काल किसे कहते हैं? काल की परिभाषा, भेद और उदारहण
काल किसे कहते हैं (kaal kise kahate hain)
परिभाषा -- क्रिया के जिस स्वरुप से उसके होने का समय ज्ञात हो अथवा कार्य की पुर्ण अथवा अपूर्ण अवस्था का बोध हो उसे काल कहते है। दुसरे शब्दो मे क्रिया के जिस रूप से समय का बोध हो, उसे काल कहते हैं। जैसे --
मैंने खाया था। (खाया था --- भूत समय)
मैं खा रहा हूँ। (खा रहा हूँ --- वर्तमान समय)
मैं कल खाऊँगा। (खाऊँगा --- भविष्य समय)
यहाँ क्रिया के इन रूपों -- खाया था, खा रहा हूँ और खाऊँगा से भूत, वर्तमान और भविष्य समय (काल) का बोध होता है।
काल कितने प्रकार के होते है (kaal ke bhed)
काल की परिभाषा हमने जान लिया अब हम बात करते है की काल के भेद कितने होते है, काल के मुख्य रुप से तीन भेद होते हैं --
(1). वर्तमान काल (Present Tense)
(2). भूत काल (Past Tense)
(3). भविष्य काल (Future Tense)
वर्तमान काल किसे कहते हैं
वर्तमान काल -- वर्तमान समय में होनेवाली क्रिया से वर्तमान काल का बोध होता है। जैसे --
मैं खाता हूँ। सूरज पूरब में उगता है।
वह पढ़ रहा है। गीता खेल रही होगी।
वर्तमान काल के कितने भेद होते है
वर्तमान काल के मुख्यतः तीन भेद हैं
(1) सामान्य वर्तमान
(2) तात्कालिक वर्तमान
(3) संदिग्ध वर्तमान
(1). सामान्य वर्तमान --- इससे वर्तमान समय में किसी काम के करने की सामान्य आदत, स्वभाव या प्रकृति, अवस्था आदि का बोध होता है। जैसे --
कुत्ता मांस खाता है। (प्रकृति का बोध)
मैं रात में रोटी खाता हूँ। (आदत का बोध)
पिताजी हमेशा डाँटते हैं। (स्वभाव का बोध)
वह बहुत दुबला है। (अवस्था का बोध)
(2) तात्कालिक वर्तमान --- इससे वर्तमान में किसी कार्य के लगातार जारी रहने का बोध होता है। जैसे --
कुत्ता मांस खा रहा है। ( खाने की क्रिया जारी है।)
पिताजी डाँट रहे हैं। (इसी क्षण, कहने के समय)
(3) संदिग्ध वर्तमान --- इससे वर्तमान समय में होनेवाली क्रिया में संदेह या अनुमान का बोध होता है। जैसे --
अमिता पढ़ रही होगी। (अनुमान)
माली फूल तोड़ता होगा। (संदेह या अनुमान)
भूत काल किसे कहते हैं
भूतकाल --- बीते समय में घटित क्रिया से भूतकाल का बोध होता है। जैसे --
मैंने देखा। वह लिखता था। राम ने पढ़ा होगा।
मैंने देखा है। वह लिख रहा था। यदि श्याम पढ़ता, तो
मैं देख चुका हूँ। वह लिख चुका था। अवश्य सफल होता।
भूत काल के कितने भेद होते है
भूतकाल के छह भेद हैं
(1) सामान्य भूत
(2) आसन्न भूत
(3) पूर्ण भूत
(4) अपूर्ण भूत
(5) संदिग्ध भूत
(6) हेतुहेतुमद् भूत
(1) सामान्य भूत --- इससे मात्र इस बात का बोध होता है कि बीते समय में कोई काम सामान्यतः समाप्त हुआ जैसे --
मैंने पत्र लिखा। (बीते समय में)
वे पटना गये। (बीते समय में, कब गये पता नहीं)
(2) आसन्न भूत --- इससे बीते समय में क्रिया के तुरंत या कुछ देर पहले समाप्त होने का बोध होता है। जैसे --
मैं खा चुका हूँ। (कुछ देर पहले, पेट भरा हुआ है)
सीता रोयी है। (आँसू सूख चुके हैं, लेकिन चेहरा उदास है)
(3) पूर्ण भूत --- इससे बीते समय में क्रिया की पूर्ण समाप्ति का बोध होता है। जैसे -- वह पटना गया था। (जाने का काम बहुत पहले पूरा हो चुका था।)
राम खा चुका था (पूर्णतः खा चुका था।)
(4) अपूर्ण भूत --- इससे बीते समय में क्रिया की अपूर्णता का बोध होता है। जैसे --
वह पढ़ता था। वह पढ़ रहा था। } पढ़ने का काम जारी था, पूरा नहीं हुआ था।
(5) संदिग्ध भूत --- इससे बीते समय में किसी क्रिया के होने में संदेह का बोध होता है। जैसे --
पिताजी गये होंगे। (गये या नहीं, संदेह है।)
सोहन ने खाया होगा। (सोहन या और कोई, संदेह है।)
(6) हेतुहेतुमद् भूत --- इससे इस बात का बोध होता है कि कोई क्रिया बीते समय में होनेवाली थी, लेकिन किसी कारणवश न हो सकी। जैसे --
राधा आती, तो मैं जाता। (न राधा आयी, न मैं गया।)
श्याम मेहनत करता, तो अवश्य सफल होता। (न मेहनत किया, न सफल हुआ।)
भविष्य काल किसे कहते हैं
भविष्य काल --- काल इससे भविष्य में किसी काम के होने का बोध होता है। जैसे --
तुम कल पढ़ोगे। शायद वह कल आए।
आप खेलते रहेंगे। वह आए, तो मैं जाऊँ।
वे जा चुकेंगे। तुम पढ़ोगे, तो पास करोगे।
भविष्य काल के कितने भेद होते हैं
भविष्य काल के पाँच भेद हैं
(1) सामान्य भविष्य
(2) संभाव्य भविष्य
(3) पूर्ण भविष्य
(4) अपूर्ण भविष्य
(5) हेतुहेतुमद् भविष्य
(1) सामान्य भविष्य --- इससे यह पता चलता है कि कोई काम सामान्यतः भविष्य में होगा। जैसे --
वह आएगा। तुम खेलोगे। मैं सफल होऊँगा।
(2) संभाव्य भविष्य --- इससे भविष्य में होनेवाली क्रिया के होने की संभावना का बोध होता है। जैसे --
संभव है, कल सुरेश आए। (संभावना)
मोहन परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाए। (संभावना)
(3) पूर्ण भविष्य --- इससे यह बोध होता है कि कोई काम भविष्य में पूर्णतः समाप्त हो जाएगा। जैसे --
मैं लिख चुकूँगा। वह पढ़ चुकेगा। वे जा चुकेंगे।
(4) अपूर्ण भविष्य --- इससे यह बोध होता है कि भविष्य में कोई काम जारी रहेगा। जैसे --
मैं लिखता रहूँगा। तुम खेलती रहोगी।
(5) हेतुहेतुमद् भविष्य --- यदि भविष्य में एक क्रिया का होना, दूसरी क्रिया के होने पर निर्भर करे, तो उसे हेतुहेतुमद् भविष्य कहेंगे। जैसे --
राम पढ़ेगा, तो पास करेगा। (पढ़ने पर निर्भर है, पास करना।)
रहीम आए, तो मैं जाऊँ। (आने पर निर्भर है, जाना।)
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