[ PDF ] जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कक्षा 10 2024
इस आर्टिकल में हम जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय बिल्कुल विस्तार से देखेंगे, जोकि बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिये बेहद ही उपयोगी है। ऐसा इसलिए क्योकी कक्षा 10 और 12 के बोर्ड की परीक्षा में सामान्य हिन्दी के प्रश्न पत्र में जीवन परिचय लिखने का प्रश्न सामिल रहता है, जिसमें जयशंकर प्रसाद की जीवनी आने की सबसे ज्यादा संभावना होती है। ऐसे में यदि आप बोर्ड एग्ज़ाम की तैयारी कर रहे है तो, यह जीवनी आपके लिये काफी महत्वपुर्ण है। इसलिए आप इनकी जीवनी को अच्छे से पढ़े एवं याद करे, ताकी आप अपने परीक्षा में इसे अच्छे से लिख सके।
यदि आप कक्षा 10 के छात्र है, या फिर आप कक्षा 12 में पढ़ रहे है, दोनो ही कक्षा के विद्यार्थियों के लिये जयशंकर प्रसाद की जीवन महत्वपुर्ण है। और इसलिए हमने यहा पर जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कक्षा 10 एवं जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कक्षा 12 दोनों क्लास के लिये शेयर किया है, जिसे पढ़ कर आप अपने परीक्षा की तैयारी कर सकते हैं।
यहा पर हम जयशंकर प्रसाद के जीवन से जुड़े उन सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों को समझेंगे जो, आपके बोर्ड की परीक्षा में पुछे जा सकते हैं। जिन महत्वपुर्ण प्रश्नों की हम बात कर रहे है वो, कुछ इस प्रकार है - जयशंकर प्रसाद का जन्म कब हुआ था, जयशंकर प्रसाद का जन्म कहां हुआ हुआ था, जय शंकर के पिता का क्या नाम था, जयशंकर प्रसाद की पत्नी का नाम क्या था, जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक परिचय, जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं, जयशंकर प्रसाद की भाषा शैली और जयशंकर प्रसाद का साहित्य में स्थान आदि। इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको यहा पर एकदम विस्तार से मिल जायेंगे, तो अगर आप वास्तव में Jaishankar Prasad Ka Jeevan Parichay अच्छे से पढ़ना एवं समझना चाहते है तो इस लेख को पुरा अन्त तक अवश्य पढ़े।
जयशंकर प्रसाद की जीवनी (Jaishankar Prasad Biography In Hindi)
नाम | जयशंकर प्रसाद |
पूरा नाम | जयशंकर प्रसाद साहू |
कलम नाम | प्रसाद |
जन्म तिथि | 30 जनवरी 1889 |
जन्म स्थान | वाराणसी, उत्तर प्रदेश (भारत) |
मृत्यु तिथि | 15 नवम्बर 1937 |
मृत्यु स्थान | वाराणसी, उत्तर प्रदेश (भारत) |
आयु (मृत्यु के समय) | 48 वर्ष |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
व्यवसाय | कवि, कहानीकार, नाटककार, उपन्यासकार |
भाषा | संस्कृत प्रधान |
शैली | अलंकृत एवं चित्रोपम |
नाटक | चन्द्रगुप्त, स्कन्दगुप्त, अजातशत्रु |
कहानी संग्रह | इन्द्रजाल, आँधी |
शिक्षा | संस्कृत, फारसी तथा अंग्रेजी शिक्षा का घर पर ही ज्ञान प्राप्त किया। स्वाध्याय द्वारा विविध विषयों का अध्ययन |
पत्नी का नाम | कमला देवी |
पिता का नाम | बाबू देवकी प्रसाद |
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय
जयशंकर प्रसाद का जन्म सन् 1889 ई. में वाराणसी के प्रसिद्ध 'सुँघनी साहू' परिवार में हुआ था। इनके पूर्वज जौनपुर आकर बस गये थे। वहाँ पर उन्होंने तम्बाकू का व्यापार करना प्रारम्भ कर दिया। प्रसाद जी के पिता का नाम देवी प्रसाद था। इनके पिता के यहाँ बहुत से कवि और विद्वान् आते रहते थे। अत: साहित्यिक चर्चा का प्रभाव बालक प्रसाद पर पर्याप्त मात्रा में पड़ा। फलतः नौ वर्ष की आयु में कविता करना प्रारम्भ कर दिया।
प्रसाद जी का पारिवारिक जीवन सुखी नहीं था। बचपन में ही इनके माता-पिता का देहान्त हो गया। दुर्भाग्य से सत्रह वर्ष की आयु में इनके बड़े भाई का देहान्त हो गया इस कारण इनकी स्कूली शिक्षा अधिक न हो सकी। क्वीन्स कॉलेज से आठवीं कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त की तत्पश्चात् घर पर ही इन्होंने हिन्दी, संस्कृत, फारसी और अंग्रेजी की शिक्षा प्राप्त की इन्होंने वेद, पुराण, इतिहास, साहित्य और दर्शनशास्त्र आदि का स्वाध्याय से ही सम्यक् ज्ञान प्राप्त किया।
असमय में माता-पिता, बड़े भाई की मृत्यु के कारण परिवार का सारा बोझ इनके कन्धों पर आ गया। इनका परिवार जो पहले वैभव के पालने में झूलता था, वह ऋण के बोझ से दब गया। इसी बीच इनकी पत्नी का देहावसान हो गया। अत: इनको जीवन भर विषम परिस्थितियों से संघर्ष करना पड़ा किन्तु फिर भी साहित्य साधना से मुख नहीं मोड़ा। चिन्ताओं ने शरीर को जर्जर कर दिया और ये अन्ततः क्षय रोग के शिकार हो गये। माँ भारती का यह अमर गायक जीवन के केवल 48 बसन्त देखकर 15 नवम्बर, सन् 1937 को परलोकवासी हो गया।
जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक परिचय
जयशंकर प्रसाद हिन्दी साहित्याकाश के उज्ज्वल नक्षत्र हैं। वह कुशल साहित्यकार और बहुमुखी प्रतिभा वाले व्यक्ति थे। उनकी पारस रूपी लेखनी का साहित्य की जिस विधा से भी स्पर्श हो गया वही कंचन बन गयी। वे जितने श्रेष्ठ कवि हैं, उतने ही महान गद्यकार हैं। गद्यकार के रूप में प्रसाद जी ने नाटक उपन्यास, कहानी और निबन्ध सभी लिखे हैं। कवि के रूप में इन्होंने महाकाव्य, खण्डकाव्य आदि की रचना की है। छायावादी काव्य के तो आप जनक हैं। संक्षेप में प्रसाद जी सच्चे अर्थो में हिन्दी साहित्य जगत के अक्षय प्रासाद है।
जयशंकर प्रसाद की कृतियाँ
प्रसाद जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे एक महान कवि, सफल नाटककार, श्रेष्ठ उपन्यासकार, कुशल कहानीकार और गम्भीर निबन्धकार थे। उनकी रचनाओं का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है।
नाटक -- राज्यश्री, स्कन्दगुप्त, अजातशत्रु, चन्द्रगुप्त, ध्रुवस्वामिनी।
उपन्यास -- कंकाल, तितली, इरावती (अपूर्ण)।
कहानी संग्रह -- छाया, प्रतिध्वनि, आकाश द्वीप, इन्द्रजाल और आँधी।
निबन्ध संग्रह -- काव्य कला और अन्य निबन्ध।
काव्य संग्रह -- चित्राधार, लहर, झरना, प्रेम पथिक, आँसू, कामायनी।
जयशंकर प्रसाद की भाषा
प्रसाद जी की भाषा संस्कृत प्रधान है किन्तु उसमें जटिलता के दर्शन नहीं होते। इसका कारण है कि उनकी भाषा भावों के अनुकूल है। उनका शब्द चयन समृद्ध और व्यापक है। उनकी भाषा में विदेशी शब्दों का प्रयोग भी नहीं मिलता। संक्षेप में प्रसाद जी की भाषा सरस, सुमधुर और शुद्ध खड़ी बोली है।
जयशंकर प्रसाद की शैली
प्रसाद जी की रचनाओं में गम्भीर और काव्यात्मक शैली के दर्शन होते हैं। भावाविष्ट अवस्था में उनका गद्य भी काव्यात्मक हो गया है। इनकी रचनाओं में निम्न प्रकार की शैलियाँ पायी जाती हैं - विवरणात्मक, चित्रात्मक, गवेषणात्मक तथा भावात्मक। उपन्यासों और कहानियों में विवरणात्मक शैली के दर्शन होते हैं, जबकि नाटकों और निबन्धों में गवेषणात्मक शैली मिलती है। देश-प्रेम, हृदय के भावों एवं अन्तर्द्वन्द्वों में भावात्मक शैली पायी जाती है। रेखाचित्रों एवं प्रकृति-चित्रों में चित्रात्मक शैली मिलती है।
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कक्षा 12
जीवन-परिचय --- जयशंकर प्रसाद का जन्म काशी के एक प्रतिष्ठित वैश्य परिवार में माघ शुक्ल दशमी संवत् 1945 वि० (सन् 1889 ई०) में हुआ था। इनके पिता का नाम देवीप्रसाद था। ये तम्बाकू के एक प्रसिद्ध व्यापारी थे। बचपन में ही पिता की मृत्यु हो जाने से इनकी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई। घर पर ही इन्होंने हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू, फारसी का गहन अध्ययन किया। ये से बड़े मिलनसार, हँसमुख तथा सरल स्वभाव के थे। इनका बचपन बहुत सुख बीता, किन्तु उदार प्रकृति तथा दानशीलता के कारण ये ऋणी हो गये। अपनी पैतृक सम्पत्ति का कुछ भाग बेचकर इन्होंने ऋण से छुटकारा पाया। अपने जीवन में इन्होंने कभी अपने व्यवसाय की ओर ध्यान नहीं दिया। परिणामस्वरूप इनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ती गयी और चिन्ताओं ने इन्हें घेर लिया।
बाल्यावस्था से ही इन्हें काव्य के प्रति अनुराग था, जो उत्तरोत्तर बढ़ता ही गया। ये बड़े स्वाभिमानी थे, अपनी कहानी अथवा कविता के लिए पुरस्कार स्वरूप एक पैसा भी नहीं लेते थे। यद्यपि इनका जीवन बड़ा नपा - तुला और संयमशील था, किन्तु दुःखों के निरन्तर आघातों से ये न बच सके और संवत् 1994 वि० (सन् 1937) में अल्पावस्था में ही क्षय रोग से ग्रस्त होकर स्वर्ग सिधार गये।
जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक सेवाएँ
श्री जयशंकर प्रसाद छायावाद के प्रवर्तक, उन्नायक तथा प्रतिनिधि कवि होने के साथ-साथ युग प्रवर्तक नाटककार, कथाकार तथा उपन्यासकार भी थे। विशुद्ध मानवतावादी दृष्टिकोण वाले प्रसाद जी ने अपने काव्य में आध्यात्मिक आनन्दवाद की प्रतिष्ठा की है। प्रेम और सौन्दर्य इनके काव्य के प्रमुख विषय रहे हैं, किन्तु मानवीय संवेदना उनकी कविता का प्राण है।
जयशंकर प्रसाद की रचनाएँ
प्रसाद जी अनेक विषयों एवं भाषाओं के प्रकाण्ड पण्डित और प्रतिभासम्पन्न कवि थे। इन्होंने नाटक, उपन्यास, कहानी, निबन्ध आदि सभी साहित्यिक विधाओं पर अपनी लेखनी चलायी और अपने कृतित्व से इन्हें अलंकृत किया। इनका काव्य हिन्दी-साहित्य की अमूल्य निधि है। इनके प्रमुख काव्यग्रन्थों का विवरण निम्नवत् है
कामायनी --- यह प्रसाद जी की कालजयी रचना है। इसमें मानव को श्रद्धा और मनु के माध्यम से हृदय और बुद्धि के समन्वय का सन्देश दिया गया है। इस रचना पर कवि मंगलाप्रसाद पारितोषिक भी मिल चुका है।
आँसू --- यह प्रसाद जी का वियोग का काव्य है। इसमें वियोगजनित पीड़ा और दुःख मुखर हो उठा है।
लहर --- यह प्रसाद जी का भावात्मक काव्य-संग्रह है।
झरना --- इसमें प्रसाद जी की छायावादी कविताएँ संकलित हैं, जिसमें सौन्दर्य और प्रेम की अनुभूति साकार हो उठी है।
कहानी --- आकाशदीप, इन्द्रजाल, प्रतिध्वनि, आँधी।
उपन्यास --- कंकाल, तितली, इरावती (अपूर्ण)।
निबन्ध --- काव्य और कला तथा अन्य निबन्ध।
चम्पू --- प्रेम राज्य।
इनके अन्य काव्य-ग्रन्थ चित्राधार, कानन कुसुम, करुणालय, महाराणा का महत्त्व, प्रेम-पथिक आदि हैं।
जयशंकर प्रसाद का साहित्य में स्थान
प्रसाद जी असाधारण प्रतिभाशाली कवि थे। उनके काव्य में एक ऐसा नैसर्गिक आकर्षण एवं चमत्कार है कि सहृदय पाठक उसमें रसमग्न होकर अपनी सुध-बुध खो बैठता है। निस्सन्देह वे आधुनिक हिन्दी-काव्य-गगन के अप्रतिम तेजोमय मार्तण्ड हैं।
FAQ : जयशंकर प्रसाद के महत्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न -- जयशंकर प्रसाद कौन थे?
उत्तर -- जयशंकर प्रसाद आधुनिक हिंदी साहित्य के साथ-साथ हिंदी थिएटर में एक प्रमुख व्यक्ति थे। प्रसाद इनका कलम नाम था, और जयशंकर प्रसाद जी को छायावादी कवि के रूप में भी जाना जाता था।
प्रश्न -- जयशंकर प्रसाद का जन्म कब हुआ था?
उत्तर -- जयशंकर प्रसाद का जन्म 30 जनवरी 1889 में हुआ था।
प्रश्न -- जयशंकर प्रसाद का जन्म कहां हुआ था?
उत्तर -- जयशंकर प्रसाद का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था।
प्रश्न -- जयशंकर प्रसाद का उपनाम क्या है?
उत्तर -- जयशंकर प्रसाद का उपनाम छायावाद का ब्रह्मा है, और इनका कलम नाम प्रसाद है।
प्रश्न -- जयशंकर प्रसाद के पिता का नाम क्या था?
उत्तर -- जयशंकर प्रसाद के पिता जी का नाम बाबू देवकी प्रसाद था।
प्रश्न -- जयशंकर प्रसाद की पत्नी का नाम क्या था?
उत्तर -- जयशंकर प्रसाद की पत्नी जी का नाम कमला देवी था।
प्रश्न -- जयशंकर प्रसाद के गुरु का नाम?
उत्तर -- जयशंकर प्रसाद जी के प्रारंभिक शिक्षक श्री मोहिनीलाल गुप्त थे, तो देखा जाये तो जयशंकर प्रसाद के गुरु का नाम मोहिनीलाल गुप्त हम मान सकते है।
प्रश्न -- जयशंकर प्रसाद का मृत्यु कब हुआ था?
उत्तर -- जयशंकर प्रसाद का मृत्यु 15 नवम्बर सन् 1937 में हुआ था।
प्रश्न -- जयशंकर प्रसाद की मृत्यु कहां हुई थी?
उत्तर -- जयशंकर प्रसाद की मृत्यु वाराणसी में हुई थी।
प्रश्न -- जयशंकर प्रसाद की मृत्यु कैसे हुई थी?
उत्तर -- जयशंकर प्रसाद क्षय रोग के शिकार थे, ऐसा माना जाता है की इस बिमारी से इनकी मृत्यु हुई थी।
प्रश्न -- जयशंकर प्रसाद की उम्र कितनी थी?
उत्तर -- जयशंकर प्रसाद की 48 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई थी, यानी की जयशंकर प्रसाद की उम्र 48 वर्ष की थी।
प्रश्न -- जयशंकर प्रसाद के उपन्यासों के नाम?
उत्तर -- कंकाल, तितली, इरावती, जयशंकर प्रसाद के उपन्यासों के नाम है।
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय PDF
सभी छात्रों के सुविधा हेतू, हमने यहा पर जयशंकर प्रसाद की जीवनी को पीडीएफ के रुप में भी शेयर किया है, जिसे आप सभी छात्र बहुत ही असानी से डाउनलोड कर सकते हैं। और इस पीडीएफ की सहायता से आप कभी भी अपने समयानुसार जयशंकर प्रसाद की जीवनी का अध्ययन कर सकते हैं। जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय pdf download करने के लिये नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करे और सरलतापूर्वक पीडीएफ फ़ाईल को डाउनलोड करे।
निष्कर्ष
यहा पर इस लेख में हमने jaishankar prasad ka jivan parichay बिल्कुल अच्छे से देखा, इनका जीवन परिचय कक्षा 10 एवं कक्षा 12 के छात्रों के लिये काफी महत्वपुर्ण है, इसलिए यदि आप इन दोनो कक्षा में से किसी भी क्लास के स्टूडेंट है तो, इस जीवनी को आप पूरे ध्यानपूर्वक से जरुर पढ़े। ताकी अगर आपके बोर्ड परीक्षा के हिन्दी विषय में जयशंकर प्रसाद की सम्पुर्ण जीवनी लिखने का प्रश्न आये तो, आप इनकी जीवनी अच्छे से लिख सके।
इसी के साथ हम आशा करते है की आपको यह जीवनी जरुर पसंद आया होगा और हमे उमीद है की, इस लेख की सहायता से जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कैसे लिखें? आपको अच्छे से समझ में आ गया होगा। यदि आपके मन में इस लेख को लेकर कोई प्रश्न है तो, आप नीचे कमेंट करके पुछ सकते हैं। साथ ही इस jaishankar prasad ki jivani को आप अपने सभी सहपाठी एवं मित्रों के साथ शेयर जरुर करे।
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