व्याकरण किसे कहते हैं और कितने भेद होते हैं | Vyakaran Kise Kahate Hain
इस आर्टिकल में हम vyakaran kise kahate hain एकदम विस्तारपूर्वक से समझेंगे। यह लेख कक्षा 6 से 12 तक के सभी छात्रों के लिये काफी महत्वपुर्ण है, तो अगर आप कक्षा 6 से 12 तक के किसी भी क्लास के स्टूडेंट है, तो इस लेख को आप ध्यानपूर्वक से एवं पुरा जरुर पढ़े। इस लेख में हम व्याकरण से जुड़े सभी प्रश्नों को समझेंगे जैसे की- व्याकरण किसे कहते हैं उदाहरण सहित, व्याकरण के कितने भाग होते हैं, व्याकरण की परिभाषा, व्याकरण के कितने भेद होते हैं और व्याकरण के नियम आदि इस प्रकार के सभी प्रश्नों के उत्तर आपको यहा पर बिल्कुल विस्तार से मिल जायेंगे। तो चलिये अब हम व्याकरण किसे कहते हैं और कितने भेद होते हैं एकदम विस्तार से समझे।
हिन्दी व्याकरण के नोट्स, क्विज, पीडीएफ आदि के लिये हमारे टेलीग्राम चैनल को जरुर ज्वाइन करें।
व्याकरण किसे कहते हैं (Vyakaran Kise Kahate Hain)
परिभाषा --- जिन्ह नियमो के अन्तर्गत किसी भाषा को शुद्ध बोलना लिखना एवं ठीक प्रकार से समझना आता है उन्हे ही हम व्याकरण कहते है अथवा व्याकरण वह शास्त्र है, जिससे हमे भाषा का शुध्द ज्ञान होता है।
व्याकरण की हमे जरूरत पड़ती है भाषा के लिए। वह विद्या जिसके माध्यम से किसी भाषा को शुध्द रुप मे पढ़ते, लिखते एवं समझते है, उसी को व्याकरण कहते है।
व्याकरण एक ऐसी विद्या (कला) है, जिसकी माध्यम से हम किसी भी भाषा का ज्ञान करते है जब हम किसी भाषा को लिखते है, तब उस भाषा को लिखने के क्या नियम होने चाहिए। या जब हम कोई भाषा बोलते है तब उस भाषा को बोलने के सही नियम क्या होने चाहिए और यदि हम कोई भाषा को पढ़ते है, तो उस भाषा को पढ़ने के सही नियम क्या होने चाहिए, मतलब की पढ़ने, लिखने, बोलने, या समझने के लिये हम जिन नियमों का प्रयोग करते है, उन सभी नियम के रुप को ही हम व्याकरण कहते है। vyakaran kise kehte hain यह जानने के बाद अब हम बात करते है, की इसके कितने प्रकार होते है।
व्याकरण के कितने भेद होते हैं (Vyakaran Ke Kitne Bhed Hote Hain)
अभी हमनें व्याकरण किसे कहते हैं इसे अच्छे से समझा, अब हम आपको बताते है, की व्याकरण के कितने प्रकार होते है, व्याकरण के मुल रुप से चार प्रकार होते है। व्याकरण के चार अंग होते है जो निम्न है-
कही कही किताबों मे व्याकरण के तिन ही अंग दिए होते है, लेकिन व्याकरण के मुल रुप से चार अंग होते है। तो चलिए अब इन चारो अंगों को विस्तार मे देखते है-
1). वर्ण
उच्चारित ध्वनि संकटो को (वायु) ध्वनि कहा जाता है जबकी लिखित ध्वनि संकेतो को देवनागरी लिपि के अनुसार वर्ण कहा जाता है। अथवा वर्ण उस मूल ध्वनि को कहते हैं, जिसके खंड या टुकड़े नहीं हो सकते। जैसे -- अ , आ , इ , ई , ओ , क् , ख् , च् , छ् , य , र , ल आदि।
अब कुछ शब्द या ध्वनियाँ लें और उनमें निहित मूल ध्वनि (वर्ण) को समझें। जैसे -- 'खा लो।'
इस वाक्य में मुख्यतः दो शब्द या ध्वनियाँ सुनायी पड़ती हैं --- 'खा' और 'लो'। अब इसका खंड करें
खा (एक शब्द/ध्वनि) ख् + आ (दो मूल ध्वनियाँ/वर्ण)
लो (एक शब्द/ध्वनि) ल् + ओ (दो मूल ध्वनियाँ/वर्ण)
स्पष्ट है कि -- ‘खा लो' में चार मूल ध्वनियाँ या चार वर्ण हैं, क्योंकि -- (ख्, आ) तथा (ल, ओ) के और टुकड़े या खंड नहीं हो सकते।
इसलिए इन्हें वर्ण या मूल ध्वनि कहते हैं। इससे यह भी ज्ञात होता है कि -- “भाषा की सबसे छोटी इकाई को मूल ध्वनि या वर्ण कहते हैं।"
2). शब्द
वर्णों या ध्वनियों के सार्थक मेल को शब्द कहते हैं। जैसे -- मैं, वह, राम, पटना, लोटा, पंकज आदि।
3). पद
जब कोई शब्द किसी वाक्य में प्रयुक्त होता है, तो वही शब्द 'पद' कहलाता है। जैसे --
राम, आम -- संज्ञा शब्द।
खाता, है -- क्रिया शब्द।
राम आम खाता है ।
(राम – कर्तापद ; आम — कर्मपद ; खाता है — क्रियापद)
स्पष्ट है कि कोई शब्द तब तक शब्द है, जब तक वह वाक्य में प्रयुक्त नहीं हुआ है। ज्यों ही वह किसी वाक्य में प्रयुक्त हुआ, ‘पद' हो गया।
4). वाक्य
सार्थक शब्दो का क्रमबद्ध समूह जिससे कोई भाव स्पष्ट हो, वाक्य कहलाता है। जैसे -- राम पुस्तक पढ़ता है।
इस वाक्य से एक भाव स्पष्ट हो जाता है की "राम पुस्तक पढ़ता है।" क्योंकि उपर्युक्त वाक्य के सभी शब्द सार्थक ही नही है, वरन् क्रमबद्ध रुप में सजे हुए भी है। यदि सभी पद (शब्द) क्रमबद्ध रुप में न हो, तो वाक्य अशुद्ध हो जाएगा, साथ ही अर्थ भी समझ में नही आयेगा।
जैसे -- पढ़ता पुस्तक है राम।
या, है पुस्तक पढ़ता राम।
या, राम पुस्तक है पढ़ता।
उपर्युक्त वाक्यों में प्रयुक्त सभी शब्द सार्थक है, लेकिन वाक्य-रचना की दृष्टि से सभी वाक्य अशुद्ध है। अशुद्धता का एक ही कारण है -- सभी शब्द (पद) क्रमबद्ध रुप में नही है, जिससे उनके अर्थ या भाव को समझने में कठिनाई होती है।
FAQ:- व्याकरण से सम्बंधित कुछ प्रश्न
प्रश्न -- व्याकरण की परिभाषा क्या है?
उत्तर -- व्याकरण वह शास्त्र है, जिससे हमे भाषा का शुध्द ज्ञान होता है।
प्रश्न -- व्याकरण किसे कहते हैं इसके कितने अंक हैं?
उत्तर -- जिन नियमो के अन्तर्गत किसी भाषा को शुद्ध बोलना लिखना एवं ठीक प्रकार से समझना आता है, उसे व्याकरण कहते है, इसके चार अंक होते है।
प्रश्न -- व्याकरण को कितने भागों में बांटा गया है?
उत्तर -- व्याकरण को चार भागों में बांटा गया है।
प्रश्न -- व्याकरण के 4 प्रकार कौन से हैं?
उत्तर -- व्याकरण के 4 प्रकार निम्न है- (1) वर्ण (2) शब्द (3) पद (4) वाक्य
प्रश्न -- हिंदी व्याकरण का जनक कौन है?
उत्तर -- श्री दामोदर पंडित जी को हिंदी व्याकरण के जनक के रुप में जाना जाता है।
निष्कर्ष
यहा पर इस लेख में हमने vyakaran kise kahate hain और इसके कितने अंग होते है इसके बारे में बिल्कुल विस्तार से समझा। यहा पर शेयर किये गए व्याकरण की सम्पुर्ण जानकारी आपको कैसी लगी कमेंट के माध्यम से आप अपनी राय हमारे साथ जरुर साझा करे। हम आशा करते है की आपको यह लेख जरुर पसंद आया होगा और हमें उमीद है, की इस लेख की सहायता से व्याकरण किसे कहते हैं आप बिल्कुल अच्छे से समझ गए होंगे। यदि आपके मन में इस लेख से सम्बंधित कोई सवाल या सुझाव है, तो आप नीचे कमेंट करके पुछ सकते हैं, और साथ ही इस लेख को आप अपने सभी मित्रों के साथ शेयर जरूर करे।
सर आने व्याकरण के बारे में बहुत ही Useful जानकारी share किया है इसे भी पढ़ें 100 Shabdarth in Hindi
ReplyDelete