महात्मा गांधी पर निबंध 400 शब्दों में | Essay On Mahatma Gandhi In Hindi [ PDF ]

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi

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महात्मा गांधी पर निबंध 400 Words (Mahatma Gandhi Par Nibandh)

महात्मा गाँधी स्वतंत्र भारत के जनक थे। इनका व्यक्तित्व भारतीय क्षितिज में सूर्य के समान तेजस्वी और प्रभावशाली है। भारत की स्वाधीनता के सपने को साकार करने में इनकी अहम भूमिका के कारण इन्हें ' राष्ट्रपिता ' कहा जाता है। लोग श्रद्धावश इन्हें ' बापू ' कहते थे।

इनके परिवारवालों ने इनका नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी रखा। इनका जन्म गुजरात राज्य के राजकोट जिले के पोरबन्दर नामक ग्राम में 2 अक्तूबर , 1869 को हुआ था। इनके पिता करमचन्द गाँधी राजकोट रियासत के दीवान थे और माता पुतलीबाई एक कुशल गृहिणी एवं धार्मिक महिला थीं। इनकी प्रारंभिक शिक्षा पोरबन्दर की एक पाठशाला में हुई। बाद में ये भावनगर के श्यामलदास कॉलेज में पढ़े , फिर इन्हें उच्च शिक्षा के लिए इंगलैंड भेजा गया। सन् 1891 में इन्होंने बारिस्टरी की डिग्री पायी और मुम्बई आकर वकालत करने लगे।

सन् 1893 में ये एक व्यापारी के मुकदमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका गये। वहाँ इन्होंने गोरे लोगों का भारतीय मूल के लोगों के प्रति दुर्व्यवहार देखा, फलतः उनके विरोध में इन्होंने ' सत्याग्रह आन्दोलन ' चलाया। इनके आन्दोलन से वहाँ के अँगरेजों के अत्याचार में बहुत कमी आयी। दक्षिण अफ्रीका में बिताया गया समय ही इनके राजनीतिक जीवन का आधार कहा जा सकता है

1914 ई. में दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद गाँधीजी ने भारत वासियों के प्रति अँगरेजों के दमन और जुल्म की ओर ध्यान दिया। इन्होंने अहमदाबाद में मिल-मजदूरों के लिए, फिर चम्पारण में किसानों के लिए आन्दोलन किया और उन्हें उनका हक दिलाया। बाद में इन्होंने अँगरेजी हुकूमत को भारत से उखाड़ने का प्रयास शुरू किया। इस ' असहयोग आन्दोलन ' और ' भारत छोड़ो आन्दोलन ' में सारा देश शामिल हुआ और अँगरेजों को अन्ततः 15 अगस्त , 1947 को भारतवर्ष छोड़कर सदा-सदा के लिए जाना पड़ा।

गाँधीजी सदा सत्य बोला करते थे। इसी वजह से ये वकालत के पेशे में ज्यादा सफल नहीं हुए। इन्हें भारतीय संस्कृति से काफी लगाव था। इन्होंने ' स्वदेशी अपनाओ ' का नारा दिया था। गाँधीजी भारत में निर्मित खादी के कपड़े पहनते थे और दूसरों को भी विलायती कपड़े पहनने से रोकते थे। ये अहिंसा के परम पुजारी थे। ये जीवन के अंतिम क्षण तक ' बुरा मत सुनो , बुरा मत देखो और बुरा मत बोलो ' के सिद्धान्त पर चलते रहे। गाँधीजी ने स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसा , सत्य, असहयोग और एकता को अपना हथियार बनाया। इनके अनुपम गुणों ने इन्हें महामानव और पूजनीय बना दिया। 30 जनवरी , 1948 को इनकी हत्या हो गयी। प्रत्येक भारतीय सदा इनका ऋणी रहेगा।

400 शब्दों में महात्मा गांधी पर निबंध PDF 

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अंतिम शब्द

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