नेल्सन मंडेला का जीवन परिचय | Nelson Mandela Biography In Hindi
इस आर्टिकल में हम nelson mandela biography in hindi को बिल्कुल विस्तार से देखेंगे। यहा पर नेल्सन मंडेला के जीवन और संघर्ष के बारे में पूरी जानकारी आपके साथ शेयर करी जायेगी। नेल्सन मंडेला के जीवन से जड़े हर एक महत्त्वपूर्ण प्रश्नो के उत्तर को हम संक्षेप में समझेंगे जैसे की, नेल्सन मंडेला का जन्म कब और कहां हुआ था, नेल्सन मंडेला की राष्ट्रीयता, नेल्सन मंडेला के पिता का नाम, नेल्सन मंडेला के माता का नाम और नेल्सन मंडेला की मृत्यु कब हुई आदि। ऐसे ही बहुत से सवालों के जवाब को हम इस लेख में अच्छे से समझेंगे। तो अगर आप नेल्सन मंडेला का जीवन परिचय अच्छे से पड़ना चाहते हैं तो, इस आर्टिकल को पूरा अन्त तक पढ़े, तो चलिए अब हम नेल्सन मंडेला के बायोग्राफी को विस्तार से देखते है।
नेल्सन मंडेला की जीवनी (Nelson Mandela Biography In Hindi)
नेल्सन मण्डेला दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की नीति का अन्त करने वाले नेल्सन मण्डेला का अपने देश में वही स्थान है, जो भारत में महात्मा गाँधी का है। उन्होंने एक रक्तहीन क्रान्ति कर अफ्रीकी लोगों को उनका अधिकार दिलाया। इस परिवर्तन के दौरान कोई हिंसा नहीं हुई, क्योंकि वे समस्याओं का निराकरण बातचीत के द्वारा करने में आस्था रखते थे। नेल्सन मण्डेला के त्याग, बलिदान, साहस आदि पूरे विश्व के लिए प्रेरणा हैं।
नाम | नेल्सन मंडेला |
बचपन का नाम | रोलीह्लला मंडेला |
जन्म तिथि | 18 जुलाई 1918 |
जन्म स्थान | म्वेज़ो गाँव (केप प्रांत) दक्षिण अफ़्रीका |
मृत्यु | (उम्र 95) 5 दिसम्बर 2013 |
पिता | गादरा हेनरी म्फ़ाकेनिस्वा |
माता | नेक्यूफी नोसकेनी |
धर्म | ईसाई |
राष्ट्रीयता | दक्षिण अफ़्रीकी |
पत्नी | एवलिन मेस (विवा. 1944–1958), विनी मदिकिजेल मंडेला (विवा. 1958–1996), ग्राक मैचल (विवा. 1998–2013) |
बच्चे | (मेडिका थेमबेकल मंडेला), (मैकगाथो लेवानिका मंडेला), (ज़िनज़िस्वा मंडेला), (मैकज़िव मंडेला), (मैकज़िव मंडेला), (ज़ेनानी मंडेला) |
नेल्सन मंडेला का जीवन परिचय एवं शिक्षा (Nelson Mandela Ka Jivan Parichay)
अब्राहम लिंकन और मार्टिन लूथर किंग के विचारों को मानने वाले दक्षिण अफ्रीका के गाँधी, नेल्सन मण्डेला का जन्म 18 जुलाई, 1918 को बासा नदी के किनारे (केप प्रान्त) मवेजो गाँव में हुआ था। उनकी माता का नाम नेक्यूफी नोसकेनी था और वह एक मैथोडिस्ट थीं। उनके पिता का नाम गेडला हेनरी था, जो अपने गाँव के प्रधान थे। वहाँ गाँव के प्रधान के पुत्र को 'मण्डेला' कहा जाता था। अतः मण्डेला नाम उन्हें विरासत में ही मिला।
उनके माता-पिता ने उनका नाम 'रोहिल्हाला' रखा था। दुनिया उन्हें नेल्सन मण्डेला के नाम से जानती है, किन्तु ये और नामों से भी जाने जाते थे। प्राथमिक विद्यालय के एक अध्यापक के द्वारा उनका नाम नेल्सन रखा गया था। मण्डेला को दक्षिण अफ्रीका में प्रायः मदीबा के नाम से जाना जाता है, जो बुजुर्गों के लिए आदरसूचक शब्द है। अनेक लोग उन्हें टाटा और खुलू भी कहते थे, जिसका अफ्रीकी भाषा में अर्थ क्रमशः पिता और दादा है।
किशोरावस्था में उन्हें 'डाली भुंगा' के नाम से पुकारा जाता था। मण्डेला की प्रारम्भिक शिक्षा क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल में तथा स्नातक की शिक्षा हेल्डटाउन में हुई थी, जहाँ अश्वेतों के लिए एक विशेष कॉलेज था। इसी कॉलेज में मण्डेला की मुलाकात 'ऑलिवर टाम्बो' से हुई, जो जीवनभर उनके मित्र और सहयोगी रहे। वर्ष 1940 तक मण्डेला ने कॉलेज कैम्पस में अपने राजनीतिक विचारों और क्रियाकलापों से लोकप्रियता अर्जित कर ली थी, जिसके कारण उन्हें कॉलेज से निकाल दिया गया।
नेल्सन मंडेला का राजनीतिक संघर्ष
कॉलेज से निष्कासित होने के बाद वे घर से भागकर जोहांसबर्ग चले आए, जहाँ उन्होंने सोने की खदान में चौकीदार की नौकरी की तथा वहीं अलेक्जेण्डरा नामक बस्ती में रहने लगे। इसके बाद उन्होंने एक कानूनी फर्म में लिपिक की नौकरी की। मण्डेला ने वाटर सिसलु, वाटर एल्चरटाइन तथा कुछ अन्य मित्रों के साथ मिलकर अफ्रीकन कांग्रेस यूथ लीग का गठन किया तथा वर्ष 1947 में मण्डेला संगठन के सचिव चुने गए। वर्ष 1951 में मण्डेला को यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। वर्ष 1952 में उन्होंने कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए एक कानूनी फर्म की स्थापना की, किन्तु बर्गभेद के आरोप में उन्हें जोहांसबर्ग से बाहर भेज दिया गया।
प्रतिबन्ध के बावजूद भी वे अश्वेतों की स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष करते रहे। सरकार द्वारा एएनसी के अध्यक्ष और नेल्सन सहित देशभर के 156 नेता गिरफ्तार किए गए। फलतः आन्दोलन नेतृत्वविहीन हो गया। वर्ष 1961 में नेल्सन तथा उनके 29 साथियों को निर्दोष घोषित करते हुए छोड़ दिया गया। सरकार के दमन चक्र के कारण नेल्सन का जनाधार बढ़ता जा रहा था।
उनके बढ़ते प्रभाव को देख ऐसे कानून पास किए गए,जो अश्वेतों के हित में नहीं थे। नेल्सन ने इन कानूनों का विरोध किया, किन्तु प्रदर्शनकारियों पर गोलियाँ चलाई गईं। फलतः एएनसी ने हथियारबन्द लड़ाई लड़ने का निर्णय किया और लड़ाई लड़ने वाले दल का नाम 'स्पीयर ऑफ द नेशन' रखा गया तथा नेल्सन को इसका अध्यक्ष बनाया गया।
अपनी गिरफ़्तारी से बचने के लिए नेल्सन देश से बाहर चले गए तथा अदीस अबाबा में अपने आधारभूत अधिकारों की मांग करने लगे। अफ्रीका लौटने पर नेल्सन मण्डेला को गिरफ्तार कर पाँच साल की सजा सुनाई गई। उन पर यह आरोप लगाया गया कि वे असंवैधानिक तरीके से देश छोड़कर चले गए थे। इसी दौरान सरकार ने लीलीसलीफ में छापा मारकर सभी बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया तथा मण्डेला सहित सभी को उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई।
सरकार नेल्सन को क्रान्ति का नेता मान रही थी। उन्हें 'रोबन द्वीप' भेज दिया गया, जो दक्षिण अफ्रीका का काला पानी माना जाता है। यहाँ उन्हें अपने जीवन के 27 वर्ष बिताने पड़े। वर्ष 1989 में दक्षिण अफ्रीका में सत्ता परिवर्तन हुआ तथा उदारवादी नेता एफडब्ल्यू क्लार्क देश के राष्ट्रपति बने। उन्होंने अश्वेत दलों पर लगे सभी प्रतिबन्ध हटा दिए तथा आपराधिक मामला चलने वाले बन्दियों को छोड़ सभी को रिहा कर दिया।
मण्डेला के जीवन का सूर्योदय हुआ तथा 11 फरवरी, 1990 को वे सम्पूर्ण रूप से आजाद हो गए। वर्ष 1994 में देश के पहले लोकतान्त्रिक चुनाव में जीतकर वे दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने। नेल्सन मण्डेला के मानवाधिकार से सम्बद्ध रंगभेद विरोधी संघर्ष के लिए नवम्बर, 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने उनके जन्मदिन 18 जुलाई को 'मण्डेला दिवस' घोषित किया। मण्डेला को विश्व के विभिन्न देशों और संस्थाओं द्वारा 250 से भी अधिक सम्मान और पुरस्कार प्रदान किए गए हैं। वर्ष 1993 में उन्हें संयुक्त रूप से दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति एफडब्ल्यूडी क्लार्क के साथ नोबेल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
वर्ष 1990 में उन्हें भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया। मण्डेला, भारत रत्न प्राप्त करने वाले पहले विदेशी हैं। उन्हें प्रेसीडेण्ट मेडल ऑफ़ फ्रीडम, ऑर्डर ऑफ़ लेनिन, गाँधी शान्ति पुरस्कार आदि से सम्मानित किया गया। इतने विशाल व्यक्तित्व वाले नेल्सन मण्डेला का 5 दिसम्बर, 2013 को फेफड़ों में संक्रमण हो जाने के कारण हॉटन, जोहांसबर्ग स्थित अपने घर में निधन हो गया। दक्षिण अफ्रीका के लोग उन्हें 'राष्ट्रपिता' मानते हैं तथा उन्हें दक्षिण अफ्रीका में लोकतन्त्र के संस्थापक, राष्ट्रीय मुक्तिदाता और उद्धारकर्ता के रूप में देखा जाता है।
Conclusion
यहा पर हमने biography of nelson mandela in hindi को विस्तार से देखा। इस लेख में हमने नेल्सन मंडेला के जीवन से सम्बंधित कई महत्वपूर्ण सवालों के जवाब को जाना जैसे की नेल्सन मंडेला का जन्म कब हुआ था, नेल्सन मंडेला का जन्म कहा हुआ था और नेल्सन मंडेला की मृत्यु कब हुई थी आदि इन सभी प्रश्नों के उत्तर को इस लेख से विस्तार से दिया गया है जिससे की आपको नेल्सन मंडेला की जीवनी को समझने में आपको असानी हो। हमे आशा है की आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा होगा और हम उमीद करते है की इस लेख की सहायता से आपको nelson mandela biography in hindi को समझने में काफी मदद मिली होगी। अगर आपके मन में इस लेख से सम्बंधित या अन्य कोई सवाल हो तो, आप हमे नीचे कमेंट में पुछ सकते है और इस nelson mandela ki jeevani को आप अपने मित्रों के साथ शेयर जरुर करे।
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