औपचारिक पत्र लेखन | Aupcharik Patra Lekhan In Hindi

Aupcharik Patra Lekhan In Hindi

इस आर्टिकल में हम Aupcharik Patra के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करेंगे, औपचारिक पत्र को अंग्रेजी में Formal Letter कहा जाता है। यहा पर हम आपके साथ औपचारिक पत्र से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर को शेयर करेंगे, जैसे की औपचारिक पत्र किसे कहते हैं, औपचारिक पत्र कैसे लिखते है, औपचारिक पत्र के भाग और औपचारिक पत्र के उदाहरण इन सभी प्रश्नो को हम विस्तार से समझेंगे।

अगर आप Aupcharik Patra Lekhan को अच्छे से समझना चाहते है तो, इस आर्टिकल को शुरू से अन्त तक पढ़ते रहिए। और हमनें अनौपचारिक पत्र के बारे में भी विस्तार से आर्टिकल लिखा है यदि आपने उसे नहीं पढ़ा तो आप उसे भी जरुर पढ़े, तो चलिये अब हम Aupcharik Patra In Hindi को विस्तार से समझे।


औपचारिक पत्र किसे कहते हैं (Aupcharik Patra Kise Kahate Hain)

परिभाषा -- पदाधिकारियों, व्यापारियों, प्रधानाचार्य, पुस्तक विक्रेता, ग्राहक, सम्पादक आदि को लिखे गए पत्र औपचारिक पत्र कहलाते हैं। औपचारिक पत्र उन लोगों को लिखे जाते हैं, जिनसे हमारा निजी या पारिवारिक सम्बन्ध नहीं होता। इसमें शालीन भाषा तथा शिष्ट शैली का प्रयोग किया जाता है। औपचारिक पत्र के अन्तर्गत शिकायती पत्र, व्यावसायिक पत्र, सम्पादकीय पत्र तथा आवेदन पत्र का वर्णन किया गया है।

औपचारिक पत्र के भाग (Aupcharik Patra In Hindi)

औपचारिक पत्र क्या है जानने के बाद हम हम ये समझते है की औपचारिक पत्र के कितने भाग है।
 
(1). पत्र भेजने वाले (प्रेषक) का पता -- औपचारिक पत्र लिखते समय सर्वप्रथम पत्र भेजने वाले का पता लिखा जाता है। प्रेषक का पता बायीं ओर लिखा जाता है।

(2). तिथि/दिनांक -- प्रेषक के पते के ठीक नीचे जिस दिन पत्र लिखा जा रहा है उस दिन की दिनांक लिखी जाती है।

(3). पत्र प्राप्त करने वाले का पता -- दिनांक के बाद जिसे पत्र लिखा जा रहा है उसका पता, पद आदि का वर्णन किया जाता है।

(4). विषय -- जिस सन्दर्भ में पत्र लिखा जा रहा है, उसे संक्षिप्त में विषय के रूप में लिखा जाता है।

(5). सम्बोधन -- सभी औपचारिकताओं के बाद पत्र प्राप्तकर्ता के लिए महोदय, महोदया, मान्यवर आदि सम्बोधन के रूप में लिखा जाता है।

(6). विषय-वस्तु -- सम्बोधन के पश्चात् पत्र की मूल विषय-वस्तु को लिखा जाता है। विषय-वस्तु में प्रत्येक बात के लिए अलग-अलग अनुच्छेदों का प्रयोग किया जाता है।

(7). अभिवादन के साथ समाप्ति -- पत्र की समाप्ति पर पत्र प्राप्तकर्ता का अभिवादन किया जाता है।

(8). स्वनिर्देश/अभिनिवेदन -- पत्र के अन्त में पत्र लिखने वाले का नाम आदि का वर्णन किया जाता है तथा आवश्यकता पड़ने पर हस्ताक्षर भी किए जाते हैं।

औपचारिक पत्र के सम्बोधन, अभिवादन तथा अभिनिवेदन

पत्र के प्रकार पत्र पाने वाले सम्बोधन स्वनिर्देश/अभिनिवेदन
आवेदन-पत्र/प्रार्थना-पत्र प्रधानाचार्य, सम्बन्धित अधिकारी महोदय, महोदया, मान्यवर आपका, कृपाकांक्षी, भवदीय
शिकायती पत्र सम्बन्धित अधिकारी महोदय, महाशय भवदीय
कार्यालयी पत्र (सरकारी पत्र) सम्बन्धित अधिकारी मान्यवर, महोदय भवदीय, विनीत
सम्पादकीय पत्र सम्पादक महोदय भवदीय
व्यावसायिक पत्र पुस्तक विक्रेता, बैंक प्रबन्धक, व्यावसायिक संस्था श्रीमान, महोदय भवदीय, आपका

औपचारिक पत्रों के उदाहरण (Formal Letter Examples In Hindi)

शिकायती पत्र

किसी विशेष कार्य, समस्या अथवा घटना की शिकायत करते हुए सम्बन्धित अधिकारी को लिखा गया पत्र 'शिकायती पत्र' कहलाता है। शिकायती पत्र लिखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिस सम्बन्ध में शिकायत की जा रही है, उसका स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए। शिकायत हमेशा विनम्रता के साथ प्रस्तुत की जानी चाहिए।

▪︎ अपने मुहल्ले के पोस्टमैन की कार्यशैली का वर्णन करते हुए पोस्टमास्टर को शिकायती पत्र लिखिए।
15, दूंगाधारा,
अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड)।
दिनांक 13-4-20XX 

सेवा में,
पोस्ट मास्टर,
उप-डाकघर पोखर खाली, अल्मोड़ा।

महोदय,
मैं आपका ध्यान मुहल्ला दूंगाधारा के पोस्टमैन की कर्तव्य विमुखता की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। इस मुहल्ले के निवासियों की शिकायत है कि यहाँ डाक कभी भी समय से नहीं बँटती है। अतः यहाँ के निवासियों को बड़ी असुविधा है। आपसे निवेदन है कि इस मामले की जानकारी प्राप्त करके उचित कार्यवाही करने की कृपा करें , ताकि इस समस्या का निराकरण हो सके।

सधन्यवाद !
भवदीय
प्रमोद पन्त

▪︎ माल प्राप्त न होने पर रेल विभाग के प्रबन्धक को शिकायत करते हुए पत्र लिखिए।
राज क्लॉथ एम्पोरियम,
नन्द नगरी, दिल्ली।
दिनांक 26-5-20XX 

सेवा में,
मण्डल रेल प्रबन्धक,
दिल्ली रेल मण्डल, दिल्ली।
विषय माल की प्राप्ति न होने के सम्बन्ध में।

महोदय,
हमने दिनांक 15 मई, 20XX को दिल्ली रेलवे स्टेशन स्थित पार्सल घर से चार बण्डल सूती कपड़ा मै. बजाज एण्ड कम्पनी, कानपुर को भेजने के लिए पैसेन्जर रेलगाड़ी से बुक करवाया था, जिसका R/R नं. 55/XX है। यह माल अभी तक अपने गन्तव्य तक नहीं पहुँचा है। आपसे अनुरोध है कि कृपया जाँच'पड़ताल कर एक हफ्ते के अन्दर हमें यह बताएँ कि इस माल का क्या हुआ। यदि माल गलती से कहीं ओर पहुँच गया हो, तो माल को शीघ्रातिशीघ्र उक्त गंतव्य तक पहुँचाने की व्यवस्था करें।
धन्यवाद।
भवदीय, 
हस्ताक्षर .....
(दीपक श्रीवास्तव)
प्रबन्धक
राज क्लॉथ एम्पोरियम

▪︎ माल की खरीदारी पर अधिक वसूली होने पर कम्पनी के प्रबन्धक को शिकायत करते हुए पत्र लिखिए।
शंकर एण्ड सन्स,
कपूरथला,
पंजाब।
दिनांक 20-420XX

सेवा में,
दीपमाला एण्ड कम्पनी,
स्टेशन रोड,
लखनऊ।
विषय माल की खरीदारी पर अधिक वसूली होने पर शिकायत हेतु।

महोदय,
हमें आपका दिनांक 5 मार्च, 20XX का पत्र 15 मार्च, 20XX को प्राप्त हुआ था, जिसमें उल्लेख था कि यदि हम आपके यहाँ से ₹ 1000 से अधिक का माल खरीदते हैं, तो हमें 25 % की छूट और मुफ्त पैकिंग व माल भाड़े की सुविधा प्रदान की जाएगी। परन्तु खेद है कि हमारे द्वारा ₹8000 के माल की खरीद के बावजूद भी आपने अपने दिनांक 3 अप्रैल के बिल सं. 115 द्वारा हमसे पैकिंग और माल भाड़े के शुल्क की वसूली के साथ ही हमें केवल 20% छूट ही प्रदान की।
यद्यपि हमने माल प्राप्त कर लिया, परन्तु हमें आपके द्वारा की गई अतिरिक्त वसूली के लिए क्रेडिट नोट प्राप्त करने के सम्बन्ध में पूछताछ का अधिकार है।
हमारे विचार से यह त्रुटि आपके बिलिंग और डिस्पैच विभाग की लापरवाही से हुई होगी।
उचित कार्रवाई हेतु प्रेषित

धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर .......
(शिव शंकर)
प्रोप्राइटर
शंकर एण्ड सन्स

व्यावसायिक पत्र

आजकल व्यापार तथा व्यवसाय में काफी वृद्धि होने के कारण व्यावसायिक पत्रों में भी वृद्धि होती जा रही है। दो व्यापारिक संस्थाओं अथवा व्यापारिक संस्था और ग्राहक के मध्य होने वाला पत्र व्यवहार व्यावसायिक पत्राचार कहलाता है। व्यावसायिक पत्र-लेखन भी एक कला है, इसकी विशिष्ट शैली होती है। इन पत्रों में शिष्टता, सहजता, सहृदयता के दर्शन होते हैं। व्यापारिक पत्रों में सामान मँगवाने, उनकी जानकारी, शिकायतें तथा शिकायतों के निवारण जैसे विषय होते हैं।

व्यावसायिक-पत्रों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं

▪︎ आपको कुछ पुस्तकों की आवश्यकता है। नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी के व्यवस्थापक को सूचित करते हुए शीघ्र पुस्तक भिजवाने हेतु एक पत्र लिखिए।
19 - कौशलपुरी, कानपुर।
दिनांक 15-5-20XX 

सेवा में,
सर्वश्री व्यवस्थापक,
नागरी प्रचारिणी सभा,
वाराणसी (उ. प्र.)।

विषय पुस्तकें मंगवाने हेतु।
महोदय,
निवेदन है कि मुझे निम्नलिखित पुस्तकों की आवश्यकता है। कृपया इन्हें शीघ्र ही वी.पी. डाक द्वारा ऊपर लिखे पते पर भेज दें। वी.पी. आते ही छुड़ा ली जाएगी।

• पुस्तक का नाम
हिन्दी शब्दानुशासन
हिन्दी व्याकरण
हिन्दी का सरल भाषा विज्ञान
चरित चर्चा और जीवन दर्शन
हिन्दी साहित्य का इतिहास

सधन्यवाद।
भवदीय
नन्द कुमार

▪︎ पुस्तक भण्डार के प्रबन्धक की ओर से पुस्तकों के ऑर्डर की आपूर्ति में असमर्थता प्रकट करते हुए पत्र लिखिए।
विद्या पुस्तक भण्डार,
विद्या विहार,
दिल्ली।

दिनांक 20-5-20XX
सेवा में,
बुक प्वाइण्ट,
मुखर्जी नगर,
दिल्ली।

विषय पुस्तकों के ऑर्डर की आपूर्ति में असमर्थता हेतु।

महोदय,
आपके दिनांक 13 मई, 20XX के ऑर्डर के लिए धन्यवाद, किन्तु हमें खेद के साथ कहना पड़ रहा है। कि आपने जिन पुस्तकों का ऑर्डर दिया है, उनका स्टॉक खत्म हो चुका है। हमने ये पुस्तकें पुनर्मुद्रण हेतु भेजी हुई हैं, जो सम्भवतः 15 दिन में बिक्री हेतु तैयार हो जाएँगी। हमने आपका ऑर्डर अपनी 'ऑर्डर फाइल' में सुरक्षित रख लिया है, जैसे ही पुस्तकें तैयार हो जाएँगी, आपको भेज दी जाएँगी। 

असुविधा के लिए खेद है।
सदैव आपकी सेवा में तत्पर।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर .....
(विशाल गुप्ता)
विक्रय प्रबन्धक
(विद्या पुस्तक भण्डार)

▪︎ सामान का ऑर्डर प्राप्त करने के लिए कम्पनी के प्रबन्धक की ओर से डीलर को पत्र लिखिए।
माधवराम सोप कं.,
खारी बावली,
दिल्ली।
दिनांक 28-4-20XX सेवा में,
साहनी सोप डीलर,
भजनपुरा,
दिल्ली।

विषय सामान का ऑर्डर प्राप्त करने हेतु।

महोदय,
गत कई महीनों से हमें आपका कोई ऑर्डर प्राप्त नहीं हुआ है। इसका कोई कारण हमारी समझ में नहीं आ रहा है। आप हमारे नियमित ग्राहक हैं। प्रतिमाह हम आपसे हज़ारों रुपयों के माल का ऑर्डर प्राप्त करते हैं। हमने कभी आपको किसी प्रकार की शिकायत का मौका नहीं दिया।
हो सकता है, जाने-अनजाने में हमसे कोई भूल हो गई हो। जिससे आप अप्रसन्न हों। आप हमें अपनी शिकायत बताइए, हम उसे दूर करने की हर सम्भव कोशिश करेंगे। परन्तु आपसे पुनः आग्रह है कि आप इस तरह माल का ऑर्डर देना बन्द न करें। आशा है, हमें पूर्व की तरह पुनः आपसे सहयोग प्राप्त होगा। हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि ग्राहकों की सन्तुष्टि ही हमारा परम ध्येय है।

आपके सहयोग की अपेक्षा में।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर .....
(रामसिंह)
प्रबन्धक
(माधवराम सोप कं.)

सम्पादकीय पत्र

समाचार-पत्र एवं पत्रिकाएँ हमारे ज्ञानवर्द्धन, बौद्धिक तुष्टि और मनोरंजन के साधन हैं। इनमें हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित अनेक सूचनाएँ, विज्ञापन और सुझाव भी प्रकाशित होते रहते हैं। हमें लेख, कविता और कहानी आदि प्रकाशित कराने, सामाजिक एवं राजनीतिक समस्याओं को प्रकाशित कराकर जन-जन तक पहुँचाने के लिए सम्पादक से सम्पर्क करना पड़ता है। इसके लिए हमें उन्हें पत्र लिखना पड़ता है, ऐसे पत्र 'सम्पादकीय-पत्र' कहलाते हैं। ऐसे पत्र एक विशिष्ट शैली में लिखे जाते हैं। यह पत्र सम्पादक को सम्बोधित होते हैं, जबकि मुख्य विषय-वस्तु 'जन सामान्य' को लक्षित करके लिखी जाती है।

सम्पादकीय-पत्र के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं

▪︎ अपने शहर में उत्पन्न पानी की समस्या की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए किसी समाचार पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।
12, पन्त सदन, दूंगाधारा,
अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड)
दिनांक 15-1-20XX

सेवा में,
सम्पादक महोदय,
दैनिक 'स्वतन्त्र भारत'
विधानसभा मार्ग,
लखनऊ (उ. प्र.)।

विषय अल्मोड़ा में पानी की समस्या।

महोदय,
आपके दैनिक समाचार पत्र में 'अल्मोड़ा में पानी की समस्या' पर अपने विचार प्रकाशनार्थ भेज रहा हूँ। आशा है आप इसे प्रकाशित कर हमें अनुगृहीत करेंगे।
पिछले दो सप्ताह से यहाँ पानी की बड़ी समस्या हो गई है। नलों में पानी नहीं आता है। यदि आता भी है तो बहुत कम मात्रा में आता है। एक बाल्टी पानी के लिए काफी समय बर्बाद हो जाता है। स्रोतों पर बड़ी भीड़ होती है, पानी की पूर्ति न होने से घण्टों इन्तजार करना पड़ता है। आजकल अल्मोड़ा में ऐसा लग रहा है जैसे पानी का अकाल पड़ गया हो।
जल विभाग के कर्मचारियों से सम्पर्क करने पर कोई सन्तोषजनक उत्तर नहीं मिलता है। कर्मचारी बात को लापरवाही से टाल देते हैं। अतः अधिकारी वर्ग से निवेदन है कि नगरवासियों की कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए जलापूर्ति की उचित व्यवस्था कराने की कृपा करें, जिससे समय पर पानी मिल सके।
भवदीय
मुकेश श्रीवास्तव

▪︎ देश में बढ़ रही कन्या भ्रूण हत्या पर चिंता व्यक्त करते हुए किसी प्रतिष्ठित समाचार पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।
142, पटेल नगर,
नई दिल्ली।
दिनांक 15-3-20XX
सेवा में, 
सम्पादक महोदय,
नवभारत टाइम्स,
नई दिल्ली। 

विषय कन्या भ्रूण हत्या की बढ़ती प्रवृत्ति के सन्दर्भ में।

महोदय,
आपके लोकप्रिय समाचार पत्र के माध्यम से मैं देश में बढ़ रही कन्या भ्रूण हत्या की प्रवृत्ति की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहती हूँ। अनेक लोग गर्भ में ही लिंग परीक्षण करवाकर कन्या भ्रूण होने की स्थिति में इसे मार डालते हैं, गर्भ में ही कन्या भ्रूण की हत्या कर दी जाती है। ऐसा करने वाले केवल गरीब या निर्धन एवं अशिक्षित लोग ही नहीं होते, बल्कि समाज का पढ़ा-लिखा एवं धनी तबका भी इसमें बराबरी की हिस्सेदारी करता है।

समाज का यह दृष्टिकोण अत्यन्त रूढ़िवादी एवं पिछड़ा है, जिसे किसी भी स्थिति में बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए। समाज के बौद्धिक एवं तार्किक लोगों का कर्तव्य है कि वे सरकार एवं प्रशासन के साथ मिलकर कन्या भ्रूण हत्या को अन्जाम देने वाले या उसका समर्थन करने वाले लोगों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करें, जिससे समाज का सन्तुलन एवं समग्र विकास सम्भव हो सके।
धन्यवाद।
भवदीया
ऋतिका

▪︎ पत्र-पत्रिकाओं में छपने वाले भ्रामक विज्ञापनों की शिकायत हेतु प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।
624, मुखर्जी नगर,
दिल्ली।
दिनांक 12-6-20XX

सेवा में,
सम्पादक महोदय,
नवभारत टाइम्स,
दिल्ली।

विषय समाचार पत्र-पत्रिकाओं में छपने वाले भ्रामक विज्ञापन हेतु।

महोदय,
इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान पत्र-पत्रिकाओं में छपने वाले भ्रामक विज्ञापनों की ओर आकर्षित करना चाहती हूँ। आज हमें दूरदर्शन, पत्र-पत्रिकाओं आदि सभी जगह विभिन्न विज्ञापन देखने को मिलते हैं। कुछ विज्ञापनों के माध्यम से हमें नई-नई जानकारी प्राप्त होती है तो कई ऐसे विज्ञापन भी देखने को मिलते हैं जिनके द्वारा आज की युवा पीढ़ी भ्रमित हो रही है। ऐसे विज्ञापनों में नाममात्र भी सच्चाई नहीं होती। आश्चर्यजनक बात तो यह है कि ऐसे विज्ञापनों में विज्ञापनदाता का पता आदि भी किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की जाती। अतः इस प्रतिष्ठित पत्र के माध्यम से मेरा सरकार से अनुरोध है कि वह इस सन्दर्भ में जल्द ही सख्त से सख्त कदम उठाए।

धन्यवाद।
भवदीया
वैशाली

आवेदन पत्र

आवेदन-पत्र या प्रार्थना पत्र किसी फर्म-अधिकारी या किसी मन्त्रालय, विभाग या कार्यालय के अधिकारी को लिखे जाते हैं। स्कूल अथवा कॉलेज के प्रबन्धक अथवा प्रधानाचार्य को लिखे गए पत्र भी आवेदन-पत्र कहलाते हैं। चूँकि, आवेदन-पत्र अधिकारियों को लिखे जाते हैं। अतः इन्हें 'आधिकारिक-पत्र' भी कहा जाता है।

आवेदन-पत्रों का प्रारूप अन्य पत्रों से भिन्न होता है। आवेदन-पत्र के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं

▪︎ राजकीय संग्रहालय अल्मोड़ा में हिन्दी आशुलिपिक पद के लिए आवेदन पत्र लिखिए।
3 शान्ति निकेतन,
नैनीताल -2 (उत्तराखण्ड)।
दिनांक 17-1-20XX

सेवा में,
निदेशक,
राजकीय संग्रहालय,
अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड)।

विषय नौकरी पाने के सम्बन्ध में।

महोदय,
आपके 15 जनवरी, 20XX के दैनिक 'हिन्दुस्तान' में प्रकाशित विज्ञापन के अनुसार मैं 'हिन्दी आशुलिपिक' के पद के लिए अपनी सेवाएँ प्रस्तुत करता हूँ। मेरी योग्यता तथा अनुभव इस प्रकार हैं

शैक्षिक योग्यताएँ
1. हाईस्कूल यू.पी. बोर्ड   प्रथम श्रेणी 2005
2. इण्टरमीडिएट यू.पी.   बोर्ड द्वितीय श्रेणी 2007
3. बी.ए. कुमाऊँ वि.वि.   द्वितीय श्रेणी 2009
4. आई.टी.आई. (हिन्दी आशुलिपि)   बी ग्रेड 2012 

व्यावहारिक योग्यताएँ
1. हिन्दी आशुलिपि गति 120 शब्द प्रति मिनट।
2. हिन्दी टंकण गति 30 शब्द प्रति मिनट।
3. अंग्रेजी टंकण गति 40 शब्द प्रति मिनट।

अनुभव मैंने विगत 18 महीनों तक उपनिदेशक पशुपालन विभाग नैनीताल के कार्यालय में हिन्दी आशुलिपिक के पद पर कार्य किया है।
योग्यता और अनुभव के अतिरिक्त मुझे पाठ्येतर कार्यकलापों में बड़ी रुचि रही है। मैं फुटबाल का अच्छा खिलाड़ी हूँ और कॉलेज की टीम का विश्वविद्यालय प्रतियोगिता में प्रतिनिधित्व कर चुका हूँ।
यदि उक्त पद पर सेवा करने का सुअवसर मिला तो मैं आपको आश्वासन देता हूँ कि अपने कार्य एवं व्यवहार से सदैव आपको सन्तुष्ट रखूँगा।
प्रमाण-पत्रों की अनुप्रमाणित प्रतिलिपियाँ इस आवेदन-पत्र के साथ संलग्न हैं।
संलग्नक संख्या 7
भवदीय
सुरेश सक्सेना

▪︎ आप औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में कार्यरत् हैं। किसी ज़रूरी काम पर जाने के कारण उपार्जित अवकाश के लिए आवेदन करते हुए निदेशक को पत्र लिखिए।
हेतमापुर ग्राम,
भिटौली (फतेहपुर),
बाराबंकी (उ. प्र.)।
दिनांक 3-3-20XX

सेवा में,
निदेशक महोदय,
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान,
बरेली।

विषय ज़रूरी काम आ जाने पर अवकाश हेतु।

महोदय,
सविनय निवेदन है कि मुझे गाँव में अपने पैतृक मकान की मरम्मत करवानी है। आगामी बरसात में और अधिक क्षतिग्रस्त होने पर उसके गिर जाने की आशंका है। इसलिए उसकी मरम्मत अत्यावश्यक है, अतएव आपसे अनुरोध है कि मुझे दिनांक 4-3-20XX से 5-4-20XX तक 30 दिनों का उपार्जित अवकाश (E.L) प्रदान कर कृतार्थ करें। साथ ही दिनांक 3-3-20XX को कार्यकाल के उपरान्त मुख्यालय छोड़ने की भी अनुमति प्रदान करें। 

सधन्यवाद।
आपका विश्वासपात्र
धीरेन्द्र अवस्थी

▪︎ अपने गाँव में पाठशाला खुलवाने हेतु जिला परिषद के अध्यक्ष को पत्र लिखिए।
नारायणपुर,
बहराइच (उ. प्र.)।
दिनांक 15-4-20XX
सेवा में,
अध्यक्ष महोदय,
जिला परिषद् ,
बहराइच।

विषय अपने गाँव में पाठशाला खुलवाने हेतु।

महोदय,
सविनय निवेदन है कि हमारे गाँव में एक प्राइमरी पाठशाला की बड़ी आवश्यकता है। गाँव के आस-पास दो मील तक कोई विद्यालय न होने से बहुत से बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। सुदूर विद्यालय जाने में छोटे-छोटे बच्चों को बड़ी परेशानी होती है। हमारे गाँव की जनसंख्या भी अच्छी है।
अतः आपसे प्रार्थना है कि हमारे गाँव में एक प्राइमरी पाठशाला स्थापित कराने की कृपा करें, ताकि हमारे गाँव के तथा आस-पास के ग्रामवासी बच्चे शिक्षा प्राप्त कर सकें। हमें आशा ही नहीं, वरन् पूर्ण विश्वास है कि आप इस विषय पर सहानुभूतिपूर्ण विचार करके हमारे गाँव में एक प्राइमरी पाठशाला स्थापित कराएँगे।

सधन्यवाद।
भावदीय
दिनेश

यहा पर हमने Aupcharik Patra In Hindi को विस्तार से जाना हमने देखा की औपचारिक पत्र किसे कहते हैं, aupcharik patra ka format, औपचारिक पत्र के भाग, औपचारिक पत्र कैसे लिखें और औपचारिक पत्र के उदाहरण इन सभी प्रश्नो को हमने यहा पर विस्तार से समझा, इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको अच्छे से समझ में आ गया होगा की औपचारिक पत्र कैसे लिखा जाता हैं।

हमे आशा है की आपको ये आर्टिकल अच्छा लगा होगा और हम उमीद करते है की हमारे द्वारा शेयर किये गए Aupcharik Patra In Hindi से आपको काफी मदद मिली होगी। अगर आपके मन में कोई सवाल हो तो, आप हमे नीचे कमेंट करके पुछ सकते है और इस आर्टिकल को आप अपने दोस्तो के साथ शेयर जरुर करे।

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