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योग पर निबंध : महत्व एवं लाभ 2023 | Essay On Yoga In Hindi

Essay On Yoga In Hindi

इस लेख में हम योग पर निबंध को बिल्कुल अच्छे से समझने वाले हैं। यह निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 में पढ़ने वाले छात्रों के लिए उपयोगी है। इसके अलावा, यह योग पर हिंदी निबंध उन छात्रों के लिए भी काफी उपयोगी है, जो किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं।

क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं में योग से संबंधित बहुत सारे प्रश्न पूछे जाते हैं। इसलिए यदि आप इस समय किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो आपको इस निबंध को बहुत ध्यान से पढ़ना चाहिए ताकि आपको परीक्षा में मदद मिल सके। और साथ ही, यदि आप कक्षा 5 से 12 तक किसी भी कक्षा के छात्र हैं और आप योग पर निबंध हिंदी में ढूंढ रहे हैं, तो आप सही लेख पर हैं क्योंकि यहां योग पर निबंध विस्तार से दिया गया है।

आपको बता दे की, योग अनिवार्य रूप से एक अत्यंत सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित आध्यात्मिक अनुशासन है, जो मन और शरीर के बीच सामंजस्य लाने पर केंद्रित है। यह स्वस्थ जीवन जीने की कला है 'योग' शब्द संस्कृत मूल 'युज' से बना है, जिसका अर्थ है 'जुड़ना' या 'एकजुट होना'।

यहा पर इस निबंध में हम योग से सम्बंधित उन सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों को समझेंगे जो परीक्षाओं के लिये इम्पोर्टेन्ट है जैसे की- योग की परिभाषा क्या है, योग की आवश्यकता क्यों है, योग के कितने अंग होते हैं, योग के लाभ और अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस कब मनाया जाता है आदि। इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको यहा पर बिल्कुल विस्तार से देखने को मिल जायेंगे। तो अगर आप yoga par nibandh को एकदम अच्छे से समझना चाहते है तो, इस लेख को पुरा अन्त तक अवश्य पढ़े।


योग पर निबंध हिन्दी में (Yoga Par Nibandh)

योग प्राचीन भारतीय परम्परा एवं संस्कृति की अमूल्य देन है। योग अभ्यास शरीर एवं मन, विचार एवं कर्म, आत्मसंयम एवं पूर्णता की एकात्मकता तथा मानव एवं प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करता है। वह स्वास्थ्य एवं कल्याण का सहज सम्बन्ध बनाने वाला दृष्टिकोण है। योग केवल व्यायाम नहीं है, बल्कि स्वयं के साथ विश्व और प्रकृति के साथ एकल खोजने का भाव है। योग स्वयं के माध्यम से स्वयं की यात्रा है।

भारतीय दर्शन के छ: स्कूलों में से एक स्कूल योग का है। योग एक प्राचीन भारतीय जीवन पद्धति है। योग पद्धति का सूत्रधार महर्षि पतंजलि को माना जाता है। यह एक ऐसी पद्धति है, जिसके माध्यम से शरीर, मन और आत्मा के मध्य सन्तुलन स्थापित किया जा सकता है। योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द 'युज्' से हुई है, जिसके दो अर्थ हैं एक अर्थ 'जोड़ना' और दूसरा अर्थ है-अनुशासन। 

योग के अभ्यास से शरीर और मस्तिष्क के बीच एक सम्बन्ध बन जाता है, जिससे मस्तिष्क अनुशासित रहता है। यह व्यायाम का ही एक प्रकार हैं, जो शरीर और मन को नियन्त्रित करके जीवन को बेहतर बनाता है। योग हमेशा स्वस्थ जीवन जीने का एक विज्ञान है। यह एक दवा के समान है, जो हमारे शरीर के अंगों के कार्यों के करने के ढंग को नियमित करके विभिन्न बीमारियों को धीरे-धीरे ठीक करता है।

वर्तमान समय में योग

योग वास्तव में जीवन की एक कला है। यह आज की आवश्यकता के अनुरूप प्रासंगिक है। आजकल योग अधिक लोकप्रिय हो गया है, क्योंकि लोग अपने महत्त्व को महसूस कर रहे हैं। आधुनिक तनाव के इलाज की कुंजी योग में निहित है। 

योग का वैज्ञानिक और व्यवस्थित परिणाम शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के सुधार से प्राप्त किया जा सकता है। यह हमें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने का एक स्वाभाविक माध्यम है। आधुनिक जीवन के परिणामस्वरूप हमें एक व्यस्त और असन्तुष्ट जीवन-शैली मिली है।

यह सभी अनियमित भोजन की आदतों, अभाव या अनुचित नींद, लम्बे समय तक काम आदि के कारण है। नई पीढ़ी के बच्चे या वयस्क, शारीरिक लचीलापन, स्वस्थ जीवन शक्ति, ऊर्जा और रोगों के लिए समग्र प्रतिरोधक क्षमता खोज रहे हैं। इन सभी को ठीक करने का एक तरीका योग है। 

योग के आसन, प्राणायाम और ध्यान से संयमी शरीर और आत्मा के साथ सन्तुलित जीवन भी प्राप्त किया जा सकता है। योग को अपनी दिनचर्या का अंग बना लेने से हम स्वयं को ऊर्जावान महसूस करते हैं। योग के द्वारा न केवल बीमारियों का निदान किया जाता है, बल्कि स्वयं के अन्दर एक नई ऊर्जा का संचार भी किया जा सकता है।

योग के भेद (योग कितने प्रकार के होते हैं)

शरीर को सही आकार में लाने के लिए यह योग बहुत सुरक्षित, आसान और कारगर तरीका है। योग के प्रमुख भेद निम्न हैं 

कर्मयोग
यह सेवा का मार्ग है। यह हमें दूसरों की सेवा करने के लिए प्रेरित करता है।
भक्तियोग
यह हमें ईश्वर की साधना कैसे की जाए, सिखाता है। भक्तियोग भावनाओं को नियन्त्रित करने का एक सकारात्मक तरीका है। भक्तियोग मन का योग है, इससे सहिष्णुता की उत्पत्ति होती है।
ज्ञानयोग
यह बुद्धि का योग है। इस योग में बुद्धि के विकास की आवश्यकता होती है।
हठयोग
यह राजयोग की ही पूर्ववर्ती साधना है। हठयोग की साधना से ही राजयोग की साधना सम्भव है। राजयोग के अन्तर्गत धारणा, ध्यान और समाधि की ही प्रधानता रहती है, परन्तु आसन, प्राणायाम, मुद्राएँ आदि हठयोग में प्रधान होते हैं। हठयोग का सबसे प्रमुख व प्रसिद्ध अंग 'आसन' है। सुविधापूर्वक एकचित्त और स्थिर होकर बैठना, 'आसन' कहलाता है। आसन से चित्त स्थिर रहता है और अंगों में दृढ़ता आती है।
राजयोग
वर्तमान में यह सबसे अधिक प्रचलित योग है। यह योग की शाखा का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग है। योग के आठ अंग होते हैं - यम (संकल्प लेना), नियम (आचरण या आत्म-अनुशासन), आसन, प्राणायाम (श्वासों पर नियन्त्रण), प्रत्याहार (इन्द्रियों पर नियन्त्रण), धारणा (एकाग्रता), ध्यान या मेडिटेशन और समाधि (परम आनन्द की अनुभूति या मोक्ष प्राप्ति)।

योग की अभिक्रिया आसन से आरम्भ होती है और इससे पूर्व यम तथा नियम से गुजरकर साधन को परिशुद्ध होना पड़ता है। यह आपको योग के अनुकूल बनाता है। आसन का अभ्यास शरीर और मन में स्थायित्व लाने में सक्षम है। यह दैहिक स्थिति एवं जागरूकता बनाए रखने की योग्यता प्रदान करता है।  प्राणायाम श्वास-प्रश्वास की प्रक्रिया का सुव्यवस्थित रूप है। 

इसके नियमित अभ्यास से श्वसन की प्रक्रिया सामान्य रहती है। मन में सजगता उत्पन्न करने एवं उसके नियन्त्रण में यह सहायक होता है। अपने श्वसन तन्त्र पर नियन्त्रण से शरीर के प्रमुख अंगों-मुख, नासिका (नाक) तथा फेफड़े पर अपना अधिकार बढ़ता है। पूरक, रेचक तथा कुम्भक को अपनी साधना का मूल बनाकर शरीर पर नियन्त्रण की प्रक्रिया पूर्ण होती है। पूरक श्वास को अन्दर लेने की प्रक्रिया है।

कुम्भक में साधक अपने श्वास को शरीर के भीतर रोकता है और रेचक में वह प्राणवायु को बाहर छोड़ता है। प्रत्याहार में इन्द्रियों को वश में किया जाता है। इस पड़ाव पर सांसारिक विषय का त्याग कर मनुष्य एकीकरण की ओर बढ़ती धारणा का अभ्यास मनोयोग के व्यापक स्वरूप का एकीकरण है, जो ध्यान में परिवर्तित होता है।

इस प्रक्रिया में चिन्तन एवं एकीकरण धीरे-धीरे समाधि की अवस्था में परिवर्तित हो जाता है। योग की यह प्रक्रिया शरीर को साधक के वश में करती है, जिससे वह अपनी मानसिक ऊर्जा का उपयोग अपनी प्रेरणा के आधार पर करता है। वह जब चाहे श्वास ले सकता है, उसे रोक सकता है तथा उसे छोड़ सकता है।

योग के लाभ

योग, आत्मा से परमात्मा के मिलन की कोई क्रिया नहीं है। वह किसी भी रूप में आध्यात्मिक फलन है। योग वस्तुत: शारीरिक और मानसिक क्रिया है, जो शरीर को निरोग रखती है। योग एक सम्पूर्ण व्यायाम है। इसके विभिन्न आसन और प्राणायाम से हमारा शरीर मजबूत बनता है। यह दैनिक क्रियाओं के साथ ही स्वस्थ शरीर और मन की क्रिया है। 

योग तथा प्राणायाम हमारी श्वसन प्रणाली को मजबूत बनाते हैं। नाड़ी शोधन, शीतली, कपालभाति जैसी क्रियाओं से शरीर में प्राणवायु की सन्तुलित मात्रा बढ़ती है। इससे स्नायु तन्त्र तन्दुरुस्त होता है। सन्तुलित श्वसन क्रिया से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है। इससे अस्थमा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप एवं कैंसर जैसे रोगों को नियन्त्रित किया जा सकता है। 

आधुनिक जीवन में व्यक्ति मानसिक तनाव तथा चिन्ता से ग्रस्त है। चिन्ता, भय, क्रोध, ईर्ष्या इत्यादि मानसिक विकास हमारे शरीर पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। नियमित योग चंचल मन को नियन्त्रित करता है, मानसिक विकारों से मुक्ति के साथ स्वस्थ शरीर का विकास होता है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता से हम विषाणुओं से लड़ते हैं, जो हमारे शरीर को रोगों से उन्मुक्त बनाते हैं।

नियमित योग का अभ्यास करने से हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ जाती है। नियमित योग के अभ्यास से कई रोगों से मुक्ति मिल सकती है। कई रोगों की तीव्रता कम हो जाती है तथा कई रोगों से छुटकारा मिल जाता है। रोग मुक्ति के लिए यह आवश्यक है कि किसी योग विशेषज्ञ की सलाह ली जाए और उसी के अनुरूप अभ्यास किया जाए।

अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस

योग का इतिहास 5000 साल पुराना है। पश्चिम के लोग योग से परिचित तब हुए, जब स्वामी विवेकानन्द ने शिकागो यात्रा के दौरान योग के महत्व के बारे में बताया। इसके बाद पश्चिम में योग के प्रचार-प्रसार में कई योग गुरुओं का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। आज पश्चिम में योग की लोकप्रियता बढ़ रही है। 

भारत एवं विश्व में योग के प्रचार-प्रसार, उसे लोकप्रिय बनाने और सभी लोगो के लिए शिक्षा उपलब्ध कराने का श्रेय बाबा रामदेव को जाता है। स्वामी रामदेव ने वर्ष 2006 में महर्षि दयानन्द ग्राम, हरिद्वार में पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट के अतिरिक्त अत्याधुनिक औषधि निर्माण इकाई पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड नाम से दो सेवा प्रकल्प स्थापित किए। 

अपने योग शिविरों के माध्यम से बाबा रामदेव भारतीय संस्कृति और योग के महत्त्व को विदेशों में भी जन-जन तक पहुँचाने का कार्य कर रहे हैं। 11 दिसम्बर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र में 177 सदस्यों द्वारा 21 जून को 'अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस' मनाने की मंजूरी मिली। 

इस प्रकार 21 जून, 2015 को विश्व का पहला योग दिवस विश्व के 191 देशों में मनाया गया। भारत का मुख्य कार्यक्रम दिल्ली के राजपथ पर प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हुआ, जिसमें 80 देशों के 37,000 लोगों ने एकसाथ राजपथ पर योग किया। राजपथ पर इतने लोगों द्वारा एकसाथ योग करना 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड' में दर्ज हो गया। 

भारत में इस अवसर पर विशेष डाक टिकट जारी किया गया तथा ₹100 और ₹10 के सिक्के जारी किए गए। 21 जून, 2020 को छठा अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। इस योग दिवस का थीम 'स्वास्थ्य के लिए योग-घर पर योग' था। वर्ष 2020 में कोविड -19 महामारी के चलते लोगों को ऐसी थीम दी गई, जो सेहत व स्वास्थ्य को बढ़ावा दे।

निष्कर्ष 

इस प्रकार योग के अनगिनत लाभ हैं। हम केवल यह कह सकते हैं कि योग, भगवान द्वारा मानव सभ्यता को दिया गया वरदान है। वास्तव में, यह किसी चमत्कार से कम नहीं है कि जिन बीमारियों का वर्तमान चिकित्सा पद्धति में कोई इलाज सम्भव नहीं है, आज योग के माध्यम से लोग उन पर विजय प्राप्त कर रहे हैं। 

यह शारीरिक और मानसिक लाभ तो देता ही है, साथ ही इससे हमें आत्मज्ञान भी प्राप्त होता है। साथ ही वर्तमान परिस्थितियों में कोरोना संक्रमण के चलते प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में बहुत से नकारात्मक परिवर्तन हुए हैं, इन परिवर्तनों का प्रभाव व्यक्ति की शारीरिक व मानसिक स्थिति पर भी पड़ा है, जिस कारण मानव जीवन में योग का महत्त्व बढ़ गया है अर्थात् आज योग मनुष्य की आवश्यकता बन गई है।

योग पर निबंध Pdf

योग पर निबंध का पीडीएफ फ़ाईल आप नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करके बड़े ही आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं। और इस पीडीएफ की सहायता से आप कभी भी जब चाहे बिना इंटरनेट के (योगा पर निबंध) को पढ़ सकते है। essay on yoga pdf download करने के लिये आप नीचे दिये गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करे और फिर गूगल ड्राइव में जाकर पीडीएफ फ़ाईल को सरलतापूर्वक डाउनलोड करें।

अंतिम शब्द

यहा पर इस लेख में हमने essay on yoga in hindi को एकदम अच्छे से समझा जोकि, कक्षा 5 से 12 तक के छात्रों एवं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए काफी उपयोगी है। हमने इस निबंध के माध्यम से योग से जुड़े कई महत्त्वपूर्ण प्रश्नो को समझा, जिससे की छात्रो को योग की पुरी जानकारी प्राप्त हो सके और उन्हे इससे परीक्षा में मदद मिले।

इसी के साथ हम आप सभी छात्रों से आशा करते है की यह निबंध आपको जरुर पसंद आया होगा और हमे उमीद है की इस लेख की सहायता से आपको योग पर निबंध कैसे लिखें बिल्कुल अच्छे से समझ में आ गया होगा। अगर आपके मन में इस लेख से सम्बंधित कोई सवाल या सुझाव है, तो आप नीचे कमेंट कर सकते है और साथ ही इस yoga par nibandh को आप अपने सहपाठी एवं मित्रों के साथ शेयर भी जरुर करे।

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