डॉ संपूर्णानंद का जीवन परिचय 2024 | Sampurnanand Ka Jivan Parichay [ PDF ]

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इस आर्टिकल में हम उत्तर प्रदेश के दुसरे मुख्यमंत्री यानी की सम्पूर्णानन्द जी के बारे में विस्तार से जानेंगे। यहा पर हम इनके जीवन परिचय को बिल्कुल विस्तारपूर्वक से समझेंगे, जोकि बोर्ड के परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिये काफी मददगार साबित हो सकता हैं। क्योकी बोर्ड के परीक्षा में हिन्दी के विषय में इनकी जीवनी, प्रश्न के रुप में आने की सम्भावना काफी अधिक होती है। तो ऐसे में यदि आप उन छात्रों में से है जो, बोर्ड के परीक्षा की तैयारी कर रहे है तो, इस सम्पूर्णानन्द जी के जीवनी को आप जरुर पढ़ें एवं अच्छे से समझे।

इसके अलावा इनकी जीवनी उन सभी छात्रों के लिये भी काफी महत्वपुर्ण है जो, इस समय किसी प्रतियोगी परीक्षा या सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे है। ऐसा इसलिए क्योंकि बहुत से प्रतियोगी परीक्षाओं में सम्पूर्णानन्द जी से जुड़े प्रश्न पुछे जा सकते है। तो बेहतर यही है की आप इनकी जीवनी को अच्छे से पढ़ कर समझ ले ताकी आपको इससे परीक्षा में मदद मिल सके।

इस जीवनी में हमने उन सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों को सामिल किया गया है जोकि, किसी भी सरकारी परीक्षा अथवा प्रतियोगी परीक्षाओं में पुछे जा सकते है। जिन महत्वपूर्ण प्रश्नों की हम बात कर रहे है वो कुछ इस प्रकार है - डॉ सम्पूर्णानंद का जन्म कब और कहां हुआ था, डॉ सम्पूर्णानंद जी किस राजनीतिक दल से थे, सम्पूर्णानन्द की रचनाएँ, डॉ संपूर्णानंद का साहित्यिक परिचय, सम्पूर्णानन्द का साहित्य में स्थान और सम्पूर्णानंद की मृत्यु कब हूई थी आदि। इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको यहा पर एकदम विस्तार से मिल जायेंगे। तो अगर Sampurnanand Ka Jeevan Parichay बिल्कुल अच्छे से समझना चाहते है। तो, इस लेख को पुरा अन्त तक जरुर पढ़े। 

सम्पूर्णानन्द की जीवनी (Sampurnanand Biography In Hindi)

नाम डॉ सम्पूर्णानंद
जन्म तिथि 1 जनवरी, 1891
जन्म स्थान वाराणसी, उत्तर प्रदेश (भारत)
मृत्यु तिथि 10 जनवरी, 1969
मृत्यु स्थान वाराणसी, उत्तर प्रदेश (भारत)
आयु (मृत्यु के समय) 78 वर्ष
राष्ट्रीयता भारतीय
शिक्षा हरीश चंद्र पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज (वाराणसी)
व्यवसाय लेखक, साहित्यकार, अध्यापक, स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता
राजनीतिक दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
पिता का नाम विजयानंद
माता का नाम आनंदी देवी

सम्पूर्णानन्द का जीवन परिचय (Sampurnanand Ka Jivan Parichay)

डॉ० सम्पूर्णानन्द का जन्म सन् 1891 ई० में काशी के एक सम्भ्रान्त कायस्थ परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम विजयानन्द था। इन्होंने वाराणसी से बी० एस-सी० तथा इलाहाबाद से एल० टी० की परीक्षाएँ उत्तीर्ण की। इन्होंने सर्वप्रथम प्रेम विद्यालय, वृन्दावन में अध्यापक तथा बाद में डूंगर कॉलेज, डूंगर में प्रिंसिपल के पद पर कार्य किया। सन् 1921 ई० में वे राष्ट्रीय आन्दोलन से प्रेरित होकर काशी में 'ज्ञानमण्डल' में कार्य करने लगे। 

इन्होंने हिन्दी की 'मर्यादा' मासिक पत्रिका तथा 'टुडे' अंग्रेजी दैनिक का सम्पादन किया और 'काशी नागरी प्रचारिणी सभा' के अध्यक्ष तथा संरक्षक भी रहे। वाराणसी में स्थित सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय इनकी ही देन है। डॉ० सम्पूर्णानन्द सन् 1937 ई० में कांग्रेस मन्त्रिमण्डल में शिक्षामन्त्री, सन् 1955 ई० में उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री तथा सन् 1962 ई० में राजस्थान के राज्यपाल नियुक्त हुए। राज्यपाल के पद से सेवामुक्त होकर आप काशी विद्यापीठ के कुलपति बने और अन्तिम समय तक इसी पद पर कार्यरत रहे। 10 जनवरी, 1969 ई० को काशी में इनका स्वर्गवास हो गया।

सम्पूर्णानन्द का साहित्यिक योगदान

डॉ० सम्पूर्णानन्द भारतीय दर्शन और संस्कृति के प्रकाण्ड विद्वान एवं हिन्दी व संस्कृत के महान् ज्ञाता थे। इनका हिन्दी से विशेष प्रेम था। इन्होंने भारतीय दर्शन एवं धर्म के गूढ तत्त्वों को समझकर सुबोध शैली में उच्चकोटि के लेख लिखे। ये समाजवादी विचारधारा से प्रभावित थे। इन्होंने भारतीय दर्शन, धर्म, संस्कृति, राजनीति, इतिहास, ज्योतिष आदि विविध विषयों पर उच्च कोटि के निबन्ध लिखे और उत्कृष्ट साहित्य का सृजन किया। इनकी रचनाओं में इनके प्रकाण्ड पाण्डित्य के दर्शन होते हैं। इन्होंने दर्शन की गूढ़ गुत्थियों को सुलझाते हुए 'चिद्विलास' नामक ग्रन्थ की रचना की। इनकी कृतियों में शिक्षा सम्बन्धी मौलिक चिन्तन तथा शिक्षा-जगत् की गम्भीर समस्याओं का समाधान पाया जाता है।

सम्पूर्णानन्द की रचनाएँ

डॉ० सम्पूर्णानन्द ने साहित्य, दर्शन, राजनीति, इतिहास तथा अन्य विषयों पर उच्चकोटि के ग्रन्थों की रचना की। इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं

(1). निबन्ध-संग्रह -- भाषा की शक्ति तथा पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित अनेक फुटकर निबन्ध।
(2). दर्शन -- चिद्विलास, जीवन और दर्शन।
(3). जीवनी -- देशबन्धु चितरंजनदास, महात्मा गांधी आदि।
(4). राजनीति और इतिहास -- चीन की राज्यक्रान्ति, अन्तर्राष्ट्रीय विधान, मिस्र की राज्यक्रान्ति, समाजवाद, आर्यों का आदिदेश, सम्राट हर्षवर्धन, भारत के देशी राज्य आदि। 
(5). धर्म -- गणेश, नासदीय सूक्त की टीका, पुरुष-सूक्त, ब्राह्मण सावधान।
(6). ज्योतिष -- पृथ्वी से सप्तर्षि मण्डल। 
(7). सम्पादन -- मर्यादा मासिक, टुडे अंग्रेजी दैनिक।
(8). अन्य प्रमुख रचनाएँ -- इन रचनाओं के अतिरिक्त व्रात्यकाण्ड, भारतीय सृष्टि-क्रम विचार, हिन्दू देव परिवार का विकास, वेदार्थ प्रवेशिका, अन्तरिक्ष यात्रा, स्फुट विचार, ज्योतिर्विनोद, अधूरी क्रान्ति आदि इनकी अन्य प्रमुख रचनाएँ हैं।

इस प्रकार इन्होंने विविध विषयों पर लगभग 25 ग्रन्थों की तथा अनेक स्वतन्त्र लेखों की रचना की। इनकी 'समाजवाद' नामक कृति पर इन्हें हिन्दी-साहित्य सम्मेलन द्वारा मंगलाप्रसाद पारितोषिक प्रदान किया गया।

सम्पूर्णानन्द का साहित्य में स्थान

डॉ० सम्पूर्णानन्द ने हिन्दी में गम्भीर विषयों पर निबन्धों और ग्रन्थों की रचना की। इनकी रचनाओं में मौलिक चिन्तन, गम्भीरता और उच्च स्तर का पाण्डित्य पाया जाता है। सम्पादन के क्षेत्र में भी इन्होंने उल्लेखनीय कार्य किया है। एक मनीषी साहित्यकार के रूप में हिन्दी-साहित्य में इनका महत्त्वपूर्ण स्थान सदा बना रहेगा।

FAQ: सम्पूर्णानन्द के बारे में पुछे जाने वाले कुछ प्रश्न

प्रश्न -- संपूर्णानंद कौन थे?

उत्तर -- डॉ संपूर्णानंद उत्तर प्रदेश, भारत में एक शिक्षक और राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने 1954 से 1960 तक उत्तर प्रदेश के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया था।

प्रश्न -- डॉ सम्पूर्णानंद का जन्म कब हुआ था?

उत्तर -- डॉ सम्पूर्णानंद जी का जन्म 1 जनवरी, 1891 में हुआ था।

प्रश्न -- डॉ सम्पूर्णानन्द का जन्म कहाँ हुआ था?

उत्तर -- डॉ सम्पूर्णानन्द का जन्म वाराणसी, उत्तर प्रदेश भारत में हुआ था।

प्रश्न -- डॉ सम्पूर्णानंद के माता-पिता का नाम क्या था?

उत्तर -- डॉ सम्पूर्णानंद के माता जी का नाम आनंदी देवी और पिता का नाम विजयानंद था।

प्रश्न -- डॉ सम्पूर्णानंद विधानसभा सदस्य कब बने?

उत्तर -- सम्पूर्णानंद सन् 1926 में प्रथम बार कांग्रेस की ओर से खड़े होकर विधानसभा के सदस्य बने थे।

प्रश्न -- डॉ सम्पूर्णानंद जी की मृत्यु कब हूई थी?

उत्तर -- डॉ सम्पूर्णानंद की मृत्यु 10 जनवरी, 1969 में हूई थी। जब उनकी मृत्यु हुई तक उनकी आयु 78 वर्ष की थी।

प्रश्न -- डॉ सम्पूर्णानंद की दो प्रमुख रचनाएँ लिखें?

उत्तर -- सम्पूर्णानंद जी की दो प्रमुख रचनाएँ है अन्तरिक्ष यात्रा और अधूरी क्रान्ति।

सम्पूर्णानन्द का जीवन परिचय pdf





निष्कर्ष

यहा पर हमने इस आर्टिकल के माध्यम से सम्पूर्णानंद का जीवन परिचय अच्छे से समझा। यह जीवन परिचय बोर्ड एग्ज़ाम की तैयारी कर रहे एवं कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी कर रहे, सभी छात्रों के लिये मददगार है।

इस जीवनी में हमने सम्पूर्णानंद जी के जीवन से संबंधित बहुत से महत्वपुर्ण प्रश्नों को समझा, ताकी आप सभी को इनकी सम्पुर्ण जीवनी अच्छे से समझ में आ जाये। इसी के साथ हम आशा करते है की, आपको यह जीवनी जरुर से पसंद आया होगा। और हमे उमीद है की इस लेख की सहायता से आपको sampurnanand ka jivan parichay को अच्छे से समझने में काफी मदद मिली होगी। अगर आपके मन में इस लेख से सम्बंधित कोई सवाल है तो, आप हमे नीचे कमेंट करके पुछ सकते हैं। साथ ही इस sampurnanand ki jeevani को आप अपने सहपाठी एवं मित्रों के साथ साझा जरुर करे।

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