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समास : परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण | Samas Kise Kahate Hain

samas kise kahate hain

हिन्दी व्याकरण में (समास) एक ऐसा विषय है, जिससे संबंधित प्रश्न लगभग सभी प्रकार के परीक्षाओं में पुछे जाते है, फिर चाहे वो कक्षा 9 से 12 तक के हिन्दी की परीक्षा हो या फिर प्रतियोगी एवं प्रवेश परीक्षा, इन सभी प्रकार की परीक्षाओं में (समास) से जुड़े प्रश्न पुछे जाते है। तो अगर आप उन छात्रों में से है, जो कक्षा 9 से 12वीं तक के किसी भी क्लास में पढ़ रहे है या फिर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे है, तो आपके लिये यह लेख काफी महत्वपुर्ण एवं उपयोगी है, क्योकी इस लेख में हम समास किसे कहते है एकदम विस्तारपूर्वक से समझे।

यहा पर हम समास से जुड़े उन सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर को अच्छे से समझेंगे, जो आपके परीक्षाओं के लिये  इम्पोर्टेन्ट है जैसे की- समास किसे कहते हैं और उसके कितने भेद हैं, समास क्या है परिभाषा, समास कितने प्रकार के होते हैं, समास के उदाहरण आदि। ऐसे ही समास से संबंधित और भी बहुत से प्रश्नों के उत्तर आपको इस लेख में विस्तार से मिल जायेंगे। तो अगर आप बिल्कुल अच्छे से समझना चाहते है की samas kise kahate hain तो आप इस लेख को पूरे ध्यानपूर्वक से जरुर पढ़े।

नोट -- यदि आप हिंदी व्याकरण के पूर्ण नोट्स को विस्तार से पढ़ना चाहते हैं, तो आप यहाँ पढ़ सकते हैं 📚 सम्पुर्ण हिन्दी व्याकरण नोट्स

समास किसे कहते हैं (Samas Kise Kahate Hain)

परिभाषा -- दो शब्दो या दो से अधिक शब्दों के मध्य से मात्राओं, विभिक्तियो व मध्य के शब्दो का लोप करके जब नये स्वतंत्र शब्द की रचना की जाती है तो इन दो या दो से अधिक शब्दों के संयोग को समास कहते हैं। नवनिर्मित शब्द सामासिक पद कहलाता है।

अथवा (दुसरे शब्दों में)

समास का अर्थ होता है -- संक्षेप या सम्मिलन। दो या दो से अधिक पद जब अपने विभक्ति - चिह्न या अन्य शब्दों को छोड़कर एक पद हो जाते हैं, तो समास कहलाते हैं। जैसे --

▪︎ राजा की कन्या = राजकन्या ('की' विभक्ति को छोड़ा)
▪︎ भाई और बहन = भाई-बहन ('और' शब्द को छोड़ा)

स्पष्ट है कि 'राजा की कन्या' या 'भाई और बहन' कहने से ज्यादा सटीक और संक्षिप्त है -- 'राजकन्या' या 'भाई-बहन' कहना। राजकन्या या भाई-बहन शब्द (पद) सामासिक शब्द हैं। ऐसे सामासिक शब्दों को 'समस्तपद' भी कहा जाता है। ऐसे पदों में कभी पहला पद (पूर्वपद) प्रधान होता है, तो कभी दूसरा पद (उत्तरपद)। कभी कभी सभी पद प्रधान या गौण होते हैं। यहाँ ‘राजकन्या' में उत्तरपद प्रधान है, अर्थात् लिंग, वचन और पुरुष कन्या (उत्तरपद) के अनुसार होंगे, राज (पूर्वपद) के अनुसार नहीं। जैसे --

▪︎ राजकन्या आ रही है। (राजा नहीं आ रहा है, कन्या आ रही है)

हाँ, एक बात और। यदि सामासिक शब्दों को तोड़कर उनका पूर्व रूप दिखलाया जाए, तो वह समास-विग्रह कहलाएगा। जैसे --

समस्तपद समास-विग्रह
भाई-बहन भाई + बहन भाई और बहन।
राजकन्या राज (राजा) + कन्या राजा की कन्या।
घुड़सवार घुड़ (घोड़ा) + सवार घोड़े पर सवार।

समास के कितने भेद होते है (Samas Ke Bhed)

समास की परिभाषा उदहारण सहित समझने के बाद अब हम यह समझते है की समास कितने प्रकार के होते है अथवा समास के भेद। तो समास के छह भेद हैं जो निम्न है-

(1). तत्पुरुष
(2). कर्मधारय
(3). द्विगु
(4). बहुव्रीहि
(5). अव्ययीभाव
(6). द्वंद्व

तत्पुरुष समास किसे कहते हैं

जिस समास में अंतिम शब्द (उत्तरपद) प्रधान हो, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। ऐसे पदों के बीच से (कर्म से अधिकरणकारक तक के) विभक्ति-चिह्न का लोप हो जाता हैं। जैसे --

(क) कर्म-तत्पुरुष (द्वितीया तत्पुरुष) --- ऐसे सामसिक पदों के बीच से 'को' चिह्न का लोप हो जाता है। जैसे -- 

▪︎ सिरतोड़ = सिर + तोड़ -- सिर को तोड़नेवाला।
▪︎ पाकेटमार = पाकेट + मार -- पाकेट को मारनेवाला।

नोट --- तत्पुरुष समास में प्रथम पद की जो विभक्ति होती है, उसी विभक्ति के नाम से समास को पुकारने की परंपरा है। अतः, उपर्युक्त सामासिक शब्दों (समस्त पदों) में द्वितीया तत्पुरुष कहा जाएगा। इसी प्रकार दूसरे समासों को पुकारने की परंपरा है।

(ख) करण-तत्पुरुष (तृतीया तत्पुरुष) --- ऐसे सामासिक पदों के बीच से 'से' चिह्न का लोप हो जाता है। जैसे -- 

▪︎ धर्मभीरु = धर्म + भीरु -- धर्म से भीरु।
▪︎ देहचोर = देह + चोर -- देह (शरीर) से चोर।

उपर्युक्त समासों में तृतीया तत्पुरुष है।

(ग) संप्रदान-तत्पुरुष (चतुर्थी तत्पुरुष) --- ऐसे पदों के बीच से 'के लिए' चिह्न का लोप हो जाता है। जैसे --

▪︎ देवालय = देव + आलय -- देव (देवता) के लिए आलय।
▪︎ किताबघर = किताब + घर -- किताब के लिए घर।

उपर्युक्त समासों में चतुर्थी तत्पुरुष है।

(घ) अपादान-तत्पुरुष (पंचमी तत्पुरुष) --- ऐसे सामासिक पदों के बीच से 'से' चिह्न का लोप हो जाता है। जैसे --

▪︎ नेत्रहीन = नेत्र + हीन = नेत्र से हीन।
▪︎ पदच्युत = पद + च्युत = पद से च्युत।

उपर्युक्त समासों में पंचमी तत्पुरुष है।

(ङ) संबंध-तत्पुरुष (षष्ठी तत्पुरुष) --- ऐसे सामासिक पदों के बीच से 'का' , 'की' चिह्न का लोप हो जाता है। जैसे -- 

▪︎ राजकन्या = राज (राजा) + कन्या = राजा की कन्या। ▪︎ श्रमदान = श्रम + दान = श्रम का दान।

उपर्युक्त समासों में षष्ठी तत्पुरुष है।

(च) अधिकरण-तत्पुरुष (सप्तमी तत्पुरुष) --- ऐसे सामासिक पदों के बीच से 'में' चिह्न का लोप हो जाता है। जैसे -- 

▪︎ पुरुषोत्तम = पुरुष + उत्तम = पुरुषों में उत्तम।
▪︎ रणवीर = रण + वीर = रण में वीर।

उपर्युक्त समासों में सप्तमी तत्पुरुष है।

कर्मधारय समास किसे कहते हैं

यह समास-रचना की दृष्टि से तत्पुरुष है, क्योंकि इसमें भी दूसरा पद (उत्तर पद) प्रधान होता है। लेकिन दूसरी बात, इसमें प्रथम पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य या उपमावाचक होता है। यह कई रूपों में पाया जाता है। जैसे --

(क) विशेषणवाचक --- इसमें विशेष्य (संज्ञा) की विशेषता बतलायी जाती है। जैसे --

▪︎ वीरबाला = वीर (विशेषण) + बाला (विशेष्य) -- वीर है जो बाला।
▪︎ नीलकमल = नीला (विशेषण) + कमल (विशेष्य) -- नीला है जो कमल।

(ख) उपमावाचक --- इसमें एक वस्तु की उपमा दूसरी वस्तु से दी जाती है। जैसे --

▪︎ कमलनयन = कमल (जिससे उपमा दी जा रही है) + नयन (जिसकी उपमा दी जा रही है) --- कमल के समान नयन।
▪︎ घनश्याम = घन (जिससे उपमा दी जा रही है) + श्याम (जिसकी उपमा दी जा रही है) --- घन के समान श्याम।

(ग) नकारात्मक --- इसे 'नञ् समास' भी कहते हैं। समास में यह नञ् (नकारात्मक) -- 'अ' अथवा 'अन' रूप में पाया जाता है। जैसे -

▪︎ अकाल = अ + काल -- न काल
▪︎ अनदेखा = अन + देखा -- न देखा हुआ
▪︎ अज्ञान = अ + ज्ञान -- न ज्ञान

द्विगु समास किसे कहते हैं

यह समास रचना की दृष्टि से तत्पुरुष है, क्योंकि इसमें भी दूसरा पद (उत्तर पद) प्रधान होता है। लेकिन, इसका पहला पद (पूर्वपद) संख्यावाचक विशेषण होता है। जैसे --

▪︎ चौराहा = चार (संख्यावाचक विशेषण) राहों का समाहार।
▪︎ नवग्रह = नौ (संख्यावाचक विशेषण) ग्रहों का समाहार। 

बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं

इसमें कोई भी पद प्रधान नहीं होता है। दोनों पद गौण होते हैं। इसलिए समस्त पद (सामासिक शब्द) से किसी अन्य शब्द (खास शब्द) का बोध होता है। जैसे -- 

▪︎ वीणापाणि = वीणा + पाणि (हाथ) -- वीणा है पाणि में जिसके = सरस्वती
▪︎ त्रिलोचन = त्रि + लोचन (नेत्र) -- तीन हैं लोचन जिसके = शिव

स्पष्ट है कि समास-विग्रह करने से दोनों पदों के अर्थ को छोड़कर एक तीसरा अर्थ सामने आता है। दूसरे शब्दों में, दोनों पद गौण हैं।

अव्ययीभाव समास किसे कहते हैं

इसमें पूर्वपद की प्रधानता रहती है। इसका पूर्वपद अव्यय होता है और समस्तपद प्रायः क्रियाविशेषण के रूप में प्रयुक्त होता है। जैसे -

▪︎ भरपेट = भर + पेट -- पेट भरकर
▪︎ आमरण = आ + मरण -- मरण तक

मैंने भरपेट खा लिया।
(भर = अव्यय : पेट संज्ञा , भरपेट = क्रिया विशेषण)।

(क) कुछ अव्ययीभाव समास निम्नलिखित हैं 
अकारण, अभूतपूर्व, अनायास, अनजाने, अनपूछे, आजन्म, निःसंदेह, निधड़क, निडर, बेकसूर, बेकार, बेकाम, बेफायदा, बेतरह, बेशक, व्यर्थ, यथाशीघ्र, यथासंभव आदि।

(ख) कभी-कभी शब्दों की द्विरुक्ति से भी अव्ययीभाव समास होता है। जैसे -- कोठे-कोठे, घड़ी-घड़ी , दिनों-दिन, धड़ा-धड़, धीरे-धीरे, पल-पल, पहले-पहल, बार-बार, बीचों-बीच, रातों-रात, रोज-रोज, हाथों-हाथ आदि।

(ग) कभी-कभी द्विरुक्त शब्दों के बीच 'ही' , 'से' , 'न' , 'आ' आदि रहता है। जैसे -- आप-ही-आप, घर-ही-घर, मन-ही-मन, आप-से-आप, मन-से-मन, घर-से-घर, कहीं-न-कहीं, कुछ-न-कुछ, एकाएक (एक-आ-एक), मुँहामुँह (मुँह-आ-मुँह), सरासर (सर-आ-सर)

द्वंद्व समास किसे कहते हैं

इसमें दोनों पद प्रधान होते हैं। दो शब्दों के बीच – 'और' , 'अथवा' , 'तथा' , 'एवं' , 'या' - जैसे योजक शब्दों के लोप होने से जुड़नेवाले समस्तपद में द्वंद्व समास होता है। जैसे --

माता-पिता , भाई-बहन , राजा-रानी , सीता-राम , भात-दाल , लोटा-डोरी , पाप-पुण्य , जन्म-मरण , सुख-दुःख आदि।

▪︎ माता-पिता (माता और पिता) -- मेरे माता-पिता अच्छे हैं।
▪︎ पाप-पुण्य (पाप या पुण्य) -- पाप-पुण्य का फल अवश्य मिलता है।

द्वंद्व के मुख्यतः तीन भेद हैं 

(i) इतरेतर द्वंद्व
(ii) समाहार द्वंद्व
(iii) वैकल्पिक द्वंद्व

(i) इतरेतर द्वंद्व --- जिसमें दोनों पदों की प्रधानता हो, उसे इतरेतर द्वंद्व कहते हैं। जैसे -- राम-कृष्ण, सीता-राम, माँ-बाप, भाई-बहन, दाल-भात, लोटा-डोरी आदि।

(ii) समाहार द्वंद्व --- जिन सामासिक शब्दों से समूह या इकट्ठा होने का अर्थ निकलता हो, उन्हें समाहार द्वंद्व कहते हैं। जैसे -- जीव-जन्तु, दाल-रोटी, घास-फूस, कंकड़-पत्थर आदि। उदाहरण :

▪︎ जीव-जन्तु (जीव-जन्तु आदि सब)
▪︎ दाल-रोटी (दाल-रोटी आदि खाद्य-पदार्थ)

(iii) वैकल्पिक द्वंद्व --- जिस समास के दोनों पदों के बीच विकल्पसूचक शब्द (या, अथवा) का लोप रहता है, उसे वैकल्पिक द्वंद्व कहते हैं। जैसे -- पाप-पुण्य, भला-बुरा, हानी-लाभ आदि। उदाहरण: 

▪︎ पाप-पुण्य ( पाप या पुण्य; पाप अथवा पुण्य)।

समास किसे कहते हैं वीडियो के माध्यम से समझे



समास किसे कहते हैं pdf

यहा पर समास की पीडीएफ फ़ाईल भी शेयर करी गई है, जिसे आप नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करके बहुत ही असानी से डाउनलोड कर सकते हैं। और इस पीडीएफ की सहायता से आप कभी भी हिन्दी व्याकरण के समास का अध्ययन कर सकते है।


FAQ:- समास से सम्बंधित कुछ प्रश्न

प्रश्न -- समास की परिभाषा क्या है?
उत्तर -- दो या दो से अधिक पद जब अपने विभक्ति-चिह्न या अन्य शब्दों को छोड़कर एक पद हो जाते हैं, तो वह समास कहलाते हैं।

प्रश्न -- समास कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर -- समास 6 प्रकार के होते हैं।

प्रश्न -- समास के 6 प्रकार कौन से होते हैं?
उत्तर -- समास के 6 प्रकार निम्न है-
(1). तत्पुरुष
(2). कर्मधारय
(3). द्विगु
(4). बहुव्रीहि
(5). अव्ययीभाव
(6). द्वंद्व

निष्कर्ष

निष्कर्ष में हम यही कहेंगे की, जोभी छात्र कक्षा 9 से 12 तक के किसी भी क्लास में पढ़ रहा है और अपने हिन्दी की परीक्षा में अच्छे मार्क्स पाना चहता है, तो उसे इस लेख में शेयर किये गए (समास की सम्पुर्ण जानकारी) को अच्छे से जरुर पढ़ना चाहिए। और साथ ही वह सभी छात्र भी इस लेख को अच्छे से पढ़े जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे है, क्योकी इस लेख में दिये गए समास के प्रश्नों से आपको परीक्षाओं में काफी सहायता मिल सकती है।

यहा पर शेयर किये गए हिन्दी व्याकरण के (समास) की जानकारी आपको कैसी लगी, कमेंट के माध्यम से आप हमे जरुर बताएं। हम आशा करते है की आपको यह लेख जरुर पसंद आया होगा और हमे उमीद है की इस लेख की सहायता से Samas Kise Kahate Hain आप बिल्कुल अच्छे से समझ गए होंगे। यदि आपके मन में इस लेख से सम्बंधित कोई सवाल है या सुझाव है, तो आप नीचे कमेंट कर सकते है। और साथ ही इस लेख को आप अपने उन सभी मित्रों के साथ शेयर जरुर करे, जो प्रतियोगी परीक्षा या प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे हो।

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