मदर टेरेसा का जीवन परिचय | Mother Teresa Biography In Hindi

मदर टेरेसा का जीवन परिचय

इस आर्टिकल में हम आपको मदर टेरेसा के जीवन के बारे में सम्पुर्ण जानकारी देंगे। अगर आप मदर टेरेसा के बारे में विस्तार से जानना चाहते है, तो इस आर्टिकल को पुरा शुरू से अन्त तक जरुर पढ़े क्योकी इस आर्टिकल में हमने मदर टेरेसा के जीवन से जड़े सभी महत्वपुर्ण प्रश्नों के उत्तर दिये है, जैसे की मदर टेरेसा का पूरा नाम, मदर टेरेसा का जन्म कब और कहाँ हुआ, मदर टेरेसा के पिता का नाम, मदर टेरेसा के माता का नाम और मदर टेरेसा का बचपन का नाम क्या था आदि। ऐसे ही और भी बहुत से सवालो के जवाब यहा पर हम विस्तार से देखेंगे जिससे की आपको about mother teresa in hindi अच्छे से समझ में आ जाये। तो चलिये अब हम mother teresa ka jivan parichay अच्छे से समझे।


मदर टेरेसा की जीवनी (Mother Teresa Biography In Hindi)

ऐसा कहा जाता है कि जब ईश्वर का धरती पर अवतरित होने का मन हुआ, तो उन्होंने माँ का रूप धारण कर लिया। ऐसा माने जाने का कारण भी बिल्कुल स्पष्ट है - दुनिया की कोई भी माँ अपने बच्चों की न केवल जन्मदात्री होती है, बल्कि उनके लिए उसका प्रेम अलौकिक एवं ईश्वरीय होता है, इसलिए माँ को ईश्वर का सच्चा रूप कहा जाता है।

दुनिया में बहुत कम ऐसी माँ हुई हैं, जिन्होंने अपने बच्चों के अतिरिक्त भी दूसरों को अपनी ममतामयी छाँव प्रदान की। किसी से इस सम्पूर्ण जगत की एक ऐसी माँ का नाम पूछा जाए, जिसने बिना भेदभाव के सबको मातृवत् - स्नेह प्रदान किया, तो प्रत्येक की जुबाँ पर केवल एक ही नाम आएगा - 'मदर टेरेसा'। मदर टेरेसा एक ऐसा नाम है, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन मानव सेवा हेतु समर्पित कर दिया।

नाम मदर टेरेसा
बचपन का नाम आन्येज़े गोंजा बोयाजिजू
जन्म तिथि 26 अगस्त 1910
जन्म स्थान स्कोप्ज़े, उत्तरी मेसिडोनिया
मृत्यु 5 सितंबर 1997
पिता निकोल बोजशियु
माता ड्रैनाफ़ाइल बोजशियु
बहन आगा बोजशियु
भाई लज़ार बोजशियु
शिक्षा लोरेटो ऐबी, रथफर्नहम
धर्म रोमन कैथोलिक ईसाई

मदर टेरेसा का जीवन परिचय (Mother Teresa Ka Jivan Parichay)

मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 को एक अल्बानियाई परिवार में उस्कुव नामक स्थान पर हुआ था, जो अब मेसिडोनिया गणराज्य में है। उनके बचपन का नाम आन्येज़े गोंजा बोयाजियू था। जब वे मात्र 9 वर्ष की थीं, उनके पिता निकोल बोजशियु के देहान्त के पश्चात् उनकी शिक्षा की ज़िम्मेदारी उनकी माँ के ऊपर आ गई। उन्हें बचपन में पढ़ना, प्रार्थना करना और चर्च में जाना अच्छा लगता था, इसलिए वर्ष 1928 में वे आयरलैण्ड की संस्था 'सिस्टर्स ऑफ़ लोरेटो' में शामिल हो गईं, जहाँ सोलहवीं सदी के एक प्रसिद्ध सन्त के नाम पर उनका नाम 'टेरेसा' रखा गया और बाद में लोगों के प्रति ममतामयी व्यवहार के कारण जब दुनिया ने उन्हें 'मदर' कहना शुरू किया, तब वे 'मदर टेरेसा' के नाम से प्रसिद्ध हुईं।

धार्मिक जीवन की शुरुआत के बाद वे इससे सम्बन्धित कई विदेश यात्राओं पर गईं। इसी क्रम में वर्ष 1929 की शुरुआत में वे मद्रास (भारत) पहुँचीं। फिर उन्हें कलकत्ता में शिक्षिका बनने हेतु अध्ययन करने के लिए भेजा गया। अध्यापन का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद वे कलकत्ता के लोरेटो एटली स्कूल में अध्यापन कार्य करने लगीं तथा अपनी कर्त्तव्यनिष्ठा एवं योग्यता के बल पर प्रधानाध्यापिका के पद पर प्रतिष्ठित हुईं। प्रारम्भ में कलकत्ता में उनका निवास क्रिक लेन में था, किन्तु बाद में वे सर्कुलर रोड स्थित आवास में रहने लगीं। वह आवास आज विश्वभर में 'मदर हाउस' के नाम से जाना जाता है।

अध्यापन कार्य करते हुए मदर टेरेसा को महसूस हुआ कि वे मानवता की सेवा के लिए इस पृथ्वी पर अवतरित हुई हैं। इसके बाद उन्होंने अपना जीवन मानव-सेवा हेतु समर्पित करने का निर्णय लिया। मदर टेरेसा किसी भी गरीब, असहाय एवं लाचार को देखकर उसकी सेवा करने के लिए तत्पर हो जाती थीं तथा आवश्यकता पड़ने पर वे बीमार एवं लाचारों की स्वयं सेवा एवं मदद करने से भी नहीं चूकती थीं, इसलिए उन्होंने बेसहारा लोगों के दुःख दूर करने का महान् व्रत लिया। बाद में 'नन' के रूप में उन्होंने मानव सेवा की शुरुआत की एवं भारत की नागरिकता भी प्राप्त की।

मदर टेरेसा का योगदान (Mother Teresa Ka Yogdan)

मदर टेरेसा ने कलकत्ता को अपनी कार्यस्थली के रूप में चुना और निर्धनों एवं बीमार लोगों की सेवा करने के लिए वर्ष 1950 में 'मिशनरीज ऑफ चैरिटी' नामक संस्था की स्थापना की। इसके बाद वर्ष 1952 में कुष्ठ रोगियों, नशीले पदार्थों की लत के शिकार लोगों तथा दीन - दुःखियों की सेवा के लिए कलकत्ता में काली घाट के पास 'निर्मल हृदय' तथा 'निर्मला शिशु भवन' नामक संस्था बनाई।

यह संस्था उनकी गतिविधियों का केन्द्र बनी। विश्व के 120 से अधिक देशों में इस संस्था की कई शाखाएँ हैं, जिनके अन्तर्गत लगभग 200 विद्यालय, एक हजार से अधिक उपचार केन्द्र तथा लगभग एक हजार आश्रय गृह संचालित हैं। दीन-दुःखियों के प्रति उनकी सेवा भावना ऐसी थी कि इस कार्य के लिए वे सड़कों एवं गली-मुहल्लों से उन्हें खुद ढूँढकर लाती थीं।

उनके इस कार्य में उनकी सहयोगी अन्य सिस्टर्स भी मदद करती थीं। जब उनकी सेवा भावना की बात दूर-दूर तक पहुँची, तो लोग खुद उनके पास सहायता के लिए पहुँचने लगे। अपने जीवनकाल में उन्होंने लाखों दरिद्रों, असहायों एवं बेसहारा बच्चों व बूढ़ों को आश्रय एवं सहारा दिया।

मदर टेरेसा को पुरस्कार (Mother Teresa Awards In Hindi)

मदर टेरेसा को उनकी मानव-सेवा के लिए विश्व के कई देशों एवं संस्थाओं ने सम्मानित किया। वर्ष 1962 में भारत सरकार ने उन्हें 'पद्मश्री' से अलंकृत किया। वर्ष 1973 में संयुक्त राज्य अमेरिका ने उन्हें 'टेम्पलटन पुरस्कार' से सम्मानित किया। वर्ष 1979 में उन्हें 'शान्ति का नोबेल पुरस्कार' प्रदान किया गया। वर्ष 1980 में भारत सरकार ने उन्हें 'भारत रत्न' से सम्मानित किया। वर्ष 1983 में ब्रिटेन की महारानी द्वारा उन्हें 'ऑर्डर ऑफ मेरिट' प्रदान किया गया। वर्ष 1992 में उन्हें भारत सरकार ने राजीव गाँधी सद्भावना पुरस्कार से सम्मानित किया। वर्ष 1993 में उन्हें 'यूनेस्को शान्ति पुरस्कार' प्रदान किया गया। वर्ष 1997 में मदर टेरेसा को 'रैमन मैग्सेसे पुरस्कार' प्राप्त हुआ। इन पुरस्कारों के अतिरिक्त भी उन्हें अन्य कई पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हुए।

यद्यपि उनके जीवन के अन्तिम समय में कई बार क्रिस्टोफर हिचेन्स, माइकल परेटी, विश्व हिन्दू परिषद् आदि द्वारा उनकी आलोचना की गई तथा आरोप लगाया गया कि वह गरीबों की सेवा करने के बदले उनका धर्म बदलवाकर ईसाई बनाती हैं। पश्चिम बंगाल में उनकी निन्दा की गई। मानवता की रखवाली की आड़ में उन्हें ईसाई धर्म का प्रचारक भी कहा जाता था। उनकी धर्मशालाओं में दी जाने वाली चिकित्सा सुरक्षा के मानकों की आलोचना की गई तथा उस अपारदर्शी प्रकृति के बारे में सवाल उठाए गए, जिसमें दान का धन खर्च किया जाता था, किन्तु यह सत्य है कि जहाँ सफलता होती है, वहाँ आलोचना होती ही है। वस्तुतः मदर टेरेसा आलोचनाओं से परे थीं।

वर्ष 1983 में 73 वर्ष की आयु में मदर टेरेसा रोम में पोप जॉन पॉल द्वितीय से मिलने गई, उन्हें वहीं पहला हृदयाघात आया। वर्ष 1989 में दूसरा हृदयाघात आया। 5 सितम्बर, 1997 को 87 वर्ष की अवस्था में उनकी कलकत्ता में मृत्यु हो गई। आज वे हमारे बीच नहीं हैं, किन्तु उनके द्वारा स्थापित संस्थाओं में आज भी उनके ममतामयी स्नेह को महसूस किया जा सकता है। वहाँ होते हुए ऐसा लगता है मानो मदर हमें छोड़कर गई नहीं हैं, बल्कि अपनी संस्थाओं और अनुयायियों के रूप में हम सबके साथ हैं। उनकी उपलब्धियों को देखते हुए दिसम्बर, 2002 में पोप जॉन पॉल द्वितीय ने उन्हें धन्य घोषित करने की स्वीकृति दी तथा 19 अक्टूबर, 2003 को रोम में सम्पन्न एक समारोह में उन्हें धन्य घोषित किया गया। इसी प्रकार पोप फ्रांसिस ने इन्हें वर्ष 2016 में सन्त घोषित किया।

वर्ष 2017 में इनकी साड़ी को बौद्धिक सम्पदा किया गया तथा वर्तमान में इनकी जीवनी पर फिल्में भी बनाने की बात कही जा रही है। अतः यह कहा जा सकता है कि उन्होंने पूरी निष्ठा से न केवल बेसहारा लोगों की नि: स्वार्थ सेवा की, बल्कि विश्व शान्ति के लिए भी सदा प्रयत्नशील रहीं। उनका सम्पूर्ण जीवन मानव सेवा में बीता। वे स्वभाव से ही अत्यन्त स्नेहमयी, ममतामयी एवं व्यक्तित्व थीं। वह ऐसी शख्सियत थीं, जिनका जन्म लाखों-करोड़ों वर्षों में एक बार होता है।

मदर टेरेसा पर 10 लाइन (10 Line On Mother Teresa In Hindi)

1). जब वह आधुनिक मैसेडोनिया से भारत आई तो वह 19 साल की एक युवती थी।
2). भारतीय इतिहास में, मदर टेरेसा अब तक की सबसे प्रिय और सम्मानित महिलाओं में से एक हैं। समाज में उनका अद्भुत योगदान था।
3). यहां तक ​​कि उन्हें उनके अद्भुत योगदान के लिए भारतीय नागरिकता भी मिली।
4). उन्हें 1980 में भारत रत्न और 1962 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। ये दोनों देश के सबसे बड़े पुरस्कार हैं।
5). उन्हें 1979 में प्रथम भारतीय नागरिक के रूप में नोबल शांति पुरस्कार मिला।
6). जब उन्होंने यहां के लोगों का बुरा हाल देखा तो उन्होंने हमेशा यहीं रहने का फैसला किया। फिर उन्होंने अपना पूरा जीवन एक नन के रूप में बिताया है।
7). उन्होंने गरीब लोगों के लिए काम किया। वह ज्यादातर बीमारों और असहायों की मदद करती थीं। वह उन्हें खाना खिलाती है और उनका मुफ्त इलाज करती है।
8). वह बहुत ही साधारण सफेद और नीले रंग की साड़ी पहनती थी और बहुत ही सादा जीवन जीती थी।
9). इस अद्भुत और बलिदानी महिला के जीवन से बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
10). इन्होंने ज्यादातर अपना जीवन बंगाल क्षेत्र में बिताया।


Conclusion

यहा पर हमने biography of mother teresa in hindi को बिल्कुल विस्तार से समझा। मदर टेरेसा के जीवन से जुड़े जितने भी महत्वपूर्ण सवाल है हमने उन सभी के जवाब को इस लेख में समझा जैसे की मदर टेरेसा का बचपन का नाम क्या था, मदर टेरेसा पर 10 लाइन, mother teresa ka janm kab hua tha, mother teresa ka janm kahan hua tha और मदर टेरेसा के पिता और माता का नाम क्या था। ऐसे ही और भी बहुत से सवालो के जवाब हमने इस आर्टिकल में देखा जिसकी मदद से आपको मदर टेरेसा की जीवनी अच्छे से समझ में आ गया होगा। 

हमें आशा है की आपको यह आर्टिकल जरुर अच्छा लगा होगा, और हम उमीद करते है की इस लेख की सहायता से आपको about mother teresa in hindi को समझने में काफी मदद मिली होगी। यदि आपके मन में इस आर्टिकल से सम्बन्धित कोई सवाल या सन्देह है तो, आप नीचे कमेंट करके पुछ सकते है और इस mother teresa ki jeevani को आप अपने मित्रों के साथ जरुर शेयर करे।

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