विराम चिन्ह किसे कहते हैं | परिभाषा एवं उदाहरण | Viram Chinh Kise Kahate Hain [ PDF ]
विराम-चिन्ह हिन्दी व्याकरण में एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है, इससे संबंधित प्रश्न बहुत सारी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं, जैसे कि कक्षा 9 से 12 तक की हिंदी परीक्षाओं में, प्रतियोगी परीक्षाओं में और प्रवेश परीक्षाओं में। इसके अलावा और भी प्रकार की परीक्षाएं होती हैं, जिनमें (विराम-चिन्ह) से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।
ऐसे में अगर आप उन विद्यार्थियों में से एक हैं जो इन परीक्षाओं में से किसी भी एग्ज़ाम की तैयारी कर रहे हैं, तो इस लेख में दिए गए सभी विराम-चिन्ह से संबंधित प्रश्न आपके लिए काफी महत्वपूर्ण और उपयोगी हैं। इसलिए आप इस लेख को ध्यान से आखिर तक जरुर पढ़े।
आपको बता दें कि, यहां पर हम हिंदी व्याकरण (विराम-चिह्न) से संबंधित उन सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर को समझेंगे, जो परीक्षाओं के लिए इम्पोर्टेन्ट हैं या जो परीक्षा में पूछे जा सकते हैं, जैसे की- विराम चिन्ह किसे कहते हैं, विराम चिन्ह की परिभाषा, विराम चिन्ह के उदाहरण, विराम चिन्ह कितने प्रकार के होते हैं, विराम चिन्ह को कैसे पहचाने और विराम चिन्ह का प्रयोग कैसे किया जाता है आदि।
इस प्रकार के विराम चिह्न से संबंधित और भी कई अन्य प्रश्नों के उत्तर आपको इस लेख में विस्तार से मिलेंगे। तो आइये अब हम viram chinh kise kahate hain बिल्कुल अच्छे से समझे।
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विराम चिन्ह किसे कहते हैं (Viram Chinh Kise Kahate Hain)
परिभाषा -- विराम का अर्थ होता है - रुकरना या ठहरना। लिखने में रुकावट या विराम के स्थानो को जिन चिन्हों द्वारा प्रकट किया जाता है, उन्हे विराम चिन्ह कहते है। लिखते समय या बोलते समय यदि विराम न हो, तो पाठक या श्रोता को भाषा के सम्यक् ज्ञान में कठिनाई होती है। एक ही वाक्य के कई अर्थ निकल सकते हैं। वह भ्रमित हो सकता है। जैसे --
▪︎ उसे रोको, मत जाने दो। (रोकने की बात है।)
▪︎ उसे रोको मत, जाने दो। (जाने की बात है।)
उपर्युक्त दोनों वाक्यों के अर्थ में जो अंतर दिख रहा है वह सिर्फ विराम चिह्नों के प्रयोग के कारण है। इसी प्रकार अन्य विराम-चिह्नों के प्रयोग से भी भाव में अंतर आता है, अतः विभिन्न विराम-चिह्नों और उनके प्रयोग को अच्छी तरह समझना चाहिए।
विराम चिन्ह कितने प्रकार के होते हैं (Viram Chinh Ke Prakar)
विराम का अर्थ और विराम चिन्ह की परिभाषा उदाहरण सहित समझने के बाद हम हम इसके प्रकार और प्रयोग को समझते है। यहाँ कुछ प्रमुख विराम-चिह्नों और उनके प्रयोग को विस्तार से समझाया गया है।
क्रम संख्या | नाम | चिन्ह |
---|---|---|
(1). | अल्पविराम | ( , ) |
(2). | अर्द्धविराम | ( ; ) |
(3). | पूर्णविराम | ( । ) |
(4). | उपविराम | ( : ) |
(5). | प्रश्नवाचक-चिह्न | ( ? ) |
(6). | विस्मयादिबोधक-चिह्न | ( ! ) |
(7). | संयोजक-चिह्न | ( - ) |
(8). | उद्धरण-चिह्न | ( " " ) या ( ' ' ) |
(9). | कोष्ठक-चिह्न | ( ( ) ) या ( [ ] ) |
(10). | निर्देश-चिह्न | ( _ ) |
(11). | लोप-चिह्न | ( ... ) या ( xxx ) |
(12). | लाघव-चिह्न | ( ॰ ) |
(13). | पुनरुक्ति-चिह्न | ( " " " ) |
(14). | त्रुटि-चिह्न | ( ^ ) |
(15). | विवरण-चिह्न | ( :- ) |
(1). अल्पविराम ( , )
अल्पविराम का अर्थ होता है थोड़ा ठहराव, थोड़ी देर के लिए रुकना। इसका प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है
☞ 1. यदि वाक्य के बीच में -- पर, परन्तु, किन्तु, लेकिन, तो, भी, मगर, इसलिए, अतः, क्योंकि, जिससे, वरन्, बल्कि, तथापि आदि अव्यय हों, तो उनके पहले। जैसे --
▪︎ बोलो, मगर धीरे से।
▪︎ वह आया, लेकिन चला गया।
▪︎ सिर्फ पढ़ो ही नहीं, वरन् काम भी करो।
☞ 2. यदि एक ही प्रकार के शब्द या वाक्यांश आएँ। जैसे --
शब्दों में -- राम, श्याम, मोहन और सोहन दोस्त हैं।
वाक्यांशों में -- वह यहाँ आता है, पढ़ता है और चला जाता है।
☞ 3. यदि वाक्य में -- यह, उसे, तब, अब, या, तो आदि लुप्त हों। जैसे --
▪︎ मैं जो कहता हूँ, ध्यान से सुनो। ('उसे' — लुप्त है)
▪︎ कब वह गया, कह नहीं सकता। ('यह' — लुप्त है)
▪︎ जब जाना ही है, चले जाओ। ('तो' – लुप्त है)
☞ 4. यदि वाक्य का आरंभ -- हाँ, नहीं, बस, अच्छा, सचमुच, वस्तुतः, छिः आदि से हो। जैसे --
▪︎ हाँ, मैं जानता हूँ।
▪︎ नहीं, यह तो गलत है।
▪︎ सचमुच, वह इतना बुद्धिमान् है ?
▪︎ छिः, यह क्या कर दिया ?
नोट -- अंतिम वाक्य में विस्मयादिबोधक-चिह्न भी आ सकता है। जैसे छिः ! यह क्या कर दिया !
☞ 5. संबोधन के बाद इस चिह्न का प्रयोग करें। जैसे --
▪︎ अरे मित्र, तुम कहाँ गये थे ?
▪︎ देशवासियो, मेरे हाथ मजबूत करें।
नोट -- संबोधनकारक में संज्ञा के बहुवचन रूप रहने पर भी अनुस्वार ( ' ) का प्रयोग न करें। जैसे --
▪︎ प्यारी बहनों, देवियों और सज्जनों, हे बालकों -- अशुद्ध।
▪︎ प्यारी बहनो, देवियो और सज्जनो, हे बालको -- शुद्ध।
☞ 6. यदि शब्द को दो-तीन बार दोहराना हो। जैसे --
▪︎ नहीं, नहीं, मैं तुम्हारी बात नहीं मान सकता।
▪︎ चलो, चलो, यहाँ कुछ नहीं मिलेगा।
▪︎ वह दूर से, बहुत दूर से आया था।
☞ 7. तिथि में इसका प्रयोग होता है। जैसे --
▪︎ 15 अगस्त, 1947 को हमारा देश आजाद हुआ।
▪︎ वह 14 जुलाई, 2001 को आया था।
☞ 8. पत्र में संबोधन के बाद इसका प्रयोग होता है। जैसे --
प्रिय सुरेश,
खुश रहो।
☞ 9. किसी की उक्ति के पहले -- 'कि' के स्थान पर। जैसे --
▪︎ सोहन ने कहा कि मैं दिल्ली जाऊँगा।
▪︎ सोहन ने कहा, मैं दिल्ली जाऊँगा।
☞ 10. नाम, ओहका और पता में प्रत्येक पद के बाद इसका प्रयोग करें। जैसे --
(क) प्रो. एस. के. सिंह, प्राध्यापक, हिन्दी विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना, मेरे मित्र हैं।
(ख) वह, कंकड़बाग, पटना, बिहार का रहनेवाला है।
(2). अर्द्धविराम ( ; )
अल्पविराम से अधिक और पूर्णविराम से कम ठहराव के लिए इस चिह्न का प्रयोग होता है। इसके निम्नलिखित प्रयोग हैं।
☞ 1. जहाँ मुख्य वाक्य और समानाधिकरण का संबंध बहुत अधिक न हो। ऐसे वाक्यों के बीच संबंध न होते हुए भी कुछ-न-कुछ संबंध अवश्य रहता है। जैसे --
▪︎ नदी के किनारे टहल रहा था ; मंद-मंद हवा बह रही थी। हमलोग बातों में मशगूल थे कि सहसा एक चीख सुनायी पड़ी।
☞ 2. यदि मुख्य वाक्य के परिणाम की व्याख्या अन्य वाक्यों से करनी हो। जैसे --
▪︎ बड़े ऑफिसर के आते ही ऑफिस का परिदृश्य बदल गया ; बिलकुल शांति छा गयी ; लोगों की जबान बंद हो गयी ; सभी अपने-अपने काम में लग गये।
☞ 3. जब वाक्य और उपवाक्य/उपवाक्यों में बहुत अधिक संबद्धता न हो। जैसे --
(क) अब क्या करूँ ; वह रूठकर चला गया।
(ख) किसे समझाऊँ, वह माननेवाला नहीं ; सिर्फ अपने मन की करता है।
(3). पूर्णविराम ( । )
पूर्णविराम का अर्थ होता है, पूरा ठहराव। वाक्य की समाप्ति पर इस चिह्न का प्रयोग होता है। जैसे --
▪︎ वह पढ़ रहा है।
▪︎ राधा नाचेगी।
(i) कभी-कभी किसी घटना का नाटकीय रूप या सजीव वर्णन करने के लिए इस चिह्न का प्रयोग होता है। जैसे --
▪︎ स्टेडियम में हजारों की भीड़। अंतिम बॉल। अंतिम बल्लेबाज। चार रनों की जरूरत। सचिन का प्रवेश। और, यह रहा छक्का। हिन्दुस्तान की विजय।
नोट -- यह ध्यान रखें कि वाक्य की समाप्ति सिर्फ पूर्णविराम - चिह्न ( । ) से ही नहीं होती, वरन् प्रश्नवाचक या विस्मयादिबोधक - चिह्न से भी होती है। उनमें सिर्फ भाव और भाव के अनुसार चिह्न का अंतर होता है। जैसे --
▪︎ सीता सुंदर है । (स्वीकार के भाव की समाप्ति)
▪︎ सीता सुंदर नहीं है। (अस्वीकार के भाव की समाप्ति)
▪︎ सीता सुंदर है ? (प्रश्न के भाव की समाप्ति)
▪︎ सीता सुंदर है ! (विस्मय के भाव की समाप्ति)
(4). उपविराम ( : )
इस चिह्न का प्रयोग प्रायः पुस्तक, निबंध आदि के शीर्षक में होता है। जैसे --
(क) कश्मीर: ए ट्रेजडी ऑफ एरर्स (पुस्तक का नाम)।
(ख) विज्ञान: अभिशाप या वरदान (निबंध का शीर्षक)।
(5). प्रश्नवाचक-चिह्न ( ? )
इस चिह्न का प्रयोग प्रश्न पूछने, जिज्ञासा या संदेह आदि की स्थिति में होता है। जैसे --
☞ 1. प्रश्न के रूप में
▪︎ क्या आप पढ़ते हैं ?
▪︎ आप क्या पढ़ते हैं ?
☞ 2. जिज्ञासा, उत्सुकता या संदेह की स्थिति में
▪︎ आप महेशजी के पुत्र हैं ?
▪︎ गीता अच्छी लड़की है, है न ?
☞ 3. व्यंग्य के रूप में
▪︎ सिपाही - (चोर से) तू साधु है, है न ? चोरी तुमने नहीं, मैंने की है ?
☞ 4. यदि लेखक को शुद्ध-अशुद्ध का संदेह हो। जैसे --
▪︎ दिनकर की पहली कविता का नाम रश्मिरथि (?) था।
▪︎ 1857 ई. के सिपाही-विद्रोह का नायक मंगल पाण्डेय (?) था।
नोट -- ऐसे वाक्य जिनमें प्रश्न और उत्तर एक ही वाक्य में छिपे हों, तो वहाँ इस चिह्न का प्रयोग न करें। जैसे --
▪︎ वह क्या पढ़ता है, मैं नहीं जानता।
▪︎ तुम कहाँ रहते हो, उसे पता है।
(6). विस्मयादिबोधक-चिह्न ( ! )
इस चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है
☞ 1. हर्ष , विषाद , घृणा , करुणा , आश्चर्य , भय , शोक आदि तीव्र भावों को व्यक्त करने में। जैसे --
▪︎ वाह ! अच्छा किया ! (हर्ष)
▪︎ आह ! वह मर गया ! (शोक)
▪︎ बाप रे ! कितना भयानक शेर ! (आश्चर्य एवं भय)
▪︎ छी ! छी ! ऐसा नीच काम ! (घृणा)
☞ 2. देवी , देवता , ईश्वर आदि के संबोधन में। जैसे --
▪︎ हे ईश्वर ! उसका कल्याण करो।
▪︎ देवी ! मुझे शक्ति दो।
☞ 3. अपने से छोटों के प्रति शुभकामना या सद्भावना प्रकट करने में। जैसे --
▪︎ तुम्हारा कल्याण हो !
▪︎ चिरंजीवी भव !
▪︎ मुबारक हो !
▪︎ पुत्रवती भव !
(7). संयोजक - चिह्न ( - )
इस चिह्न का प्रयोग संस्कृत में नहीं होता है। हिन्दी और अँगरेजी के शब्दों में इसका प्रयोग होता है। जब दो शब्दों को जोड़ना हो, तो इस चिह्न का प्रयोग करें।
नोट -- इस चिह्न के प्रयोग की चर्चा "वर्तनी: नियम एवं संशोधन" के लेख में की गयी है।
(8). उद्धरण-चिह्न ( " " ) या ( ' ' )
इस चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है
☞ 1. जब किसी लेखक या पुस्तक की उक्ति को ज्यों-का-त्यों उद्धृत करना हो। जैसे -- 'मैं तुम्हें देवता नहीं, मानव देखना चाहती हूँ' – महादेवी वर्मा।
☞ 2. किसी महत्वपूर्ण सूक्ति या किसी महान व्यक्ति के कथन में। जैसे -- "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।" -- सुभाषचन्द्र बोस।
☞ 3. पुस्तक का नाम, किसी व्यक्ति का उपनाम, गद्य या पद्य के शीर्षक आदि लिखते समय इस चिह्न का प्रयोग करें। जैसे -- 'रामचरितमानस' धार्मिक पुस्तक ही नहीं , एक महाकाव्य भी है। 'दिनकर' राष्ट्रकवि थे। 'पंचपरमेश्वर' कहानी को संक्षेप में लिखें।
(9). कोष्ठक - चिह्न [ ( ) ]
इस चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है
☞ 1. वाक्य में प्रयुक्त किसी पद या संपूर्ण वाक्य को स्पष्ट करने के लिए। जैसे --
▪︎ जनकनंदिनी (सीता) को भी अग्निपरीक्षा देनी पड़ी।
▪︎ रावण (दुराचारी) के कारण लंका का सर्वनाश हो गया।
▪︎ मैं मांस नहीं खाता हूँ। (निषेधात्मक वाक्य)
☞ 2. नाटकीय संवादों में इसका प्रयोग होता है। जैसे --
▪︎ सिपाही -- (डंडा पटकते हुए) क्या तुमने चोरी नहीं की ?
▪︎ चोर -- (हाथ जोड़कर) नहीं , माई - बाप ! मैंने चोरी नहीं की।
☞ 3. क्रमसंख्या को घेरने में इसका प्रयोग होता है। जैसे --
वर्ण के दो भेद हैं --
(क) स्वर वर्ण और
(ख) व्यंजन वर्ण।
(10). निर्देश-चिह्न ( - )
इसका प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है
☞ 1. किसी बात पर बल देने के लिए। जैसे --
▪︎ राम के दो पुत्र थे - लव और कुश।
▪︎ नेहरू ने कहा - आराम हराम है।
☞ 2. लेखक, पुस्तक और उद्धरण के नाम के पहले। जैसे --
▪︎ पोथी पढ़ि - पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय - कबीर।
☞ 3. किसी वाक्य के बीच जब कोई स्वतंत्र वाक्य या वाक्यांश आ जाए, तो उसके दोनों ओर इस चिह्न का प्रयोग होता है। जैसे --
▪︎ यह घड़ी - जहाँ तक मेरा अनुमान है — चार साल पुरानी होगी ।
☞ 4. किसी संवाद में, वक्ता के कथन के पहले। जैसे --
▪︎ डॉक्टर - तुम्हें क्या हुआ है ?
▪︎ रोगी - जी, शरीर में बहुत दर्द है ।
(11). लोप-चिह्न ( ...... ) या ( xxxx )
इस चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है
☞ 1. यदि वाक्य के अंतर्गत किसी अवांछित शब्द या शब्दों को छोड़कर लिखना हो। जैसे --
▪︎ महेश ने सुरेश को ............... कहकर गाली दी।
☞ 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति करनेवाले प्रश्नों में। जैसे --
▪︎ भारत की राजधानी ............... है।
☞ 3. गद्य या पद्य की कोई पंक्ति छोड़ दी गयी हो। जैसे --
▪︎ .......................................... ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय।
(12). लाघव-चिह्न ( ० )
जब किसी शब्द को पूरा न लिखकर संक्षेप में लिखना हो, तो इस चिह्न का प्रयोग होता है। जैसे --
▪︎ राम कुमार प्रसाद --- राम कु० प्र०
▪︎ डॉक्टर सिंह --- डॉ० सिंह
▪︎ माध्यमिक विद्यालय, पटना --- मा० वि०, पटना
▪︎ हस्ताक्षर --- ह०
▪︎ तिथि --- ति०
शैक्षणिक उपाधियों एवं पदों के लिखने में प्रायः इस चिह्न का प्रयोग होता है। जैसे -- आई० ए०, बी० ए०, एम० ए०, एस० डी० ओ०, डी० एम०, एम० एल० ए० आदि।
(13). पुनरुक्तिसूचक-चिह्न ( ,, ,, ,, )
लिखते समय शब्द या शब्दों की पुनरुक्ति से बचने के लिए इस चिह्न का प्रयोग होता है। जैसे --
(क) श्रीमती शीला उराँव, राँची
,, रीता सिंह, ,,
,, सुधा सिन्हा, ,,
(ख) वह आजकल हिन्दी सीख रहा है।
मोहन ,, ,, ,, ,, ,,
मैं ,, अँगरेजी ,, ,, हूँ ।
(14). त्रुटि-चिह्न ( ^ )
लिखते समय यदि कोई शब्द या वाक्य छूट जाए, तो उस छूटे हुए शब्द या वाक्य को ऊपर लिखकर, नीचे इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है। जैसे --
खाना
(क) मैं दूध-रोटी ^ पसंद करता हूँ।
वह वहाँ पढ़ना चाहता है।
(ख) मोहन आज दिल्ली जा रहा है। ^ मैं भी उसके साथ जा रहा हूँ।
(15). विवरण-चिह्न ( : - )
किसी वस्तु या विषय का सविस्तार वर्णन करने में इस चिह्न का प्रयोग होता है। जैसे --
▪︎ विश्व में कई ऐसे देश हैं जिनके पास आणविक हथियार हैं। जैसे :- रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, हिन्दुस्तान, पाकिस्तान आदि।
नोट -- उपर्युक्त वाक्य में विवरण-चिह्न के बदले निर्देश चिह्न भी दे सकते हैं।
FAQ:- विराम चिन्ह से सम्बंधित कुछ प्रश्न
प्रश्न -- विराम चिन्ह किसे कहते हैं उदाहरण सहित समझाइए?
उत्तर -- लिखने में रुकावट या विराम के स्थानो को जिन चिन्हों द्वारा प्रकट किया जाता है, उन्हे विराम चिन्ह कहा जाता है। उदाहरण --
प्रश्न -- विराम चिह्न का अर्थ क्या है?
उत्तर -- विराम का अर्थ होता है - ठहराव।
प्रश्न -- 14 विराम चिन्ह का नाम क्या है?
उत्तर -- 14 विराम चिन्ह का नाम निम्न है-
(1). अल्पविराम ( , )
(2). अर्द्धविराम ( ; )
(3). पूर्णविराम ( । )
(4). उपविराम ( : )
(5). प्रश्नवाचक-चिह्न ( ? )
(6). विस्मयादिबोधक-चिह्न ( ! )
(7). संयोजक-चिह्न ( - )
(8). उद्धरण- चिह्न ( " " ) या ( ' ' )
(9). कोष्ठक-चिह्न ( ( ) ) या ( [ ] )
(10). निर्देश-चिह्न ( _ )
(11). लोप-चिह्न ( ... ) या ( xxx )
(12). लाघव-चिह्न ( ॰ )
(13). पुनरुक्ति-चिह्न ( " " " )
(14). त्रुटि-चिह्न ( ^ )
प्रश्न -- हिंदी में कितने विराम चिन्ह होते हैं?
उत्तर -- हिंदी में लगभग 15 विराम चिन्ह होते हैं।
विराम चिह्न किसे कहते हैं pdf
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निष्कर्ष
यहा पर इस लेख में हमने हिन्दी व्याकरण के विराम चिन्ह के बारे में विस्तार से जाना। हमने अच्छे से समझा की विराम चिन्ह किसे कहते हैं, इसके कितने प्रकार होते है और इसका प्रयोग कब और कहा किया जाता है। यहा पर शेयर किये गए Viram Chinh की सम्पुर्ण जानकारी आपको कैसी लगी कमेंट के माध्यम से आप अपनी राय हमारे साथ जरुर साझा करें। हम आशा करते है की आपको यह लेख जरुर पसंद आया होगा और इस लेख की मदद से viram chinh kise kahate hain आप बिल्कुल अच्छे से समझ गए होंगे। यदि आपके मन में इस लेख को लेकर कोई सवाल है तो, आप नीचे कमेंट करके पुछ सकते हैं। और साथ ही इस लेख को आप अपने सभी मित्रों के साथ शेयर भी जरुर करे।
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