💼 Sarkari Yojana & Jobs Alert Join Now
------------------------------------- -------------------------------------

सुमित्रानन्दन पन्त - Sumitranandan Pant Ka Jeevan Parichay

sumitranandan pant ka jivan parichay

इस आर्टिकल में हम भारतीय कवि "सुमित्रानन्दन पन्त" जी की सम्पुर्ण जीवनी को बिल्कुल विस्तार से समझेंगे, इस लेख में हम सुमित्रानन्दन पन्त जी के जीवन से जुड़े उन सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों को देखेंगे, जोकी इनके बारे में पुछे जाते है जैसे की, सुमित्रानंदन पंत का जन्म कब और कहां हुआ था, सुमित्रानंदन पंत का वास्तविक नाम क्या था, सुमित्रानंदन पंत की पत्नी का नाम, सुमित्रानंदन पंत के माता-पिता का नाम, सुमित्रानंदन पंत की प्रमुख रचनाएँ, सुमित्रानन्दन पन्त का साहित्यिक परिचय, सुमित्रानन्दन पन्त का साहित्य में स्थान और सुमित्रानंदन पंत का मृत्यु कब हुई आदि। इन सभी सवालो के जवाब आपको इस लेख में बिल्कुल विस्तारपूर्वक मिल जायेंगे तो, अगर आप sumitranandan pant ka jivan parichay अच्छे से समझना चाहते है तो, इस लेख को पुरा अन्त तक जरुर पढ़े। 

यह सुमित्रानंदन पंत की जीवनी जो यहा पर शेयर किया गया है ये उन छात्रों के लिये काफी महत्वपुर्ण है, जो बोर्ड के परीक्षा की तैयारी कर रहे है। क्योकी कक्षा 10 और 12 के परीक्षा में हिन्दी के विषय में सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय ज्यादातर पुछा जाता है। ऐसे में अगर आप इनकी जीवनी को अच्छे से पढ़ें एवं समझे रहेंगे तो, आपको इससे परीक्षा में काफी मदद मिलेगी।


सुमित्रानन्दन पन्त की जीवनी

नाम सुमित्रानन्दन पन्त
अन्य नाम गुसाई दत्त
जन्म तिथि 20 मई, सन् 1900
जन्म स्थान कौसानी (अल्मोड़ा)
मृत्यु तिथि 28 दिसम्बर, सन् 1977
मृत्यु स्थल इलाहाबाद उत्तर प्रदेश (भारत)
आयु (मृत्यु के समय) 77 वर्ष
राष्ट्रीयता भारतीय
पेशा कवि, लेखक
शिक्षा हिन्दी साहित्य
विषय संस्कृत
भाषा शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली
शैली गीतात्मक, मुक्तक शैली, संगीतात्मक से युक्त
रचनाएँ लोकायतन, ग्रन्थि, युगपथ, उत्तरा, वीणा, गुंजन, युगान्त, ग्राम्या, अनिता, चिदम्बरा, युगवाणी, स्वर्ण किरण, धूल
पिता का नाम गंगा दत्त पंत
माता का नाम सरस्वती देवी
पत्नी का नाम ज्ञात नही
बच्चे ज्ञात नही
पुरस्कार (1961 में पद्म भूषण), (1968 में ज्ञानपीठ पुरस्कार)

सुमित्रानन्दन पन्त का जीवन पारचय

प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानन्दन पन्त का जन्म 20 मई, 1900 ई० (संवत् 1957 वि०) को प्रकृति की सुरम्य क्रीड़ास्थली कूर्मांचल प्रदेश के अन्तर्गत अल्मोड़ा जिले के कौसानी नामक गाँव में हुआ। इनके पिता का नाम गंगादत्त पन्त तथा माता का नाम श्रीमती सरस्वती देवी था। ये अपने माता-पिता की सबसे छोटी सन्तान थे। पन्त जी की प्रारम्भिक शिक्षा गाँव की ही पाठशाला में हुई। इसके पश्चात् ये अल्मोड़ा गवर्नमेण्ट हाईस्कूल में प्रविष्ट हुए। 

तत्पश्चात् काशी के जयनारायण हाईस्कूल से इन्होंने स्कूल लीविंग की परीक्षा उत्तीर्ण की। सन् 1916 ई० में आपने प्रयाग के म्योर सेण्ट्रल कॉलेज से एफ० ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। उसके बाद ये स्वतन्त्र रूप से अध्ययन करने लगे। इन्होंने संस्कृत, अंग्रेजी तथा बँगला का गम्भीर अध्ययन किया उपनिषद् , दर्शन तथा आध्यात्मिक साहित्य की ओर भी इनकी रुचि रही। संगीत से इन्हें पर्याप्त प्रेम था।

सन् 1950 ई० में ये ऑल इण्डिया रेडियो के परामर्शदाता पद पर नियुक्त हुए और सन् 1957 ई० तक इससे सम्बद्ध रहे। इन्हें 'कला और बूढ़ा चाँद' नामक काव्य-ग्रन्थ पर 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' , 'लोकायतन' पर 'सोवियत भूमि पुरस्कार' और 'चिदम्बरा' पर 'भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार' मिला। भारत सरकार ने पन्त जी को 'पद्मभूषण' की उपाधि से विभूषित किया। पन्त जी 28 दिसम्बर, 1977 ई० (संवत् 2034 वि०) को परलोकवासी हो गये।

सुमित्रानन्दन पन्त का साहित्यिक सेवाएँ

पन्त जी गम्भीर विचारक, उत्कृष्ट कवि और मानवता के प्रति आस्थावान एक ऐसे सहज कुशल शिल्पी थे, जिन्होंने नवीन सृष्टि के अभ्युदय के नवस्वप्नों की सर्जना की। इन्होंने सौन्दर्य को व्यापक अर्थ में ग्रहण किया है, इसीलिए इन्हें सौन्दर्य का कवि भी कहा जाता है।

सुमित्रानन्दन पन्त का साहित्यिक परिचय

पन्त जी का बाल्यकाल कौसानी के सुरम्य वातावरण में व्यतीत हुआ। इस कारण प्रकृति ही उनकी जीवन सहचरी के रूप में रही और काव्य-साधना भी प्रकृति के बीच रहकर ही की। अतः प्रकृति वर्णन, सौन्दर्य प्रेम और सुकुमार कल्पनाएँ उनके काव्य में प्रमुख रूप से पायी जाती हैं। 

प्रकृति-वर्णन की दृष्टि से पन्त जी हिन्दी के वर्ड्सवर्थ माने जाते हैं। पन्त जी के साहित्य पर कवीन्द्र रवीन्द्र, स्वामी विवेकानन्द और अरविन्द दर्शन का भी पर्याप्त प्रभाव पड़ा है इसलिए उनकी बाद की रचनाओं में अध्यात्मवाद और मानवतावाद के दर्शन होते हैं।

अन्त में पन्त जी प्रगतिवादी काव्यधारा की ओर उन्मुख होकर दलितों और शोषितों की लोक क्रान्ति के अग्रदूत पन्त जी छायावादी काव्यधारा के चार प्रमुख स्तम्भों में से एक हैं। उनकी कल्पना ऊँची, भावना कोमल और अभिव्यक्ति प्रभावपूर्ण है। ये काव्य जगत में कोमल भावनाओं और सुकुमार कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। इस दृष्टि से पन्त जी का हिन्दी साहित्य में सर्वोपरि स्थान है।

सुमित्रानन्दन पन्त की प्रमुख रचनाएँ

पन्त जी ने अनेक काव्यग्रन्थ लिखे हैं। कविताओं के अतिरिक्त इन्होंने कहानियाँ, उपन्यास और नाटक भी लिखे हैं, किन्तु कवि रूप में ये अधिक प्रसिद्ध हैं। पन्त जी के कवि रूप के विकास के तीन सोपान हैं— 

(1) छायावाद और मानवतावाद
(2) प्रगतिवाद या मार्क्सवाद
(3) नवचेतनावाद

1). पन्त जी के विकास के प्रथम सोपान (जिसमें छायावादी प्रवृत्ति प्रमुख थी) की सूचक रचनाएँ हैं - वीणा, ग्रन्थि, पल्लव और गुंजन। 'वीणा' में प्राकृतिक सौन्दर्य के प्रति कवि का अनन्य अनुराग व्यक्त हुआ है। 'ग्रन्थि' से वह प्रेम की भूमिका में प्रवेश करता है और नारी-सौन्दर्य उसे आकृष्ट करने लगता है। 'पल्लव' छायावादी पन्त का चरमबिन्दु है। अब तक कवि अपने ही सुख-दुःख में केन्द्रित था, किन्तु 'गुंजन' से वह अपने में ही केन्द्रित न रहकर विस्तृत मानव-जीवन (मानवतावाद) की ओर उन्मुख होता है।

2). द्वितीय सोपान के अन्तर्गत तीन रचनाएँ आती हैं - युगान्त, युगवाणी और ग्राम्या। इस काल में कवि पहले 'गाँधीवाद' और बाद में 'मार्क्सवाद' से प्रभावित होकर फिर प्रगतिवादी बन जाता है।

3). मार्क्सवाद की भौतिक स्थूलता पन्त जी के मूल संस्कारी कोमल स्वभाव के विपरीत थी। इस कारण वह तृतीय सोपान में वे पुनः अन्तर्जगत् की ओर मुड़े। इस काल की प्रमुख रचनाएँ हैं- स्वर्णकिरण, स्वर्णधूलि, उत्तरा, अतिमा, कला और बूढ़ा चाँद, लोकायतन, किरण, पतझर-एक भाव क्रान्ति और गीतहंस। इस काल में कवि पहले विवेकानन्द और रामतीर्थ से तथा बाद में अरविन्द - दर्शन से प्रभावित होता है।

सन् 1955 ई० के बाद की पन्त जी की कुछ रचनाओं (कौए, मेंढक आदि) पर प्रयोगवादी कविता का प्रभाव है, पर कवि का यह रूप भी सहज न होने से वह इसे भी छोड़कर अपने प्राकृत (वास्तविक) रूप पर लौट आया।

सुमित्रानन्दन पन्त का साहित्य में स्थान

पन्त जी निर्विवाद रूप से एक सजग प्रतिभाशाली कलाकार थे। इनकी काव्य-साधना सतत विकासोन्मुखी रही है। ये अपने काव्य के बाह्य और आन्तरिक दोनों पक्षों को सँवारने में सदैव सचेष्ट रहे हैं। प्रकृति के सर्वाधिक सशक्त चितेरे के रूप में आधुनिक हिन्दी-काव्य में ये सर्वोपरि हैं। पन्त जी निश्चित ही हिन्दी-कविता के शृंगार हैं, जिन्हें पाकर माँ भारती कृतार्थ हुई है।

FAQs - कवि सुमित्रानंदन पंत के बारे में पुछे जाने वाले कुछ प्रश्न

प्रश्न - सुमित्रानंदन पंत कौन थे?

उत्तर - सुमित्रानंदन पंत एक भारतीय कवि थे। वह हिंदी भाषा के सबसे प्रसिद्ध 20वीं सदी के कवियों में से एक थे और अपनी कविताओं में रूमानियत के लिए जाने जाते थे।

प्रश्न - सुमित्रानंदन पंत का जन्म कब हुआ?

उत्तर - सुमित्रानंदन पंत जी का 20 मई , सन् 1900 में हुआ था।

प्रश्न - सुमित्रानंदन पंत का जन्म कहां हुआ?

उत्तर - सुमित्रानंदन पंत जी का जन्म अल्मोड़ा जिले के कौसानी नामक गाँव में हुआ था।

प्रश्न - पंत के बचपन का नाम क्या है?

उत्तर - सुमित्रानंदन पंत के बचपन का नाम गुसाई दत्त था।

प्रश्न - सुमित्रानंदन पंत के माता-पिता का नाम?

उत्तर - सुमित्रानंदन पंत जी के माता का नाम सरस्वती देवी और पिता का नाम गंगा दत्त पंत था।

प्रश्न - सुमित्रानंदन पंत की प्रथम रचना कौन सी है?

उत्तर - सुमित्रानंदन पंत जी की प्रथम रचना 'गिरजे का घण्टा' 1916 ई. की रचना है।

प्रश्न - सुमित्रानंदन पंत को ज्ञानपीठ पुरस्कार कब मिला?

उत्तर - सुमित्रानंदन पंत जी को ज्ञानपीठ पुरस्कार  1968 में मिला था।

प्रश्न - सुमित्रानंदन पंत का मृत्यु कब हुई?

उत्तर - सुमित्रानंदन पंत जी का मृत्यु 28 दिसम्बर 1977 में 77 वर्ष की आयु में इलाहाबाद उत्तर प्रदेश (भारत) में हुआ था।

सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय Pdf

छात्रों की सुविधा के लिये हमने सुमित्रानंदन पंत जी की पुरी जीवनी को पीडीएफ के रुप में सहेजा है जिसे आप नीचे दिये गये लिंक से बड़े ही असानी से डाउनलोड कर सकते है। और उसकी मदद से आप सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय को कभी भी पढ़ सकते है।



अन्य जीवन परिचय पढ़े :-

तुलसीदाससुमित्रानन्दन पन्तकबीर दास
प्रेमचंदमहादेवी वर्माहरिशंकर
जयशंकर प्रसादपं. रामनरेश त्रिपाठीसुन्दर रेड्डी
पदुमलाल पुन्नालाल बख्शीमाखन लाल चतुर्वेदीमोहन राकेश
डॉ॰ राजेन्द्र प्रसादसुभद्राकुमारी चौहानरामवृक्ष बेनीपरी
रामधारी सिंह दिनकरत्रिलोचनआचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी
डॉ. भगवतशरण उपाध्यायमीराबाईमैथिलीशरण गुप्त
आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदीकेदारनाथ सिंहरहीम दस
जय प्रकाश भारतीअशोक वाजपेयीप्रतापनारायण मिश्र
सूरदासआचार्य रामचंद शुक्लहरिवंश राय बच्चन
बिहरीलालभारतेंदु हरिश्चंद्रडॉ सम्पूर्णानन्द

0 Response to "सुमित्रानन्दन पन्त - Sumitranandan Pant Ka Jeevan Parichay"

Post a Comment

💼 Sarkari Yojana & Jobs Alert Join Now
-------------------------------------
💼 Sarkari Yojana & Jobs Alert Join Now
-------------------------------------
-------------------------------------
💼 Sarkari Yojana & Jobs Alert Join Now