काला धन पर निबंध : समस्या और समाधान | Essay On Black Money In Hindi [ PDF ]

Essay On Black Money In Hindi

इस लेख में हम काला धन पर निबंध को विस्तार से समझेंगे, यह निबंध कक्षा 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 में पढ़ने वाले छात्रों के लिए काफी उपयोगी है। इसलिए अगर आप कक्षा 6 से 12 तक के किसी भी क्लास के छात्र हैं, तो इस essay on black money in hindi को आप पूरा जरुर पढ़े।

आपको बता दे की भारत में, काले धन काला बाजार पर अर्जित धन है, जिस पर आय और अन्य करों का भुगतान नहीं किया गया हो, साथ ही टैक्स एडमिनिस्ट्रेटर से छुपाए गए बेहिसाब पैसे को काला धन कहा जाता है। यहा पर इस निबंध के माध्यम से हम काले धन से सम्बंधित बहुत से महत्वपूर्ण प्रश्नों को समझने का पुर्ण प्रयास करेंगे, जैसे की- काला धन क्या है, काला धन की वैश्विक स्थिति, काला धन की समस्याएँ, पूरे विश्व में भारत का जमा काला धन व वापसी और काला धन को रोकने के सम्बन्धी उपाय आदि। काले धन से सम्बंधित इस प्रकार के प्रश्नों के उत्तर आपको इस निबंध में विस्तार से मिल जायेंगे। तो अगर आप एकदम अच्छे से kala dhan par nibandh को समझना चाहते है, तो इस लेख को पुरा अन्त तक जरुर पढ़े।

काला धन पर निबंध हिन्दी में (Black Money Essay In Hindi)

अर्थ -- काला धन, जिसे अंग्रेज़ी में 'ब्लैक मनी' कहा जाता है, यह ऐसा धन होता है, जो व्यावहारिक रूप से आयकर विभाग की नज़र से छुपा हुआ होता है। इस धन का लेखा-जोखा सरकारी आँकड़ों में कहीं नहीं होता। यह बड़े-बड़े व्यापारियों, राजनेताओं, अधिकारियों, माफियाओं एवं हवाला कारोबारियों का अघोषित धन होता है।

काला धन किसी भी अर्थव्यवस्था के विकास में बाधक होता है, क्योंकि यह एक समानान्तर अर्थव्यवस्था को जन्म देने में पूर्णत: सक्षम होता है। "अपनी जिस आय पर कोई व्यक्ति समुचित आयकर का भुगतान नहीं करता है, उतना धन व्यक्ति का काला धन हो जाता है।" इस तरह , काला धन वैध एवं अवैध दोनों प्रकार के आय स्रोतों से प्राप्त किया जा सकता है। चूँकि आय के अधिकांश वैध स्रोत राज्य को ज्ञात होते हैं। 

अत: उन पर आयकर ले लिया जाता है, किन्तु अवैध स्रोतों से अर्जित आय का लेखा-जोखा रख पाना एवं उस पर कर लगा पाना सम्भव नहीं होता। काले धन का मुख्य स्रोत अवैध आय के स्रोत ही होते हैं। इस आय को छुपाने के लिए लोग ऐसे देशों का रुख करते हैं, जहाँ आय कर मुक्त हो। सिंगापुर, मॉरिशस, जर्मनी सहित स्विट्जरलैण्ड आदि ऐसे ही देशों के उदाहरण हैं। 

स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा काला धन छुपाए जाने की जब-तब भर्त्सना होती रहती है। ऐसे में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे की इन पंक्तियों पर हम सब देशवासियों को गम्भीरता से विचारने की आवश्यकता है- "क्या यह लोकतन्त्र है? सभी एक साथ पैसे बनाने आए है। मैं खुद को सौभाग्यशाली समझँगा यदि मैं अपने समाज, अपने देशवासियों के लिए मरता हूँ।"

काला धन से होने वाली समस्याएँ

अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत के सन्दर्भ में काले धन से सम्बन्धित एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें कहा गया है कि गया है कि एशिया की उभरती आर्थिक ताकत के रूप में भारत अहम है, लेकिन उसे काले धन के कारण देश के भीतर एवं बाहर गैर-कानूनी गतिविधियों, मादक पदार्थों के कारोबार, धोखाधड़ी, संगठित अपराध, मानव तस्करी, भ्रष्टाचार, नकली धन एवं अवैध धन वसूली जैसे कई प्रकार के आर्थिक एवं राजनीतिक खतरों एवं चुनाव में काले धन की समस्या का सामना करना पड़ेगा।

ग्लोबल फाइनेंशियल इण्टीग्रिटी द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक दशक के दौरान भारत से 343.04 अरब डॉलर की राशि काले धन के रूप में देश से बाहर भेजी गई। इस सूची में चीन, रूस, मैक्सिको एवं मलेशिया जैसे देश भारत से भी आगे हैं। वाशिंगटन डी सी स्थित इस शोध एवं एडवोकेसी संगठन के अनुसार , वर्ष 2011 में विकासशील देशों द्वारा लगभग साढ़े नौ सौ अरब डॉलर का काला धन बाहर के देशों में भेजा गया। इस सूची में रूस और चीन के बाद भारत 84.93 अरब डॉलर राशि का काला धन बाहर भेजे जाने वाले देश के रूप में तीसरे स्थान पर रहा है।

काला धन की वैश्विक स्थिति

स्विट्जरलैण्ड और जर्मनी के अतिरिक्त विश्व में ऐसे 69 देश व स्थान और हैं, जहाँ काला धन जमा करने की आसान सुविधा है। इनमें से स्विट्जरलैण्ड सभी देशों की पहली पसन्द है, जहाँ खाताधारकों के नाम गोपनीय रखने सम्बन्धी कानून का सख्ती से पालन किया जाता है। यहाँ तक कि बैंकों के बहीखाते में खाताधारी का नाम न लिखकर सिर्फ कोड नम्बर लिखा जाता है। विदेशी बैंकों में जमा काले धन में सिर्फ़ कर चोरी का धन नहीं रहता, बल्कि भ्रष्टाचार से अर्जित काली कमाई भी उसमें सम्मिलित रहती है। 

दुनिया के नौकरशाहों, बड़े-बड़े राजनेताओं, दलालों, व्यापारियों के साथ-साथ आतंकवादियों द्वारा भी खातों को गोपनीय रखने वाले इन बैंकों में काला धन जमा किया जाता है। गैर-कानूनी तरीके से विदेशों में जमा काला धन वापस लाने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2003 में एक संकल्प पत्र पारित किया है, जिस पर भारत सहित 140 देशों के हस्ताक्षर हैं। इस संकल्प को लागू कर 126 देशों ने काला धन वसूलना भी प्रारम्भ कर दिया है। इस संकल्प पत्र पर भारत ने वर्ष 2005 में हस्ताक्षर किए थे।

में स्विट्जरलैण्ड के कानून के अनुसार, संकल्प पत्र हस्ताक्षर किए बिना विदेशों में जमा धन की वापसी की कार्रवाई नहीं की जा सकती। स्विट्जरलैण्ड सरकार की संसदीय समिति द्वारा भारत और स्विट्जरलैण्ड के बीच हुए समझौते को जूरी दे दी गई है, जो भारत के हित में है। विश्व में आई आर्थिक मन्दी के बाद दुनिया के सभी देशों के द्वारा विदेशों में जमा काला धन वापस लाने का सिलसिला शुरू किया गया। 

अमेरिका पर ओसामा बिन लादेन द्वारा किए गए 9/11 के हमले के बाद ही इस बात का खुलासा हुआ कि लादेन भी अपना धन खातों को गोपनीय रखने वाले बैंकों में जमा करता था, फलस्वरूप जर्मनी द्वारा काला धन जमा करने वाले खाताधारियों के नाम बताए जाने के लिए स्विट्जरलैण्ड पर दबाव बनाया गया। तत्पश्चात् इटली, फ्रांस, अमेरिका, भारत एवं ब्रिटेन भी स्विट्जरलैण्ड पर काला धन जमा करने वालों के नाम बताने का दबाव बनाने लगे। 

अमेरिका की बराक ओबामा सरकार के दबाव में आकर वहाँ के यूबीए बैंक ने न सिर्फ काला धन जमा करने वाले 17 हजार अमेरिकियों के नामों की सूची जारी की, बल्कि उसने 78 करोड़ डॉलर राशि काले धन की वापसी भी कर दी। इसी बैंक से सेवानिवृत्त हुए एक अधिकारी रूडोल्फ़ ऐल्मर ने विकिलीक्स के सम्पादक जूलियन असांजे को 2,000 भारतीय खाताधारियों की सूची सौंपे जाने का दावा भी किया। ऐसे में भारत में काले धन की वापसी की उम्मीद और भी बढ़ जाती है।

विश्व में भारत का जमा काला धन व वापसी

एक अनुमान के अनुसार देश का ₹ 35 लाख करोड़ राशि का काला धन विदेशी बैंकों में जमा है, जिनमें जेनेवा स्थित एचएसबीसी बैंक के 782 खातों में ₹ 3,000 करोड़ जमा होने की आशंका है। आयकर विभाग द्वारा एचएसबीसी बैंक के इन खाताधारियों के नाम उजागर किए जाने और जमा किया हुआ काला धन हाथ से चले जाने के डर से विश्व के अन्य देशों के साथ-साथ भारतीयों द्वारा भी विदेशी बैंकों में रखा धन चोरी-छिपे वापस लाया जा रहा है।

स्विस नेशनल बैंक के अनुसार, वर्ष 2011 में स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राशि ₹ 14,000 करोड़ थी, जो वर्ष 2012 में घटकर ₹ 9,000 करोड़ रह गई। वर्ष 2016 के पनामा पेपर्स लीक में जारी सूची में 500 भारतीयों का नाम शामिल है, जिसके माध्यम से काला धन का बड़ा हिस्सा विदेशों में व्याप्त है। जून, 2019 में एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि विगत 30 सालों में भारतीयों ने 34 लाख करोड़ रुपये का काला धन विदशों में भेजा है। 

भारतीयों द्वारा विदेशों में बड़े स्तर पर जमा किए गए काले धन को वापस अपने देश में लाने के लिए बाबा रामदेव तथा अन्य संस्थाओं के द्वारा भी ज़ोर-शोर से आवाज़ उठाई गई है। उच्चतम न्यायालय द्वारा भी काले धन से जुड़े खातों की जानकारी सार्वजनिक न किए जाने पर केन्द्र सरकार की कई बार आलोचना की गई है। वर्ष 2014 में केन्द्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद काले धन पर नियन्त्रण हेतु उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन किया गया। 

जस्टिस एम बी शाह को इसका अध्यक्ष बनाया गया। विशेष जाँच दल के गठन से विदेशी बैंकों में जमा काले धन की वापसी की नई आशा जगी है। सेण्ट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) के अन्तर्गत कार्य कर रही जाँच एजेंसी ने स्विस बैंक द्वारा 100 भारतीयों के काले धन की सूची प्राप्त होने की बात कही है, हालाँकि अभी उनके नाम सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। काले धन को लेकर दुनियाभर में स्विट्जरलैण्ड की कड़ी आलोचना होने एवं सभी देशों द्वारा दबाव डाले जाने के फलस्वरूप स्विस बैंकों ने अपने नियमों में परिवर्तन कर सिर्फ उन्हीं परिसम्पत्तियों को जमा रखने का निर्णय लिया है जिनका कर चुका दिया गया हो।

इसके साथ ही विदेशी राष्ट्रों को स्विस बैंकों में रखे काले धन की जाँच में सहयोग करने हेतु स्विट्जरलैण्ड की सरकार ने ऐसे संदिग्ध भारतीयों की सूची भी तैयार कर ली है, जिन्होंने स्विस बैंकों में काला धन जमा किया है और वह जल्द ही इसका ब्यौरा भारत सरकार से साझा करेगी। इधर हाल में भारत सरकार ने उच्चतम न्यायालय को उन 18 व्यक्तियों के नामों की जानकारी दी है, जिनका जर्मनी के लिस्टेंसटीन बैंक में खाता है तथा इसकी जानकारी भारत सरकार को नहीं थी। 

इसके साथ ही केन्द्र सरकार ने जेनेवा स्थित एचएसबीसी बैंक के 627 भारतीय खाताधारकों की सूची भी उच्चतम न्यायालय को सौंप दी है, जिनमें से 250 लोगों ने विदेशों में बैंक खाते होने की बात स्वीकार की है और 427 लोगों की पहचान भी कर ली गई है पर अभी उनके नामों का खुलासा नहीं किया गया है। वहीं स्विस बैंक ने भी सितम्बर, 2020 में काला धन सम्बन्धी जानकारी देने की बात कही है।

काला धन को रोकने के समाधान (काला धन रोकने सम्बन्धी कुछ उपाय)

हाल के दिनों में वर्तमान की मोदी सरकार द्वारा कालेधन की रोकथाम एवं इसके उन्मूलन की दिशा में कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। जिनमें बेनामी लेनदेन से सम्बन्धित अधिनियम, विमुद्रीकरण, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) चुनावी बॉण्ड आदि शामिल हैं। 

▪︎ बेनामी लेनदेन निषेध संशोधन अधिनियम, 2016 -- यह अधिनियम देश में बेनामी लेनदेन (सम्पत्ति) की रोकथाम हेतु पूर्व के बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम, 1988 का संशोधित रूप है, जो 1 नवम्बर, 2016 से प्रभावी है। अधिनियम का मुख्य उद्देश्य वित्तीय प्रणाली में बेनामी सम्पत्ति को स्थान देना, बेनामी सम्पत्तियों को जब्त करना, इसमें शामिल लोगों को दण्डित करना है।अधिनियम के उल्लंघन करने वाले के लिए 7 वर्ष की सजा एवं जुर्माने का भी प्रावधान इसमें किया गया है। बेनामी सम्पत्ति वह होती है, जिसकी कीमत किसी और ने चुकाई हो, किन्तु सम्पत्ति किसी दूसरे व्यक्ति के नाम पर हो।

▪︎ विमुद्रीकरण -- काले धन पर प्रहार के लिए भारत के प्रधानमन्त्री ने 8 नवम्बर, 2016 को घोषणा की कि 500 और 1000 रुपये के (पुराने) नोट आज की आधी रात से अब वैध मुद्रा (लीगल टेंडर) नहीं होंगे। सरकार के इस कदम से देश में बड़ी मात्रा में काले धन को जब्त किया गया एवं नकली नोटों के चलन में कमी आई। यद्यपि सरकार ने इस कदम से पूर्व काला धन और कर अधिरोपण कानून 2015 को लागू किया, जिसका मुख्य उद्देश्य 60% कर का भुगतान करके तीन महीने के भीतर विदेशी काले धन का खुलासा करना है। इसके अतिरिक्त, 2016 के प्रारम्भ में कार्यान्वित 'आय घोषणा योजना' के अन्तर्गत, नागरिकों को उनकी अघोषित आय की घोषणा करने तथा कर, अधिभार और जुर्माने के रूप में उनके द्वारा घोषित आय के 45% तक की राशि का भुगतान करने की अनुमति दी गई थी।

▪︎ स्वच्छ धन अभियान -- आयकर विभाग द्वारा 31 दिसम्बर, 2016 तक बड़ी मात्रा में की गई नकदी जमाओं के ई-सत्यापन के लिए ऑपरेशन क्लीन मनी का शुभारम्भ किया गया। सरकार ने इसके लिए डेटा एनालिटिक्स का प्रयोग किया, ताकि इसके द्वारा ऐसे व्यक्तियों की पहचान की जा सके जिनकी नकद जमाएँ उनके आय कर प्रोफाइल के अनुरूप नहीं हैं।

▪︎ वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) -- केन्द्र सरकार द्वारा अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में सुधार की दिशा में 1 जुलाई, 2017 से जीएसटी को लागू कर दिया गया है। इससे कर प्रशासन में सुधार एवं कर आधार के विस्तार होने की सम्भावना है। इसके अतिरिक्त इससे कर चोरी में कमी देखी गई है।

▪︎ चुनावी बॉण्ड्स -- राजनीतिक फण्डिंग को साफ-सुथरा बनाने एवं चुनावों में काले धन के प्रयोग पर रोकथाम हेतु वित्त मन्त्री अरुण जेटली ने जनवरी, 2017 में चुनावी बॉण्ड्स की रूपरेखा जारी की। ये बॉण्ड्स भारतीय स्टेट बैंक की कुछ चिह्नित शाखाओं से खरीदे जाते हैं और राजनीतिक दलों को चन्दा देने के लिए इनका प्रयोग किया जाता है। 

यह बॉण्ड्स 1,000, से 10,000, एक लाख, दस लाख एवं एक करोड़ रुपये के मूल्य में उपलब्ध होते हैं तथा इस पर दानदाता का नाम नहीं है। चुनावी बॉण्ड्स को केवल अधिकृत 15 दिनों के भीतर भुनाया जा सकेगा एवं बॉण्ड्स खरीदने वाले को एसबीआई को के वाइ सी की जानकारी देनी होती है। इस प्रकार यह राजनीतिक काला धन रोकने का उपाय है।

▪︎ लोकपाल का गठन -- मार्च , 2019 में देश के पहले लोकपाल सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश पिनाकी चन्द्र घोष बने हैं। भ्रष्टाचार पर नियंत्रण हेतु देश की यह प्रमुख संस्था है। यह भ्रष्टाचार विरोधी निकाय है। इसकी निगरानी में सभी लोक सेवक के साथ भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भी शामिल होंगे।

निष्कर्ष

अत: काले धन की समस्या देश के लिए एक गम्भीर समस्या है यद्यपि सरकार ने इस समस्या से निजात पाने के लिए उपरोक्त कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं और भविष्य में भी उठाए जाने की सम्भावना है, तथापि सरकार को इसके अतिरिक्त भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है तथा उठाए गए कदमों के सही व प्रभावी क्रियान्वयन की आवश्यकता है, जिससे कि इस समस्या को प्रगतिशील रूप से कम एवं अन्तिम रूप से समाप्त किया जा सके।

काला धन पर निबंध PDF

यहा पर इस निबंध का पीडीएफ फाईल भी दिया गया है, जिसे आप बहुत ही असानी से डाउनलोड कर सकते है। और इस पीडीएफ की सहायता से आप कभी भी काले धन के इस निबंध को पढ़ कर इसका रिवीजन कर सकते है। essay on black money pdf download करने के लिये निचे दिये गए बटन पर क्लिक करे।

अंतिम शब्द

यहा पर हमने essay on black money in hindi को बिल्कुल विस्तारपूर्वक से समझा, जोकि कक्षा 6 से 12 तक के किसी भी क्लास में पढ़ रहे छात्र के लिये उपयोगी है और साथ ही यह निबंध उन सभी छात्रों के लिये भी महत्वपूर्ण एवं उपयोगी है, जो इस समय किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे है। क्योकी बहुत से competitive exams में काला धन से जुड़े प्रश्न भी पुछे जाते है और हमने इस निबंध में काला धन से सम्बंधित बहुत से महत्वपुर्ण प्रश्नों को समझा, जिससे की आपको परीक्षा में मदद मिल सकती है।

इसी के साथ हम आशा करते है की आपको यह निबंध जरुर पसंद आया होगा और हमे उमीद है की, इस लेख की सहायता से काला धन पर निबंध कैसे लिखे? आप बिल्कुल अच्छे से समझ गए होंगे। यदि आपके मन में इस निबंध को लेकर कोई सवाल है, तो आप निचे कमेंट करके पुछ सकते है। और साथ ही इस निबंध को आप अपने सभी दोस्तो के साथ शेयर भी जरुर करें।

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