वाक्य : परिभाषा, भेद एवं उदाहरण | Vakya Kise Kahate Hain
इस लेख में हम हिन्दी व्याकरण के (वाक्य) के बारे में बिल्कुल विस्तार से पढ़ेगे। (वाक्य) हिन्दी व्याकरण के काफी महत्वपुर्ण तॉपिक में से एक है, इससे सम्बंधित बहुत से प्रश्न विभिन्न प्रकार के परीक्षाओं में पुछे जाते है, जैसे की- कक्षा 9 से 12 तक के हिन्दी व्याकरण की परीक्षा में, प्रतियोगी परीक्षा में, सरकारी नौकरी के एग्ज़ाम में या प्रवेश परीक्षाओं में। इन सभी प्रकार की परीक्षा में (वाक्य) से सम्बंधित प्रश्न पुछे जा सकते हैं। ऐसे में यदि आप इन सभी में से किसी भी परीक्षा की तैयारी कर रहे है, तो आपके लिये वाक्य किसे कहते हैं यह समझना काफी महत्वपूर्ण है।
यहा पर इस लेख में हम (वाक्य) से जुड़े उन सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर को विस्तारपूर्वक से समझेंगे, जो परीक्षाओं में पुछे जा सकते हैं जैसे की- वाक्य किसे कहते हैं, वाक्य की परिभाषा, वाक्य के उदाहरण, वाक्य कितने प्रकार के होते हैं, वाक्यों के प्रकार उदाहरण सहित आदि। इस प्रकार के (वाक्य) से सम्बंधित और भी बहुत से प्रश्नों के उत्तर आपको इस लेख में एकदम विस्तार से देखने को मिल जायेंगे। तो अगर आप बिल्कुल अच्छे से समझना चाहते है, की vakya kise kahate hain तो इस लेख को पूरा अन्त तक एवं ध्यानपूर्वक से जरुर पढ़े।
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वाक्य किसे कहते हैं (Vakya Kise Kahate Hain)
परिभाषा -- सार्थक शब्दों का क्रमबद्ध समूह जिससे कोई भाव स्पष्ट हो, वाक्य कहलाता है। जैसे -- राम पुस्तक पढ़ता है।
इस वाक्य से एक भाव स्पष्ट हो जाता है कि "राम पुस्तक पढ़ता है। क्योंकि उपर्युक्त वाक्य के सभी शब्द सार्थक ही नहीं हैं, वरन् क्रमबद्ध रूप में सजे हुए भी हैं। यदि सभी पद (शब्द) क्रमबद्ध रूप में न हों, तो वाक्य अशुद्ध हो जाएगा, साथ ही अर्थ भी समझ में नहीं आएगा। जैसे --
पढ़ता पुस्तक है राम।
या, है पुस्तक पढ़ता राम।
या, राम पुस्तक है पढ़ता।
उपर्युक्त वाक्यों में प्रयुक्त सभी शब्द सार्थक हैं, लेकिन वाक्य-रचना की दृष्टि से सभी वाक्य अशुद्ध हैं। अशुद्धता का एक ही कारण है — सभी शब्द (पद) क्रमबद्ध रूप में नहीं हैं, जिससे उनके अर्थ या भाव को समझने में कठिनाई होती है।
वाक्य के कितने भेद हैं (Vakya Ke Kitne Bhed Hain)
वाक्य की परिभाषा और उदारहण को समझने के बाद, अब हम इसके भेद के बारे में बात करते हैं। सामान्यतः वाक्यों का वर्गीकरण तीन आधारों पर किया जाता है —
(क) रचना के आधार पर
(ख) क्रिया के आधार पर
(ग) अर्थ के आधार पर
(क) रचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद हैं
(1). | सरल वाक्य |
(2). | मिश्र वाक्य |
(3). | संयुक्त वाक्य |
(1) सरल वाक्य
जिस वाक्य में एक कर्ता और एक क्रिया हो, उसे सरल वाक्य कहते हैं। दूसरे शब्दों में, जिसमें एक उद्देश्य और एक विधेय हो, उसे सरल वाक्य कहते हैं। जैसे --
▪︎ राम पढ़ता है।
▪︎ बिल्ली दूध पीती है।
(2) मिश्र वाक्य
जिस वाक्य में एक सरल वाक्य के अलावा एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्य हों, उसे मिश्र वाक्य कहते हैं। जैसे --
▪︎ यह वही विद्यालय है जहाँ मैं पढ़ता था।
▪︎ मैं उस मकान में रहता हूँ जिसमें यादव जी रहते थे।
(3) संयुक्त वाक्य
जिस वाक्य में दो या दो से अधिक सरल या मिश्र वाक्य किसी अव्यय द्वारा जुड़े हों, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं। जैसे --
▪︎ सुबह हुई और भौरे गुंजार करने लगे। (और - अव्यय)।
▪︎ वह धनी है, लेकिन बहुत घमंडी है। (लेकिन - अव्यय)।
(ख) क्रिया के आधार पर वाक्य के तीन भेद हैं
(1). | कर्तृवाचक वाक्य |
(2). | कर्मवाचक वाक्य |
(3). | भाववाचक वाक्य |
(1) कर्तृवाचक वाक्य
जिस वाक्य में कर्ता के अनुसार क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष हों, उसे कर्तृवाचक वाक्य कहते हैं। जैसे --
▪︎ राम रोटी खाता है। (कर्ता के अनुसार क्रिया)
▪︎ सीता भात खाती है। (कर्ता के अनुसार क्रिया)
(2) कर्मवाचक वाक्य
जिस वाक्य में कर्म के अनुसार क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष हों, उसे कर्मवाचक वाक्य कहते हैं। जैसे --
▪︎ राम ने रोटी खायी। (कर्म के अनुसार क्रिया)
▪︎ सीता ने भात खाया। (कर्म के अनुसार क्रिया)
(3) भाववाचक वाक्य
जिस अकर्मक क्रियावाले वाक्य में क्रिया सदा एकवचन, अन्यपुरुष और पुंलिंग होती है, उसे भाववाचक वाक्य कहते हैं। ऐसे वाक्य में कर्म नहीं होता और कर्ता करणकारक में होता है। जैसे --
▪︎ राम से चला नहीं जाता।
▪︎ सीता से सोया नहीं जाता।
(ग) अर्थ के आधार पर वाक्य के मुख्यतः आठ भेद हैं
(1). | विधिवाचक |
(2). | निषेधवाचक |
(3). | प्रश्नवाचक |
(4). | आज्ञावाचक |
(5). | इच्छावाचक |
(6). | संदेहवाचक |
(7). | विस्मयादिबोधक |
(8). | संकेतवाचक |
(1) विधिवाचक वाक्य
जिस वाक्य से किसी बात के होने का बोध हो, उसे विधिवाचक कहते हैं। जैसे --
▪︎ मैं दौड़ता हूँ।
▪︎ हवा बह रही है।
(2) निषेधवाचक वाक्य
जिस वाक्य से किसी बात के न होने का बोध हो, उसे निषेधवाचक कहते हैं। जैसे --
▪︎ मैं नहीं दौड़ता हूँ।
▪︎ हवा नहीं बह रही है।
(3) प्रश्नवाचक वाक्य
जिस वाक्य से किसी प्रकार के प्रश्न किए जाने का बोध हो, उसे प्रश्नवाचक कहते हैं। जैसे --
▪︎ क्या वह खेलता है?
▪︎ वह क्या खेलता है?
(4) आज्ञावाचक वाक्य
जिस वाक्य से आज्ञा, आदेश, अनुरोध आदि के भाव प्रकट हों, उसे आज्ञावाचक कहते हैं। जैसे --
▪︎ वहाँ मत खेलो।
▪︎ सदा सच बोलो।
(5) इच्छावाचक वाक्य
जिस वाक्य से इच्छा या शुभकामना का भाव प्रकट हो, उसे इच्छावाचक कहते हैं। जैसे --
▪︎ ईश्वर आपकी मदद करें।
▪︎ तुम्हें सफलता मिले।
(6) संदेहवाचक वाक्य
जिस वाक्य से किसी प्रकार के संदेह का भाव प्रकट हो, उसे संदेहवाचक कहते हैं। जैसे --
▪︎ पिताजी आये होंगे।
▪︎ सोहन खेल रहा होगा।
(7) विस्मयादिबोधक वाक्य
जिस वाक्य से सुख/दुःख/आश्चर्य आदि तीव्र भाव प्रकट हो, उसे विस्मयादिबोधक कहते हैं। जैसे --
▪︎ वाह ! हम जीते !
▪︎ आह ! ऐसा दुःख !
(8) संकेतवाचक वाक्य
जिस वाक्य से किसी संकेत या शर्त का बोध हो, उसे संकेतवाचक कहते हैं। जैसे --
▪︎ यदि वह परिश्रम करता, तो अवश्य सफल होता।
वाक्य के कितने अंग है
अब तक हमने वाक्य की परिभाषा और इसके भेद के बारे में विस्तार से जाना अब हम इसके अंग के बारे में बात करते है तो, वाक्य के मुख्यतः दो अंग होते हैं-
(1) उद्देश्य (Subject)
(2) विधेय (Predicate)
(1) उद्देश्य
वाक्य के अन्तर्गत जिसके बारे में कुछ कहा जाए, उसे उद्देश्य कहते हैं। जैसे -- शुभम् पुस्तक पढ़ता है।
यहाँ 'शुभम्' के बारे में कुछ कहा गया है, अतः शुभम् उद्देश्य हुआ।
किसी वाक्य में उद्देश्य मुख्यतः संज्ञा/सर्वनाम/विशेषण/क्रियाविशेषण आदि के रूप में प्रयुक्त होता है। जैसे --
(क) संज्ञा के रूप में
शुभम् पढ़ता है। (शुभम् -- उद्देश्य)
(ख) सर्वनाम के रूप में
मैं पढ़ता हूँ। (मैं -- उद्देश्य)
(ग) विशेषण के रूप में
मेहनती छात्र पढ़ता है। (मेहनती छात्र उद्देश्य)
(घ) क्रियाविशेषण के रूप में
धीरे-धीरे पढ़ो। (धीरे-धीरे -- उद्देश्य)
(ङ) क्रियार्थक संज्ञा के रूप में
पढ़ना जरूरी है। (पढ़ना - उद्देश्य)
उद्देश्य का विस्तार
जिस शब्द या शब्द-समूह से उद्देश्य का विस्तार होता है, उसे उद्देश्य का विस्तार कहते हैं। जैसे --
▪︎ लड़का पढ़ता है। (उद्देश्य का विस्तार — 0)
▪︎ अच्छा लड़का पढ़ता है। (विशेषण शब्द से विस्तार)
▪︎ उनका लड़का पढ़ता है। (संबंधकारक से विस्तार)
▪︎ कैसा लड़का पढ़ता है ? (प्रश्नवाचक शब्द से विस्तार)
स्पष्ट है कि उद्देश्य (लड़का) में 'अच्छा' , 'उनका' एवं 'कैसा' शब्दों के जुड़ने से इसका और विस्तार हुआ है।
(2) विधेय
उद्देश्य के संबंध में जो कुछ कहा जाय, उसे विधेय कहते हैं। जैसे -- नूपुर आम खाती है। (आम खाती है — विधेय)
यहाँ 'आम खाती है विधेय है, क्योंकि यह उद्देश्य (नूपुर) के बारे में कुछ कह रहा है।
किसी वाक्य में विधेय मुख्यतः संज्ञा/विशेषण/क्रियाविशेषण आदि के रूप में प्रयुक्त होता है। जैसे --
(क) संज्ञा के रूप में
वह एक छात्र है। (एक छात्र है -- विधेय)
(ख) विशेषण के रूप में
वह मेहनती है। (मेहनती है -- विधेय)
(ग) क्रियाविशेषण के रूप में
वह अभी आया है। (अभी आया है -- विधेय)
विधेय का विस्तार
विधेय का विस्तार प्रायः संज्ञा/विशेषण/क्रियाविशेषण आदि शब्दों के जुड़ने से होता है। जैसे --
▪︎ वह लिखता है। (0 – विस्तार)
▪︎ वह कहानी लिखता है। (संज्ञा से विस्तार)
▪︎ वह सुन्दर लिखता है। (विशेषण से विस्तार)
▪︎ वह धीरे-धीरे लिखता है। (क्रियाविशेषण से विस्तार)
अब वाक्य के अंग एवं उनके विस्तार को किसी एक वाक्य द्वारा समझें —
▪︎ अच्छा लड़का मन लगाकर पढ़ता है।
उद्देश्य | उद्देश्य का विस्तार | विधेय | विधेय का विस्तार |
---|---|---|---|
लड़का | अच्छा | पढ़ता है | मन लगाकर |
उपवाक्य किसे कहते हैं (Upvakya Kise Kahate Hain)
परिभाषा -- जिन क्रियायुक्त पदों से आंशिक भाव व्यक्त हो, उन्हें उपवाक्य या वाक्यखंड कहते हैं। जैसे -- यदि वह पढ़ता, यद्यपि वे बीमार थे, तो अवश्य सफल होता, तथापि मुझसे मिलने आये आदि।
उपवाक्य के कितने भेद है (Upvakya Ke Kitne Bhed Hain)
उपवाक्य या वाक्यखंड के दो भेद हैं।
(1) प्रधान उपवाक्य या वाक्यखंड
(2) आश्रित उपवाक्य या वाक्यखंड
(1) प्रधान उपवाक्य --- प्रधान उपवाक्य वाक्य का वह हिस्सा है जो स्वतंत्र भी अर्थ दे सकता है या जो दूसरे उपवाक्य पर आश्रित न हो।
(2) आश्रित उपवाक्य --- आश्रित उपवाक्य वाक्य का वह हिस्सा है जो स्वतंत्र न तो लिखा जाता है और न अर्थ दे सकता है। इसे आसानी से पहचाना भी जा सकता है। जो उपवाक्य — कि, क्योंकि, जोकि, ताकि, चूँकि, ज्यों, ज्यों ही, यदि, यद्यपि, जब, जब तक, जहाँ, जहाँ तक, चाहे, मानो, जितना भी, कितना भी आदि शब्दों से आरंभ होते हैं, वे आश्रित वाक्य हैं। निम्नांकित उदाहरणों से ये बातें और स्पष्ट हो जाती हैं —
(1) आप नहीं जानते कि वह कैसा लड़का है। — वाक्य
(क) आप नहीं जानते — प्रधान उपवाक्य
(ख) कि वह कैसा लड़का है — आश्रित उपवाक्य
(2) यदि वह आए, तो मैं जाऊँ। — वाक्य
(क) यदि वह आए — आश्रित उपवाक्य
(ख) तो मैं जाऊँ — प्रधान उपवाक्य
आश्रित उपवाक्य के भेद
आश्रित उपवाक्य के तीन भेद हैं —
(1) संज्ञा-उपवाक्य
(2) विशेषण-उपवाक्य
(3) क्रियाविशेषण-उपवाक्य
(1) संज्ञा-उपवाक्य --- जो आश्रित उपवाक्य संज्ञा की तरह प्रयुक्त हो, उसे संज्ञा उपवाक्य कहते हैं। जैसे --
मोहन ने कहा कि मैं स्कूल जाऊँगा। — वाक्य
कि मैं स्कूल जाऊँगा — संज्ञा उपवाक्य
(2) विशेषण-उपवाक्य --- जो आश्रित उपवाक्य विशेषण की तरह प्रयुक्त हो, उसे विशेषण उपवाक्य कहते हैं। जैसे --
पटना, जो बिहार की राजधानी है, एक ऐतिहासिक नगर है। - वाक्य
जो बिहार की राजधानी है — विशेषण उपवाक्य
(3) क्रियाविशेषण-उपवाक्य --- जो आश्रित उपवाक्य क्रिया विशेषण की तरह प्रयुक्त हो, उसे क्रियाविशेषण उपवाक्य कहते हैं। जैसे --
मैं जब गाता हूँ, तब कुत्ते गूंकने लगते हैं। — वाक्य
(मैं) जब गाता हूँ — क्रियाविशेषण उपवाक्य
मिश्र वाक्यों का उपवाक्यों से संबंध
मिश्र वाक्य और उपवाक्य में चोली-दामन का संबंध है, क्योंकि बगैर उपवाक्य के मिश्र वाक्य की कल्पना नहीं की जा सकती। उपर्युक्त विवेचन से यह बात स्पष्ट हो जाती है। थोड़ा इसपर और विचार करें —
(1) पहला मिश्र वाक्य --- "मोहन ने कहा कि मैं स्कूल जाऊँगा या मोहन ने कहा, मैं स्कूल जाऊँगा।"
इस मिश्र वाक्य में 'मैं स्कूल जाऊँगा' 'कहा' क्रिया का कर्म है। मिश्र वाक्य में संज्ञा-उपवाक्य मुख्य उपवाक्य (प्रधान उपवाक्य) की क्रिया का कर्ता, कर्म या पूरक बनकर आता है।
(2) दूसरा मिश्र वाक्य --- “पटना, जो बिहार की राजधानी है, एक ऐतिहासिक नगर है।" इस मिश्र वाक्य में "जो बिहार की राजधानी है" विशेषण उपवाक्य है, जो 'पटना' की विशेषता बतलाता है।
(3) तीसरा मिश्र वाक्य --- "मैं जब गाता हूँ , तब कुत्ते भुंकने लगते हैं।" इस वाक्य में — 'मैं जब गाता हूँ' क्रियाविशेषण-उपवाक्य है जो 'भूँकने लगते हैं', क्रिया की विशेषता बतलाता है।
वाक्य किसे कहते हैं वीडियो के माध्यम से समझे
FAQ:- वाक्य से सम्बंधित कुछ प्रश्न
प्रश्न -- वाक्य किसे कहते हैं इसके कितने भाग हैं?
उत्तर -- सार्थक शब्दों का क्रमबद्ध समूह जिससे कोई भाव स्पष्ट हो, उसे वाक्य कहते है, इसका वर्गीकरण तीन आधारों पर किया गया है- (क) रचना के आधार पर, (ख) क्रिया के आधार पर, (ग) अर्थ के आधार पर
प्रश्न -- वाक्य परिभाषा और उदाहरण क्या है?
उत्तर -- सार्थक शब्दों का क्रमबद्ध समूह जिससे कोई भाव स्पष्ट हो, उसे ही वाक्य कहा जाता है। उदाहरण -- रोहन पुस्तक पढ़ता है।
प्रश्न -- 8 प्रकार के वाक्य कौन से हैं?
उत्तर -- अर्थ के आधार पर वाक्य के आठ प्रकार हैं जो निम्न है — (1) विधिवाचक
(2) निषेधवाचक
(3) प्रश्नवाचक
(4) आज्ञावाचक
(5) इच्छावाचक
(6) संदेहवाचक
(7) विस्मयादिबोधक
(8) संकेतवाचक
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निष्कर्ष
यहा पर हमने हिन्दी व्याकरण के काफी महत्वपूर्ण तॉपिक (वाक्य) के बारे में सभी जानकारी को बिल्कुल विस्तारपूर्वक से समझा। यदि आप उन छात्रों में से है, जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है तो आपके लिये इस लेख में शेयर किये गए वाक्य की सम्पूर्ण जानकारी काफी उपयोगी है, क्योकी इससे आपको परीक्षा में काफी मदद मिल सकती है।
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