अव्यय किसे कहते हैं? परिभाषा | भेद एवं उदाहरण | Avyay Kise Kahate Hain

avyay kise kahate hain

इस आर्टिकल में हम हिन्दी व्याकरण के एक महत्त्वपूर्ण अध्याय को एकदम विस्तारपूर्वक से पढ़ेगे, जिसका नाम है- अव्यय। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिये यह लेख बेहद ही महत्वपुर्ण है, क्योकी बहुत से प्रतियोगी परीक्षाओं में हिन्दी व्याकरण से सम्बंधित कई प्रश्न पुछे जाते है जिसमें अव्यय भी सामिल होता है।

अव्यय से सम्बंधित बहुत से प्रश्न परीक्षाओं में आते है, ऐसे में यदि आप उन विद्यार्थियों में से है जो इस समय किसी प्रतियोगी परीक्षा या सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा है, तो आपके लिये अव्यय को अच्छे से समझा काफी फायदेमंद साबित हो सकता हैं। इसलिए आप इस लेख को पुरे ध्यानपूर्वक से एवं अन्त तक जरुर पढ़े।

यह लेख केवल प्रतियोगीता परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिये ही नही, बलकी कक्षा 8 से 12 तक के विद्यार्थियों के लिये भी काफी सहायक है। इसिलिए अगर आप क्लास 8 से 12 तक के किसी भी कक्षा के छात्र है तो इस लेख को आप एकदम अच्छे से पढ़े, क्योकी कक्षा 8 से 12 तक के छात्रों के भी हिन्दी व्याकरण के परीक्षा में अव्यय से सम्बंधित प्रश्न पुछे जाते है।

यहा पर इस लेख में हम अव्यय से सम्बंधित उन सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर को जानेंगे, जो आपके प्रतियोगी परीक्षाओं में पुछे जा सकते हैं। जिन महत्वपूर्ण प्रश्नों की हम बात कर रहे है वो कुछ इस प्रकार है- अव्यय किसे कहते हैं इसके कितने भेद हैं, अव्यय का अर्थ क्या है, अव्यय की परिभाषा क्या है, अव्यय शब्द के उदाहरण, अव्यय का दूसरा नाम क्या है, अव्यय कितने प्रकार के होते हैं आदि। इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको यहा पर एकदम विस्तार से देखने को मिल जायेंगे। तो अगर आप वास्तव में avyay kise kahate hain बिल्कुल अच्छे से समझना चाहते हैं, तो इस लेख को पुरा अन्त तक अवश्य पढ़े। आइये अब अव्यय किसे कहते हैं एकदम विस्तारपूर्वक से समझे।

अव्यय किसे कहते हैं उदाहरण सहित (Avyay Kise Kahate Hain)

परिभाषा -- अव्यय या अविकारी उन शब्दों को कहते हैं, जिनमें लिंग, वचन, पुरुष आदि के कारण कभी कोई परिवर्तन नहीं होता। दुसरे शब्दों में, जो व्यय न हो उसे अव्यय कहते हैं, इसे अविकारी शब्द भी कहते हैं, क्योंकि इसमें किसी प्रकार का विकार नहीं हो सकता, ये सदैव समान रहते हैं। जैसे -- बहुत, भारी, यहाँ, वहाँ, आगे, पीछे, और, तथा, लेकिन, परन्तु, वाह, धन्यवाद आदि।

अव्यय के उदाहरण

▪︎ मैं बहुत खाता हूँ।   (मैं, खाता हूँ -- उत्तमपुरुष, एकवचन, पुंलिंग।
▪︎ तुम बहुत खाती हो   (तुम, खाती हो -- मध्यमपुरुष, बहुवचन, स्त्रीलिंग)

यहाँ, दूसरे वाक्य के लिंग, वचन और पुरुष में अंतर आने से सभी शब्दों के लिंग, वचन और पुरुष में अंतर, परिवर्तन या विकार उत्पन्न हुआ। अतः ये विकारी शब्द हैं, परन्तु ‘बहुत' शब्द में कोई विकार उत्पन्न नहीं हुआ, इसलिए 'बहुत' शब्द 'अविकारी' या 'अव्यय' है।

अव्यय के कितने भेद हैं

अव्यय की परिभाषा और उदाहरण को समझने के बाद अब हम, अव्यय के कितने भेद हैं इसके बारे में विस्तार से समझते है। अव्यय के चार भेद हैं- 


(1). क्रिया विशेषण

परिभाषा -- जो शब्द क्रिया के अर्थ में विशेषता प्रकट करते हैं, उन्हें 'क्रिया विशेषण' कहते हैं। क्रिया विशेषण को अविकारी विशेषण भी कहते हैं, जैसे -- धीरे चलो। वाक्य में 'धीरे' शब्द 'चलो' क्रिया की विशेषता बतलाता है। अत : 'धीरे' शब्द क्रिया विशेषण है।

इसके अतिरिक्त क्रिया विशेषण दूसरे क्रिया विशेषण की भी विशेषता बताता है; जैसे -- वह बहुत धीरे चलता है। इस वाक्य में 'बहुत' क्रिया विशेषण है और यह दूसरे क्रिया विशेषण 'धीरे' की विशेषता बतलाता है। क्रिया विशेषण के चार भेद हैं -

(क) कालवाचक

जिन शब्दों से क्रिया में समय सम्बन्धी विशेषता प्रकट हो, उन्हें कालवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं, जैसे -- तब, जब; आज, कल, परसों, अब, कब, सुबह, दोपहर, शाम; अभी-अभी, कभी-कभी, कभी न कभी, सदा सर्वदा, सदैव; पहले, पीछे, नित्य, ज्यों ही, त्यों ही, एक बार, पहली बार, आजकल, घड़ी-घड़ी, रातभर, दिनभर, क्षणभर, कितनी देर में, शीघ्र, जल्दी, बार-बार इत्यादि। 

कालवाचक के तीन भेद माने जाते हैं

(अ) समयवाचक -- आज, कल, अभी, तुरन्त, परसों इत्यादि।
(ब) अवधिवाचक -- अभी-अभी, रातभर दिनभर  आजकल, नित्य इत्यादि।
(स) बारम्बारता वाचक -- हर बार कई बार प्रतिदिन इत्यादि।

(ख) स्थानवाचक

जिन शब्दों से क्रिया में स्थान सम्बन्धी विशेषता प्रकट हो, उन्हें स्थानवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं, जैसे -- यहाँ, वहाँ, जहाँ, तहाँ, कहाँ, वहीं, कहीं, हर जगह, सर्वत्र, बाहर-भीतर, आगे-पीछे, ऊपर-नीचे, कहीं-कहीं, अन्यत्र इत्यादि।

स्थानवाचक के दो भेद माने जाते हैं

(अ) स्थितिवाचक -- यहाँ, वहाँ, भीतर, बाहर इत्यादि।
(ब) दिशावाचक -- इधर, उधर, दाएँ, बाएँ इत्यादि।

(ग) परिमाणवाचक

जिन शब्दों से क्रिया का परिमाण (नाप-तौल) सम्बन्धी विशेषता प्रकट होती है, उन्हें परिमाणवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं, जैसे -- इतना, उतना, कितना, जितना, थोड़ा-थोड़ा, बारी-बारी, क्रमशः, कम, अधिक, ज्यादा, पर्याप्त, काफी, केवल, जरा, बस, लगभग, कुछ बिल्कुल, कहाँ तक, जहाँ तक, पूर्णतया इत्यादि। 

परिमाणवाचक के पाँच भेद माने जाते हैं

(अ) अधिकताबोधक -- बहुत, खूब, अत्यन्त, अति इत्यादि 
(ब) न्यूनताबोधक -- जरा, थोड़ा, किंचित, कुछ इत्यादि
(स) पर्याप्ति बोधक -- बस, यथेष्ट, काफ़ी, ठीक इत्यादि 
(द) तुलनाबोधक -- कम, अधिक, इतना, उतना इत्यादि 
(य) श्रेणी बोधक -- बारी-बारी, तिल-तिल, थोड़ा-थोड़ा इत्यादि

(घ) रीतिवाचक

जिन शब्दों से क्रिया की रीति सम्बन्धी विशेषता प्रकट होती है, उन्हें रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं। रीतिवाचक क्रिया विशेषणों की संख्या बहुत बड़ी है। जिन क्रिया विशेषणों का समावेश दूसरे वर्गों में नहीं हो सकता, उनकी गणना इसी में की जाती है। समावेश क्रिया विशेषण को निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है 

प्रकार ऐसे, कैसे, वैसे, मानो, अचानक, धीरे-धीरे स्वयं, परस्पर, आपस में, यथाशक्ति, फटाफट, झटपट, आप ही आप इत्यादि।
निश्चय निःसन्देह, अवश्य, बेशक, सही, सचमुच, जरूर, अलबत्ता, दरअसल, यथार्थ में, वस्तुतः इत्यादि।
अनिश्चय कदाचित्, शायद, सम्भव है, हो सकता है, प्रायः यथासम्भव इत्यादि।
स्वीकार हाँ, हाँ जी, ठीक, सच आदि।
निषेध न, नहीं, गलत, मत, झूठ आदि।
कारण इसलिए, क्यों, काहे को आदि।
अवधारण तो, ही, भी, मात्र, भर, तक आदि।

(2). संबंधबोधक

परिभाषा -- जो अव्यय संज्ञा या सर्वनाम के बाद आकर वाक्य के दूसरे शब्द के साथ संबंध बतलाए, उसे संबंधबोधक कहते हैं। जैसे -- निकट, दूर, आगे, पीछे, अंदर, बाहर, ओर, तरफ, पार, द्वारा, मारफत, लिए, सिवाय, अलावा, संग, साथ, विरुद्ध, खिलाफ, बिना, भर आदि।

उदाहरण :
राम के आगे मैं खड़ा हूँ।  (संज्ञा के बाद)
मेरे आगे राम खड़ा है।    (सर्वनाम के बाद)

संबंधबोधक के कार्य

संबंधबोधक के निम्नलिखित प्रमुख कार्य हैं

(1) संबंधबोधक किसी वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम के बाद आकर वाक्य के दूसरे शब्द के साथ संबंध जोड़ता है। जैसे -- मेरे आगे राम खड़ा है।
यहाँ ‘आगे' शब्द संबंधबोधक है, क्योंकि यह राम (संज्ञा) का संबंध 'खड़ा' (क्रिया) से बतलाता है।

(2) यह स्थान, काल, तुलना आदि का बोध कराता है। जैसे -- वह मेरे आगे खड़ा है। (स्थान का बोध)
वह मेरी अपेक्षा सुन्दर है।      (तुलना का बोध)

संबंधबोधक के भेद

संबंधबोधक के दो भेद हैं
(1) संबद्ध संबंधबोधक
(2) अनुबद्ध संबंधबोधक

संबद्ध संबंधबोधक -- यह अव्यय विभक्ति के बाद आता है। जैसे --
भोजन के बिना भजन में मन नहीं लगता। ('के' विभक्ति के बाद अव्यय)
आपकी ओर मैं खड़ा हूँ।  ('की' विभक्ति के बाद अव्यय)

अनुबद्ध संबंधबोधक -- यह अव्यय बगैर विभक्ति के आता है। जैसे --
भोजन बिना भजन नहीं।      (बगैर विभक्ति के अव्यय)
आप बिना घर सूना।            (बगैर विभक्ति के अव्यय)
वह कटोरे भर दूध पी गया।   (बगैर विभक्ति के अव्यय)

(3). समुच्चयबोधक 

परिभाषा -- जो अव्यय क्रिया या संज्ञा की विशेषता न बतलाकर शब्दों, वाक्यांशों अथवा वाक्यों को जोड़ने का कार्य करते हैं, उन्हें 'समुच्चयबोधक अव्यय' कहते हैं। अखिल और सुहेल कॉलेज को जाते हैं। इस वाक्य में 'और' शब्द अखिल और सुहेल को क्रिया 'जाते हैं' से जोड़ता है। समुच्चयबोधक अव्यय के दो भेद हैं, जो निम्न हैं-

(अ) समानाधिकरण समुच्चयबोधक

जो अव्यय दो या दो-से-अधिक पदों, शब्दों या वाक्यों का संयोजन-विभाजन करते हैं; उन्हें समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं। इसके निम्न भेद हैं-

संयोजक -- तथा, एवं, और, व, या इत्यादि।
विभाजक -- अथवा, या, वा, किंवा, कि, चाहे, नहीं तो इत्यादि।
विरोधदर्शक -- वरन्, मगर, किन्तु, परन्तु, लेकिन पर इत्यादि।
परिणामदर्शक -- अतः, अतएव, इसलिए आदि।

(ब) व्याधिकरण समुच्चयबोधक

जो अव्यय मुख्य वाक्य से एक या एक से अधिक आश्रित वाक्यों को जोड़ने का कार्य करते हैं, उन्हें व्याधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं। ये चार प्रकार के होते हैं- 

कारणवाचक -- इसलिए, कि, जो कि, क्योंकि इत्यादि
उद्देश्यवाचक -- ताकि, जो, इसलिए, कि इत्यादि
संकेतवाचक -- यदि तो, जो तो, यद्यपि, तथापि इत्यादि 
स्वरूपवाचक -- अर्थात्, मानो, यानि, कि, जो इत्यादि 

(4). विस्मयादिबोधक

परिभाषा -- जिन अव्यय शब्दों से हर्ष, विस्मय, शोक, लज्जा, ग्लानि आदि मनोभाव प्रकट होते हैं, उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं, जैसे- हाय ! वह चल बसा । वाह ! क्या मौसम है। विस्मयादिबोधक निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-

हर्षबोधक अहा ! वाह ! वाह - वाह इत्यादि।
शोकबोधक हाय ! हा ! ऊँह ! उफ ! त्राहि - त्राहि आदि।
प्रशंसाबोधक शाबाश ! खूब ! आदि।
घृणा या तिरस्कार बोधक राम - राम ! थू-थू ! छि :! -छि :! धत ! धिक् आदि।
आश्चर्यबोधक अरे ! हैं ! ऐ ! ओह ! आदि।
क्रोधबोधक अबे ! पाजी ! अजी ! आदि।
व्यथाबोधक हाय रे ! बाप रे ! अरे दादा ! ऊँह आदि।
विनयबोधक जी ! जी हाँ ! हजूर ! साहब आदि।
स्वीकारबोधक ठीक ! हाँ - हाँ ! अच्छा ! बहुत अच्छा आदि।

निपात किसे कहते हैं

परिभाषा -- ऐसे अव्यय जो वाक्यों में नया भाव प्रकट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते वह निपात कहलाते हैं। जैसे -- ही, भी, तो, तक, मात्र, भर आदि।

निपात का प्रयोग

मूलतः निपात का प्रयोग अव्ययों के लिए होता है। इनका कोई लिंग, वचन नहीं होता। निपातों का प्रयोग निश्चित शब्द या पूरे वाक्य को श्रव्य भावार्थ प्रदान करने के लिए होता है  निपात सहायक शब्द होते हुए भी वाक्य के अंग नहीं होते। निपात का कार्य शब्द समूह को बल प्रदान करना भी है। निपात के निम्नलिखित प्रकार हैं-

स्वीकृतिबोधक हाँ, जी, जी हाँ।
नकारबोधक जी नहीं, नहीं।
निषेधात्मक मत।
प्रश्नबोधक क्या।
विस्मयादिबोधक क्या, काश।
तुलनाबोधक सा।
अवधारणाबोधक ठीक, करीब लगभग, तकरीबन।
आदरबोधक जी।

निपात के उदाहरण

▪︎ श्याम ने ही मुझे मारा है। (श्याम के अलावा और किसी ने नहीं मारा)
▪︎ श्याम ने मुझे ही मारा है। (मुझे ही मारा है किसी और को नहीं)
▪︎ श्याम ने मुझे मारा ही है। (मारा ही है, गाली वगैरह नहीं दी)

स्पष्ट है कि निपात के प्रयोग वाक्य के भाव में विशेष अंतर आता है। दूसरी बात, निपात का प्रयोग वाक्य में कहीं भी किया जा सकता है - जैसा कि ऊपर के वाक्यों में आप देख रहे हैं।

FAQ: अव्यय से संबंधित प्रश्न

प्रश्न -- अव्यय की परिभाषा क्या है?

उत्तर -- जिन शब्दों पर लिंग वचन, कारक, काल आदि का कोई प्रभाव नही पड़ता, उन शब्दों को अव्यय कहा जाता है।

प्रश्न -- अव्यय का दूसरा नाम क्या है?

उत्तर -- अव्यय का दूसरा अविकारी है, अव्यय को अविकारी शब्द भी कहा जाता है।

प्रश्न -- अव्यय का अर्थ क्या है?

उत्तर -- अव्यय का शाब्दिक अर्थ है- आ + व्यय ; जो व्यय न हो उसे अव्यय कहते है।

प्रश्न -- अव्यय कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर -- अव्यय चार प्रकार के होते हैं, जो निम्न है-
(1) क्रियाविशेषण 
(2) संबंधबोधक
(3) समुच्चयबोधक 
(4) विस्मयादिबोधक

प्रश्न -- जो अव्यय दो शब्दों तथा वाक्यों को जोड़ते हैं उन्हें कहते हैं?

उत्तर -- जो अव्यय दो शब्दों या वाक्यों को जोड़ते हैं उन्हें अव्यय संयोजक कहलाते है। जैसे -- एवं, तथा, और, व, कि आदि।

अव्यय किसे कहते है वीडियो के माध्यम से समझे


अव्यय किसे कहते हैं pdf

नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करके आप अव्यय के सम्पुर्ण नोट्स का पीडीएफ फ़ाईल डाउनलोड कर सकते हैं, और इस अव्यय के नोट्स की सहायता से आप कभी भी अपने समयानुसार हिन्दी व्याकरण के अव्यय का अध्ययन कर सकते हैं।


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