्ञानाश्रयी निर्गुण) काव्यधारा के प्रवर्तक कबीरदास का जन्म संवत् 1456 (सन् 1398) की ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा, सोमवार को हुआ था। इस सम्बन्ध में निम्नलिखित दोहा प्रसिद्ध है।
चौदह सौ पचपन साल गये, चन्द्रवार एक ठाठ ठये।
जेठ सुदी बरसायत को, पूरनमासी प्रगट भये।।
(कबीर-चरित-बोध)
एक जनश्रुति के अनुसार इनका जन्म हिन्दू-परिवार में हुआ था। कहते हैं कि ये एक विधवा ब्राह्मणी के पुत्र थे, जिसने इन्हें लोक-लाज के भय से काशी के लहरतारा नामक स्थान पर तालाब के किनारे छोड़ दिया था, जहाँ से नीरू नामक एक जुलाहा एवं उसकी पत्नी नीमा निःसन्तान होने के कारण इन्हें उठा लाये। कबीर के जन्म-स्थान के सम्बन्ध में भी विद्वानों में मतभेद हैं, परन्तु अधिकतर विद्वान् इनका जन्म काशी में ही मानते हैं, जिसकी पुष्टि स्वयं कबीर का यह कथन भी करता है - काशी में परगट भये, हैं रामानन्द चेताये।

इससे इनके गुरु का नाम भी पता चलता है कि प्रसिद्ध वैष्णव सन्त आचार्य रामानन्द से इन्होंने दीक्षा ग्रहण की। गुरुमन्त्र के रूप में इन्हें 'राम' नाम मिला, जो इनकी समग्र भावी साधना का आधार बना। कबीर की पत्नी का नाम लोई था, जिससे इनके कमाल नामक पुत्र और कमाली नामक पुत्री उत्पन्न हुई। कबीर बड़े निर्भीक और मस्तमौला स्वभाव के थे। व्यापक देशाटन एवं अनेक साधु-सन्तों के सम्पर्क में आते रहने के कारण इन्हें विभिन्न धर्मों एवं सम्प्रदायों का ज्ञान प्राप्त हो गया था। ये बड़े सारग्राही एवं प्रतिभाशाली थे। कबीर की दृढ़ मान्यता थी कि मनुष्य को अपने कर्मों के अनुसार ही गति मिलती है, स्थान-विशेष के प्रभाव से नहीं। अपनी इसी मान्यता को सिद्ध करने के लिए अन्त समय में ये मगहर चले गये; क्योंकि लोगों की मान्यता थी कि काशी में मरने वाले को मुक्ति मिलती है, किन्तु मगहर में मरने वाले को नरक। अधिकतर विद्वानों ने माना है कि कबीर की मृत्यु संवत् 1575 (सन् 1518) में हुई। इसके समर्थन में निम्नलिखित उक्ति प्रसिद्ध है।
संवत् पंद्रह सौ पछत्तरा, कियो मगहर को गौन ।
माघे सुदी एकादशी, रलौ पौन में पौन ।।

कबीर दास की साहित्यिक सेवाएँ

कबीर पढ़े-लिखे नहीं थे, किन्तु ये बहुश्रुत होने के साथ-साथ उच्च कोटि की प्रतिभा से सम्पन्न थे। आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने भी स्पष्ट कहा है कि, "कविता करना कबीर का लक्ष्य नहीं था, कविता तो उन्हें संत-मेंत में मिली वस्तु थी, उनका लक्ष्य लोकहित था।" इस दृष्टि से उनके काव्य में उनके दो रूप दिखाई पड़ते हैं —
(1) सुधारक रूप तथा (2) साधक (या भक्त) रूप। उनके बाद वाले रूप में ही उनके सच्चे कवित्व के दर्शन होते हैं।

(1) कबीर का सुधारक रूप
कबीरदास के समय में हिन्दुओं और मुसलमानों में कटुता चरम सीमा पर थी। कबीर ने इन दोनों को पास लाना चाहा। इसके लिए उन्होंने सामाजिक और धार्मिक दोनों स्तरों पर प्रयास किया। 

(2) कबीर का साधक (या भक्त) रूप
सुधारक रूप में यदि कबीर में तर्कशक्ति और बुद्धि की प्रखरता देखने को मिलती है तो साधक रूप में उनके भावुक हृदय से मार्मिक साक्षात्कार होता है। कबीर के अनुसार मानव-जीवन की सार्थकता ईश्वर-दर्शन में है। उस ईश्वर को विभिन्न धर्मों के अनुयायी अलग-अलग नामों से पुकारते हैं।

कबीर दास कि कृतियाँ

कबीर लिखना-पढ़ना नहीं जानते थे। यह बात उन्होंने स्वयं कही है।
मसि कागद छूयो नहीं, कलम गयो नहिं हाथ। उनके शिष्यों ने उनकी वाणियों का संग्रह 'बीजक' नाम से किया, जिसके तीन मुख्य भाग हैं- साखी, सबद (पद), रमैनी। हजारीप्रसाद द्विवेदी के अनुसार 'बीजक' का सर्वाधिक प्रामाणिक अंश 'साखी' है। इसके बाद सबद ' और अन्त में 'रमैनी' का स्थान है।

कबीर दास का साहित्य में स्थान

कबीर के जीवन और सन्देश के सदृश ही उनकी कविता भी आडम्बरशून्य है। कविता की यह सादगी ही उसकी बड़ी शक्ति है। न जाने कितने सहृदय तो उनके साधक रूप की अपेक्षा उनके कवि रूप पर मुग्ध हैं और उन्हें हिन्दी के सिद्धहस्त महाकवियों की पंक्ति में अग्र स्थान का अधिकारी मानते हैं।

FAQ: कबीर दास जी का प्रश्न उत्तर

प्रश्न -- कबीर दास कौन थे?

उत्तर -- कबीर दास जी 15वीं शताब्दी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे।

प्रश्न -- कबीर दास का जन्म कब हुआ था?

उत्तर -- कबीर दास का जन्म संवत् 1455 वि॰ (सन् 1398 ई॰) में हुआ था।

प्रश्न -- कबीर दास का जन्म कहां हुआ था?

उत्तर -- कबीर दास का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में हुआ था।

प्रश्न -- कबीर का असली नाम क्या है?

उत्तर -- कबीर का असली नाम संत कबीरदास है।

प्रश्न -- कबीर दास किस काल के कवि थे?

उत्तर -- कबीर दास जी भक्तिकाल के कवि थे।

प्रश्न -- कबीर दास के माता पिता का नाम?

उत्तर -- कबीर दास के माता जी का नाम नीमा और पिता का नाम नीरू था।

प्रश्न -- कबीर दास की पत्नी का क्या नाम था?

उत्तर -- कबीर दास की पत्नी का नाम लोई था।

प्रश्न -- कबीर दास के गुरु का नाम क्या था?

उत्तर -- कबीर दास के गुरु का नाम स्वामी रामानंद था।

प्रश्न -- कबीर दास की मृत्यु कब हुई थी?

उत्तर -- कबीर दास की मृत्यु संवत् 1575 वि॰ (सन् 1518) में हुआ था।

कबीर दास का जीवन परिचय pdf

यहा पर हमने छात्रों के लिये, कबीर दास का जीवन परिचय इन हिंदी PDF फ़ाईल भी शेयर किया है, जिसे आप सभी छात्र बहुत ही असानी से डाउनलोड कर सकते हैं। और इस पीडीएफ की सहायता से आप कभी भी अपने समयानुसार कबीर दास की जीवनी का अध्ययन कर सकते हैं। कबीर का जीवन परिचय PDF Download करने के लिये नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करें और पीडीएफ फ़ाईल को असानी से डाउनलोड करे।



निष्कर्ष

यहा पर इस लेख में हमने कबीर दास जी का जीवन परिचय हिंदी में और कम एवं सरल भाषा में समझा। जिससे की आपको इनकी जीवनी को पढ़ने एवं याद करने में काफी असानी होगी। जो छात्र कबीर दास का जीवन परिचय 100 शब्दों में या 300 शब्दों में लिखना चाह रहे है, वो इस लेख का सहारा ले कर लिख सकते है। क्योकी, यहा पर हमने जो कबीर दास जी जीवनी शेयर करी है वो लगभग 600 शब्दों में है। तो, आप चाहे तो अपने मन मुताबिक कुछ शब्दों को कम करके, जितने शब्दो में कबीर दास जी का जीवन परिचय लिखना चाहे लिख सकते हैं।

यह जीवनी आपको कैसा लगा कमेंट के माध्यम से अपना अनुभव हमारे साथ जरुर साझा करे। हम आशा करते है की आपको यह लेख जरुर पसंद आया होगा और हमे उमीद है की इस लेख की सहायता से आप, कबीर दास जी का जीवन परिचय और उनकी रचनाएँ अच्छे से समझ गए होंगे। यदि आपके मन में इस लेख से सम्बंधित कोई प्रश्न है तो, आप नीचे कमेंट करके पुछ सकते हैं। साथ ही इस Kabir Das Ki Jivani को आप अपने सभी मित्रों के साथ शेयर जरुर करे।

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