भगवतशरण उपाध्याय का जीवन परिचय | Bhagwat Sharan Upadhyay Ka Jivan Parichay [ PDF ]

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इस आर्टिकल में हम डॉ. भगवतशरण उपाध्याय जी के जीवन परिचय को बिल्कुल विस्तार से समझेंगे, हम इनके जीवन से सम्बंधित उन सभी महत्वपूर्ण प्रश्नो को देखेंगे जो बोर्ड की परीक्षाओं में पुछे जाते है। और यह जीवनी उन छात्रों के लिये काफी सहयोगी है, वो कक्षा 10 या 12 में पढ़ रहे है, क्योकी बोर्ड की परीक्षा में हिन्दी के विषय में भगवत शरण उपाध्याय के जीवन से जुड़े काफी सारे प्रश्न पुछे जाते है जैसे की, डॉ. भगवतशरण उपाध्याय का जन्म कब हुआ था, डॉ. भगवतशरण उपाध्याय का जन्म कहाँ हुआ था, डॉ. भगवतशरण उपाध्याय के माता पिता का नाम, भगवतशरण उपाध्याय का साहित्यिक परिचय, डॉ. भगवतशरण उपाध्याय की भाषा शैली और साहित्य में स्थान, भगवतशरण उपाध्याय की रचनाएँ और डॉ. भगवतशरण उपाध्याय का मृत्यु कब हुआ था आदि। इन सभी सवालों के जवाब आपको इस लेख में बिल्कुल विस्तार से मिल जायेंगे इसलिए आप इस लेख को पुरा अन्त तक जरुर पढ़े। तो चलिए अब हम bhagwat sharan upadhyay ka jivan parichay को अच्छे से विस्तारपूर्वक समझें।

डॉ. भगवतशरण उपाध्याय की जीवनी (Bhagwat Sharan Upadhyay Biography)

नाम भगवतशरण उपाध्याय
जन्म तिथि 1910
जन्म स्थान उजियारीपुर, बलिया (उत्तर प्रदेश)
मृत्यु तिथि 12 अगस्त, 1982
मृत्यु स्थान मॉरीशस
शिक्षा एम. ए.
विषय संस्कृति और इतिहास
राष्ट्रीयता भारतीय
पिता का नाम पंडित रघुनंदन उपाध्याय
माता का नाम महादेवी
भाषा हिन्दी, तत्सम प्रधान खड़ी बोली, उर्दू , फारसी अंग्रेजी तथा देशज शब्दों वाली भाषा, सरल व्यावहारिक भाषा, लोकोक्तियों, मुहावरों का प्रयोग।
शैली विवेचनात्मक, वर्णनात्मक, आलोचनात्मक, भावात्मक, अलंकृत।
प्रमुख रचनाएँ विश्व साहित्य की रूपरेखा, साहित्य और कला, खून के छींटे इतिहास के पन्ने पर, कोलकाता से पीकिंग, कुछ फीचर, कुछ एकांकी, इतिहास साक्षी है।

भगवतशरण उपाध्याय का जीवन परिचय 2024

भारतीय संस्कृति के पूर्ण समर्थ एवं हिन्दी भाषा के प्रचारक डॉ. भगवतशरण उपाध्याय का जन्म बलिया जिले के अन्तर्गत उजियारीपुर ग्राम में सन् 1910 में हुआ था। इन्होंने बनारस विश्वविद्यालय से प्राचीन इतिहास में एम. ए. की परीक्षा उतीर्ण की। भारत के प्राचीन इतिहास की ओर आपकी विशेष अभिरुचि के कारण इन्होंने तत्कालीन इतिहास और भारतीय संस्कृति का विशेष अध्ययन किया। इन्होंने पुरातत्व विभाग, प्रयाग संग्रहालय और लखनऊ संग्रहालय के अध्यक्ष पद का दायित्व भली-भाँति निर्वाह किया। तत्पश्चात् बिड़ला महाविद्यालय में प्राचीन इतिहास विभाग के पहले प्रोफेसर फिर अध्यक्ष पद पर सुशोभित हुए। सेवा निवृति के उपरान्त देहरादून में स्वतन्त्र रूप से जीवन व्यतीत करते हुए हिन्दी की सेवा में संलग्न रहे। 12 अगस्त सन् 1982 में भगवतशरण उपाध्याय का देहावसान हो गया।

डॉ. भगवतशरण उपाध्याय का साहित्यिक परिचय

उपाध्याय जी की लेखनी छात्रावस्था से ही निरन्तर चलती रही है और लगभग 100 ग्रन्थों से अधिक की रचना कर चुके हैं, 'इण्डिया इन कालिदास' आपकी प्रसिद्ध रचना है। उपाध्याय जी बहुभाषाविद् थे परन्तु वे मूलत: पुरातत्वविद् थे। उनकी रचनात्मक प्रतिभा का बहुमुखी विकास हुआ। पुरातत्व और इतिहास सम्बन्धी रचनाओं में प्राचीन भारत की संस्कृति, कला और साहित्य का मौलिक विवेचन हुआ है। आपकी आलेचनाएँ साहित्य के विभिन्न पक्षों पर सुन्दर प्रकाश डालती हैं। आपने पाश्चात्य सिद्धान्तों का भारतीय सिद्धान्तों के साथ सफल समन्वय किया है तथा उसका विदेशों में प्रचार तथा प्रसार किया है। इस दृष्टि से हिन्दी के साहित्यकारों में उपाध्याय जी का प्रमुख और महत्त्वपूर्ण स्थान है।

डॉ. भगवतशरण उपाध्याय की रचनाएँ

आपकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं - विश्व साहित्य की रूपरेखा, साहित्य और कला, खून के छींटे, इतिहास के पन्नों पर, कोलकाता से पीकिंग, फीचर, कुछ एकांकी, इतिहास साक्षी है, दूंठा आम, सागर की लहरों पर, विश्व को एशिया की देन, मन्दिर और भवन, इण्डिया इन कालिदास।

डॉ. भगवतशरण उपाध्याय की भाषा शैली

उपाध्याय जी सार्वजनिक भाषा का प्रयोग करते हैं। प्रचलित एवं व्यावहारिक संस्कृत और उर्दू शब्दों के प्रयोग से आपकी भाषा में माधुर्य आ गया है जिससे पाठक प्रभावित होता है। आपकी भाषा में अद्वितीय प्रवाह व आकर्षण है, दुरूहता नाममात्र को भी नहीं। आपके द्वारा अपनायी गयी वर्णनात्मक और विवरणात्मक शैली इतनी प्रभावशालिनी है कि निबन्ध में चित्रोपमता उत्पन्न हो जाती है। 

डॉ. भगवतशरण उपाध्याय का हिन्दी साहित्य में स्थान

भगवतशरण उपाध्याय जी हिन्दी जगत के मूर्धन्य लेखक थे उनका हिन्दी साहित्य में गौरवपूर्ण स्थान है।

FAQ: भगवतशरण उपाध्याय के बारे में पुछे जाने वाले कुछ प्रश्न और उनके उत्तर

प्रश्न -- डॉ भगवतशरण उपाध्याय कौन थे?
उत्तर -- डॉ भगवतशरण उपाध्याय शिक्षाविद् तथा हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार थे।

प्रश्न -- डॉ. भगवतशरण उपाध्याय का जन्म कब हुआ था?
उत्तर -- भगवतशरण उपाध्याय का जन्म 1910 में हुआ था।

प्रश्न -- भगवतशरण उपाध्याय का जन्म कहाँ हुआ था?
उत्तर -- भगवतशरण उपाध्याय का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के उजियारीपुर नामक ग्राम में हुआ था।

प्रश्न -- डॉ भगवतशरण उपाध्याय के माता पिता का नाम?
उत्तर -- डॉ भगवतशरण उपाध्याय के पिता का नाम पंडित रघुनंदन उपाध्याय और माता का नाम महादेवी था।

प्रश्न -- भगवतशरण उपाध्याय की रचना?
उत्तर -- भगवतशरण उपाध्याय की कुछ रचनाएँ - साहित्य और कला, विश्व साहित्य की रूपरेखा, खून के छींटे इतिहास के पन्ने पर, कोलकाता से पीकिंग, कुछ फीचर, कुछ एकांकी आदि।

प्रश्न -- डॉ. भगवतशरण उपाध्याय का मृत्यु कब हुआ था?
उत्तर -- डॉ. भगवतशरण उपाध्याय का मृत्यु 12 अगस्त, 1982 में हुआ था।

डॉ भगवतशरण उपाध्याय का जीवन परिचय pdf 

यहा पर नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करके आप डॉ भगवतशरण उपाध्याय का जीवन परिचय pdf में डाउनलोड कर सकते हैं। और इस पीडीएफ की मदद से आप कभी भी भगवतशरण उपाध्याय के जीवनी के अध्ययन कर सकते हैं। पीडीएफ फ़ाईल को डाउनलोड करने के लिये नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करें।

  

निष्कर्ष 

यहा पर इस लेख में हमने डॉ. भगवतशरण उपाध्याय की जीवनी को बिल्कुल अच्छे से समझा। जोकि, बोर्ड के परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिये काफी महत्वपुर्ण है, क्योकी भगवतशरण उपाध्याय का जीवन परिचय कक्षा 10 और 12 के परीक्षा में पुछा जा सकता है, ऐसे में बेहतर है की, आप इनकी जीवनी को अच्छे से पढ़ कर समझ ले ताकी आपको इससे परीक्षा में मदद मिल सके। इसी के साथ हम आशा करते है की, आपको यह लेख जरुर पसंद आया होगा और हमे उमीद है की इस आर्टिकल की सहायता से आपको bhagwat sharan upadhyay ka jivan parichay बिल्कुल अच्छे से समझ आ गया होगा। अगर आपके मन मे इस लेख से सम्बंधित कोई प्रश्न है तो, आप हमे नीचे कमेंट करके पुछ सकते है। साथ ही इस bhagwat sharan upadhyay ki jivani को आप अपने सहपाठी एवं मित्रों के शेयर जरुर करे।

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