महात्मा गांधी का सम्पूर्ण जीवन परिचय | Mahatma Gandhi Biography In Hindi [ PDF ]

Mahatma Gandhi Biography In Hindi

महात्मा गांधी का जीवन परिचय, जीवनी, बायोग्राफी, जन्म, धर्म, जाति, माता-पिता, भाई, बहन, पत्नी, बच्चे, मृत्यु (Mahatma Gandhi Ki Jivani, Biography, Religion, Caste, Family, Death)

इस आर्टिकल में हम भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के जीवन परिचय को विस्तार से समझेंगे, यहा पर हम महात्मा गांधी जी के जीवन से सम्बंधित बहुत से प्रश्नों को विस्तार से देखेंगे जैसे की, महात्मा गांधी का पुरा नाम क्या है, महात्मा गांधी का जन्म कब और कहां हुआ था, महात्मा गांधी के माता-पिता का नाम, महात्मा गांधी किस धर्म के थे, महात्मा गांधी के आंदोलन, महात्मा गाँधी के द्वारा किये गए सुधार और महात्मा गाँधी के कुछ प्रसिध्द नारे आदि। इन सभी सवालों के जवाब आपको इस आर्टिकल में अच्छे से मिल जायेंगे तो, अगर आप mahatma gandhi ka jivan parichay अच्छे से समझना चाहते है तो, इस आर्टिकल को पुरा अन्त तक अवश्य पढ़े।

"चल पड़े जिधर दो पग डगमग, चल पड़े कोटि पग उसी ओर, पड़ गई जिधर भी एक दृष्टि, गड़ गए कोटि दृग उसी ओर।" हिन्दी के मूर्धन्य कवि सोहनलाल द्विवेदी ने जिस महान् व्यक्ति का वर्णन करते हुए ऐसा लिखा है वे कोई और नहीं, बल्कि भारत के 'राष्ट्रपिता' मोहनदास करमचन्द गाँधी जी हैं। सम्पूर्ण विश्व में महात्मा गाँधी के नाम से विख्यात गाँधीजी द्वारा अपनायी गई सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह की नीति ने न केवल भारत, बल्कि विश्व राजनीति को भी नई दिशा एवं दशा प्रदान की।


उपनाम महात्मा, बापू और राष्ट्र पिता
वास्तविक नाम मोहनदास करमचन्द गांधी
जन्म तिथि 2 अक्टूबर 1869
जन्म स्थान पोरबंदर राज्य, काठियावाड़ एजेंसी, ब्रिटिश भारत
गृहनगर पोरबंदर, गुजरात (भारत)
मृत्यु तिथि 30 जनवरी 1948
मृत्यु स्थल नई दिल्ली (भारत)
मृत्यु का कारण हत्या (गोली लगने से हत्या)
हत्यारे का नाम नाथूराम गोडसे
आयु (मृत्यु के समय) 78 वर्ष
समाधि स्थल राज घाट, दिल्ली
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म हिन्दू
जाति मोध बनिया
शिक्षा अल्फ्रेड हाई स्कूल, राजकोट, यूनिवर्सिटी कॉलेज, लन्दन
शैक्षिक योग्यता बैरिस्टर
व्यवसाय वकील, विरोधी-उपनिवेशवादी, राजनीतिक नैतिकतावादी
राजनैतिक पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

महात्मा गाँधी का जीवन परिचय (Mahatma Gandhi Ka Jeevan Parichay)

महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबन्दर नामक स्थान पर एक समृद्ध परिवार में हुआ था। उनके पिता करमचन्द गाँधी पोरबन्दर के दीवान थे। उनकी माता पुतलीबाई अत्यन्त धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। घर के धार्मिक परिवेश का प्रभाव मोहनदास पर भी पड़ा इसीलिए उन्होंने राजनीति में आने के बाद भी धर्म का साथ नहीं छोड़ा। गाँधीजी की प्रारम्भिक शिक्षा पोरबन्दर के एक स्कूल में हुई। प्रवेश परीक्षा के बाद उन्हें उच्च शिक्षा के लिए भावनगर के श्यामलदास कॉलेज में भेजा गया, किन्तु वहाँ उनका मन नहीं लगा। बाद में उनके भाई लक्ष्मीदास ने उन्हें बैरिस्टर की शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैण्ड भेज दिया।

इंग्लैण्ड जाने से पहले ही मात्र तेरह वर्ष की आयु में उनका विवाह कस्तूरबा गाँधी से हो गया था। 1891 ई. में गाँधीजी इंग्लैण्ड से बैरिस्टरी पास कर स्वदेश आए और बम्बई में वकालत प्रारम्भ कर दी। गाँधीजी के सामाजिक क्रान्तिकारी जीवन का शुभारम्भ 1893 ई. में तब हुआ, जब उन्हें एक मुकदमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहाँ उन्होंने अंग्रेज़ों को भारतीयों एवं वहाँ के मूल निवासियों के साथ बहुत बुरा व्यवहार करते देखा। 

वहाँ अंग्रेज़ों ने कई बार गाँधीजी को भी अपमानित किया। फलतः उन्होंने अंग्रेज़ों के अपमान के विरुद्ध मोर्चा सँभालते हुए अपने विरोध के लिए सत्याग्रह एवं अहिंसा का रास्ता चुना। वे जब तक दक्षिण अफ्रीका में रहे, वहाँ बसे हुए भारतीयों एवं अश्वेतों को उनके मानव सुलभ अधिकार दिलाने का प्रयत्न करते रहे। उन्होंने अपने उद्देश्यों की पूर्ति हेतु अफ्रीका प्रवास के दौरान लोगों को शिक्षित करने के लिए अध्यापक के रूप में, गरीबों की सेवा के लिए चिकित्सक के रूप में, कानूनी अधिकार के लिए अधिवक्ता के रूप में एवं जनता को जागरूक करने के लिए पत्रकार के रूप में कार्य किए। अपने जीवनकाल में उन्होंने अनेक पुस्तकों की रचना की 'माई एक्सपेरिमेण्ट्स विद ट्रुथ' उनकी विश्वप्रसिद्ध आत्मकथा है।

महात्मा गाँधी का परिवार (Mahatma Gandhi Family)

पिता करमचंद गांधी
माता पुतलीबाई गांधी
भाई लक्ष्मीदास करमचंद गांधी, करसनदास गांधी
बहन मूलीबेन गाँधी, रलियत बेन, पानकुंवर बेन गाँधी
पत्नी कस्तूरबा गांधी
बच्चे हरिलाल मोहनदास गांधी, मणिलाल गांधी, देवदास गांधी, रामदास गांधी

महात्मा गांधी के आंदोलन

दक्षिण अफ्रीका में गाँधीजी के द्वारा किए गए कार्यों की ख्याति भारत में भी फैल चुकी थी, इसलिए जब वे स्वदेश बापस आए, तो उनका गोपालकृष्ण गोखले एवं लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जैसे नेताओं ने भव्य स्वागत किया। भारत में गाँधीजी ने जो पहला महत्त्वपूर्ण कार्य किया, वह था- बिहार के चम्पारण जिले के नीलहे किसानों को अंग्रेजों से मुक्ति दिलाना। वर्ष 1917 में गाँधीजी के सत्याग्रह के फलस्वरूप ही चम्पारण के किसानों का शोषण समाप्त हो सका। 

भारत में अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए गाँधीजी ने गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती आश्रम की स्थापना की। उसके बाद अंग्रेज सरकार के विरुद्ध उनका संघर्ष प्रारम्भ हुआ और भारतीय राजनीति की बागडोर एक तरह से उनके हाथों में आ गई। वे जानते थे कि सामरिक रूप से सम्पन्न ब्रिटिश सरकार से भारत को मुक्ति, लाठी और बन्दूक के बल पर नहीं मिल सकती, इसलिए उन्होंने सत्य और अहिंसा की शक्ति का सहारा लिया। अपने पूरे संघर्ष के दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। 

अंग्रेजों का विरोध करने के लिए वर्ष 1920 में उन्होंने असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ किया। अंग्रेजों ने जब नमक पर कर लगाया, तो गाँधीजी ने 13 मार्च, 1930 को अपनी डाण्डी यात्रा आरम्भ की और 24 दिनों की यात्रा के पश्चात् अपने हाथों से डाण्डी में नमक बनाकर कानून तोड़ा तथा 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन र इंग्लैण्ड भी गए, किन्तु यह समझौता अंग्रेजों की बदनीयती के कारण चलाया। इस बीच वे गाँधी - इरविन समझौते के टूट गया, परिणामस्वरूप यह आन्दोलन वर्ष 1934 तक चलता रहा। वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान लोगों को 'करो या मरो' का नारा देकर इस आन्दोलन में उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। गाँधीजी के प्रयत्नों से अन्ततः भारत 15 अगस्त, 1947 को स्वतन्त्र हुआ। वर्ष 1920 से लेकर 1947 तक भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में गाँधीजी की भूमिका के कारण इस युग को 'गाँधी युग' की संज्ञा दी गई है।

महात्मा गाँधी जी के द्वारा किये गए सुधार

एक राजनेता के अतिरिक्त गाँधीजी ने एक समाज सुधारक के रूप में जातिबाद, छुआछूत, नशाखोरी, बहुविवाह, पर्दाप्रथा तथा साम्प्रदायिक भेदभाव को समाप्त करने के लिए अनेक कार्य किए। गाँधीजी जीवनभर हिन्दू-मुस्लिम एकता के पक्षधर रहे, किन्तु आजादी मिलने के बाद वे इस एकता को बनाए नहीं रख सके, इसलिए धर्म के नाम पर जब भारत के विभाजन की बात शुरू हुई, तो वे बहुत दुःखी हुए। वे नहीं चाहते थे कि विभाजन हो, किन्तु परिस्थितियाँ ऐसी बन गईं कि विभाजन को नहीं रोका जा सका।

दुःख की बात यह है कि गाँधीजी को समझने में हिन्दू और मुसलमान दोनों से ही भूल हुई। कट्टरवादी मुस्लिमों की प्रतिक्रिया में भारत में भी एक कट्टरवादी हिन्दू संगठन पैदा हो गया। पाकिस्तान बनने के बाद भी गाँधीजी पाकिस्तान की आर्थिक मदद करना चाहते थे। कट्टरवादी हिन्दू संगठनों ने गाँधीजी की इस नीति का विरोध किया। 30 जनवरी, 1948 को जब वे प्रार्थना सभा में जा रहे थे, तब नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने गोली मारकर उनकी निर्मम हत्या कर दी। इस तरह, सत्य और अहिंसा के इस महान् पुजारी का दुःखद अन्त हो गया। गाँधीजी ने अपने स्वनिर्भर सिद्धान्त के तहत खादी एवं चरखा को प्रोत्साहित किया। साथ ही लघु एवं कुटीर उद्योग व अन्य ग्रामोद्योग को प्रोत्साहित करने पर बल दिया।

गाँधीजी भले ही आज हमारे बीच न हों, किन्तु उनके विचार प्रासंगिक हैं तथा दुनिया को रास्ता दिखाते हैं। गाँधीजी के दर्शन के चार आधारभूत सिद्धान्त हैं - सत्य, अहिंसा, प्रेम और सद्भाव। उनका विश्वास था कि सत्य ही परमेश्वर है। उन्होंने सत्य की आराधना को भक्ति माना। मुण्डकोपनिषद् से लिए गए राष्ट्रीय वाक्य सत्यमेव जयते के प्रेरणास्रोत गाँधीजी हैं। गाँधीजी की अहिंसा का अर्थ है- मन, वाणी तथा कर्म से किसी को आहत न करना। 

उनका विचार था कि अहिंसा के बिना सत्य की खोज असम्भव है। अहिंसा साधन है और सत्य साध्य। शान्ति प्रेमी टॉलस्टाय (रूस) तथा हेनरी डेविड थारो (अमेरिका) उनके आदर्श थे। गाँधीजी ने अपने सिद्धान्तों से समझौता नहीं किया। काका कालेलकर के शब्दों में- "गाँधीजी सर्वधर्म समभाव के प्रणेता थे। 'वसुधैव कुटुम्बकम्' का सिद्धान्त उनके जीवन का मूलमन्त्र था। उनके हृदय में प्रेम और सभी धर्मों के प्रति आदर भाव था, इसलिए वे 'बापू' और 'राष्ट्रपिता' कहलाए। 

अल्बर्ट आइंस्टाइन के अनुसार, "सम्भव है आने वाली पीढ़ियाँ , शायद ही विश्वास करें कि महात्मा गाँधी की तरह कोई व्यक्ति इस धरती पर हुआ था।"  गाँधीजी के योगदान को सम्मानित करने के लिए प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में तथा भारत में गाँधी जयन्ती के रूप में मनाया जाता है तथा इस दिन को राष्ट्रीय त्योहार की मान्यता प्राप्त है।

महात्मा गाँधी के कुछ प्रसिध्द नारे

भारत छोड़ो।
जहां प्रेम है वहां जीवन है।
भगवान का कोई धर्म नहीं है।
करो या मरो।
जहां पवित्रता है,
वहीं निर्भयता है।
किसी की मेहरबानी मांगना,
अपनी आजादी बेचना है।
विश्व में कुछ ऐसे भी लोग हैं,
जो इतने भूखे हैं कि भगवान् उन्हें,
किसी और रूप में नहीं दिख सकता,
सिवाय रोटी देने वाले के रूप में।
विश्व के सभी धर्म, 
भले ही और चीजों में अंतर रखते हों,
लेकिन सभी इस बात पर एकमत हैं,
कि दुनिया में कुछ नहीं बस सत्य जीवित रहता है।
दिल की कोई भाषा नहीं होती,
दिल-दिल से बात करता है।
आप कभी भी यह नहीं समझ सकेंगे,
की आपके लिए कौन महत्त्वपूर्ण है,
जब तक की आप उन्हें वास्तव में खो नहीं देंगे।

FAQ : महात्मा गांधी से जुड़े कुछ पुछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर

प्रश्न -- महात्मा गांधी का पुरा नाम क्या है?
उत्तर -- मोहनदास करमचन्द गांधी

प्रश्न -- महात्मा गांधी का जन्म कब हुआ था?
उत्तर -- महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था

प्रश्न -- महात्मा गांधी का जन्म कहां हुआ था?
उत्तर -- महात्मा गांधी का जन्म पोरबन्दर में हुआ था

प्रश्न -- महात्मा गांधी की मृत्यु कब हुई?
उत्तर -- 30 जनवरी 1948 को

प्रश्न -- महात्मा गांधी की हत्या किसने की थी?
उत्तर -- नाथूराम गोडसे ने

प्रश्न -- महात्मा गांधी के माता-पिता का नाम?
उत्तर -- महात्मा गांधी के माता का नाम पुतलीबाई गांधी और पिता का नाम करमचंद गांधी है

प्रश्न -- महात्मा गांधी के कितने भाई बहन हैं?
उत्तर -- महात्मा गांधी के 2 भाई और 3 बहन है

प्रश्न -- महात्मा गांधी के भाई के नाम?
उत्तर -- लक्ष्मीदास करमचंद गांधी, करसनदास गांधी

प्रश्न -- महात्मा गांधी के बहन के नाम?
उत्तर -- रलियत बेन, मूलीबेन गाँधी, पानकुंवर बेन गाँधी

प्रश्न -- महात्मा गांधी के पत्नी का नाम?
उत्तर -- महात्मा गांधी के पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी है

प्रश्न -- महात्मा गांधी की कितनी संतान थी?
उत्तर -- 4

प्रश्न -- महात्मा गांधी के बच्चो के नाम?
उत्तर -- हरिलाल मोहनदास गांधी, देवदास गांधी, मणिलाल गांधी, रामदास गांधी

महात्मा गांधी का जीवन परिचय PDF

यहा पर महात्मा गांधी के सम्पूर्ण जीवनी का पीडीएफ फाईल भी दिया गया है, जिसे आप बहुत ही असानी से डाउनलोड कर सकते है। और इस पीडीएफ की सहायता से आप कभी भी जब चाहे महात्मा गांधी के जीवनी को पढ़ कर इसका रिवीजन कर सकते है। mahatma Gandhi biography pdf download करने के लिये, निचे दिये गए बटन पर क्लिक करे।

निष्कर्ष

यहा पर इस लेख में हमने mahatma gandhi biography in hindi को अच्छे से समझा, हमने यहा इनके व्यक्तिगत जीवन से जुड़े कई सवालों के जवाब जाने, जिससे की आपको महात्मा गांधी की बायोग्राफी को अच्छे से समझने असानी हो। हम आशा करते हैं कि आपको यह लेख जरुर से अच्छा लगा होगा और हमे उमीद है की इस आर्टिकल की सहायता से आपको mahatma gandhi ka jivan parichay को अच्छे से समझने में काफी मदद मिली होगी। अगर आपके मन में इस लेख से सम्बंधित कोई सवाल हो, तो आप हमे नीचे कमेंट करके पुछ सकते है और साथ ही इस गांधी जी की जीवनी को आप अपने मित्रों के साथ शेयर भी जरुर करे।

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