नक्सलवाद पर निबंध : कारण एवं निवारण | Essay On Naxalism In Hindi

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इस आर्टिकल में हम नक्सलवाद पर निबंध को पूरे विस्तार से समझेंगे। यह निबंध कक्षा 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 में पढ़ने वाले छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी है। इसलिए यदि आप कक्षा 6 से 12 में से किसी भी कक्षा के विद्यार्थी हैं और आप (Naxalwad Par Nibandh) ढूंढ रहे हैं तो आप सही जगह पर हैं, क्योंकि इस लेख में हम नक्सलवाद पर निबंध को अच्छी तरह से समझने जा रहे हैं। इस निबंध में हम नक्सलवाद से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रश्नों पर नजर डालेंगे, जिससे आपको नक्सलवाद के बारे में पूरी जानकारी मिल सके।

जिन महत्वपूर्ण प्रश्नों के बारे में हम बात कर रहे हैं, वो कुछ इस प्रकार हैं- नक्सलवाद की परिभाषा, नक्सली आंदोलन की शुरुआत, नक्सलवाद कारण एवं निवारण, भारत में नक्सलवाद की समस्या और उसका समाधान, नक्सलवाद को रोकने के लिए सरकार के प्रयास आदि। इस प्रकार के नक्सलवाद से जुड़े और भी कई प्रश्नों के उत्तर आपको यहा इस निबंध में मिल जायेंगे, इसलिए आप इस निबंध को ध्यानपूर्वक से जरुर पढ़ें। तो अगर आप essay on naxalism in hindi को बिल्कुल अच्छे से समझना चाहते हैं, तो आप इस निबंध को पुरे अंत तक जरूर पढ़ें। आइये अब naksalwad essay in hindi को विस्तार से समझते हैं।


नक्सलवाद पर निबंध (Naksalwad Par Nibandh)

नक्सलवाद कम्युनिस्ट क्रान्तिकारियों के उस आन्दोलन का औपचारिक नाम है, जो भारतीय कम्युनिस्ट आन्दोलन के फलस्वरूप उत्पन्न हुआ। भारत में नक्सलवादी आन्दोलन की शुरुआत भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता चारु मजूमदार और कानू सान्याल ने सत्ता के खिलाफ एक सशस्त्र आन्दोलन की शुरुआत करके की। 

नक्सलवाद मूलत: कानूनी समस्या है या विषमता के आर्तनाद से फूटता लावा? विचारकों का एक वर्ग जहाँ नक्सलवाद को आतंकवाद जैसी गतिविधियों से जोड़कर इसे देश की आन्तरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है, तो वहीं दूसरा वर्ग इसे सामाजिक - आर्थिक - राजनीतिक विषमताओं एवं दमन-दोहन और अन्याय की पीड़ा से उपजा एक स्वतः विद्रोह समझकर इसका पक्षपोषण करता है।

नक्सलवादी आन्दोलन की शुरुआत

नक्सलवादी आन्दोलन की शुरुआत वर्ष 1967 में पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के नक्सलबाड़ी गाँव से हुई। भूमि विवाद को लेकर हुई हिंसक गतिविधि भले ही तात्कालिक तनाव की परिणति थी, किन्तु इस विवाद की जड़ें गहरी थीं। यही कारण है कि स्थानीय रूप से प्रारम्भ हुआ यह आन्दोलन धीरे-धीरे देश के एक बड़े क्षेत्र में फैल गया। उस समय नक्सलबाड़ी की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार चाय की खेती थी। 

जमीन को लेकर यहाँ शुरू से विवाद रहा था, क्योंकि बागान श्रमिक जहाँ जमीन का स्वामित्व चाह रहे थे, वहीं स्थानीय जमींदार इसका प्रतिरोध कर रहे थे। धीरे-धीरे यह आन्दोलन उग्र होता चला गया और विरोध का माध्यम हिंसक हो गया। इसी बीच हिंसक झड़प में एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई, जिसके प्रत्युत्तर में पुलिस ने भीड़ पर गोली चला दी। 

परिणामस्वरूप आन्दोलन ने पूर्णतः हिंसक रूप ले लिया तथा किसान नेताओं ने हथियार उठाने का निर्णय किया। मूलतः भूमि के असमान वितरण से जुड़ा यह हिंसक आन्दोलन देश के अन्य भागों में भी फैल गया तथा नक्सलबाड़ी गाँव से आरम्भ होने के कारण इसको नक्सलवाद तथा इससे जुड़े कार्यकर्ताओं को नक्सली कहा गया।

नक्सलवाद के कारण

जिस प्रकार प्रत्येक विद्रोह के पीछे कुछ-न-कुछ कारण होता है, उसी प्रकार नक्सलवाद के कारणों को निम्नलिखित सन्दर्भों से जोड़कर देखा जा सकता है

☞ आदिवासी बहुल क्षेत्र विकास से कोसों दूर हैं। वहाँ प्राथमिक विद्यालय एवं अस्पताल की बात तो दूर, शुद्ध पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाएँ तक उपलब्ध नहीं हैं। इसके अतिरिक्त वहाँ पक्की सड़कें अभी तक नहीं बनाई जा सकी हैं, जिसके कारण ये क्षेत्र मुख्य क्षेत्रों से पूरी तरह से कटे हुए हैं।

☞ आदिवासी पहले से ही पूर्णत: वनों पर निर्भर पाए जाते हैं। वर्तमान समय में वन उन्मूलन एवं अवैध कारोबारियों द्वारा वनों पर कब्जा करने के कारण उनके सामने रोजी - रोटी का संकट खड़ा हो गया है।

☞ आदिवासी क्षेत्रों में निर्धनता, बेरोजगारी, अशिक्षा,  कुपोषण और अज्ञानता के कारण भी नक्सलवाद को बढ़ावा मिला है अथवा कुछ स्वार्थी लोग उन्हें दिग्भ्रमित कर अपने साथ जोड़ने में कामयाब रहे हैं।

☞ यद्यपि भारत सरकार ने दलितों, आदिवासियों एवं कृषक समुदाय के हितों के संरक्षण हेतु कई कानून पारित किए हैं, किन्तु अब तक उन्हें समुचित रूप से लागू नहीं किया जा सका है।

☞ भू-स्वामियों का भूमि पर अवैध कब्जा एवं सूदखोर महाजनों द्वारा आदिवासियों एवं दलितों का शोषण भी नक्सलवाद को बढ़ाने के लिए बहुत हद तक उत्तरदायी है।

☞ झूम कृषि पर प्रतिबन्ध

☞ आदिवासियों का शोषण।

☞ नई आर्थिक नीतियों के चलते भूमिहीन वर्ग के विस्थापन की समस्या।

☞ पुलिस द्वारा मानवाधिकार का हनन।

☞ विदेश से (जैसे - नेपाल के माओवादी, पाकिस्तान की ISI एवं श्रीलंका के LTTE इत्यादि) सम्पर्क का स्थापित होना एवं सहायता प्राप्त होना।

नक्सलवाद का वामपन्थ से सम्बन्ध

वैचारिक स्तर पर देखने पर नक्सलवाद का सम्बन्ध वामपन्थ से है और इसके समर्थक मुख्यत: चीनी साम्यवादी नेता माओत्से तुंग तथा रूसी क्रान्तिकारी नेता लेनिन के विचारों से प्रेरणा प्राप्त करते हैं। भारत में नक्सलवाद को शुरुआती स्तर पर संगठित करने वाले चारु मजूमदार तथा कानू सान्याल जैसे नेता वामपन्थी संगठनों से ही सम्बद्ध थे। भारत के नक्सलवादी आन्दोलन का समर्थन चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने भी किया था।

नक्सलवादी आन्दोलन का क्षेत्र एवं विस्तार

कोई भी सामाजिक-राजनीतिक आन्दोलन निर्वात में उत्पन्न नहीं होता, बल्कि यह किसी ऐतिहासिक वंचना अथवा तत्कालीन परिस्थितियों से उपजे असन्तोष का परिणाम होता है। इतना अवश्य है कि इस प्रकार उत्पन्न किसी आन्दोलन के स्वरूप, उद्देश्य अथवा साधन अवश्य विकृत हो सकते हैं, किन्तु इससे वो आधार कमजोर नहीं होता, जिस कारण से कोई परिवर्तनकारी आन्दोलन जन्म लेता है।

गृह मन्त्रालय के उग्र वामपन्थ प्रभाग के अनुसार मुख्यत: छत्तीसगढ़, झारखण्ड, ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश नक्सल प्रभावित राज्य हैं। विशेष बात यह है कि भारत में नक्सलवादी आन्दोलन के समर्थकों में मुख्य रूप से आदिवासी तथा दलित शामिल होते हैं। अत: स्वाभाविक है कि इनसे जुड़ी समस्याएँ नक्सलवाद के उद्भव के महत्त्वपूर्ण कारक रहे होंगे।

भारत में दलित और आदिवासी मिलकर देश की लगभग 1/4 जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं, साथ ही ये ऐतिहासिक रूप से पिछड़े हुए भी रहे हैं। आदिवासी लोग आजीविका हेतु शुरू से ही मुख्यतः प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर रहे हैं, लेकिन अंग्रेजों के आगमन तथा नए वन कानून के अस्तित्व में आने से ये क्रमशः अपने प्राकृतिक अधिवासों से विस्थापित होते चले गए और यह क्रम निरन्तर जारी है। स्वतन्त्रता के उपरान्त राष्ट्र विकास के जिस प्रारूप को अपनाया गया उसके चलते इन समुदायों पर और भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

नक्सलवादी आन्दोलन से सहानुभूति रखने वाले बुद्धिजीवी तर्क देते हैं कि विकास के वर्तमान मॉडल ने आदिवासियों के अस्तित्व पर ही संकट खड़ा कर दिया है। आदिवासी अधिवास वाले क्षेत्रों में खनिज संसाधनों के खनन के चलते आदिवासी समुदाय न केवल अपने मूल स्थान से विस्थापित होकर दूसरे स्थानों पर जाने के लिए विवश हैं, बल्कि प्रवासन के कारण दूसरे राज्यों में चले जाने के बाद उस राज्य में उनका एसटी दर्जा भी समाप्त हो जाता है, क्योंकि भारतीय संविधान के अनुसूचित जाति/जनजाति को राज्य के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।

नक्सलवाद को रोकने के लिये सरकार द्वारा किये गए प्रयास

एक ओर जहाँ सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए नक्सली हिंसा को पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के माध्यम से दबाने का प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर विकास कार्यों को भी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों तक पहुँचाने का प्रयास कर रही है। सुरक्षा के स्तर पर वर्ष 2005 में नक्सलियों के विरुद्ध 'अन्तर्राज्यीय संयुक्त कार्यबल' का गठन किया गया। 

इसके में अतिरिक्त 'केन्द्रीय सशस्त्र बल' के साथ-साथ 'कोबरा' (Commando Battalian for Resolute Action, COBRA) टीम भी इस कार्य में संलग्न है। राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए 'एमपीएफ' योजना तथा सुरक्षा व्यय के लिए 'एसआरई' योजना चलाई जा रही है। इसके साथ ही 'ऑपरेशन स्टीपलचेन' और 'ऑपरेशन ग्रीन हंट' जैसे विशेष एक्शन प्लान भी संचालित किए गए। 

इसके अतिरिक्त 'सलवा जुडूम' जैसे संगठनों ने भी स्थानीय रूप से नक्सलियों का कड़ा प्रतिरोध किया। दूसरी ओर सरकार ने 'मनरेगा' तथा 'राष्ट्रीय पुनर्वास तथा पुनर्स्थापन नीति' के अन्तर्गत सामाजिक-आर्थिक वंचना को कम करने का प्रयास किया है, तो एसटी तथा अन्य पारम्परिक वन निकासी अधिनियम, 2006, जैसे कानूनों के माध्यम से आदिवासी समुदायों के अधिकारों को सुरक्षित रखने का भी प्रयास किया है।

इसके अतिरिक्त राज्य सरकारें भी कल्याणकारी कार्यों व नक्सली चुनौती के सन्दर्भ में विशेष कार्यक्रम संचालित कर रही हैं; जैसे - 'आपकी सरकार आपके द्वार' योजना के माध्यम से बिहार सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कल्याणकारी योजनाओं का तीव्र क्रियान्वयन कर रही है। इसके अतिरिक्त केन्द्र सरकार तथा विभिन्न राज्य सरकारें उन क्षेत्रों तक सड़क, बिजली, पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि मूलभूत सुविधाएँ पहुँचाने का कार्य कर रही हैं। 

पेसा (Panchayats Extension to the Schedule Areas, PESA) कानून, 1996 के माध्यम से अनुसूचित क्षेत्रों तक पंचायती राज व्यवस्था को पहुँचाकर निर्णय-निर्माण की प्रक्रिया में उनकी भागीदारी को बढ़ाया गया है। इसके अतिरिक्त उत्तर-पूर्व राज्यों में आतंकवादी गतिविधियों को रोकने हेतु राज्य में आत्मसमर्पण सह पुनर्वास योजना वर्ष 1998 से संचालित है, जिसमें केन्द्र सरकार 100% योगदान करती है। 

इसके अतिरिक्त नक्सल प्रभावित अन्य राज्यों में भी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास योजना संचालित है, जिसके अन्तर्गत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली को कुछ राशि प्रदान कर स्वरोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। देश के 9 राज्यों एवं 27 जिलों में रोशनी कार्यक्रम वर्ष 2013 से संचालित है, जिसे अब दीनदयाल कौशल विकास योजना के नाम से संचालित किया जा रहा है। 

इसके माध्यम से युवाओं व महिलाओं को प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार उपलब्ध कराया जाता है। मई, 2017 में नक्सली समस्या से निपटने हेतु गृहमन्त्री राजनाथ सिंह द्वारा एक नया फॉर्मूला दिया गया, जिसे समाधान (SAMADHAN) नाम दिया गया है। इसके अन्तर्गत स्मार्ट रणनीति, प्रोत्साहन, रोजगार व प्रशिक्षण तथा नक्सलियों के वित्त पोषण को रोकने जैसा प्रावधान किया गया है। 

देश के सबसे अधिक नक्सल प्रभावित जिलों में जवाहर नवोदय विद्यालय तथा केन्द्रीय विद्याल संचालित किए जा रहे हैं। ऐसे क्षेत्रों में बेहतर सम्पर्क हेतु सड़क, पुल जैसे कार्यों के साथ मोबाइल कनेक्टिविटी को बढ़ावा दिया जा रहा है। वर्ष 2019 से छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की समाप्ति हेतु 'डेवलपमेंट बेस्ड ऑपरेशन' चलाया जा रहा है। साथ ही, वर्ष 2022 तक छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त बनाने का लक्ष्य भी रखा गया है। यह नक्सल उन्मूलन की दिशा में महत्त्वपूर्ण पहल है।

निष्कर्ष 

अत: निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि नक्सली समाज के अभावग्रस्त, समस्याग्रस्त एवं विक्षुब्ध लोग होते हैं, जिन्हें विकासपरक कार्य द्वारा समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जा सकता है। इसके लिए प्रतिहिंसा का सहारा नहीं किया जाना चाहिए। राज्य को प्रतिहिंसा वहीं तक करनी चाहिए जहाँ हिंसा के माध्यम से विकास कार्य बाधित हो रहे हों। प्रतिहिंसा नक्सली समस्या का एकमात्र साधन नहीं है।

यदि हम हिंसा के बल पर नक्सली समस्या पर नियन्त्रण प्राप्त कर भी लेते हैं, तो इसके लिए हमें भारी कीमत चुकानी होगी। इसके बावजूद नक्सलियों की मनोवृत्ति में बदलाव होगा या नहीं, यह निश्चित नहीं कहा जा सकता है, इसलिए समावेशी विकास का मॉडल तथा शासन में प्रत्येक वर्ग की भागीदारी इस समस्या का व्यावहारिक समाधान हो सकता है। 

नक्सलवाद समस्या एवं समाधान पर निबंध PDF

यहा पर नक्सलवाद पर निबंध का पीडीएफ फ़ाईल भी शेयर किया गया है, जिसे आप बहुत ही असानी से डाउनलोड कर सकते हैं। और इस पीडीएफ की मदद से आप कभी भी बिना इंटरनेट के नक्सलवाद पर निबंध को पढ़ सकते हैं। essay on naxalism pdf download करने के लिये आप निचे दिये गए बटन पर क्लिक करे और पीडीएफ फ़ाईल को सरलतापूर्वक डाउनलोड करें।

अंतिम शब्द

यहा पर इस लेख में हमने essay on naksalwad in hindi की सम्पुर्ण जानकारी प्राप्त करी जोकि, कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों के लिये काफी सहायक है। और आपको बता दे की नक्सलवाद पर निबंध, कक्षा 10 या 12 के बोर्ड परिक्षा में हिन्दी के विषय में ज्यादातर पुछे जाते है। यानी की बोर्ड के परिक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिये यह निबंध काफी महत्वपुर्ण है, तो अगर आप उन छात्रों में से है जो बोर्ड के परीक्षा की तैयारी कर रहे है, तो आप इस नक्सलवाद के निबंध को ध्यानपूर्वक से जरुर पढ़े।

इसके अलावा यह निबंध उन छात्रों के लिये भी काफी फायदेमंद साबित हो सकता है, जो इस समय किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे है, क्योकी नक्सलवाद जैसे विषय से सम्बंधित बहुत से प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पुछे जाते है और हमने नक्सलवाद से जुड़े बहुत से महत्वपूर्ण प्रश्नो को इस निबंध में अच्छे से समझा है, इसलिए आप इस naksalwad par nibandh को बिल्कुल ध्यानपूर्वक से पढ़े एवं समझे जिससे की आपको प्रतियोगी परीक्षा में मदद मिल सके।

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