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रामधारी सिंह दिनकर - Ramdhari Singh Dinkar Ka Jivan Parichay

Ramdhari Singh Dinkar

रामधारी सिंह दिनकर जी की संपूर्ण जीवनी को इस आर्टिकल में हम बिल्कुल विस्तारपूर्वक से समझेंगे। बोर्ड के परिक्षा में हिन्दी के विषय में एक प्रश्न जीवनी का भी सामिल रहता है। यह बात लगभग सभी विद्यार्थियों को पता है और इसलिए बोर्ड के परिक्षा की तैयारी कर रहे सभी विद्यार्थी किसी भी लेखक या कवि का जीवन परिचय अच्छे से पढ़ कर उसे याद करते है। ताकी वो परिक्षा में पुछे गये जीवनी को अच्छे से लिख सके और अच्छे अंक हासिल कर सके। तो इसी को ध्यान में रखते हुए हमने इस लेख में रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय एकदम विस्तारपूर्वक से शेयर किया है। क्योकी बोर्ड के परिक्षा में इनकी जीवनी के आने की सम्भावना सबसे अधिक होती है। तो, अगर आप इस समय बोर्ड के एग्ज़ाम की तैयारी कर रहे है तो, इस जीवनी को आप ध्यानपूर्वक से जरुर पढ़े, क्योकी इससे आपको परिक्षा में काफी मदद मिल सकती है।


रामधारी सिंह दिनकर की जीवनी (Ramdhari Singh Dinkar Biography In Hindi)

पूरा नाम रामधारी सिंह दिनकर
कलम नाम दिनकर
जन्म तिथि 23 सितम्बर 1908
जन्म स्थान सिमरिया घाट, बेगूसराय जिला, बिहार (भारत)
मृत्यु तिथि 24 अप्रैल 1974
मृत्यु स्थान मद्रास, तमिलनाडु, (भारत)
आयु (मृत्यु के समय) 65 वर्ष
व्यवसाय कवि, लेखक
अवधि/काल आधुनिक काल
राष्ट्रीयता भारतीय
शिक्षा बी. ए.
भाषा ओजपूर्ण भाषा
शैली प्रवाहयुक्त, उद्बोधन शैली, गम्भीर विचारात्मक
रचनाएँ काव्य -- रेणुका, हुँकार, कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, परशुराम की प्रतिज्ञा। गद्य -- अर्द्ध नारीश्वर, बट-पीपल, उजली आग, भारतीय संस्कृति के चार अध्याय।
पुरस्कार (1959 में साहित्य अकादमी पुरस्कार), (1959 में पद्म भूषण) और (1972 में भारतीय ज्ञानपीठ)

रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय

दिनकर जी का जन्म सन् 1908 में बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया घाट नामक ग्राम में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई। कविता लिखने का शौक इन्हें विद्यार्थी जीवन से ही था। हाईस्कूल पास करने के बाद ही इन्होंने 'प्राण भंग' नामक काव्य पुस्तक लिखी जो सन् 1929 में प्रकाशित हुई। सन् 1932 में बी. ए. परीक्षा उत्तीर्ण करके इन्होंने एक उच्च माध्यमिक विद्यालय में प्रधान अध्यापक के पद पर कार्य किया।

इसके बाद अवर निबन्धक के पद पर सरकारी नौकरी में चले गये। बाद में प्रचार विभाग के निदेशक के पद पर स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद तक कार्य करते रहे। इसके बाद इन्होंने बिहार विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष पद पर कुछ समय तक कार्य किया। तत्पश्चात् भागलपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति भी रहे। अन्त में भारत सरकार के गृह विभाग में हिन्दी सलाहकार के रूप में एक लम्बे अरसे तक हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए कार्यरत रहे।

इनको ज्ञानपीठ और साहित्य अकादमी के पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। सन् 1959 में भारत सरकार ने इन्हें 'पद्म भूषण' की उपाधि से अलंकृत किया और सन् 1962 में भागलपुर विश्वविद्यालय ने आपको डी. लिट् की मानद उपाधि से सम्मानित किया। इस प्रकार हिन्दी की अनवरत सेवा करते हुए सन् 1974 में हिन्दी साहित्याकाश का यह 'दिनकर' सदा-सदा के लिए अस्त हो गया।

रामधारी सिंह दिनकर जी का परिवार

पिता का नाम बाबू रवि सिंह
माता का नाम मनरूप देवी
भाई के नाम केदारनाथ सिंह, रामसेवक सिंह
पत्नी का नाम श्यामावती देवी
संतान एक पुत्र (नाम ज्ञात नही)

रामधारी सिंह दिनकर का साहित्यिक परिचय

दिनकर जी आधुनिक युग के एक ऐसे उदीयमान साहित्यकार हैं जिन्होंने बाल्यावस्था से लेकर वृद्धावस्था तक हिन्दी-साहित्य की अनवरत सेवा की है। यह कवि और कुशल गद्यकार के रूप में साहित्य जगत में जाने जाते हैं। इन्होंने गद्य के माध्यम से भारतीय संस्कृति, दर्शन और कला का गम्भीर विवेचन प्रस्तुत किया है। साथ ही हिन्दी के प्रचार के लिए स्तुत्य कार्य किया है। इस प्रकार 'दिनकर' जी ने हिन्दी की महान् सेवा की है। अत : आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रणेताओं में 'दिनकर' जी का स्थान दिनकर के सदृश सर्वोच्च है।

रामधारी सिंह दिनकर की कृतियाँ

दिनकर जी बहुमुखी प्रतिभा के कलाकार थे। आपकी प्रसिद्धि का मूल आधार कविता है। लेकिन गद्य लेखन में भी आप पीछे नहीं रहे और अनेक अनमोल गद्य ग्रन्थ लिखकर हिन्दी साहित्य की अभिवृद्धिव की है आपकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं

गद्य ग्रन्थ --- अर्द्धनारीश्वर, मिट्टी की ओर, रेती के फूल  बट पीपल, उजली आग, भारतीय संस्कृति के चार अध्याय, हमारी सांस्कृतिक एकता।
काव्य ग्रन्थ --- प्रण भंग, रेणुका, रसवन्ती, सामधेनी, बापू, हुँकार, रश्मिरथी, परशुराम की प्रतिज्ञा, आदी।
महाकाव्य --- कुरुक्षेत्र, उर्वशी।
बाल निबन्ध --- मिर्च का मजा, सूरज का ब्याह, चित्तौड़ का सांका।

रामधारी सिंह दिनकर की भाषा

दिनकर जी की भाषा शुद्ध और परिमार्जित खड़ी बोली है। इसमें उर्दू, अंग्रेजी तथा देशज शब्दो का उन्मुक्त प्रयोग मिलता है। इनकी भाषा में संस्कृत के तत्सम शब्दों का भी बाहुल्य है। इनकी भाषा सहज प्रवाहमयी है, इसमें कृत्रिमता नाम मात्र को नहीं है। मुहावरों और कहावतों के प्रयोग से भाषा सजीव और ओजमयी हो गयी है। विषय के अनुरूप इनकी भाषा सर्वत्र परिवर्तित होती रहती है।

रामधारी सिंह दिनकर की शैली

दिनकर की शैली को तीन रूपों में विभाजित किया जा सकता है — विवेचनात्मक शैली, उध्दृरण शैली और सूक्ति शैली। उनकी गद्य की प्रमुख शैली विवेचनात्मक ही है। यह शैली प्रभावोत्पादक तथा सारयुक्त है। उद्धरण शैली में लेखक अपनी बात की पुष्टि के लिए अन्य विद्वानों के कथनों को उद्धृत करता चलता है सूक्ति शैली में इस प्रकार के उदाहरण दिये जाते हैं जिसका सार्वजनिक महत्त्व होता है। दिनकर जी की शैली में इस प्रकार के उद्धरण और सूक्ति वचनों की भरमार है। ईर्ष्या तू न गई मेरे मन से पाठ उनकी इस शैली का एक ज्वलन्त उदाहरण है। इस प्रकार दिनकर जी एक चतुर भाषा-शिल्पी और कुशल शैलीकार हैं।

FAQs : रामधारी सिंह दिनकर के बारे में पुछे जाने वाले कुछ प्रश्न और उनके उत्तर

प्रश्न -- रामधारी सिंह दिनकर कौन थे?

उत्तर -- रामधारी सिंह दिनकर एक भारतीय हिंदी और मैथिली भाषा के कवि, निबंधकार, स्वतंत्रता सेनानी, देशभक्त और अकादमिक थे।

प्रश्न -- रामधारी सिंह दिनकर का जन्म कब हुआ था?

उत्तर -- दिनकर जी का जन्म 23 सितम्बर सन् 1908 में हुआ था।

प्रश्न -- रामधारी सिंह दिनकर का जन्म कहां हुआ था?

उत्तर -- रामधारी सिंह दिनकर का जन्म बिहार राज्य के जिला बेगूसराय के सिमरिया नामक ग्राम में हुआ था।

प्रश्न -- रामधारी सिंह दिनकर की पत्नी का नाम?

उत्तर -- दिनकर जी के पत्नी का नाम श्यामावती देवी था।

प्रश्न -- रामधारी सिंह दिनकर के पिता का नाम?

उत्तर -- बाबू रवि सिंह

प्रश्न -- रामधारी सिंह दिनकर को क्या कहा जाता है?

उत्तर -- रामधारी सिंह दिनकर को, जन कवि होने के नाते राष्ट्रकवि कहा जाता है।

प्रश्न -- रामधारी सिंह दिनकर की पहली रचना कौन सी है?

उत्तर -- दिनकर जी की पहली रचना 'प्रणभंग' है। 

प्रश्न -- रामधारी सिंह दिनकर को कौन पुरस्कार प्राप्त हुआ था?

उत्तर -- रामधारी सिंह दिनकर जी को भारतीय ज्ञानपीठ, साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्म भूषण जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।

प्रश्न -- 'रामधारी सिंह दिनकर' किस राज्य के वासी थे ? उनकी दो पुस्तकों के नाम लिखिए।

उत्तर -- दिनकर जी बिहार राज्य के वासी थे। उर्वशी और मिट्टी की ओर उनकी दो पुस्तकों के नाम है।

रामधारी सिंह दिनकर जीवन परिचय pdf

यहा पर रामधारी सिंह दिनकर जी के संपूर्ण जीवनी को पीडीएफ के रुप में भी दिया गया है। जिसे आप बहुत से असानी से डाउनलोड कर सकते है और कभी भी अपने समयानुसार इनकी जीवनी का अध्याय कर सकते हैं। रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय pdf में डाउनलोड करने के लिये नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करे और पीडीएफ को डाउनलोड करे।



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