अनौपचारिक पत्र लेखन 2024 | Anopcharik Patra Lekhan In Hindi

Anopcharik Patra Lekhan

इस आर्टिकल में हम Anopcharik Patra के बारे में पुरी जानकारी प्राप्त करेंगे, अनौपचारिक पत्र को अंग्रेजी में Informal Letter कहा जाता है। और यहा पर हम अनौपचारिक पत्र से सम्बन्धित सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों को विस्तार से देखेंगे जैसे की अनौपचारिक पत्र किसे कहते हैं, अनौपचारिक पत्र कैसे लिखते है, अनौपचारिक पत्र के भाग तथा अनौपचारिक पत्र के उदाहरण इन सभी प्रश्नो को हम यहा पर विस्तार से समझे। तो अगर आप अनौपचारिक पत्र के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो, इस आर्टिकल को शुरू से अन्त तक पढ़ते रहिए।

औपचारिक पत्र लेखन

अनौपचारिक पत्र किसे कहते हैं (Anopcharik Patra Kise Kahate Hain)

परिभाषा -- परिचितों, रिश्तेदारों, मित्रों, सगे-सम्बन्धियों आदि को लिखे गए पत्र अनौपचारिक पत्र कहलाते हैं, इन्हें व्यक्तिगत पत्र भी कहा जाता है। इनमें व्यक्तिगत प्रवृत्तियों, सुख-दुःख, हर्ष, उत्साह, बधाई, शुभकामना आदि का वर्णन किया जाता है। अनौपचारिक पत्रों की भाषा आत्मीय व हृदय को स्पर्श करने वाली होती है।

अनौपचारिक पत्र के भाग (Anopcharik Patra In Hindi)

हमने anopcharik patra ki paribhasha को ऊपर समझ लिया अब हम अनौपचारिक पत्र के भाग के बारे में समझते है की, इसके कितने भाग होते हैं।

1). प्रेषक का पता -- अनौपचारिक पत्र लिखते समय सर्वप्रथम प्रेषक का पता लिखा जाता है। यह पता पत्र के बायीं ओर लिखा जाता है।

2). तिथि-दिनांक -- प्रेषक के पते के ठीक नीचे बायीं ओर तिथि लिखी जाती है। यह तिथि उसी दिवस की होनी चाहिए, जब पत्र लिखा जा रहा है।

3). सम्बोधन -- तिथि के बाद जिसे पत्र लिखा जा रहा है उसे सम्बोधित किया जाता है। सम्बोधन का अर्थ है किसी व्यक्ति को पुकारने के लिए प्रयुक्त शब्द। सम्बोधन के लिए प्रिय, पूज्य, स्नेहिल, आदरणीय आदि सूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

4). अभिवादन -- सम्बोधन के बाद नमस्कार, सादर चरण-स्पर्श आदि रूप में अभिवादन लिखा जाता है। 

5). विषय-वस्तु -- अभिवादन के बाद मूल विषय-वस्तु को क्रम से लिखा जाता है। जहाँ तक सम्भव हो अपनी बात को छोटे-छोटे परिच्छेदों में लिखने का प्रयास करना चाहिए।

6). स्वनिर्देश/अभिनिवेदन -- इसके अन्तर्गत प्रसंगानुसार 'आपका' , 'भवदीय' , 'शुभाकांक्षी' आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

7). हस्ताक्षर -- पत्र में अभिनिवेदन के पश्चात् अपना नाम लिखा जाता है अथवा हस्ताक्षर किए जाते हैं।

कार्ड या लिफाफे पर पता लिखना (Anopcharik Patra Ka Format)

इसके अतिरिक्त पता लिखना भी पत्र का आवश्यक भाग है। पत्र पाने वाले (प्रेषिती) का पता, कार्ड या लिफाफे पर इस प्रकार लिखा जाता है — सबसे पहले प्रेषिती का नाम , दूसरी पंक्ति में मकान संख्या, गली-मुहल्ला आदि, तीसरी पंक्ति में गाँव, शहर और डाकघर का नाम लिखा जाता है। अन्तिम पंक्ति में जिले और राज्य का उल्लेख रहता है। जैसे —

श्री रामलखन वर्मा                        आर. पी. वाजपेयी
ग्राम - मौजीपुर                            15 - विकास नगर
पोस्ट - क्योंटी बादुल्ला (बिसवाँ)       सीतापुर (उ. प्र.)
जिला - सीतापुर (उत्तर प्रदेश)          पिन - 261001

अनौपचारिक पत्र के सम्बोधन, अभिवादन तथा अभिनिवेदन

पत्र पाने वाले के साथ सम्बन्ध

सम्बोधन

अभिवादन

स्वनिर्देश / अभिनिवेदन

अपने से बड़े सम्बन्धी (माता, पिता, बड़ा भाई, बड़ी बहन, शिक्षक इत्यादि) पूजनीया (माता), पूज्य (पिता), आदरणीय, पूजनीय, आदरणीया (माता, बहन) चरण स्पर्श, सादर प्रणाम आज्ञाकारी, स्नेहकांक्षी, प्यारा इत्यादि।
अपने से छोटे सम्बन्धी (छोटा भाई, छोटी बहन, पुत्र, पुत्री, भतीजा, भतीजी इत्यादि) चिरंजीवी, प्रिय, केवल नाम शुभाशीर्वाद, प्रसन्न रहो शुभेच्छु, शुभाकांक्षी, हितैषी इत्यादि।
मित्र, सहपाठी प्रिय, मित्रवर, केवल नाम सप्रेम नमस्कार, नमस्ते तुम्हारी सहृदय, मित्र इत्यादि
विदेशी मित्र प्रिय, मित्र नमस्ते आपका, आपका मित्र
अपरिचित पुरुष महाशय, श्रीमान (नाम), महोदय नमस्ते, नमस्कार आपका भवदीय, भवदीया, हितैषी
अपरिचित महिला महाशय, श्रीमती (नाम), महोदया नमस्ते, नमस्कार भवदीय, हितैषी

अनौपचारिक पत्रों के उदाहरण (Informal Letter Examples In Hindi)

उदाहरण 1 :- मित्र को आमन्त्रण पत्र

▪︎ काव्य गोष्ठी में आमन्त्रित किए जाने पर मित्र को धन्यवाद प्रकट करते हुए एक पत्र लिखिए
5 विकास नगर,
सीतापुर।
दिनांक 4-3-20XX

मित्रवर राकेश जी,
सप्रेम नमस्ते।
आपका पत्र आज प्राप्त हुआ। यह बहुत ही खुशी की बात है कि आप अपने निवास स्थान पर कवि गोष्ठी कराने जा रहे हैं। मैं वहाँ अवश्य ही आऊँगा। स्थानीय कवियों के अतिरिक्त और कौन-कौन से कवि आ रहे हैं? मयंक जी को आमन्त्रित किया है या नहीं? यदि किसी चीज़ की आवश्यकता हो तो मुझे अवश्य लिखें; मैं उसकी व्यवस्था कर लूगाँ।
यहाँ पर सब कुशल मंगल है। आशा है कि आप भी स्वस्थ एवं सानन्द होंगे।
आपका मित्र
मुनीश कुमार

उदाहरण 2 :- सलाह सम्बन्धी पत्र

▪︎ अपनी छोटी बहन को समय का सदुपयोग करने की सलाह देते हुए पत्र लिखिए।
18, जीवन नगर,
गाजियाबाद।
दिनांक 19-3-20XX
प्रिय कुसुमलता, शुभाशीष।

आशा करता हूँ कि तुम सकुशल होगी। छात्रावास में तुम्हारा मन लग गया होगा और तुम्हारी दिनचर्या भी नियमित चल रही होगी।
प्रिय कुसुम, तुम अत्यन्त सौभाग्यशाली लड़की हो जो तुम्हें बाहर रहकर अपना जीवन संवारने का अवसर प्राप्त हुआ है, परन्तु वहाँ छात्रावास इस आज़ादी का तुम दुरुपयोग मत करना। 
बड़ा भाई होने के नाते मैं तुमसे यह कहना चाहता हूँ कि तुम समय का भरपूर सदुपयोग करना। तुम वहाँ पढ़ाई के लिए गई हो। इसलिए ऐसी दिनचर्या बनाना जिसमें पढ़ाई को सबसे अधिक महत्त्व मिले।
यह सुनहरा अवसर जीवन में फिर वापस नहीं आएगा। इसलिए समय का एक-एक पल अध्ययन में लगाना। मनोरंजन एवं व्यर्थ की बातों में ज्यादा समय व्यतीत न करना। अपनी रचनात्मक रुचियों का विस्तार करना। खेल-कूद को भी पढ़ाई जितना ही महत्त्व देना। आशा करता हूँ तुम मेरी बातों को समझकर अपने समय का उचित प्रकार सदुपयोग करोगी तथा अपनी दिनचर्या का उचित प्रकार पालन करके परीक्षा प्रथम स्थान प्राप्त करोगी।
शुभकामनाओं सहित।
तुम्हारा भाई,
कैलाश

उदाहरण 3 :- पिता द्वारा पुत्र को

▪︎ छात्रावास में पढ़ रहे पिता द्वारा मनीऑर्डर भेजे जाने हेतु एक पत्र लिखिए।

पोखर खाली,
अल्मोड़ा।
दिनांक 10-4-20XX

प्रिय बेटा अजय,
शुभाशीष।

यहाँ सब कुशल पूर्वक हैं, आशा है तुम भी सकुशल होगे। आज ही तुम्हारा पत्र मिला मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि तुम्हारी लिखित परीक्षा के दो प्रश्न-पत्र हो गए हैं और तुमने दोनों प्रश्न-पत्रों को बहुत अच्छे ढंग से किया है। मैंने आज ही ₹ 500 का मनीऑर्डर तुम्हारे नाम भेज दिया है। आशा है पत्र के साथ वह भी मिल जाएगा। अपनी पढ़ाई का विशेष ध्यान रखना और इन पैसों का सदुपयोग ही करना। तुम्हारी माताजी ने तुम्हारे लिए प्यार और भाई-बहनों ने नमस्ते कहा है।

तुम्हारा पिता

उदाहरण 4 :- मित्र को बधाई पत्र

▪︎ अपने मित्र को वार्षिक परीक्षा में प्रथम स्थान पर उत्तीर्ण होने के उपलक्ष्य में बधाई पत्र लिखिए।
40/3, नेहरू विहार,
झाँसी।
दिनांक 16-3-20XX

प्रिय मित्र शेखर,
जय हिन्द !
15 मार्च, 20XX के समाचार पत्र में तुम्हारी सफलता का सन्देश पढ़ने को मिला। यह जानकर मुझे बहुत खुशी हुई कि तुमने जिला स्तर पर 12 वीं कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
प्रिय शेखर, मुझे तुम से यही आशा थी। तुम्हारी पढ़ाई के प्रति निष्ठा और लगन को देखकर मुझे पूर्ण विश्वास हो गया था कि 12 वीं कक्षा की परीक्षा में तुम अपने विद्यालय तथा परिवार का नाम अवश्य रोशन करोगे। परमात्मा को कोटि-कोटि धन्यवाद कि उसने तुम्हारे परिश्रम का उचित फल दिया है।
मेरे दोस्त, अपनी इस शानदार सफलता पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करो। मैं उस परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि जीवन में सफलता इसी प्रकार तुम्हारे चरण चूमती रहे तथा तुम जीवन में उन्नति के पथ पर अग्रसर रहो।
मुझे पूरी आशा है कि इसके पश्चात् होने वाली कॉलेज की आगामी परीक्षाओं में भी तुम इसी प्रकार उच्च सफलता प्राप्त करोगे तथा जिनका परिणाम इससे भी शानदार रहेगा। मेरी शुभकामनाएँ सदैव तुम्हारे साथ हैं।

शुभकामनाओं सहित।
तुम्हारा अभिन्न हृदय,
मोहन राकेश

उदाहरण 5 :- मित्र को शोक पत्र

▪︎ अपने मित्र को उनकी पुत्र-वधू की असामयिक मृत्यु होने पर शोक प्रकट करते हुए शोक-पत्र लिखिए।
15, स्वरूप नगर,
पीलीभीत।
दिनांक 1-4-20XX

प्रिय बिष्ट जी, आपकी पुत्र-वधू की असामयिक मृत्यु की सूचना पाकर अपार दुःख हुआ। मृत्यु पर किसी का वश नहीं है। आप धैर्य धारण करें। मेरी परमपिता परमात्मा से प्रार्थना है कि वह दिवंगत आत्मा को शान्ति तथा शोक संतप्त परिवार को शोक वहन करने की शक्ति प्रदान करें। भवदीय
उमेश सिंह

उदाहरण 6 :- निमन्त्रण पत्र

▪︎ अपने पुत्र के विवाह में शामिल होने के लिए अपने सम्बन्धियों को निमन्त्रण-पत्र लिखिए।
।। श्री गणेशाय नमः ।।
भेज रहा हूँ स्नेह-निमन्त्रण प्रियवर ! तुम्हें बुलाने को।
हे मानस के राजहंस ! तुम भूल न जाना आने को।

श्री/श्रीमती ......
परमपिता परमेश्वर की कृपा से मेरे ज्येष्ठ पुत्र चि. गिरीश का विवाह पिथौरागढ़ निवासी श्री बंशीधर तिवारी की सौभाग्याकांक्षिणी सुपुत्री प्रभा के साथ दिनांक 8-4-20XX को होना निश्चित हुआ है। आप सपरिवार पधारकर वर-वधू को आशीर्वाद देकर अनुगृहीत करें। 

दर्शनाभिलाषी
प्रमोद जोशी
सतीश जोशी एवं समस्त परिवार

उदाहरण 7 :- कुशल क्षेम सम्बन्धी पत्र

▪︎ अपने परिवार से दूर रहकर नौकरी कर रहे पिता का हाल-चाल जानने के लिए पत्र लिखिए।
20/3, रामनगर,
कानपुर।
दिनांक 15-3-20XX
पूज्य पिताजी,
सादर चरण-स्पर्श।

कई दिनों से आपका कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ। हम सब यहाँ कुशलपूर्वक रहकर भगवान से आपकी कुशलता एवं स्वास्थ्य के लिए सदा प्रार्थना करते हैं। पिताजी, मैंने घर की सारी ज़िम्मेदारियाँ सम्भाल ली हैं। घर एवं बाहर के अधिकांश काम अब मैं ही करता हूँ। सलोनी आपको बहुत याद करती है। वह हर समय पापा-पापा की रट लगाए रहती है। इस बार घर आते समय उसके लिए गुड़ियों का उपहार लेते आइएगा।
आप अपनी सेहत का ख्याल रखना। समय पर खाना, समय पर सोना। यदि आपको स्वास्थ्य में तनिक भी गड़बड़ी महसूस हो तो डॉक्टर से परामर्श कर तुरंत ही अपना उचित इलाज करवाना।
आपके पत्र के जवाब के इन्तज़ार में।
आपका पुत्र,
विजय मोहन

यहा पर हमने Anopcharik Patra Lekhan के बारे में विस्तार से जाना। हमने अनौपचारिक पत्र के कई सारे प्रश्नो को यहा पर समझा जैसे की anopcharik patra kise kahate hain, anopcharik patra kaise likhate hain और अनौपचारिक पत्र के उदाहरण इन सभी प्रश्नो को यहा पर हमने विस्तार से जाना। हमे आशा है की आपको ये आर्टिकल अच्छा लगा होगा और हम उमीद करते है की इस आर्टिकल की सहायता से आपको Anopcharik Patra Lekhan In Hindi को समझने में काफी मदद मिली होगी। अगर आपके मन में कोई सवाल हो तो, आप हमे नीचे कमेंट करके पुछ सकते है। और इस आर्टिकल को आप अपने मित्रों के साथ शेयर करना ना भूले।

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