सम्बन्धबोधक अव्यय | परिभाषा, भेद एवं उदाहरण | Sambandh Bodhak Avyay

सम्बन्धबोधक अव्यय

इस आर्टिकल में हम सम्बन्धबोधक किसे कहते हैं एकदम विस्तारपूर्वक से समझेंगे। 'सम्बन्धबोधक' अव्यय का दुसरा भाग है और हिन्दी व्याकरण में यह काफी महत्वपुर्ण तॉपिक है, क्योकी इससे सम्बंधित काफी सारे ऐसे प्रश्न होते है, जो प्रतियोगी परीक्षाओं में पुछे जाते है। इसलिए प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिये यह लेख माफी महत्त्वपूर्ण एवं उपयोगी है। तो अगर आप भी उन स्टूडेंट्स में से है, जो इस समय किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है, तो आप इस लेख को पुरे ध्यानपूर्वक से एवं अन्त तक जरुर पढ़ें। क्योकी इससे आपको परीक्षा में काफी सहायता मिल सकती है।

यहा पर हम सम्बन्धबोधक से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों को समझेंगे, जिससे की इसे समझने में आपको असानी हो। और साथ ही यहा हम सम्बन्धबोधक से जुड़े उन अहम प्रश्नों को भी देखेंगे जो, आपको प्रतियोगी परीक्षाओं में पुछे जा सकते हैं, जैसे की- संबंधबोधक किसे कहते हैं उदाहरण सहित लिखिए, संबंधबोधक के उदाहरण, संबंधबोधक के भेद आदि। इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको इस लेख में विस्तार से देखने को मिल जायेंगे। तो अगर आप sambandh bodhak avyay kise kahate hain एकदम अच्छे से समझना चाहते है, तो इस लेख को पुरा अन्त तक अवश्य पढे। आइये अब संबंधबोधक अव्यय क्या होता है बिल्कुल विस्तार से समझें।


सम्बन्धबोधक अव्यय किसे कहते हैं (Sambandh Bodhak Avyay Kise Kahate Hain)

परिभाषा -- जिन अविकारी शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम का सम्बन्ध वाक्य के दूसरे शब्दों से प्रकट होता है, उन्हें 'सम्बन्धबोधक अव्यय' कहते हैं। दुसरे शब्दों में, जो अव्यय शब्द वाक्य में किसी संज्ञा सर्वनाम का सम्बंध अन्य शब्दों के साथ बताते है, उन्हें सम्बन्धबोधक अव्यय कहते है।

सम्बन्धबोधक अव्यय के उदाहरण

सम्बन्धबोधक अव्यय की परिभाषा को समझने के बाद, अब हम इसका एक उदहारण देखते है, जिससे की आप इसे और भी बेहतर से समझ सके।

▪︎ मैं गोपाल के बिना नहीं जाऊँगा।

इस वाक्य में 'बिना' शब्द 'गोपाल' और 'मैं' के बीच सम्बन्ध प्रकट करता है। अतः यह शब्द (बिना) सम्बन्धबोधक अव्यय है।

सम्बन्धबोधक अव्ययों का वर्गीकरण एवं प्रकार

अभी तक हमने सम्बन्धबोधक की परिभाषा और उदाहरण को समझा, आईये अब हम सम्बन्धबोधक अव्यय के कितने प्रकार होते है, इसको समझे।

सम्बन्धबोधक अव्ययों का वर्गीकरण तीन आधारों पर किया गया है, जो निम्न है-

(क). प्रयोग के आधार पर
(ख). अर्थ के आधार पर
(ग). व्युत्पत्ति या रूप के आधार पर

(क). प्रयोग के आधार पर 

प्रयोग के आधार पर सम्बन्धबोधक अव्यय का प्रयोग तीन प्रकार से होता है-

(1). विभक्ति सहित

परिभाषा -- जिन अव्यय शब्दों का प्रयोग कारक विभक्तियों (ने, को, से आदि) के साथ होता है, उन्हें विभक्ति सहित सम्बन्धबोधक अव्यय कहते हैं; जैसे -- यथा, पास, लिए आदि।

(2). विभक्ति रहित

परिभाषा -- जिस अव्यय का प्रयोग बिना कारक विभक्तियों के होता है, उसे विभक्ति रहित सम्बन्धबोधक अव्यय कहते हैं; जैसे -- रहित, सहित आदि।

(3). उभयविधि जिस

परिभाषा -- अव्यय का प्रयोग विभक्ति सहित और विभक्ति रहित दोनों प्रकार से होता है, उसे उभयविधि सम्बन्धबोधक कहते हैं; जैसे -- द्वारा, बिना आदि।

(ख) अर्थ के आधार पर

अर्थ के आधार पर सम्बन्धबोधक अव्यय आठ प्रकार के होते हैं-

(1). कालवाचक

परिभाषा -- जिन अव्यय शब्दों से समय का बोध होता है, उन्हें 'कालवाचक सम्बन्धबोधक अव्यय' कहते हैं; जैसे -- आगे, पीछे, बाद में, पश्चात्, उपरान्त इत्यादि।

(2). स्थानवाचक

परिभाषा -- जिन अव्यय शब्दों से स्थान का बोध हो उन्हें स्थानवाचक सम्बन्धबोधक अव्यय कहते हैं, जैसे -- आगे, पीछे, ऊपर, नीचे, सामने, निकट, भीतर इत्यादि।

(3). दिशावाचक

परिभाषा -- जिन अव्यय शब्दों से किसी दिशा का बोध होता है, उन्हें दिशावाचक सम्बन्धबोधक अव्यय कहते हैं, जैसे -- ओर, तरफ, आस-पास, प्रति, आर-पार इत्यादि।

(4). साधनवाचक

परिभाषा -- जिन अव्यय शब्दों से किसी साधन का बोध होता है, उन्हें साधनवाचक सम्बन्धबोधक अव्यय कहते हैं, जैसे -- माध्यम मार्फत, द्वारा, सहारे, ज़रिए इत्यादि।

(5). कारणवाचक

परिभाषा -- जिन अव्यय शब्दों से किसी कारण का बोध होता है, उन्हें कारणवाचक सम्बन्धबोधक अव्यय कहते हैं; जैसे -- कारण, हेतु, वास्ते, निमित्त, ख़ातिर इत्यादि।

(6). सादृश्यवाचक

परिभाषा -- जिन अव्यय शब्दों से समानता का बोध होता है, उन्हें सादृश्यवाचक सम्बन्धबोधक अव्यय कहते हैं, जैसे -- समान, तरह, जैसा, वैसा ही आदि।

(7). विरोधवाचक

परिभाषा -- जिन अव्यय शब्दों से प्रतिकूलता या विरोध का बोध होता है, उन्हें विरोधवाचक सम्बन्धबोधक अव्यय कहते हैं, जैसे -- विरुद्ध, प्रतिकूल, विपरीत, उल्टा इत्यादि।

(8). सीमावाचक

परिभाषा -- जिन अव्यय शब्दों से किसी सीमा का पता चलता है, उन्हें सीमावाचक सम्बन्धबोधक अव्यय कहते हैं, जैसे -- तक, पर्यन्त, भर, मात्र आदि।

(ग) व्युत्पत्ति या रूप के आधार पर

व्युत्पत्ति या रूप के आधार पर सम्बन्धबोधक अव्यय दो प्रकार के होते हैं, जो निम्न हैं- 

(1) मूल सम्बन्धबोधक

परिभाषा -- जो अव्यय किसी दूसरे शब्द के योग से नहीं बनते अपितु अपने मूलरूप में ही रहते हैं, उन्हें मूल सम्बन्धबोधक अव्यय कहते हैं; जैसे -- बिना, समेत, तक आदि।

(2) यौगिक सम्बन्धबोधक

परिभाषा -- जो अव्यय संज्ञा, विशेषण, क्रिया आदि के योग से बनते हैं, उन्हें यौगिक सम्बन्धबोधक अव्यय कहते हैं; जैसे -- पर्यन्त (परि + अन्त)।

FAQ: संबंधबोधक अव्यय से सम्बंधित प्रश्न

प्रश्न -- संबंधबोधक अव्यय क्या होता है?

उत्तर -- जो अव्यय शब्द संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के साथ आकर उनका सम्बंध वाक्य के अन्य शब्दों के साथ प्रकट करते है, उन्हे सम्बन्धबोधक अव्यय कहते है।

प्रश्न -- संबंधबोधक किसका भेद है?

उत्तर -- 'संबंधबोधक' अव्यय का दुसरा भेद है।

प्रश्न -- संबंधबोधक अव्यय के कितने भेद होते हैं?

उत्तर -- संबंधबोधक अव्ययों को तीन आधारों पर वर्गीकरण किया गया है-
(1). प्रयोग के आधार पर
(2). अर्थ के आधार पर
(3). रूप के आधार पर
जिसमें, प्रयोग के आधार पर संबंधबोधक अव्यय के तीन भेद हैं, अर्थ के आधार पर संबंधबोधक अव्यय के आठ भेद हैं और रूप के आधार पर संबंधबोधक अव्यय के दो भेद हैं।

प्रश्न -- अर्थ के आधार पर संबंधबोधक अव्यय कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर -- अर्थ के आधार पर सम्बन्धबोधक अव्यय आठ प्रकार के होते हैं।

संबंधबोधक अव्यय किसे कहते हैं वीडियो के माध्यम से समझे


निष्कर्ष

यहा पर इस लेख में हमने संबंधबोधक अव्यय किसे कहते हैं बिल्कुल विस्तार से समझा। यह लेख प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के साथ-साथ उन छात्रों के लिये भी काफी उपयोगी है, जो कक्षा 6 से 12 तक के किसी क्लास में पढ़ रहे है, क्योकी इन कक्षा में पढ़ रहे छात्रो के स्कूल में हिन्दी व्याकरण के टेस्ट में संबंधबोधक से सम्बंधित कई प्रश्न पुछे जाते है, इसलिए अगर आप इन कक्षाओं में से किसी भी क्लास के स्टूडेंट है, तो आप भी इस लेख को पूरे ध्यानपूर्वक से जरुर पढ़ें।

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