मैरी कॉम का जीवन परिचय | Mary Kom Biography In Hindi

Mary Kom Biography In Hindi

इस आर्टिकल में हम मैरी कॉम के जीवन परिचय को बिल्कुल विस्तार से देखेंगे, यहा पर हम इनके जीवन से जुड़े कई सवालों के जवाब जानेंगे जैसे, मैरी कॉम का पूरा नाम, मैरी कॉम का जन्म कब हुआ था, मैरी कॉम का जन्म कहां हुआ था, मैरी कॉम के माता-पिता का नाम आदि। इन सभी प्रश्नों के उत्तर को हमने इस लेख में विस्तार से शेयर किया है, जिससे की आपको मैरी कॉम का जीवन परिचय अच्छे से समझ में आ जाये। तो अगर आप mary kom ka jeevan parichay बिल्कुल विस्तारपूर्वक से समझना चाहते है तो, इस आर्टिकल को पुरा अन्त तक जरुर पढ़े।


मैरी कॉम की जीवनी (Mary Kom Biography In Hindi)

खेल जगत में मैरी कॉम आज एक जाना पहचाना नाम है। महिला मुक्केबाज़ी में मैरी कॉम की प्रतिभा को भारत ही नहीं, बल्कि पूरा विश्व मान चुका है। मैरी कॉम ने अपनी मेहनत और लगन से यह सिद्ध कर दिया कि प्रतिभा का अमीरी और गरीबी से कोई सम्बन्ध नहीं होता। कुछ करने का जज्बा होना चाहिए, सफलता मिल ही जाती है।

नाम मैरी कॉम
पुरा नाम मैंगते चंग्नेइजैंग मैरी कॉम
उपनाम मॅग्नीफ़िसेन्ट मैरी
जन्म तिथि 24 नवंबर 1982
जन्म स्थान कंगथी, मणिपुर (भारत)
उम्र 39 वर्ष
माता अखम कॉम
पिता टोंपा कॉम
पति करोंग ओंखोलर कोम
शिक्षा मणिपुर युनिवर्सिटी
राष्ट्रीयता भारतीय
पुरस्कार पद्म श्री (2006), पद्म भूषण (2013), पद्म विभूषण (2020)

मैरी कॉम का प्रारम्भिक जीवन, शिक्षा एवं खेलों के प्रति आकर्षण (Mary Kom Ka Jeevan Parichay)

छः बार विश्व विजेता का पुरस्कार प्राप्त करने वाली मैरी कॉम का पूरा नाम मैंगते चंग्नेइजैंग मैरी कॉम है। इनका जन्म 1 मार्च, 1983 को मणिपुर के चुराचाँदपुर जिले के सांगा नामक स्थान पर हुआ था। इनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। अतः इनका बचपन कड़े संघर्षों में बीता। मैरी कॉम की प्राथमिक शिक्षा लोकटक क्रिश्चियन स्कूल से पूरी हुई।

सातवीं कक्षा की पढ़ाई सेण्ट जेवियर स्कूल से पूरी की। आगे की पढ़ाई के लिए वह आदिम जाति हाई स्कूल इम्फाल गईं, किन्तु परीक्षा में फेल होने के बाद उन्होंने स्कूल छोड़ दिया और राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय से परीक्षा दी। मैरी कॉम की रुचि बचपन से ही एथलेटिक्स में थी। उनके मन में बॉक्सिंग के प्रति आकर्षण उस समय उत्पन्न हुआ, जब उन्होंने खुमान लम्पक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में कुछ लड़कियों को बॉक्सिंग रिंग में लड़कों के साथ बॉक्सिंग करते देखा। मणिपुर के बॉक्सर डिंगो सिंह की सफलता ने भी उन्हें बॉक्सिंग की ओर आकर्षित किया।

मैरी कॉम ने वर्ष 1999 में इम्फाल के साई स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इण्डिया में खेलना शुरू किया। मात्र 16-17 वर्ष की आयु में उन्होंने पढ़ाई छोड़कर पूरी तरह खेलना शुरू किया। उस समय राज्य में महिलाओं का बॉक्सिंग में आना शुरू भी नहीं हुआ था। मैरी कॉम को आरम्भिक शिक्षक इब्रोमचा ने बॉक्सिंग का प्रशिक्षण दिया, हालांकि मैरी कॉम के पिता आरम्भ में उनके खेल जीवन के विरुद्ध थे। उनके पिता को लगता था कि बॉक्सिंग महिलाओं के लिए निषेध है।

मैरी कॉम का अन्तर्राष्ट्रीय करियर

मैरी कॉम ने वर्ष 2001 में पहली बार नेशनल वुमेन्स बॉक्सिंग चैम्पियनशिप जीती। इसी वर्ष एआईबीए वर्ल्ड वुमेन्स चैम्पियनशिप में उन्होंने स्वर्ण पदक प्राप्त किया। वर्ष 2003 में एशियन वुमेन्स चैम्पियनशिप में तथा वर्ष 2004 में ताईवान में आयोजित एशियन वुमेन चैम्पियनशिप में मैरी कॉम ने स्वर्ण पदक प्राप्त किया। उन्होंने एआईबीए वर्ल्ड चैम्पियनशिप 2005, 2006, 2008, 2010 तथा 2018 में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। वर्ष 2012 में आयोजित लन्दन ओलम्पिक में मैरी कॉम ने कांस्य पदक जीता।

मैग्निफिशेंट मैरी कॉम के नाम से विख्यात वह एकमात्र भारतीय महिला मुक्केबाज़ हैं, जिन्होंने वर्ष 2012 के ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई किया तथा फ्लाईवेट (51 किग्रा) वर्ग में प्रतिस्पर्द्धा की और कांस्य पदक प्राप्त किया। मैरी कॉम ने वर्ष 2014 के एशियन गेम तथा वर्ष 2018 के कॉमनवेल्थ गेम में स्वर्ण पदक जीता। वर्ष 2019 के वर्ल्ड चैम्पियनशिप में इन्हें कांस्य पदक प्राप्त हुआ। मुक्केबाज मैरी कॉम पर आधारित फिल्म 'मैरी कॉम' का निर्माण किया गया। वर्ष 2014 में निर्मित इस फिल्म का निर्देशन उमंग कुमार ने किया था। यह एक जीवनी फिल्म है, जिसमें प्रियंका चोपड़ा ने 'मैरी कॉम' की भूमिका निभाई है।

मैरी कॉम को मिले पुरस्कार एवं सम्मान

भारत सरकार ने वर्ष 2003 में मैरी कॉम को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया। वर्ष 2006 में उन्हें पद्मश्री तथा वर्ष 2009 में राजीव गाँधी खेल रत्न से सम्मानित किया गया। वर्ष 2013 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। इंचियोन एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली मुक्केबाज मैरी कॉम को सैमसंग इण्डिया ने 13 अक्टूबर, 2014 को एशियाड पदक विजेताओं के लिए एक आयोजित समारोह में सबसे मूल्यवान खिलाड़ी का सम्मान प्रदान किया। मैरी कॉम को सैमसंग इण्डिया द्वारा सर्वेक्षण में एमबीपी के रूप में नामित किया गया। वह एआईबीए विश्व महिला रैंकिंग फ़्लाईवेट वर्ग में चौथे स्थान पर हैं। वर्ष 2016 में मैरी कॉम को राज्यसभा का सदस्य बनाया गया जो वर्तमान में भी हैं। वर्ष 2020 में इन्हें 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया गया है।

मैरी कॉम का संघर्ष

मैरी कॉम की आत्मकथा 'अनब्रेकेबल : ऐन ऑटोबायोग्राफी' है, जिसमें उन्होंने यह वर्णन किया है कि एक बॉक्सर बनने के लिए उन्होंने कितना संघर्ष किया है। इस आत्मकथा की सबसे बड़ी विशेषता ईमानदार लेखन साहस के साथ अपनी बात कहना, बॉक्सिंग को अपनी जान से ज्यादा प्यार करना और उसे आने वाली पीढ़ियों के लिए लोकप्रिय बनाने की कोशिश है।

एक माँ होने की ज़िम्मेदारियाँ, पति के साथ ईमानदार रिश्ते, खेल में राजनीतिक दबाव, मणिपुर का अशान्त माहौल आदि समस्याएँ उनकी आत्मकथा के हिस्से हैं। मैरी कॉम ने अपने खेल के माध्यम से मणिपुर, भारत और अपनी जाति का नाम अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया।

उनका एकमात्र सपना है, उनके द्वारा पूर्वोत्तर के लिए स्थापित बॉक्सिंग एकेडमी को विकसित करना। इस एकेडमी में गरीब खिलाड़ियों को निःशुल्क बॉक्सिंग सिखाई जाती है। उनके परिवार में उनके पति ओनलर और उनके तीन बच्चे हैं। निःसन्देह मैरी कॉम का संघर्ष तथा इनकी उपलब्धियाँ महिला एवं वर्तमान युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत है।

Conclusion

यहा पर हमने biography of mary kom in hindi को विस्तार से देखा। हमने इस लेख मे मैरी कॉम के जीवन से सम्बंधित कई सारे प्रश्नो के उत्तर को देखा जिससे की, आपको मैरी कॉम का जीवन परिचय अच्छे से समझ में असानी हो। हम आशा करते है की आपको यह आर्टिकल जरुर पसंद आया होगा और हमे उमीद है की इस लेख की सहायता से आपको mary kom ka jeevan parichay को समझने में काफी मदद मिली होगी। अगर आपके मन में इस आर्टिकल से सम्बंधित को सवाल हो तो, आप हमे नीचे कमेंट करके पुछ सकते हैं और साथ ही इस मैरी कॉम की जीवनी को आप अपने मित्रों के साथ शेयर भी जरुर करे। 

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