चंद्रयान 2 मिशन पर निबंध | Essay On Chandrayaan 2 Mission In Hindi
इस लेख में हम चंद्रयान 2 पर निबंध को विस्तार से समझेंगे। यह निबंध कक्षा 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी है, क्योंकि अक्सर छोटी कक्षाओं के छात्रों को हिंदी टेस्ट में चंद्रयान -2 मिशन पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है। इसके अलावा बोर्ड परीक्षा में भी चंद्रयान 2 पर निबंध जैसे प्रश्न आने की काफी संभावना रहती है, इसलिए यदि आप कक्षा 6 से 12 तक किसी भी कक्षा के छात्र हैं तो यह chandrayaan 2 par nibandh आपके लिये बहुत ही महत्वपूर्ण है, इसलिए आप इसे बिल्कुल अच्छे से जरुर पढ़ें।
साथ ही यह निबंध उन छात्रों के लिये भी काफी सहायक है जो, इस समय किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे है क्योकी कई प्रतियोगी परीक्षाओं में भी चंद्रयान-2 मिशन पर निबंध जैसे प्रश्न पुछे जाते है। ऐसे में अगर आप इस निबंध को पहले से ही पढ़े और समझे रहेंगे तो, परिक्षा में आपको काफी सहायता मिलेगी। इस चंद्रयान 2 के निबंध में हम Chandrayaan 2 के बारे में बहुत से जानकारी को अच्छे से समझेंगे जैसे चंद्रयान-2 मिशन क्या है, चन्द्रयान -2 का उद्देश्य क्या है और चन्द्रयान 2, चन्द्रयान 1 से किस प्रकार भिन्न आदि इन सभी प्रश्नों को हम इस निबंध में बिल्कुल विस्तार से समझेंगे। तो अगर आप chandrayaan 2 par nibandh को अच्छे से समझना चाहते है तो, इस आर्टिकल को पुरा अन्त तक अवश्य पढ़े।
चंद्रयान 2 पर निबंध हिन्दी में (Chandrayaan 2 Par Nibandh)
प्रस्तावना -- सभ्यता की शुरुआत से ही मानव अन्तरिक्ष की विशेष कर चाँद की कल्पनाएँ करता रहा है। इन रोमांचक कल्पनाओं में चाँद कभी अध्यात्म का विषय रहा तो कभी कविताओं और दन्तकथाओं का। हमारे देश में चाँद से लगाव इतना ज्यादा है कि आज भी बच्चों को चन्दा मामा की कहानी सुनायी जाती है। भारतीय साहित्य में ज्योतिष कर्मकाण्ड, आचार व्यवहार आदि में चन्द्रमा का अति महत्त्वपूर्ण स्थान है। रात्रि में चन्द्रमा की सुन्दरता और अधिक बढ़ जाती है, जिसको पृथ्वी पर अनुभव किया जा सकता है। यही कारण है कि चन्द्रमा के प्रति जिज्ञासा बढ़ जाती है तथा वैज्ञानिक अपनी जिज्ञासा शान्त करने हेतु निरन्तर खोज में लगे रहते हैं।
वर्ष 1969 में अमेरिकी अन्तरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग ने पहली बार चन्द्रमा पर कदम रखा था तथा उसने कहा था "यह एक इंसान के लिए छोटा कदम है, लेकिन मानवता के लिए लम्बी छलाँग है।" इसके बाद प्रत्येक देश ने चन्द्रमा पर जाने का सपना देखा था। इस सपने को साकार करने हेतु भारत ने सीमित संसाधन क्षमता के बावजूद अतुलनीय साहस का परिचय दिया है तथा वर्ष 2019 तक दो चन्द्र अभियान के साथ अन्तरिक्ष में लम्बी छलाँग लगाकर अपने आप को शक्तिशाली राष्ट्र की श्रेणी में स्थापित कर लिया है साथ ही विश्व के लिए प्रेरक शक्ति बन गया है।
चन्द्रयान - 2 के बारे में जानकारी
भारत में इसरों के द्वारा चन्द्रमा पर मिशन भेजने का पहला प्रयास 22 अक्टूबर, 2008 को पीएसएलवी सी -11 (पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हिकल - सी -11) द्वारा चन्द्रयान प्रथम को भेजकर किया गया। यह मिशन 29 अगस्त, 2009 तक कार्यशील रहा। इस मिशन ने चन्द्रमा पर बर्फ के रूप में पानी होने की एक बड़ी खोज की तथा पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।
चन्द्रमा के विषय में और अधिक जानकारी प्राप्त करने हेतु भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) ने 22 जुलाई, 2019 को चन्द्रयान -2 को अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट जीएसएलवी मार्क- III एम- I से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर इतिहास रच दिया। उल्लेखनीय है कि इसका प्रक्षेपण 13 जुलाई, 2019 को ही किया जाना था, किंतु कतिपय तकनीकी समस्याओं के कारण प्रक्षेपण से कुछ समय पहले ही इसे रोक दिया गया था। 3840 किग्रा वजनी चन्द्रयान -2 अपने साथ न केवल अत्याधुनिक पेलोड्स को ले गया था। अपितु सवा सौ करोड़ देशवासियों की उम्मीदें एवं शुभकामना भी ले गया था।
इसका प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा से किया गया। चन्द्रयान -2 अभियान स्वयं में एक अनोखा अभियान था, क्योंकि यह दुनिया का पहला यान था, जिसे चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव (South Pole) पर भेजा जा रहा था। इससे पहले चीन के चांग-ई-4 यान ने दक्षिणी ध्रुव से कुछ दूरी पर लैण्डिंग की थी। चन्द्रमा का यह क्षेत्र अब तक दुनिया भर के वैज्ञानिकों के लिए अनभिज्ञ है। चन्द्रमा के अन्य हिस्सों की तुलना में इसके दक्षिणी ध्रुव पर अधिक छाया होने के कारण इस क्षेत्र में बर्फ के रूप में पानी होने की सम्भावना अधिक है।
यदि चन्द्रयान -2 यहाँ पर बर्फ की खोज कर लेता , तो भविष्य में यहाँ मानव के रुकने लायक व्यवस्था करने की सम्भावनाएँ बढ़ जाती। साथ ही यहाँ बेस कैम्प बनाए जाते और अन्तरिक्ष में नई खोज का रास्ता खुलता। चन्द्रयान -2 इसलिए भी विशेष है कि इस मिशन में ऑर्बिटर के अतिरिक्त विक्रम लैण्डर तथा प्रज्ञान रोवर को चाँद पर भेजा गया था। 17 सितम्बर, 2019 को चन्द्रयान -2 से लैण्डर को अलग कर इसे चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैण्डिग कराने की प्रक्रिया प्रारम्भ की गई, परन्तु दुर्भाग्य से लैण्डर से चन्द्रमा की सतह से 2.1 किमी पहले ही सम्पर्क टूट गया, लेकिन ऑर्बिटर जो अभी चन्द्रमा का चक्कर लगा रहा है, से सम्पर्क बना हुआ है।
यदि चन्द्रयान -2 मिशन सफलतापूर्वक चन्द्रमा पर लैण्ड करता तो भारत चन्द्रमा पर सॉफ्ट लैण्डिंग करने वाला विश्व का चौथा राष्ट्र बन जाता, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि यह मिशन असफल हो गया। इसरो के अनुसार चन्द्रयान -2 ने अपना 95% काम किया है। तकनीकी रूप से चन्द्रयान -2 तीन हिस्सों में बँटा हुआ था, जिसका वर्णन निम्नलिखित है
(1). ऑर्बिटर 2379 किग्रा वजन वाला ऑर्बिटर एक वर्ष तक चाँद की परिक्रमा करेगा। इसमें आठ पेलोड लगे हैं, जो अलग-अलग प्रयोगों को अंजाम देंगे। यह ऑर्बिटर बेंगलुरु स्थित इण्डियन डीप स्पेस नेटवर्क से सम्पर्क साधने में सक्षम होगा। इसके अतिरिक्त यह लैण्डर के सम्पर्क में भी रहेगा। यह ऑर्बिटर सूर्य की किरणों से हजार वाट बिजली पैदा करने में सक्षम है। यह धरती पर सूचनाएँ भेजने का कार्य करेगा।
(2). लैण्डर 'विक्रम' 1471 किग्रा वजनी लैण्डर का नाम भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान के जनक कहे जाने वाले विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया था। इस पर तीन पेलोड लगाए गए थे लैण्डर विक्रम का कार्य चन्द्रयान के तृतीय भाग रोबर को चन्द्रमा की सतह पर उतारने का था।
(3). रोवर 'प्रज्ञान' रोवर प्रज्ञान का नाम संस्कृत से लिया गया, जिसका अर्थ ज्ञान होता है। 27 किग्रा वजन वाले इस रोवर पर दो पेलोड लगे हैं। यह छह पहियों वाला एक रोबोटिक यान है। लैण्डर विक्रम तथा रोवर प्रज्ञान में लगे पेलोड्स के माध्यम से चन्द्रमा की सतह की ताप भौतिकी, भूकम्पन, मृदा की तत्त्व संरचना आदि का अध्ययन करना था, किन्तु लैण्डर विक्रम से सम्पर्क टूट जाने के कारण इस सन्दर्भ में स्थिति अभी भी स्पष्ट नहीं है।
चन्द्रयान -2 का उद्देश्य
इस अभियान का सर्वप्रथम उद्देश्य चाँद की सतह पर सुरक्षित उतरना और फिर सतह पर रोबोट संचालित करना था। इसका मुख्य उद्देश्य चाँद की सतह का नक्शा तैयार करना, चाँद पर मौजूद खनिजों का पता लगाना, चन्द्रमा के बाहरी वातावरण को स्कैन करना और किसी-न-किसी रूप में पानी की उपस्थिति का पता लगाना था। साथ ही चाँद को लेकर समझ विकसित करके उसे मानव कल्याण से जोड़ना भी इसका उद्देश्य था।
चन्द्रमा हमें पृथ्वी के क्रमिक विकास और सौर मण्डल के पर्यावरण की अविश्वसनीय जानकारी दे सकता है। इस मिशन के द्वारा चन्द्रमा की सतह का घनत्व और उसमें होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करना है, साथ ही इस मिशन का उद्देश्य ध्रुवों के पास तापीय गुणों, चन्द्रमा के आयनोस्फीयर में इलेक्ट्रॉनों की मात्रा का अध्ययन करना भी शामिल था।
चन्द्रयान -2 , चन्द्रयान -1 से किस प्रकार भिन्न है
चन्द्रयान -2, चन्द्रयान की अपेक्षा काफी बड़ा और भारी मिशन था। इस मिशन में विक्रम लैण्डर तथा प्रज्ञान रोवर भी भेजा गया था। चन्द्रयान -2 का प्रक्षेपण जीएसएलवी मार्क -2 (GSLV-m-2) की जगह जीएसएलवी मार्क -3 (GSLV-m-3) से किया गया। चन्द्रयान -2 , वर्ष 2008 के चन्द्रयान से कहीं ज्यादा विकसित था। चन्द्रयान -1 का मिशन सिर्फ ऑर्बिटर को चन्द्रमा की कक्षा में 100 किमी की ऊँचाई पर पहुंचाना था, जबकि चन्द्रयान -2 का लक्ष्य ऑर्बिटर के साथ-साथ चन्द्रमा की सतह तक पहुँचना और उसकी सतह पर रोवर चलाने का था।
इस मिशन के उपरान्त भारत का उद्देश्य चन्द्रमा पर उतरने वाला चौथा देश और चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुँचने वाला पहला देश बनने का गौरव प्राप्त करना था। यद्यपि चन्द्रयान -2 मिशन में लैण्डर और रोवर से सम्पर्क टूट गया फिर भी अपने वर्तमान स्वरूप में भी यह मिशन अति महत्त्वपूर्ण एवं लाभदायक सिद्ध हुआ। इस मिशन के द्वारा भारतीय वैज्ञानिकों के तकनीकी कौशल का सफल वैश्विक प्रदर्शन हुआ है।
आज विश्व की नजरों में इसरो को एक विश्वसनीय अन्तरिक्ष संस्थान माना जाता है। इस मिशन ने भारतीयों का आत्म स्वाभिमान बढ़ाया है, साथ ही भावी पीढ़ी को भी यह प्रेरणा प्रदान करेगा। इस प्रकार चन्द्रयान मिशन को मात्र चन्द्रमा के लिए मिशन मानना गलत होगा। चन्द्रयान मिशन सुदूर अन्तरिक्षीय कार्यक्रम को और अधिक आधार प्रदान करेगा। इस मिशन से भारत का अन्तरिक्ष के क्षेत्र में और ज्यादा ज्ञान बढ़ेगा। साथ ही भारत खगोलीय पिण्डों एवं उनकी क्रियाविधि का बेहतर अनुमान करने में और अधिक समर्थवान होगा।
इस मिशन के द्वारा चन्द्रमा का अध्ययन किया जाएगा, जिससे पृथ्वी की संरचना एवं उनकी उत्पत्ति का रहस्य सुलझाने में भी सहायता मिलेगी। चन्द्रयान मिशन के आर्थिक लाभ भी हैं, इसके माध्यम से भारत ने सस्ती तकनीक एवं दक्ष तकनीक का प्रदर्शन किया है। इससे अन्तरिक्ष बाजार में भारत का कद बढ़ेगा तथा सस्ती सेवाओं के कारण भारत अन्तरिक्ष व्यापार का प्रमुख पसन्दीदा देश बनेगा।
चन्द्रमा पर बड़ी मात्रा में खनिजों, जिसमें सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हीलियम-3 है, की भी खोज करेगा। इस प्रकार यदि भविष्य में अन्तरिक्ष खनन की सम्भावना होगी तो भारत काफी लाभ की स्थिति में रहेगा। आर्थिक लाभ के साथ-साथ चन्द्रयान मिशन के राजनीतिक महत्त्व भी हैं। इस मिशन से भारत के कद में वृद्धि हुई है। भविष्य में अन्तरिक्ष के अधिकार को लेकर यदि किसी प्रकार का समझौता होता है, तो उसमें भारत प्रमुख नेतृत्वकर्ता व में नीति-निर्माता के रूप में होगा। साथ ही भारत की अन्तरिक्ष में दक्षता भावी अन्तरिक्ष सैन्यीकरण की स्थिति में भारत को सुदृढ़ता प्रदान करेगी।
निष्कर्ष
कहा जा सकता है कि चन्द्रयान -2 वर्तमान स्थिति में भी काफी महत्त्वपूर्ण है। यह मिशन भारत को न केवल वैज्ञानिक ऊँचाइयों पर ले गया है, बल्कि वैश्विक मंच पर भी भारत का कद बढ़ाया है।
चंद्रयान 2 मिशन पर निबंध PDF
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अंतिम शब्द
यहा पर हमने chandrayaan 2 par nibandh को बिल्कुल विस्तारपूर्वक से समझा, जोकि कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों के लिये काफी सहायक है। इसके अलावा यह निबंध प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिये भी काफी महत्वपुर्ण है, इसलिए अगर आप कक्षा 6 से 12 तक के किसी क्लास के स्टूडेंट है या फिर आप किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे है, दोनो ही स्थिति में आपको इस निबंध को पढ़ना चाहिए।
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