[ PDF ] मीराबाई का जीवन परिचय | साहित्यिक सेवाएँ एवं रचनाएँ 2024


इस आर्टिकल में हम भगवान श्रीकृष्ण की सबसे बड़ी भक्त मीराबाई की सम्पुर्ण जीवनी को एकदम विस्तार से देखेंगे। यदि आप मीराबाई की जीवनी की खोज में है तो, आपकी खोज अब समाप्त होती है क्योकी यहा पर हमने मीराबाई की जीवनी बिल्कुल विस्तार शेयर किया है।

हम इस लेख में मीराबाई के जीवन से जुड़े उन सभी प्रश्नों को देखेंगे, जो ज्यादातर लोगो द्वारा पुछे जाते है, जैसे की- मीराबाई का जन्म कहां और कब हुआ था, मीराबाई की माता का नाम, मीराबाई के पति का नाम, मीराबाई का साहित्यिक परिचय, मीराबाई की रचनाएँ , मीराबाई की भाषा शैली, मीराबाई की मृत्यु कब और कहां हुई थी और मीरा बाई की मृत्यु कैसे हुई थी आदि। इन सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर आपको यहा पर एकदम विस्तार से मिल जायेंगे। तो अगर आप Meera Bai Ka Jeevan Parichay बिल्कुल अच्छे से पढ़ना चाहते हैं तो, इस लेख को पुरा अन्त तक अवश्य पढ़े।


मीराबाई की जीवनी

नाम मीराबाई
जन्म वर्ष सन् 1498 ई०
जन्म स्थान कुडकी, राजस्थान (भारत)
मृत्यु वर्ष सन् 1547 ई०
मृत्यु स्थान द्वारका, गुजरात (भारत)
आयु (मृत्यु के समय) 48-49 वर्ष
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म हिन्दू
भाषा ब्रजभाषा
माता का नाम वीर कुमारी
पिता का नाम रतन सिंह
पति का नाम भोजराज सिंह

मीराबाई का जीवन परिचय (Meera Bai Ka Jeevan Parichay) 

जोधपुर के संस्थापक राव जोधाजी की प्रपौत्री, जोधपुर नरेशा गाजा रत्नसिंह की पुत्री और भगवान् कृष्ण के प्रेम में दीवानी मीराबाई का जन्म राजस्थान के चौकड़ी नामक ग्राम में सन् 1498 ई० में हुआ था। बचपन में ही माता का निधन हो जाने के कारण ये अपने पितामह रावा दूदा जी के पास रहती थीं और प्रारम्भिक शिक्षा भी उन्हीं के पास रहकर प्राप्त की थीं।

राव दूदा जी बड़े ही धार्मिक एवं उदार प्रवृत्ति के थे, जिनका प्रभावा मीया के जीवन पर पूर्णरूपेण पड़ा था। आठ वर्ष की मीरा ने कब श्रीकृष्ण को पति रूप में स्वीकार लिया, यह बात कोई नहीं जान सका। इनका विवाह चित्तौड़ के महाराजा राणा साँगा के ज्येष्ठ पुत्र भोजराज के साथ हुआ था। विवाह के कुछ वर्ष बाद ही मीरा विधवा हो गयीं। अब तो इनका सारा समय श्रीकृष्ण-भक्ति में ही बीतने लगा। मीरा श्रीकृष्ण को अपना प्रियातामा मानाकर उनके विरह में पद गाती और साधु-सन्तों के साथ कीर्त्तन एवं नृत्य करतीं।

इनके इस प्रकार के व्यवहार ने परिवार के लोगों को रूष्ट कर दिया और उन्होंने मीरा की हत्या करने का कई बार असफल प्रयास किया। अन्त में राणा के दुर्व्यवहार से दुःखी होकर मीरा वृन्दावन चली गयीं। मीरा की कीर्ति से प्रभावित होकर राणा ने अपनी भूल पर पाश्चात्तापा किया और इन्हें वापस बुलाने के लिए कई सन्देश भेजे; परन्तु मीरा सदा के लिए सांसारिक बन्धनों को छोड़ चुकी थीं। कहा जाता है कि मीरा एक पद की पंक्ति 'हरि तुम हरो जन की पीर गाते-गाते भगवान् श्रीकृष्ण की मूर्ति में विलीन हो गायी थीं। मीरा की मृत्यु द्वारका में सन् 1547 ई० के आस-पास हुई थी।

मीराबाई की साहित्यिक सेवाएँ

मीरा के काव्य का मुख्य स्वर कृष्ण-भक्ति है। इनके काव्य में इनके हृदय की सरलता तथा निश्छलता स्पष्ट रूप से प्रकट होती है। इनकी भक्ति-साधना ही इनकी काव्य-साधना है। दाम्पत्य प्रेम के रूप में व्यक्त इनके सम्पूर्ण काव्य में, इनके हृदय के मधुर भाव गीत बनकर बाहर उमड़ पड़े हैं। विरह की स्थिति में इनके वेदनापूर्ण गीत अत्यन्त हृदयस्पर्शी बन पड़े हैं। इनका प्रत्येक पद सच्चे प्रेम की पीर से परिपूर्ण है। भाव-विभोर होकर गाये गये तथा प्रेम एवं भक्ति सो ओत-प्रोत इनके गीतः आज भी तन्मय होकर गाये जाते हैं। कृष्ण के प्रति प्रेमभाव की व्यञ्जना ही इनकी कविता का उद्देश्य रहा है।

मीराबाई की रचनाएँ

मीशा की रचनाओं में इनके हृदय की विह्वलता देखने को मिलती है। इनके नाम से सात-आठ रचनाओं के उल्लेख मिलते हैं- 
(1) नारसी जी का मायरा
(2) राग गोविन्द
(3) गीत गोविन्द की टीका
(4) राग-सोरठ के पद
(5) मीराबाई की मालार
(6) गरबा गीत
(7) राग विहाग तथा फुटकर पद।
इनकी प्रसिद्धि का आधार 'मीरा पदावली' एक महत्वपूर्ण कृति है। 

मीराबाई की भाषा शैली

मीरा ने ब्रजभाषा को अपनाकर अपने गीतों की रचना की। इनके द्वारा प्रयुक्त इस भाषा पर राजस्थानी, गुजराती एवं पंजाबी भाषा की स्पष्ट छाप परिलक्षित होती है। इनकी काव्य-भाषा अत्यन्त मधुर, सरस और प्रभावपूर्ण है। इनके साभी पाद गोया हैं। इन्होंने गीतिकाव्य की भावपूर्ण शैली अथवा मुक्तक शैली को अपनाया है। इनकी शैली में हृदय की तन्मयता, लयात्मकता एवं संगीतात्मकता स्पष्ट रूप से देखने को मिलती है।

FAQ: मीराबाई से सम्बंधित कुछ प्रश्न उत्तर

प्रश्न -- मीराबाई कौन थी?

उत्तर -- मीराबाई 16 वीं शताब्दी की हिंदू रहस्यवादी कवि और कृष्ण की भक्त थी।

प्रश्न -- मीराबाई का जन्म कहां हुआ था?

उत्तर -- मीराबाई का जन्म कुडकी में एक राठौर राजपूत शाही परिवार में हुआ था और उन्होंने अपना बचपन मेड़ता में ही बिताया था।

प्रश्न -- मीराबाई का जन्म कब हुआ था?

उत्तर -- मीराबाई का जन्म सन् 1498 ई० में हुआ था।

प्रश्न -- मीराबाई का बचपन का नाम क्या है?

उत्तर -- मीराबाई का बचपन का नाम पेमल था।

प्रश्न -- मीराबाई का विवाह कब हुआ?

उत्तर -- मीराबाई का विवाह 1516 में मेवाड़ के राजकुमार भोजराज के साथ हुआ था​।

प्रश्न -- मीराबाई की माता का नाम क्या था?

उत्तर -- मीराबाई की माता जी का नाम वीर कुमारी था।

प्रश्न -- मीराबाई के पति का नाम क्या था?

उत्तर -- मीराबाई के पति का नाम भोजराज सिंह था।

प्रश्न -- मीराबाई किसकी भक्त थी?

उत्तर -- मीरा बाई भगवान श्रीकृष्ण की सबसे बड़ी भक्त थी।

प्रश्न -- मीरा बाई की मृत्यु कब हुई थी?

उत्तर -- मीरा बाई की मृत्यु सन् 1547 ई० में हुई थी।

प्रश्न -- मीरा बाई की मृत्यु कहाँ हुई थी?

उत्तर -- मीरा बाई की मृत्यु द्वारका में हुई थी।

प्रश्न -- मीराबाई की मृत्यु कैसे हुई थी?

उत्तर -- कहा जाता है की, वर्ष 1547 में द्वारका में मीराबाई कृष्ण भक्ति करते-करते श्रीकृष्ण की मूर्ति में समां गई।

मीराबाई का जीवन परिचय PDF

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निष्कर्ष

यहा पर इस लेख में हमने meerabai ka jivan parichay बिल्कुल अच्छे से समझा। आपको यह जीवनी कैसी लगी कमेंट के माध्यम से अपना अनुभाव हमारे साथ जरुर साझा करे। हम आशा करते है की आपको यह लेख जरुर पसंद आया होगा और हमे उमीद है की, इस लेख की सहायता से मीराबाई का जीवन परिचय कैसे लिखें, आप अच्छे से समझ गये होंगे। यदि आपके मन में इस लेख को लेकर कोई प्रश्न है तो, आप नीचे कमेंट करके पुछ सकते हैं। साथ ही इस mirabai ki jivani को आप अपने सभी मित्रों के साथ शेयर जरुर करे।

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