ओजोन परत पर निबंध : लाभ और हानि | Essay On Ozone Layer In Hindi

Essay On Ozone Layer In Hindi

इस लेख में हम ओजोन परत पर निबंध को विस्तार से समझने जा रहे हैं, जो कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों के लिए उपयोगी होगा। इसके साथ ही यह निबंध उन सभी छात्रों के लिए भी बहुत ही महत्वपूर्ण है, जो वर्तमान में किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि कई कॉम्पिटिटिव एग्जाम में ओजोन परत से संबंधित कई प्रश्न पूछे जाते हैं और हमने इस निबंध में उन सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों को शामिल किया है।

तो, यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों में से एक हैं, या फिर आप कक्षा 6वीं से 12वीं तक किसी भी क्लास के छात्र हैं, और आप essay on ozone parat in hindi ढूंढ रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए ही है। क्योंकि यहां ओजोन परत पर निबंध बहुत ही संक्षेप में दिया गया है, जिसे पढ़ने के बाद आप ओजोन परत को अच्छी तरह से समझ सकते है। वैसे आपको बता दें कि ओजोन परत पृथ्वी के वायुमंडल का एक पतला हिस्सा है जो सूर्य की लगभग सभी हानिकारक पराबैंगनी रोशनी को अवशोषित कर लेती है और हमें हानिकारक पराबैंगनी किरणों से सुरक्षित रखती है।

इस निबंध में हम ओजोन परत से जुड़े लगभग सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों को विस्तार से समझने का प्रयास करेंगे, जिन महत्वपूर्ण प्रश्नों के बारे में हम बात कर रहे हैं वे इस प्रकार हैं- ओजोन परत का निर्माण, ओजोन परत की खोज कब हुई, ओजोन परत की खोज किसने की थी, ओजोन परत में छिद्र, ओजोन क्षरण का कारण, ओजोन परत का महत्त्व और ओजोन परत के संरक्षण हेतु किये गए प्रयास आदि। ओजोन परत से जुड़े इस प्रकार के सभी सवालों के जवाब आपको इस निबंध में विस्तार से मिल जायेंगे, इसलिए आप इस निबंध को पुरा अन्त तक ध्यानपूर्वक से अवश्य पढ़े।

ओजोन परत पर निबंध 2023 (Ozone Parat Par Nibandh)

वायुमण्डल अनेक गैसों का मिश्रण है, जिसमें ठोस और तरल पदार्थों के कण असमान मात्राओं में तैरते रहते हैं। नाइट्रोजन सर्वाधिक मात्रा में है, तत्पश्चात् ऑक्सीजन, ऑर्गेन, कार्बन डाइऑक्साइड, निऑन, हीलियम, ओजोन व हाइड्रोजन आदि गैसों का स्थान आता है। इन समस्त गैसों में यद्यपि ओजोन गैस बहुत कम मात्रा में वायुमण्डल में पाई जाती है, तथापि यह पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण गैस है।

ओजोन परत एक तरह से पृथ्वी का सुरक्षा कवच है। यह सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों से हमारी रक्षा करती है। यह गैस समताप मण्डल के निचले भाग में पाई जाती है। इसकी उपस्थिति 15 से 50 किमी की ऊँचाई तक होती है, परन्तु 15 से 35 किमी की ऊँचाई पर यह सघनता से पाई जाती है। 

ओजोन की सघनता एक पट्टी के रूप में पाई जाती है, जिसे ओजोन लेयर कहते हैं। यह लेयर बहुत पतली होती है। यह पृथ्वी पर आने वाली सूर्य की पराबैंगनी किरणों को रोकने का कार्य करती है। यदि सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणें सीधे पृथ्वी तक पहुँच जातीं तो ये जीव-जन्तुओं, पेड़-पौधों तथा समस्त वातावरण के लिए हानिकारक प्रभाव वाली होतीं। 

ओजोन गन्धयुक्त गैस होती है, जो हल्के नीले रंग की होती है। इस गैस के कारण ही पृथ्वी पर जीवन सम्भव है। ओजोन परत पृथ्वी पर जीवन के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। यह पृथ्वी में ही वायुमण्डल की एक परत होती है। ओजोन परत में ओजोन गैस की मात्रा अधिक पाई जाती है। ओजोन ऑक्सीजन का ही एक प्रकार है। 

ऑक्सीजन के तीन परमाणु जब आपस में जुड़ते हैं, तो वे ओजोन परत का निर्माण करते हैं। ओजोन परत समतापमण्डल में हानिकारक नहीं होती है, लेकिन पृथ्वी पर जो ओजोन परत होती है, वह खतरनाक होती है। ओजोन परत का 90% भाग समतापमण्डल में तथा शेष 10% भाग क्षोभमण्डल में पाया जाता है।

ओजोन परत का निर्माण

ओजोन परत सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों के कारण निर्मित होती है। यह पराबैंगनी किरणें जब ऑक्सीजन (O²) के अणु पर पड़ती हैं, तब यह ऑक्सीजन के दो परमाणुओं को अलग-अलग कर देती हैं। जब ये दोनों परमाणु अलग हो जाते हैं तो यह ऑक्सीजन के दूसरे अणु से मिलकर ओजोन (O³) का निर्माण करते हैं। ओजोन परत की मोटाई भौगोलिक दृष्टि और मौसम के अनुसार परिवर्तित होती रहती है। ओजोन परत की खोज वर्ष 1913 में फ्रांस के भौतिकविद् फैबरीचार्ल्स और हेनरी बुसोन ने थी।

पृथ्वी का सुरक्षा कवच ओजोन परत

ओजोन परत को पृथ्वी का सुरक्षा कवच कहा जाता है, लेकिन पृथ्वी पर लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के कारण इस कवच की मोटाई धीरे-धीरे कम होती जा रही है। जैसा कि स्पष्ट है कि ओजोन का एक अणु ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बना होता है। इसका रंग हल्का नीला होता है और इससे एक विशेष प्रकार की गन्ध आती है। 
भूतल से लगभग 50 किमी. तक की ऊँचाई पर वायुमण्डल में ऑक्सीजन, हीलियम, ओजोन और हाइड्रोजन गैस की परतें पाई जाती हैं, जिसमें ओजोन पृथ्वी के लिए सुरक्षा कवच का कार्य करती है। यह परत सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों से पृथ्वी पर मानव जीवन की रक्षा करती है। मानव शरीर में कोशिकाओं में सूर्य से आने वाली इन पराबैंगनी किरणों को सहने की शक्ति नहीं होती है।

ओजोन परत में छिद्र

▪︎ कई अध्ययनों में यह पाया गया है कि वायुमण्डल में सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों के 99% भाग को अवशोषित कर लेने वाली ओजोन परत की मात्रा धीरे-धीरे कम होती जा रही है।

▪︎ ओजोन परत के क्षरण की जानकारी सर्वप्रथम वर्ष 1960 में मिली थी। एक अनुमान के अनुसार वायुमण्डल में ओजोन की मात्रा प्रतिवर्ष 0.5% की दर से कम हो रही है।

▪︎ वर्ष 1985 में वैज्ञानिकों ने यह भी पता लगाया कि अण्टार्कटिका महाद्वीप के ऊपर ओजोन परत में एक बड़ा छिद्र हो गया है और यह लगातार बढ़ता जा रहा है। इससे अण्टार्कटिका के ऊपर वायुमण्डल में ओजोन की मात्रा 20-30 % कम हो गई है।

▪︎ अण्टार्कटिका के अतिरिक्त ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड आदि देशों के ऊपर भी वायुमण्डल में ओजोन परत में छिद्र देखे गए हैं।

ओजोन परत के क्षरण का कारण

वर्तमान में ओजोन परत का क्षरण बहुत तेजी से हो रहा है, जिसके लिए प्राकृतिक कारणों के साथ-साथ मानवीय कारण भी उत्तरदायी हैं, जो निम्न हैं -

क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC) ओजोन परत के क्षरण का एक प्रमुख कारण है। ओजोन परत में जो विघटन होता है, उसके लिए यह उत्तरदायी होती है।
सफाई में प्रयोग किए जाने वाले विलयों में कार्बन टेट्राक्लोराइड पाया जाता है, जो ओजोन परत के लिए हानिकारक होता है।
वाहनों व उद्योगों से विमुक्त होने वाली विषाक्त गैसें तथा घरेलू सामग्री (रेफ्रीजरेटर, कूलर, एयरकण्डीशन आदि) से उत्पन्न गैसें।
हाइड्रो क्लोरोफ्लोरो कार्बन (HCFC), मिथाइल क्लोरोफॉर्म तथा मिथाइल ब्रोमाइड जैसे रासायनिक पदार्थ भी ओजोन परत के क्षरण के लिए उत्तरदायी हैं।

ओजोन परत के क्षरण के प्रभाव

समतापमण्डल में ओजोन अणुओं की कमी से अधिक मात्रा में पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर पहुँचती हैं, जो जीवन के सभी रूपों को कई तरह से हानि पहुँचा सकती हैं। ये त्वचीय कैंसर की दर बढ़ा सकती हैं, साथ ही उसे रूखा, झुर्रियों भरा और असमय बूढ़ा भी कर सकती हैं। 

ये मनुष्यों तथा जन्तुओं में तेज विकार, विशेषत: मोतियाबिन्द को बढ़ा सकती हैं तथा मनुष्य तथा जन्तुओं की रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता को भी कम कर सकती हैं। पराबैंगनी किरणें पौधों की पत्तियों का आकार छोटा कर सकती हैं तथा अंकुरण का समय बढ़ा सकती हैं।

यह मक्का, चावल, सोयाबीन, मटर, गेहूँ जैसी फसलों से प्राप्त होने वाले अनाज की मात्रा कम कर सकती हैं।पराबैंगनी किरणों के समुद्री सतह के भीतर तक प्रवेश कर जाने से सूक्ष्म जलीय पौधे (फाइटोप्लैंक्टन्स) की वृद्धि धीमी हो सकती है। ये छोटे तैरने वाले उत्पादक समुद्र तथा गीली भूमि की खाद्य शृंखलाओं की प्रथम कड़ी होते हैं। 

स्थलीय पारितन्त्रों की खाद्य शृंखलाएँ भी पराबैंगनी किरणों की अधिकता से प्रभावित होंगी, क्योंकि अधिकांश स्थलीय पौधों पर इसका प्रभाव पड़ेगा। बढ़ा हुआ पराबैंगनी विकिरण पेण्ट, कपड़ों को हानि पहुँचाएगा, जिससे उनका रंग उड़ जाएगा। प्लास्टिक के फर्नीचर, पाइप आदि सूर्य का प्रकाश पड़ने पर तेजी से खराब होंगे।

ओजोन परत का महत्त्व

हमारे वायुमण्डल में ओजोन परत का बहुत महत्त्व है, क्योंकि यह सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को सोख लेती है। यदि ये विकिरण पृथ्वी तक पहुँच जाएँ तो इससे अनेक घातक एवं जानलेवा बीमारियाँ पैदा हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त यह पेड़-पौधों और जीवों को भी भारी नुकसान पहुँचाती हैं। पराबैंगनी किरणें मनुष्य, जीव-जन्तुओं और वनस्पतियों के लिए अत्यन्त हानिकारक होती हैं।

ओजोन परत के संरक्षण हेतु प्रयास

जलवायु परिवर्तन, बढ़ते प्रदूषण एवं ग्लोबल वार्मिंग को देखते हुए बीसवीं शताब्दी में संयुक्त राष्ट्र एवं अन्य वैश्विक संगठनों ने पर्यावरण की सुरक्षा की बात करनी शुरू की। ओजोन परत के क्षय के विषय में पहली बार वर्ष 1976 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की प्रशासनिक परिषद् में विचार-विमर्श किया गया। 

इसके बाद वर्ष 1977 में ओजोन परत के विशेषज्ञ वैज्ञानिकों की बैठक आयोजित की गई। यूएनईपी एवं विश्व मौसम संगठन ने समय-समय पर ओजोन परत में होने वाले क्षय को जानने के लिए ओजोन परत समन्वय समिति का गठन किया। ओजोन परत के संरक्षण के लिए वर्ष 1985 में वियना सम्मेलन हुआ एवं इसकी नीतियों को विश्व के अधिकतर देशों ने वर्ष 1988 में लागू किया। 

वियना समझौते के परिणामस्वरूप 16 सितम्बर, 1987 को ओजोन परत की रक्षा हेतु मॉण्ट्रियल समझौता हुआ, जिसमें ओजोन परत के क्षरण के लिए सर्वाधिक उत्तरदायी क्लोरोफ्लोरो कार्बन (सीएफसी) एवं हाइड्रो क्लोरोफ्लोरो कार्बन (एचसीएफसी) जैसे रासायनिक पदार्थों के उत्पादन तथा खपत कम करने के लिए आवश्यक उपायों पर भी चर्चा की गई।

इसके बाद इस विषय से सम्बन्धित कई समझौते एवं सम्मेलन विश्व के कई अन्य शहरों में किए गए। खांडा के किगाली में अक्टूबर, 2016 (MOP 28) में 197 देशों द्वारा हाइड्रोफ्लोरो कार्बन श्रेणी की ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में को कम करने के लिए ऐतिहासिक समझौता किया गया, जिसे 'किगाली समझौता' कहा गया। इसमें वर्ष 2045 तक हाइड्रोफ्लोरो कार्बन (HFC) को 85% तक कम करने का लक्ष्य रखा गया।

इसमें प्रावधान किया गया कि विकसित देश वर्ष 2019 से ही एचएफसी गैसों में कटौती प्रारम्भ करेंगे तथा 2045 तक इसमें 85% तक की कमी लाएँगे। वहीं भारत, ईरान, पाकिस्तान तथा खाड़ी देश आदि के लिए वर्ष 2028 से इस गैस के उत्सर्जन में कमी करने का प्रावधान किया गया। इसके लिए वर्ष 2047 तक वर्ष 2024-26 के स्तर से 85% तक कमी लाने का प्रावधान किया गया। 

हालाँकि भारत ने वर्ष 2030 तक ही एचएफसी -23 के उपयोग को पूर्णत: समाप्त करने की प्रतिबद्धता जताई है। अन्तर्राष्ट्रीय समझौते का पूर्णरूपेण पालन करने पर वर्ष 2050 तक ओजोन परत ठीक होने की सम्भावना जताई जा रही है। भारत ने मॉण्ट्रियल समझौते पर 17 सितम्बर, 1992 को हस्ताक्षर किया। आज विश्व के 197 देश इस अन्तर्राष्ट्रीय समझौते से जुड़े हुए हैं।

अन्य राष्ट्रों के साथ-साथ भारत भी इस समझौते को ईमानदारीपूर्वक निभा रहा है। इस दिशा में भारत द्वारा वर्ष 1993 में एक विस्तृत इण्डिया कण्ट्री प्रोग्राम ओजोन शुरू किया गया, जिससे विघटनकारी पदार्थ को धीरे-धीरे बाहर करने के लिए लाया गया, ताकि राष्ट्रीय औद्योगिक विकास रणनीति के अनुसार ओजोन विघटनकारी पदार्थों को बाहर किया जा सके।

इसके साथ ही ओजोन परत को प्रभावित करने वाले प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कारकों के नियन्त्रण हेतु पर्यावरण हितैषी अभियान व पूरक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसमें राज्य भी अनुकूल कदम उठाने के प्रति प्रयासरत हैं, जैसे केरल ने जून, 2017 में पर्यावरण हितैषी ग्रीन प्रोटोकॉल लागू किया है। भारत में ओजोन क्षरण पदार्थ सम्बन्धित कार्य का संचालन मुख्यतः पर्यावरण एवं वन मन्त्रालय द्वारा किया जा रहा है।

फलस्वरूप इधर कुछ दशकों से ओजोन परत की स्थिति में सुधार देखा जा रहा है, जो पर्यावरण सन्तुलन व सुरक्षा हेतु अच्छा संकेत है। वर्ष 1995 से मॉण्ट्रियल समझौते की यादगार तिथि के रूप में 16 सितम्बर को पूरे विश्व में ओजोन दिवस के रूप में मनाया जाता है। सितम्बर, 2019 में ओजोन संरक्षण दिवस के अवसर पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु मन्त्री प्रकाश जावड़ेकर ने भारत की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि "भारत इस दिशा में लगातार प्रयास कर रहा है।" 

25 वें ओजोन दिवस के अवसर पर उन्होंने कहा कि "विश्व ओजोन दिवस, 2019 की वैश्विक स्तर पर थीम '32 इयर्स एण्ड हीलिंग' है। यह हमें बायुमण्डल में ओजोन परत के संरक्षण के प्रयासों को जारी रखने की प्रतिबद्धता की याद दिलाता है। भारत इस दिशा में सार्थक पहल कर 'कूलिंग प्लान' को लागू करने वाला पहला देश है।"

निष्कर्ष

ओजोन परत का क्षय रोकने के लिए हमें कई आवश्यक उपाय करने होंगे। इसके लिए सर्वप्रथम हमें जनसंख्या को स्थिर बनाए रखने की आवश्यकता है, क्योंकि जनसंख्या के बढ़ने से भौतिकवादी संस्कृति के विकास को अत्यधिक बढ़ावा मिलेगा, जिससे औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा, जो ओजोन के क्षरण का कारण बनेगा। अत : यदि हम चाहते हैं कि प्रदूषण कम हो एवं पर्यावरण की सुरक्षा के साथ-साथ सन्तुलित विकास भी हो, तो इसके लिए हमें नवीन प्रौद्योगिकी का प्रयोग करना होगा।

इसलिए पूरे विश्व में अधिक-से-अधिक पौधे लगाकर और उन्हें सुरक्षा प्रदान कर तथा लोगों में जागरूकता बढ़ाकर ओजोन परत के संरक्षण में सहयोग किया जा सकता है। यदि सम्पूर्ण मानव जगत् मिल-जुलकर पर्यावरण के साथ मित्रवत व्यवहार करते हुए ओजोन परत का हितैषी बन जाए, तो निश्चय ही आने वाले चार-पाँच दशकों में ओजोन परत के छिद्र भर जाएँगे।

ओजोन परत पर निबंध Pdf

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अंतिम शब्द

यहा पर इस लेख में हमने "ओजोन परत पर निबंध" को बिल्कुल अच्छे से देखा। यह निबंध उन छात्रों के लिए काफी मददगार है, जो इस समय किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे है। तो अगर आप भी उन्हीं छात्रों में से है, तो इस निबंध को आप अच्छे से जरुर पढ़े एवं समझे, जिससे की आपको परीक्षा में मदद मिले। साथ ही अगर आप कक्षा 6 से 12 तक के किसी क्लास के स्टूडेंट्स है और आपको आपके विद्यालय से ozone layer par nibandh लिख कर लाने का होमवर्क मिला है। तो, ऐसे में आप अपना होमवर्क पुरा करने के लिये इस लेख का सहारा ले सकते है। 

यह निबंध आपको कैसा लगा कमेंट के माध्यम से आप हमे अपने विचार हमारे साथ जरुर साझा करे। इसी के साथ हम आशा करते है की, आपको यह निबंध जरुर पसंद आया होगा और हमे उमीद है की इस लेख की सहायता से ओजोन परत पर निबंध कैसे लिखें? आप अच्छे से समझ गये होंगे। यदि आपके मन में इस निबंध से सम्बंधित कोई सवाल या सुझाव हो, तो आप हमे नीचे कमेंट कर सकते हैं। और साथ ही इस ozone parat par nibandh को आप अपने सभी मित्रों के साथ शेयर जरुर करे।

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