महिला सशक्तीकरण पर निबंध | Essay On Women Empowerment In Hindi [ PDF ]

Essay On Women Empowerment In Hindi

इस लेख में हम महिला सशक्तिकरण पर निबंध को विस्तार से समझेंगे। यह निबंध कक्षा 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 में पढ़ने वाले छात्रों के लिए काफी उपयोगी है। इसलिए, यदि आप इनमें से किसी भी कक्षा के छात्र हैं और आप महिला सशक्तिकरण पर एक निबंध की तलाश में हैं, तो आप सही लेख पढ़ रहे हैं, क्योंकि यहा पर essay on women empowerment in hindi पूरे विस्तार से शेयर किया गया है।

इस निबंध की मदद से आप महिला सशक्तिकरण के बारे में सम्पुर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। क्योकी इस निबंध में महिला सशक्तिकरण से सम्बंधित लगभग सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों को सामिल किया गया है जिससे की आपको महिला सशक्तिकरण को अच्छे से समझने में सहजता हो। नारी सशक्तिकरण से सम्बंधित जिन महत्वपूर्ण प्रश्नों की हम बात कर रहे है वो कुछ इस प्रकार है- महिला सशक्तिकरण का क्या अर्थ है, महिला सशक्तिकरण कब से लागू हुआ, महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता एवं महत्व, महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य क्या है, महिला सशक्तिकरण के कारण, महिला सशक्तिकरण की समाज में क्या भूमिका है, भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए क्या कदम उठाए गए हैं आदि। इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको इस निबंध में बिल्कुल विस्तार से देखने को मिल जायेंगे। तो अगर आप वास्तव में mahila sashaktikaran par nibandh को अच्छे से समझना चाहते है, तो इस लेख को पुरा अन्त तक अवश्य पढ़े। 

और आपको बता दे की, यह निबंध उन छात्रों के लिये भी काफी महत्वपुर्ण एवं उपयोगी है, जो इस समय बोर्ड के परीक्षा की तैयारी कर रहे है क्योकी बोर्ड परीक्षा के सामान्य हिन्दी के विषय में एक प्रश्न निबंध लेखन लेखन का भी होता है। ऐसे में महिला सशक्तीकरण पर निबंध भी आपके प्रश्न पत्र में आ सकता है, इसलिए आप इस निबंध को ध्यानपूर्वक से जरुर पढ़े।

साथ ही यह निबंध केवल बोर्ड परीक्षा के विद्यार्थियों के लिये ही नही बल्कि प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिये भी उपयोगी है, तो अगर आप उन स्टूडेंट्स में से है, जो किसी सरकारी नौकरी एवं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है, तो आप भी इस निबंध को एकदम अच्छे से जरुर पढ़े एवं समझे, क्योकी इससे आपको परीक्षा में काफी मदद मिल सकता है। तो चलिए अब हम women empowerment essay in hindi को एकदम विस्तारपूर्वक से देखे।

महिला सशक्तीकरण पर निबंध (Mahila Sashaktikaran Par Nibandh)

प्रस्तावना -- भारतीय समाज में नारियों को शक्तिस्वरूपा मानते हुए उनकी पूजा होती रही है। प्राचीन भारत के इतिहास के पृष्ठ भारतीय नारियों की गौरव गाथा से भरे हुए हैं। 'मनुस्मृति' में कहा गया है

"यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते तत्र देवता:"

अर्थात् जहाँ नारी की पूजा की जाती है, वहाँ देवता निवास करते हैं। भारतीय समाज में नारियों की दशा और दिशा में काल परिवर्तन के साथ परिवर्तन होता रहा है। किसी युग में नारी को पूजा गया तो किसी युग में उसके अपमान, उत्पीड़न और अत्याचार की सीमाएँ पार कर दी गई। महिलाएँ समाज में अनेक कुरीतियों एवं कुप्रथाओं का भी शिकार होती रहती है। भारतीय समाज का ताना - बाना ऐसा है, जिसमें अधिकांश महिलाएँ पिता, पति या पुत्र पर ही आर्थिक रूप से निर्भर होती हैं। निर्णय लेने का अधिकार भी पुरुषों का ही होता है।

उनके इन अधिकारों की रक्षा के लिए ही महिला सशक्तीकरण की अवधारणा का जन्म हुआ, जिससे महिलाएं अपने जीवन से जुड़ा प्रत्येक निर्णय स्वयं ले सकें और परिवार तथा समाज में अच्छी प्रकार रह सके। महिलाओं के वास्तविक अधिकारों के विषय में जानकारी देकर उन्हें सक्षम बनाना ही महिला सशक्तीकरण है। पं० जवाहरलाल नेहरू ने भी महिलाओं की स्थिति को सशक्त बनाने के उद्देश्य से कहा था "लोगों को जगाने के लिए महिलाओं का जाग्रत होना जरूरी है। एक बार जब वो अपना कदम उठा लेती है, परिवार आगे बढ़ता है, गाँव आगे बढ़ता है और राष्ट्र विकास की ओर उन्मुख होता है।" 

महिला सशक्तीकरण का अर्थ

सशक्तीकरण का अर्थ है - शक्तिशाली बनाना। वर्तमान में महिला सशक्तीकरण को सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक असमानताओं से पैदा हुई समस्याओं के सन्दर्भ में देखा जा रहा है। इसमें जागरूकता, अधिकारों को जानने, सहभागिता और निर्णय लेने के अधिकार जैसे घटक को सम्मिलित किया गया है। लीला मीहेनडल के अनुसार- "निडरता, सम्मान और जागरूकता तीनों शब्द महिला सशक्तीकरण में सहायक हैं।

महिला सशक्तीकरण अभियान

सरकार द्वारा महिलाओं को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए सन् 2001 में महिला सशक्तीकरण की राष्ट्रीय नीति लागू की गई। इसके अन्तर्गत सरकारी नीति तथा कल्याणकारी योजनाओं में महिलाओं के विधिक अधिकारों को सशक्त करने तथा स्वास्थ्य सुविधाओं को दृढ़ बनाने के उद्देश्य को ध्यान में रखा गया है। महिलाओं के उत्थान हेतु किए जा रहे शासकीय प्रयासों में कुछ सामाजिक और संस्थानात्मक अवरोध सामने आए हैं। 

इन अवरोधों का उन्मूलनकर महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक सशक्तीकरण के उद्देश्य से 8 मार्च, 2010 को राष्ट्रीय महिला सशक्तीकरण अभियान नामक कार्यक्रम आरम्भ किया गया। भारत में सभी राज्यों एवं सभी केन्द्रशासित प्रदेशों में महिला सशक्तीकरण कार्यक्रम को लागू कर दिया गया। इसका मुख्य उद्देश्य महिला विकास से सम्बन्धित कार्यक्रमों को निचले स्तर तक पहुँचाना है।

महिला सशक्तीकरण अभियान के उद्देश्य

महिला सशक्तीकरण अभियान के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित है -

( I ) महिलाओं के प्रति बढ़ती हिंसा को समाप्त करना
महिलाओं को सुरक्षा और स्वायत्तता प्रदान करने की दिशा में अनेक महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। महिलाओं के प्रति हिंसा के अन्तर्गत अनेक प्रकार की प्रताड़नाएँ आती हैं, जैसे -- मानसिक, शारीरिक और यौन उत्पीड़न एवं दहेज-सम्बन्धी प्रताड़ना आदि। महिला सशक्तीकरण का दृष्टिकोण यह है कि महिलाएँ इन उत्पीड़नरूपी हिंसा व भेदभाव से मुक्त होकर सम्मान के साथ जीवन व्यतीत कर सकें।
( II ) लिंगानुपात को सन्तुलित करना
लैंगिक असमानता भारत का प्रमुख सामाजिक मुद्दा है, जिसमें महिलाएँ निरन्तर पिछड़ती जा रही हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 1000 पुरुषों पर 943 महिलाएँ थी। और वर्तमान समय में यानी की 2022 में, एक रिपोर्ट के अनुसार प्रति 100 महिलाओं पर 108 पुरुष है। इस असमानता को समाप्त करने के लिए महिला सशक्तीकरण में तेजी लाने की आवश्यकता है।
( III ) लिंग-आधारित आर्थिक असमानता को समाप्त करना
महिलाएँ किसी प्रकार भी पुरुषों से कम नहीं हैं। यदि वे वही कार्य करती हैं जो पुरुष करते हैं तो उन्हें पुरुषों के समान ही पारिश्रमिक मिलना चाहिए, जबकि समाज में ऐसा नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 में 'समान काम, समान वेतन' की व्यवस्था की गयी है। महिला सशक्तीकरण में इस आर्थिक असमानता को समाप्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
( IV ) बाल-विवाह पर रोक लगाना
राजा राममोहन राय, ईश्वरचन्द्र विद्यासागर, स्वामी दयानन्द सरस्वती आदि के अथक प्रयासों द्वारा बाल-विवाह निरोधक अधिनियम (1955) बना, परन्तु आज भी कई पिछड़े क्षेत्रों में माता-पिता की अशिक्षा, असुरक्षा और गरीबी के कारण बाल-विवाह का प्रचलन है। इस विवाह से अवयस्क माता और शिशु के व्यक्तित्व और स्वास्थ्य में गिरावट आती है। महिला सशक्तीकरण द्वारा इस पर रोक लगाई जा रही है।
( V ) लड़कियों को शिक्षित करना
शिक्षा अज्ञानतारूपी अंधकार को दूर करके विकास और उन्नति के मार्ग खोलती है। भारतीय समाज में लड़की को पराया धन मानकर उसी शिक्षा एवं अन्य सुख-सुविधाओं की उपेक्षा की जाती है, परन्तु आज महिला सशक्तीकरण आन्दोलन के कारण इस दिशा में भी परिवर्तन हो रहा है। आज लड़कियों के स्कूल में पंजीकरण एवं उनकी उपस्थिति में तेजी से वृद्धि हुई है। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के अनुसार - "महिलाओं की शिक्षा व्यवस्था, स्वतन्त्र आय तथा सामाजिक परिस्थिति में सुधार ने परिवार में उनकी निर्णय क्षमता को बढ़ाया है और महिलाओं के समावेशन (सशक्तीकरण) के मार्ग को प्रशस्त किया है।"
( VII ) महिलाओं की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाना
स्वार्थी तत्त्वों द्वारा महिलाओं की खरीद-फरोख्त के अवैध व्यपार को रोकने के लिए अनेक योजनाएँ बनाई जा रही हैं। उज्ज्वला योजना के अन्तर्गत महिलाओं के अवैध व्यापार को रोकने से लेकर उनकी रिहाई पुनर्वास, पुनः एकीकरण और पुनर्स्थापन का प्रयास किया जा रहा है। इस दिशा में अनेक एन० जी० ओ० तथा हेल्पलाइने महिला उन्नयन का कार्य कर रही हैं।
( VII ) महिलाओं की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाना
महिला सशक्तीकरण अभियान के अन्तर्गत सीमान्त महिलाओं (वेश्याओं) को वेश्यालयों से रिहा कराना, यौन शोषित एवं एड्स से पीड़ित, विधवाओं, बेसहाराओं, आतंकवाद की शिकार तथा विक्षिप्त महिलाओं के लिए स्वास्थ्य, देखभाल, परामर्श, रोजगारपरक प्रशिक्षण, जागरूकता, पुनर्वास आदि की सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं और उन्हें देश की मुख्य धारा में जोड़ने को साहसपूर्ण एवं सराहनीय कदम उठाया जाता है। इस प्रयास से अनेक महिलाओं का जीवन सुधारा जा सका है।

महिलाओं की संवैधानिक स्थिति

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16, 19, 21, 23, 24, 37, 39 (बी), 44 तथा अनुच्छेद 325 के अनुसार स्त्रियों को भी पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त हैं। संविधान की दृष्टि में स्त्री-पुरुष में कोई भेद नहीं किया गया है। समाज में जो भेद दृष्टिगोचर होते हैं, वह सब अशिक्षा, संकीर्णता और स्वार्थलिप्सा आदि के कारण ही समाज में विद्यमान हैं।

महिला सशक्तीकरण अधिनियम

संवैधानिक अधिकारों के साथ-साथ महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए संसद द्वारा कुछ अधिनियम पास किए गए हैं; जैसे - 
▪︎ एक बराबर पारिश्रमिक ऐक्ट
▪︎ दहेज रोक अधिनियम
▪︎ अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम
▪︎ मेडिकल टर्मनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी ऐक्ट
▪︎ बाल-विवाह रोकथाम ऐक्ट
▪︎ लिंग परीक्षण तकनीक (लड़का-लड़की जाँच पर रोक) ऐक्ट
▪︎ कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन-शौषण रोकने तथा उन्हें सुरक्षा देने सम्बन्धी ऐक्ट आदि। 

इन अधिनियमों का सही उपयोग कर महिलाएं अपना शोषण रोकने में समर्थ हो रही हैं। महिला सुरक्षा के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 1090 शक्ति योजना का शुभारम्भ किया। यह महिलाओं की सुरक्षा हेतु एक बहुआयामी योजना है। इसके अन्तर्गत मोबाइल द्वारा मात्र एक बटन दबाते ही पुलिस नियन्त्रण कक्ष को सूचना मिल जाती है और संकटग्रस्त महिला की स्थिीत (स्थान की पहचान) की सही जानकारी पुलिस को हो जाती है, जिससे पुलिस उस महिला की तुरन्त सहायता करती है। 

महिला सशक्तीकरण और समाज

भूमण्डलीकरण के इस दौर में स्त्री-पुरुष समानता की दुहाई के साथ-साथ अनेक संगठन, स्वयंसेवी संस्थाएँ, हेल्पलाइनें महिलाओं के सशक्तीकरण और उत्थान में जुटे हुए हैं; फिर भी समाज में महिलाओं की स्थिति में पर्याप्त सुधार नहीं आया है. इसका मुख्य कारण यह है कि स्वयं महिलाओं में आज भी अन्धविश्वास एवं रूढ़िवादिता की प्रवृत्ति कूट-कूटकर भरी है।

निरक्षर अथवा अल्पशिक्षित महिलाओं की तो बात ही छोड़िए, सैकड़ों पढ़ी-लिखी महिलाएँ भी पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए तन्त्र-मन, झाड़-फूँक और ढोंगी बाबाओं के जाल में फँसी हैं। रोजगार के क्षेत्र में भी पर्याप्त सुधार नहीं हो पाया है। उच्च पदों पर महिलाओं की नियुक्ति अभी 2 या 3 प्रतिशत ही है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रत्येक वर्ष एक करोड़ पच्चीस लाख लड़कियाँ जन्म लेती हैं, लेकिन तीस प्रतिशत लड़कियाँ 15 वर्ष से पूर्व ही मृत्यु का शिकार हो जाती हैं।

राजनीति में भी महिलाओं का प्रवेश हो गया है, संसद में उनकी संख्या भी बढ़ी है। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राष्ट्रपति, न्यायाधीश जैसे उच्च पदों को महिलाओं ने सुशोभित किया है। खेलों, फिल्मों, लेखन, पत्रकारिता तथा सौन्दर्य प्रतियोगिताओं में भी महिलाओं ने नये कीर्तिमान स्थापित किए हैं, परन्तु अभी भी समाज में नारी को वह स्थान नहीं मिल पाया है, जिसकी वह अधिकारी है।

निष्कर्ष

अन्त में कहा जा सकता है कि महिलाओं को सशक्त करने के लिए। कोई ईश्वर या मसीहा अवतरित नहीं होगा और न ही समाज द्वारा नारीवाद की परिभाषा गढ़ने से कोई बात बनेगी। यह तभी सम्भव होग जब महिलाएँ अपने अधिकारों के लिए स्वयं आगे आएँ, अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करें। सरकारें भी केवल महिला अधिकारों और कानूनों की संख्या में वृद्धि न करें, बल्कि व्यावहारिकता को ध्यान में रखते हुए ऐसे अधिकार और कानून बनाएँ, जिससे वास्तविक सशक्तीकरण की अवधारणा को साकार किया जा सके।

FAQ: महिला सशक्तिकरण के प्रश्न उत्तर

प्रश्न -- महिला सशक्तिकरण से आपका क्या मतलब है?
उत्तर -- महिला सशक्तिकरण का मतलब है, महिलाओं को शक्तिशाली बनाना। जिससे वह अपने जीवन से जुड़े सभी फैसले स्वयं ले सके है, और परिवार तथा समाज में अच्छे से रह सके।

प्रश्न -- महिला सशक्तिकरण कब शुरू हुआ?
उत्तर -- महिला सशक्तिकरण 2001 में शुरू हुआ था। 

प्रश्न -- महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर -- महिला सशक्तिकरण के मुख्य उद्देश्य निम्न है- लड़कियों को शिक्षित करना, लिंगानुपात को सन्तुलित करना, महिलाओं के प्रति बढ़ती हिंसा को समाप्त करना, लिंग आधारित आर्थिक असमानता को समाप्त करना, बाल विवाह पर रोक लगाना, सीमान्त तथा शोषित महिलाओं को समाज की मुख्यधारा में लाना आदि।

महिला सशक्तिकरण पर निबंध PDF

यहा पर हमने महिला सशक्तिकरण के इस निबंध को पीडीएफ के रुप में भी शेयर किया गया है, जिसे आप बहुत ही सरलता से डाउनलोड कर सकते हैं। और इस पीडीएफ की सहायता से आप अपने लिये महिला सशक्तिकरण का एक बेहतरीन नोट्स भी तैयार कर सकते हैं और उस नोट की मदद से आप कभी भी अपने समयानुसार महिला सशक्तिकरण के बारे में पढ़ कर इसका रिवीजन भी कर सकते है। नारी सशक्तिकरण पर निबंध PDF Download करने के लिए नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करे और पीडीएफ को डाउनलोड करे।

अंतिम शब्द

यहा पर इस लेख में हमने नारी सशक्तिकरण पर निबंध को बिल्कुल विस्तार से समझा। हमने इस निबंध में महिला सशक्तिकरण से जुड़े बहुत से महत्वपुर्ण प्रश्नों को देखा, जिससे की आपको महिला सशक्तिकरण को अच्छे से समझ में असानी हुई होगी। इसी के साथ हम आशा करते है की आपको यह निबंध जरुर पसंद आया होगा और हमे उमीद है की इस लेख की सहायता से महिला सशक्तिकरण पर निबंध कैसे लिखें? आप बिल्कुल अच्छे से समझ गए होंगे। अगर आपके मन में इस निबंध से सम्बंधित कोई सवाल है, तो आप नीचे कमेंट करके पुछ सकते है। और साथ ही इस mahila sashaktikaran nibandh को आप अपने सभी दोस्तो के साथ शेयर भी जरुर करे।

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