विसर्ग संधि किसे कहते हैं | परिभाषा एवं उदाहरण | Visarg Sandhi Kise Kahate Hain
इस आर्टिकल हम सन्धि के तीसरे भाग के बारे में एकदम विस्तार से जानेंगे, जिसका नाम है (विसर्ग संधि)। जैसा की आप सभी जानते है सन्धि के मुख्य रुप से तीन भाग होते है, जिसमें से हमने पहले एवं दुसरे भाग पर बिल्कुल संक्षेप में लेख लिखा है यदि आपने उन दोनो भाग को नही पढ़ा है। तो आप उसे भी जरुर से पढ़े और सन्धि के तीसरे भाग यानी की विसर्ग संधि को अच्छे से समझने के लिये इस लेख को पुरा अवश्य पढ़े।
यह लेख प्रतियोगीता परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के लिये काफी उपयोगी है, क्योकी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सन्धि के बहुत से प्रश्न पुछे जाते है और उन सभी प्रश्नों को हल करने के लिये, विसर्ग संधि की समझ आपको होनी चाहिए।
इसलिए यदि आप उन विद्यार्थियों में से है जो, इस समय किसी प्रतियोगी परीक्षा एवं सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे है। तो, इस लेख को आप गम्भीरतापुर्वक से जरुर पढ़े क्योकी इससे आपको परीक्षा में काफी मदद मिल सकती है।
इस लेख में हम विसर्ग संधि से जुड़े उन सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर को देखेंगे जो, किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में पुछे जा सकते है जैसे की- विसर्ग संधि की परिभाषा क्या है, विसर्ग संधि के प्रकार, विसर्ग संधि की पहचान कैसे करें, विसर्ग संधि के कितने नियम होते हैं और विसर्ग संधि उदाहरण आदि। इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको यहा पर बिल्कुल विस्तार से मिल जायेंगे, तो अगर आप वास्तव में visarg sandhi kise kahate hain अच्छे से समझना चाहते है तो, इस लेख को पुरा अन्त तक जरुर पढ़े।
☞ (सन्धि)
☞ (स्वर सन्धि)
☞ (व्यंजन सन्धि)
विसर्ग संधि किसे कहते हैं (Visarg Sandhi Kise Kahate Hain)
विसर्गों का प्रयोग संस्कृत को छोड़कर संसार की किसी भी भाषा में नहीं होता है। हिन्दी में भी विसर्गों का प्रयोग नहीं के बराबर होता है। कुछ इने-गिने विसर्गयुक्त शब्द हिन्दी में प्रयुक्त होते हैं; जैसे -- अतः, पुनः, शनैः शनैः प्रायः, आदि।
हिन्दी में मनः, तेजः, आयुः, हरिः के स्थान पर मन, तेज, आयु, हरि शब्द चलते हैं, इसलिए यहाँ विसर्ग सन्धि का प्रश्न ही नहीं उठता। फिर भी हिन्दी पर संस्कृत का सबसे अधिक प्रभाव है। संस्कृत के अधिकांश विधि निषेध हिन्दी में प्रचलित हैं। विसर्ग सन्धि के ज्ञान के अभाव में हम वर्तनी की अशुद्धियों से मुक्त नहीं हो सकते। अतः इसका ज्ञान होना आवश्यक है।
विसर्ग संधि की परिभाषा (Visarg Sandhi Ki Paribhasha)
विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के संयोग से जो विकार होता है, उसे विसर्ग सन्धि कहते हैं। दुसरे शब्दो में, जब विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन वर्ण की संधि होती है, तो उसे विसर्ग सन्धि कहा जाता है।
उदाहरण --
(1) नि: + आशा = निराशा
(2) दु: + दशा = दुर्दशा
उपयुक्त उदाहरण में पहले वाक्य में नि: में जो विसर्ग है, उसकी संधि आ के साथ हो रही है और आ हमार स्वर है। दुसरे वाक्य में दु: में जो विसर्ग है, उसकी संधि द के साथ हो रही है और द हमार व्यंजन है।
विसर्ग संधि के नियम
विसर्ग सन्धि की परिभाषा जानने के बाद आप अच्छे से समझ गये होंगे की, विसर्ग सन्धि किसे कहा जाता है। अब हम बात करते है विसर्ग सन्धि के नियम के बारे में, जिससे की आपको विसर्ग सन्धि के शब्द पहचाने एवं बनाने में असानी हो, सभी नियम के साथ हम इसके कुछ उदाहरण भी जानेंगे जिससे आपको नियम समझने में और भी असानी होगी। विसर्ग सन्धि के प्रमुख नियम निम्नलिखित हैं-
नियम (1) यदि विसर्ग के आगे श , ष , स आए तो वह क्रमशः शू , ष् , स् , में बदल जाता है; जैसे --
नि: + शंक | निश्शंक |
दु: + शासन | दुश्शासन |
निः + सन्देह | निस्सन्देह |
निः + संग | निस्संग |
नि: + शब्द | निश्शब्द |
नि: + स्वार्थ | निस्स्वार्थ |
नियम (2) यदि विसर्ग से पहले इ या उ हो और बाद में र आए तो विसर्ग का लोप हो जाएगा और इ तथा उ दीर्घ ई , ऊ में बदल जाएँगे; जैसे --
निः + रव | नीरव |
निः + रोग | नीरोग |
निः + रस | नीरस |
नियम (3) यदि विसर्ग के बाद 'च - छ' , 'ट - ठ' तथा 'त - थ' आए तो विसर्ग क्रमश : 'श्' , 'ष्' , 'स्' में बदल जाते हैं; जैसे --
निः + तार | निस्तार |
दु: + चरित्र | दुश्चरित्र |
निः + छल | निश्छल |
धनु: + टंकार | धनुष्टंकार |
निः + ठुर | निष्ठुर |
नियम (4) विसर्ग के बाद क , ख , प , फ रहने पर विसर्ग में कोई विकार (परिवर्तन) नहीं होता; जैसे --
प्रातः + काल | प्रातः काल |
पयः + पान | पय: पान |
अन्तः + करण | अन्तः करण |
नियम (5) यदि विसर्ग से पहले 'अ' या 'आ' को छोड़कर कोई स्वर हो और बाद में वर्ग के तृतीय, चतुर्थ और पंचम वर्ण अथवा य, र, ल, व में से कोई वर्ण हो तो विसर्ग 'र' में बदल जाता है; जैसे --
दु: + निवार | दुर्निवार |
दु: + बोध | दुर्बोध |
नि: + गुण | निर्गुण |
निः + आधार | निराधार |
निः + धन | निर्धन |
नि: + झर | निर्झर |
नियम (6) यदि विसर्ग से पहले अ, आ को छोड़कर कोई अन्य स्वर आए और बाद में कोई भी स्वर आए तो भी विसर्ग र् में बदल जाता है; जैसे --
निः + आशा | निराशा |
निः + ईह | निरीह |
निः + उपाय | निरुपाय |
निः + अर्थक | निरर्थक |
नियम (7) यदि विसर्ग से पहले अ आए और बाद में य, र, ल, व या ह आए तो विसर्ग का लोप हो जाता है तथा विसर्ग 'ओ' में बदल जाता है; जैसे --
मनः + विकार | मनोविकार |
मनः + रथ | मनोरथ |
पुरः + हित | पुरोहित |
मनः + रम | मनोरम |
नियम (8) यदि विसर्ग से पहले इ या उ आए और बाद में क, ख, प, फ में से कोई वर्ण आए तो विसर्ग 'ष्' में बदल जाता है; जैसे --
निः + कर्म | निष्कर्म |
निः + काम | निष्काम |
नि: + करुण | निष्करुण |
निः + पाप | निष्पाप |
निः + कपट | निष्कपट |
निः + फल | निष्फल |
विसर्ग सन्धि किसे कहते हैं वीडियो के माध्यम से समझे
FAQ: विसर्ग संधि के प्रश्न उत्तर
प्रश्न -- विसर्ग संधि किसे कहते हैं उदाहरण सहित?
उत्तर -- विसर्ग के बाद किसी स्वर अथवा व्यंजन के आने से विसर्ग में जो परिवर्तन होता है, तो वह विसर्ग संधि कहलाता है। उदाहरण -- दुर्जन = दु: + जन, निश्चिंत = नि: + चित
प्रश्न -- विसर्ग संधि के कितने नियम होते हैं?
उत्तर -- विसर्ग संधि के प्रमुख आठ नियम होते है, सभी नियम को यहा पर विस्तारपूर्वक से समझाया गया है।
प्रश्न -- विसर्ग संधि कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर -- विसर्ग संधि के मुख्य रुप से तीन प्रकार माने जाते है, जो निम्न है - (1) सत्व संधि (2) उत्व संधि (3) रूत्व संधि
प्रश्न -- विसर्ग संधि के 10 उदाहरण
उत्तर -- विसर्ग संधि के 10 उदाहरण निम्न है-
1) निः + संग = निस्संग
2) निः + रोग = नीरोग
3) नि: + आशा = निराशा
4) निः + तार = निस्तार
5) पयः + पान = पय: पान
6) पुरः + हित = पुरोहित
7) प्रातः + काल = प्रातः काल
8) निः + आधार = निराधार
9) निः + कर्म = निष्कर्म
10) निः + आशा = निराशा
निष्कर्ष
यहा पर हमने विसर्ग संधि किसे कहते हैं बिल्कुल अच्छे से जाना जोकि, सन्धि का तीसरा भाग था। हमने सन्धि के पहले एवं दुसरे भाग पर भी बड़े ही विस्तार से लेख लिखा है। सन्धि को विस्तार से समझने के लिये इसके तीनों भाग को समझना बेहद ही महत्वपूर्ण है, इसलिए आप संधि तीनों भाग को अच्छे से जरुर पढ़े।
इसी के साथ हम आशा करते है की आपको यह आर्टिकल जरुर पसंद आया होगा और हमे उमीद है की, इस लेख की सहायता से आपको Visarg Sandhi Kise Kahate Hain अच्छे से समझ में आ गया होगा। यदि आपके मन में इस लेख को लेकर कोई सवाल है तो, आप नीचे कमेंट करके पुछ सकते है। साथ ही इस Visarg Sandhi को आप अपने सभी सहपाठी एवं मित्रों के साथ शेयर भी जरुर करे।
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