वाच्य : परिभाषा, भेद एवं उदारहण | Vachya Kise Kahate Hain

vachya kise kahate hain

हिन्दी व्याकरण में (वाच्य) महत्त्वपूर्ण तॉपिक में से एक है, क्योकी इससे जुड़े बहुत से प्रश्न विभिन्न प्रकार के परीक्षाओं में पुछे जाते है, जैसे कक्षा 9 से 12 तक के हिन्दी व्याकरण के एग्ज़ाम में, बहुत से प्रतियोगी परीक्षाओं में एवं बहुत से ऐसे प्रवेश परीक्षाएं भी होते है, जिसमें वाच्य से सम्बंधित प्रश्न पुछे जाते है। ऐसे में यदि आप उन विद्यार्थियों में से है, जो इन सभी प्रकार के परीक्षा में से किसी भी परीक्षा की तैयारी कर रहे है, तो आपके लिये यह लेख काफी महत्वपुर्ण एवं उपयोगी हो सकता है। क्योकी इस लेख में हम वाच्य किसे कहते हैं और कितने प्रकार के होते हैं तथा वाच्य की पहचान कैसे करें बिल्कुल विस्तार से समझेंगे। तो अगर आप एकदम अच्छे से Vachya Kise Kahate Hain समझना चाहते है, तो इस लेख को पूरा अन्त तक ध्यानपूर्वक से पढ़े।

आप जानते हैं कि संज्ञा या सर्वनाम का अपना लिंग, वचन तथा पुरुष होता है, लेकिन क्रिया यदि शुद्ध रूप में हो, तो उसका कोई अपना लिंग, वचन या पुरुष नहीं होता। उसका लिंग, वचन और पुरुष संज्ञा या सर्वनाम के लिंग, वचन और पुरुष पर निर्भर करता है। इस बात की विशेष जानकारी हमें 'वाच्य' के इस लेख से मिलेगी। तो चलिए अब वाच्य के बारे में विस्तारपूर्वक से समझे।

वाच्य किसे कहते हैं (Vachya Kise Kahate Hain)

परिभाषा -- कर्ता, कर्म या भाव (क्रिया) के अनुसार क्रिया के रूप परिवर्तन को वाच्य कहते हैं। दूसरे शब्दों में, वाक्य में किसकी प्रधानता है, अर्थात् क्रिया का लिंग, वचन और पुरुष, कर्ता के अनुसार होगा या कर्म के अनुसार अथवा स्वयं भाव के अनुसार, इसका बोध 'वाच्य' है। जैसे --

▪︎ राम रोटी खाता है। (कर्ता के अनुसार क्रिया) -- कर्ता की प्रधानता।
यहाँ कर्ता के अनुसार क्रिया का अर्थ है --
राम (कर्ता)  = खाता है (क्रिया)।
राम --     पुंलिंग, एकवचन, अन्यपुरुष।
खाता है --   "            "               "

▪︎ राम ने रोटी खायी । (कर्म के अनुसार क्रिया) -- कर्म की प्रधानता।
यहाँ कर्म के अनुसार क्रिया का अर्थ है
रोटी (कर्म) = खायी (क्रिया) ।
रोटी  --     स्त्रीलिंग, एकवचन, अन्यपुरुष।
खायी --        "            "                "

▪︎ सीता से चला नहीं जाता। (भाव के अनुसार क्रिया) -- भाव की प्रधानता।
यहाँ भाव (क्रिया) के अनुसार क्रिया का अर्थ है
चला (भाव या क्रिया) = जाता (क्रिया)।
चला  --    पुंलिंग, एकवचन, अन्यपुरुष ।
जाता --       "            "              "

वाच्य के कितने भेद होते है (Vachya Ke Kitne Bhed Hote Hain)

वाच्य के तीन भेद हैं
(1). कर्तृवाच्य
(2). कर्मवाच्य
(3). भाववाच्य

कर्तृवाच्य किसे कहते हैं

कर्ता के अनुसार यदि क्रिया में परिवर्तन हो, तो उसे कर्तृवाच्य कहेंगे। जैसे -- 
कर्ता कर्म क्रिया
राम (रोटी) खाता है।
सीता (भात) खाती है।
लड़के (संतरे) खाते हैं।

• कर्ता के अनुसार क्रिया --- कर्तृवाच्य

यहाँ प्रयुक्त क्रियाएँ -- खाता है, खाती है, खाते हैं, कर्ता के अनुसार आयी हैं, क्योंकि यहाँ कर्ता की प्रधानता है, अतः यह कर्तृवाच्य हुआ। इसमें कर्म की कोई महत्ता नहीं रहती है। उदाहरणस्वरूप कुछ और वाक्यों को देखें-

▪︎ राम (रोटी/रोटियाँ/भात/संतरा/संतेरे) खाता है।
▪︎ सीता (रोटी/रोटियाँ/भात/संतरा/संतरे) खाती है।
▪︎ लड़के (रोटी/रोटियाँ/भात/संतरा/संतरे) खाते हैं।

कर्मवाच्य किसे कहते हैं

कर्म के अनुसार यदि क्रिया में परिवर्तन हो, तो उसे कर्मवाच्य कहेंगे। जैसे --
कर्ता कर्म क्रिया
(राम ने) रोटी खायी।
(सीता ने) भात खाया।
(गीता ने) संतरे खाये।

कर्म के अनुसार क्रिया -- कर्मवाच्य 

यहाँ प्रयुक्त क्रियाएँ -- खायी, खाया, खाये, कर्म के अनुसार आयी हैं, क्योंकि यहाँ कर्म की प्रधानता है, अतः यह कर्मवाच्य हुआ। इसमें कर्ता से कुछ मतलब नहीं है। कर्ता कुछ भी हो सकता है। जैसे -- 
(राम ने/सीता ने/लड़के ने/लड़कों ने)    रोटी खायी।
(    "         "            "         "    )    भात खाया।
(    "         "            "          "   )    संतरे खाये।

भाववाच्य किसे कहते हैं

भाव (क्रिया) के अनुसार यदि क्रिया में परिवर्तन हो, तो उसे भाववाच्य कहेंगे। जैसे -- 
कर्ता भाव (क्रिया) क्रिया
राम से/राम द्वारा चला नहीं जाता।
सीता से/सीता द्वारा चला नहीं जाता।
लड़कों से/लड़कों द्वारा चला नहीं जाता।

यहाँ प्रयुक्त क्रियाएँ -- जाता, जाता, जाता; भाव (क्रिया) के हैं, क्योंकि यहाँ भाव (क्रिया) की प्रधानता है, अतः यह भाववाच्य हुआ। इसमें कर्म नहीं होता है और कर्ता से भी कुछ लेना-देना नहीं। सिर्फ भाव की प्रधानता रहती है। जैसे -- 
ध्यान रखें 
मुझसे/उनसे/आपसे/कुत्ते से/कुत्तों से/लड़कियों   से चला नहीं जाता। 
   "      "       "        "         "       "        "     सोया नहीं जाता।

नोट -- भाववाच्य में कर्म नहीं होता है। इसमें अकर्मक क्रिया का प्रयोग होता है। यहाँ प्रयुक्त 'चला' या 'सोया' शब्द -- अकर्मक क्रिया है। 

संक्षेप में याद रखें
▪︎ कर्ता के अनुसार क्रिया  ---  कर्तृवाच्य।
▪︎ कर्म के अनुसार क्रिया  ---  कर्मवाच्य।
▪︎ भाव (क्रिया) के अनुसार क्रिया  ---  भाववाच्य।

वाच्य किसे कहते हैं वीडियो के माध्यम से समझे


वाच्य किसे कहते हैं Pdf

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निष्कर्ष

इस लेख के माध्यम से हममे वाच्य किसे कहते हैं अच्छे से समझा। यहा पर शेयर किये गए (वाच्य) की सम्पूर्ण जानकारी आपको कैसी लगी कमेंट के माध्यम से आप अपनी राय हमारे साथ जरुर साझा करें। हम आशा करते है की आपको यह लेख अवश्य पसंद आया होगा और हमे उमीद है की इस लेख की सहायता vachya kise kahate hain आप बिल्कुल अच्छे से समझ गए होंगे। यदि आपके मन में इस लेख से सम्बंधित कोई प्रश्न है, तो आप नीचे कमेंट कर सकते हैं। और साथ ही इस लेख को आप अपने क्लास के सभी दोस्तो के साथ शेयर भी जरुर करे।

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