यहा पर पढ़िए सम्पुर्ण हिन्दी व्याकरण के नोट्स | Hindi Grammar Notes
इस पेज पर आप हिन्दी व्याकरण (Hindi Grammar) के नोट्स को देखेंगे। हमने यहाँ पर आपको हिन्दी व्याकरण के सभी अध्यायों के नोट्स बिल्कुल विस्तार में दिये हैं जोकि आपको किसी भी परिक्षा की तैयारी करने में आपकी मदद करेंगा। यहा पर जोभी Hindi Grammar के नोट्स है उन सभी को आप विस्तार से पढ़ सकते हैं। अगर आपको hindi vyakaran notes को अच्छे से समझना है, तो आप इस पेज पर समझ सकते है।
हिन्दी व्याकरण नोट्स (Hindi Vyakaran)
》व्याकरण (Vyakaran)
》भाषा (Bhasha)
》वर्ण-विचार (Varn-vichar)
》वर्तनी (Vartani)
》विराम-चिन्ह (Viram-chinh)
》शब्द-विचार (Shabd-vichar)
》संज्ञा (Sangya)
》लिंग (Ling)
》वचन (Vachan)
》कारक (Karak)
》सर्वनाम (Sarvanam)
》विशेषण (Visheshan)
》वाक्य (Vakya)
》क्रिया (Kriya)
》वाच्य (Vachay)
》काल (Kaal)
》अव्यय (Avyay)
》उपसर्ग (Upsarg)
》प्रत्यय (Pratyay)
》समास (Samas)
》संधि (Sandhi)
》पदबंध (Padbandh)
》पर्यायवाची शब्द (Paryayvachi)
》विलोम शब्द (Vilom shabd)
》मुहावरे (Muhavare)
》लोकोक्तियाँ (Lokoktiyan)
》अनेकार्थी शब्द (Anekarthi Shabd)
》अनेक शब्दों के लिए एक शब्द (Anek Shabdon Ke Liye Ek Shabd)
व्याकरण (vyakaran)
जिन्ह नियमो के अन्तर्गत किसी भाषा को शुद्ध बोलना लिखना एवं ठीक प्रकार से समझना आता है उन्हे ही हम व्याकरण कहते है अथवा व्याकरण वह शास्त्र है, जिससे हमे भाषा का शुध्द ज्ञान होता है। विस्तार में पढ़े..
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भाषा (bhasha)
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में रहने के लिए मनुष्य को अपने विचारों और भावों को व्यक्त करना पड़ता है और दूसरों के द्वारा व्यक्त विचारों और भावों को समझना पड़ता है। इन्हें व्यक्त करने के साधन हमारे पास अनेक हैं। हम शारीरिक या वस्तु संकेत के माध्यम से या मौखिक ध्वनि अथवा लिखित रूप में इन्हें व्यक्त करते हैं। विस्तार में पढ़े..
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वर्ण-विचार (varn-vichar)
उच्चारित ध्वनि संकटो को (वायु) ध्वनि कहा जाता है जबकी लिखित ध्वनि संकेतो को देवनागरी लिपि के अनुसार वर्ण कहा जाता है। विस्तार में पढ़े..
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वर्तनी (vartani)
‘वर्तनी' शब्द ‘वर्तन' से बना है, अर्थात्-अनुवर्तन करना या पीछे-पीछे चलना। दूसरे शब्दों में, लिपि-चिह्नों के क्या रूप हों और उनका संयोजन कैसा हो, यह कार्य ‘वर्तनी' का है। इसे अक्षरी, हिज्जे, स्पेलिंग या बंगला में 'बनान' भी कहते हैं। विस्तार में पढ़े..
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विराम-चिन्ह (viram-chinh)
विराम का अर्थ होता है - ठहराव। लिखते समय या बोलते समय यदि विराम न हो, तो पाठक या श्रोता को भाषा के सम्यक् ज्ञान में कठिनाई होती है। एक ही वाक्य के कई अर्थ निकल सकते हैं। वह भ्रमित हो सकता है। विस्तार में पढ़े..
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शब्द-विचार (shabd-vichar)
वर्णों या ध्वनियों के सार्थक मेल को शब्द कहते हैं। जैसे मैं, वह, राम, पटना, लोटा, पंकज आदि। विस्तार में पढ़े..
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संज्ञा (sangya)
संज्ञा का सामान्य अर्थ होता है नाम। दूसरे शब्दों में, किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, भाव आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं। जैसे -- राम, रहीम, सीता, गीता, कलम आदि। विस्तार में पढ़े..
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लिंग (ling)
लिंग का अर्थ होता है — चिह्न, अर्थात् पुरुष-चिह्न या स्त्री-चिह्न। पुरुष चिह्नवाले को पुरुष-जाति और स्त्री-चिह्नवाले को स्त्री-जाति कहते हैं। 'लड़का' पुरुष-जाति का होता है और 'लड़की' स्त्री-जाति की। विस्तार में पढ़े..
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वचन (vachan)
वचन का अर्थ होता है -- बोली, लेकिन हिन्दी व्याकरण में 'वचन' संख्याबोधक होता है। संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के जिस रूप से संख्या (एक या अनेक) का बोध हो, उसे वचन कहते हैं। विस्तार में पढ़े..
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कारक (karak)
संज्ञा सर्वनाम के जिस रुप से उसका वाक्य के दुसरे शब्दो के साथ सम्बंध स्थापित किया जाता है, उस रुप को 'कारक' कहते है। जैसे -- राम ने रावण को मारा। विस्तार में पढ़े..
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सर्वनाम (sarvanam)
संज्ञा के बदले जिन शब्दों का प्रयोग होता है, उन्हें सर्वनाम कहते हैं। जैसे -- वह, उसे विस्तार में पढ़े..
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विशेषण (visheshan)
जो संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बताए उस शब्द को 'विशेषण' कहते है, जैसे -- 'कालाकोट' और 'अच्छा लड़का' में 'काला' तथा 'अच्छा' शब्द विशेषण है। विस्तार में पढ़े..
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वाक्य (vakya)
सार्थक शब्दों का क्रमबद्ध समूह जिससे कोई भाव स्पष्ट हो, वाक्य कहलाता है। जैसे -- राम पुस्तक पढ़ता है। विस्तार में पढ़े..
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क्रिया (kriya)
जिस शब्द से किसी कार्य का करना अथवा होना समझा जाय, उसे क्रिया कहते है। जैसे -- वह पढ़ती है। विस्तार में पढ़े..
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वाच्य (vachay)
कर्ता, कर्म या भाव (क्रिया) के अनुसार क्रिया के रूप परिवर्तन को वाच्य कहते हैं। विस्तार में पढ़े..
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काल (kaal)
क्रिया के जिस स्वरुप से उसके होने का समय ज्ञात हो अथवा कार्य की पुर्ण अथवा अपूर्ण अवस्था का बोध हो उसे काल कहते है। विस्तार में पढ़े..
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अव्यय (avyay)
अव्यय या अविकारी उन शब्दों को कहते हैं, जिनमें लिंग, वचन, पुरुष आदि के कारण कभी कोई परिवर्तन नहीं होता। जैसे -- बहु , भार, वहाँ विस्तार में पढ़े..
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उपसर्ग (upsarg)
जो शब्दांश शब्द के आदि में जुड़कर नवीन शब्द बनाकर पहले शब्द के अर्थ को परिवर्तित कर देता है अथवा उसके अर्थ में विशेषता उत्पन्न कर देता है उसे उपसर्ग कहते हैं। विस्तार में पढ़े..
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प्रत्यय (pratyay)
जो शब्दांश किसी शब्द के पीछे जुड़कर नया शब्द बनाता हैं और मूल शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देता है, उसे प्रत्यय कहते हैं। विस्तार में पढ़े..
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समास (samas)
दो शब्दो या दो से अधिक शब्दों के मध्य से मात्राओं, विभिक्तियो व मध्य के शब्दो का लोप करके जब नये स्वतंत्र शब्द की रचना की जाती है तो इन दो या दो से अधिक शब्दों के संयोग को समास कहते हैं। विस्तार में पढ़े..
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संधि (sandhi)
दो अक्षरों के आपस में मिलने से उनके रूप और उच्चारण में जो परिवर्तन होता है, उसे संधि कहते हैं। जैसे -- गण + ईश गणेश (अ + ई = ए) विस्तार में पढ़े..
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पदबंध (padbandh)
पदबंध की परिभाषा वाक्य के उस अंश को जिसमें एक से अधिक पद परस्पर संबद्ध होकर अर्थ-बोध कराता है, उसे पदबंध कहते हैं। जैसे -- थोड़ा खानेवाला आज अधिक खा लिया। विस्तार में पढ़े..
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पर्यायवाची शब्द (paryayvachi)
जो शब्द समान अर्थ के करण दुसरे शब्द का स्थान गृहण कर लेते है, वे पर्यायवाची शब्द कहलाते है अर्थात इसमे एक शब्द के लिए कई शब्दो का प्रयोग किया जा सकता है। विस्तार में पढ़े..
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विलोम शब्द (vilom shabd)
हिन्दी साहित्य के शब्द विज्ञान में एक भाव के ठीक उल्टे भाव या बिल्कुल विरोधी भाव को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त शब्द को विलोम या विपरीतार्थक शब्द कहा जाता है। विस्तार में पढ़े..
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मुहावरे (muhavare)
मुहावरा किसी विशेष भाषा में प्रचलित वह पद-बन्ध या कथन-बन्ध है जो अभिधार्थ से भिन्न लक्षणा या व्यंजना मूलक विशिष्ट अर्थ देता है। विस्तार में पढ़े..
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लोकोक्तियाँ (lokoktiyan)
ऐसा वाक्य, कथन अथवा उक्ति जो अपने विशिष्ट अर्थ के आधार पर संक्षेप मे ही किसी सच्चाई को प्रकट कर सके उसे ही हम लोकोक्ति या कहावत कहते हैं। विस्तार में पढ़े..
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अनेकार्थी शब्द (Anekarthi Shabd)
अनेकार्थी शब्द वह शब्द है जिसके एक से अधिक अर्थ होते है। अथवा अनेक अर्थ व्यक्त करने वाले शब्दों को अनेकार्थी शब्द कहते हैं। विस्तार में पढ़े..
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अनेक शब्दों के लिए एक शब्द (Anek Shabdon Ke Liye Ek Shabd)
अनेक शब्दों के बदले एक शब्द' के प्रयोग से समय और श्रम की बचत होती है। साथ ही इससे यह भी परिलक्षित होता है कि भाषा पर आपकी कैसी पकड़ है। इसके लिए विशेषतः संधि और समास की जानकारी आवश्यक है, तभी आप ऐसे शब्द बना सकते हैं। विस्तार में पढ़े..
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अलंकार (Alankar)
साहित्य में अर्थगत चमत्कार को अर्थालंकार कहते हैं। अथवा जहाँ शब्दों के अर्थ से चमत्कार स्पष्ट हो, वहाँ अर्थालंकार माना जाता है। विस्तार में पढ़े..
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शब्दालंकार (Shabdaalankar)
जहाँ शब्दों के प्रयोग से सौन्दर्य में वृद्घि होती है और काव्य में चमत्कार आ जाता है, वहाँ शब्दालंकार माना जाता है। विस्तार में पढ़े..
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अर्थालंकार (Arthaalankar)
साहित्य में अर्थगत चमत्कार को अर्थालंकार कहते हैं। अथवा जहाँ शब्दों के अर्थ से चमत्कार स्पष्ट हो, वहाँ अर्थालंकार माना जाता है। विस्तार में पढ़े..
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रस (Ras)
साहित्य को पढ़ने, सुनने या नातकादि को देखने से जो आनन्द की अनुभूति होती है, उसे 'रस' कहते है। विस्तार में पढ़े..
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छन्द (Chandd)
जिस रचना में मात्राओं और वर्णों की विशेष व्यवस्था तथा संगीतात्मक लय और गति की योजना रहती है, उसे 'छन्द' कहते हैं। विस्तार में पढ़े..
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व्यंजन (Vyanjan)
वे ध्वनियाँ जो बिना स्वरों की सहायता लिए उच्चारित नहीं हो सकती हैं, व्यंजन कहलाती हैं। विस्तार में पढ़े..
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