द्वितीय विश्वयुद्ध कब हुआ था | कारण | परिणाम | Second World War In Hindi

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इस आर्टिकल में हम dwitiya vishwa yudh kab hua tha इसके बारे में संक्षेप से समझेंगे। द्वितीय विश्वयुद्ध में पूरे विश्व की लगभग 75% जनता ने सक्रिय रुप से भाग लिया था और यह विश्वयुद्ध 1939 से 1945 तक चला था जिसमें अपार रुप से जन धन की क्षति हुई। यहा हम इस लेख में second world war in hindi से सम्बन्धित सभी प्रश्नों के उत्तर को विस्तार से देखेंगे जैसे की द्वितीय विश्वयुद्ध कब प्रारंभ हुआ था, द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण, द्वितीय विश्वयुद्ध का विस्तार क्षेत्र, द्वितीय विश्वयुद्ध की घटनाएँ और द्वितीय विश्वयुद्ध का परिणाम इन सभी महत्वपुर्ण सवालों के जवाब आपको इस आर्टिकल में विस्तार से मिल जायेंगे। तो अगर आप dwitiya vishwa yudh के बारे में जानने के लिये इछुक है तो, इस आर्टिकल को पुरा अन्त तक पढ़े क्योकी इस आर्टिकल को पुरा पढ़ने के बाद आपको (second world war) अच्छे से समझ में आ जायेगा। तो चलिये अब हम विस्तार से समझे की द्वितीय विश्वयुद्ध कब हुआ था।


द्वितीय विश्वयुद्ध कब प्रारंभ हुआ था (Second World War Kab Hua Tha)

1939 ई० से प्रारम्भ होकर 1945 ई० तक लगातार जो भयंकर विश्वयुद्ध हुआ, वह विश्व-इतिहास का सबसे बड़ा विनाशक युद्ध था। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद विजेता राष्ट्रों द्वारा पराजित राष्ट्रों को जिस प्रकार अपमानित किया गया, उसी के प्रतिक्रियास्वरूप संसार को एक और महायुद्ध की विनाशलीला देखने को मिली। यद्यपि प्रथम विश्वयुद्ध के बाद अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति की स्थापना के लिए विभिन्न प्रयास किये गये किन्तु वे सर्वथा असफल सिद्ध हुए।

पेरिस शान्ति सम्मेलन में फ्रांस और इंग्लैण्ड ने बदले की भावना से जर्मनी को वर्साय की कठोर सन्धि को स्वीकार करने के लिए बाध्य कर दिया। वर्साय की सन्धि वास्तव में सन्धि नहीं बल्कि प्रतिशोध का दस्तावेज था कालान्तर में विलक्षण प्रतिभा के धनी हिटलर ने न केवल जर्मनी को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाया, वरन् अपने देश के अपमान का बदला लेने हेतु वर्साय की सन्धि को अस्वीकृत करते हुए द्वितीय विश्वयुद्ध को प्रारम्भ कर दिया। फाँश का यह कथन 'वर्साय सन्धि-पत्र वास्तविक शान्ति न होकर बीस वर्षों का एक विराम-काल था' सत्य सिद्ध हुआ।

प्रथम विश्वयुद्ध के परिणामस्वरूप दुनिया भर में परिवर्तन हुए जिनके कारण यूरोप में कई ऐसी घटनाएँ घटित हुईं जिन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए उपयुक्त वातावरण बनाया। इस समय की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना जर्मनी और इटली में नाजीवाद और फासीवाद की विजय थी। इस विजय ने द्वितीय विश्वयुद्ध के बन्द द्वार को खोल दिया। द्वितीय विश्वयुद्ध 3 सितम्बर, 1939 ई० से 2 सितम्बर, 1945 ई० तक चला।

द्वितीय विश्वयुद्ध का कारण (Cause of Second World War In Hindi)

द्वितीय विश्वयुद्ध कब शुरू हुआ था अभी हमने समझ लिया अब हम बात करते है की द्वितीय विश्वयुद्ध के होने के पुछे का कारण यानी की द्वितीय विश्वयुद्ध क्यों हुआ था। तो द्वितीय विश्वयुद्ध होने के निम्नलिखित प्रमुख कारण थे।

(1). वर्साय की सन्धि

वास्तव में द्वितीय विश्व युद्ध वर्साय की सन्धि का परिणाम था। वर्साय की सन्धि ने यूरोप में प्रतिशोध का जो बीज बोया, वह कालान्तर में द्वितीय विश्वयुद्ध के रूप में प्रस्फुटित हुआ। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद विजेता (मित्र) राष्ट्रों ने वर्साय की सन्धि का कडुवा घूँट पीने के लिए जर्मनी को बाध्य कर दिया। इस अन्यायपूर्ण सन्धि के द्वारा जर्मनी की न केवल सैन्य-शक्ति को क्षीण कर दिया गया बल्कि उसके विशाल साम्राज्य को भी विघटित कर दिया गया।

जर्मनी के औद्योगिक एवं खनिज सम्पदा वाले क्षेत्रों पर बलात् अधिकार कर लिया गया। पेरिस शान्ति सम्मेलन में जर्मन प्रतिनिधियों को अपमानित किया गया तथा युद्ध की क्षतिपूर्ति के लिए भारी हर्जाना थोप दिया गया। मित्र राष्ट्रों में इंग्लैण्ड, फ्रांस, अमेरिका, रूस आदि देश सम्मिलित थे। कालान्तर में हिटलर के नेतृत्व में जर्मनी ने वर्साय सन्धि को न केवल अस्वीकार कर दिया बल्कि अपने अपमान का बदला लेने के लिए उसने द्वितीय विश्वयुद्ध प्रारम्भ कर दिया।

(2). इटली, आस्ट्रिया और तुर्की का असन्तोष

इटली भी वर्साय की सन्धि से पूरी तरह असन्तुष्ट था। मित्र राष्ट्रों ने प्रथम विश्वयुद्ध के समय इटली को जो वचन दिये थे, उन्हें शान्ति सम्मेलन में पूरा नहीं किया गया। फलत: इटली भी फ्रांस और इंग्लैण्ड से बदला लेने के अवसर की तलाश में था। इटली में फासिज्म का उदय एवं विकास का मुख्य आधार वर्साय की सन्धि ही थी। इटली के साथ-साथ आस्ट्रिया और तुर्की भी वर्साय की सन्धि से असन्तुष्ट थे।

मित्र राष्ट्रों ने टर्की के साथ सेवरीज की सन्धि करके उसके अधिकांश क्षेत्र पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया। टर्की ने इस सन्धि का खुलकर विरोध किया और कमालपाशा के नेतृत्व में विद्रोह कर दिया। पेरिस सम्मेलन की यह सन्धि भी अस्थायी सिद्ध हुई। इन सन्धियों ने यूरोप में असन्तोष तथा क्षोभ का वातावरण उत्पन्न कर दिया। परिणामस्वरूप मित्र राष्ट्रों द्वारा की गयी सन्धियाँ द्वितीय विश्वयुद्ध का कारण बनी।

(3). हिटलर की आक्रामक नीति

1934 ई० में हिटलर जर्मनी के लोकप्रिय तानाशाह के रूप में सत्तासीन हुआ। उसने वर्साय की सन्धि का उल्लंघन करते हुए जर्मनी में एक शक्तिशाली सेना का गठन किया। हिटलर ने आक्रामक नीति अपनाकर राइनलैण्ड, आस्ट्रिया, मेमल और चेकोस्लोवाकिया पर अधिकार कर लिया। हिटलर की इस कार्रवाई से मित्र राष्ट्र भयाक्रान्त हो गये। फलस्वरूप उन्हें द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए तैयार होना पड़ा।

(4). शस्त्रीकरण

यद्यपि मित्र राष्ट्रों ने प्रथम विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी की सैन्य संख्या को एक लाख तक सीमित कर दिया तथा पनडुब्बी व जंगी जहाज, गोला-बारूद आदि रखने का अधिकार भी उससे छीन लिया किन्तु मित्र राष्ट्रों ने अपने आयुध एवं सेना को बढ़ाने का कार्य निरन्तर जारी रखा। 1934 ई० में हिटलर ने जर्मनी का शस्त्रीकरण करना प्रारम्भ कर दिया। फलत: यूरोप में आयुध संग्रह एवं विकास की होड़ लग गयी। कालान्तर में यह संग्रह द्वितीय विश्वयुद्ध का महत्त्वपूर्ण कारक सिद्ध हुआ।

(5). 'लीग ऑव नेशन्स' की दुर्बलता

प्रथम विश्वयुद्ध के बाद संसार में शान्ति एवं सामूहिक सुरक्षा के लिए 'लीग ऑव नेशन्स' की स्थापना की गयी किन्तु इसके शक्तिशाली सदस्य राष्ट्रों की मनमानी एवं स्वार्थप्रियता ने इसे अपने उद्देश्य में सफल नहीं होने दिया। राष्ट्रसंघ विभिन्न राष्ट्रों के आक्रमणों को रोकने में सर्वथा असफल रहा।

जापान द्वारा चीनी प्रदेश मंचूरिया पर आक्रमण (1931 ई०), इटली का एबीसीनिया पर आक्रमण (1935 ई०), जर्मनी का आस्ट्रिया पर अधिकार (1938 ई०) आदि घटनाओं ने 'लीग ऑव नेशन्स' की दुर्बलता को प्रकट कर दिया। इस प्रकार 'लीग ऑव नेशन्स' की असफलता द्वितीय विश्वयुद्ध का कारण बनी।

(6). उग्र राष्ट्रीयता की भावना

द्वितीय विश्वयुद्ध के पूर्व शक्तिसम्पन्न राष्ट्रों में उग्र राष्ट्रीयता की भावना पनप रही थी। इटली में मुसोलिनी तथा जर्मनी में हिटलर इसके ज्वलन्त उदाहरण थे।

(7). साम्राज्यवादी नीति

प्रथम विश्वयुद्ध के बाद साम्राज्यवादी राष्ट्रों ने जर्मनी को शक्तिहीन बनाकर उसके प्रदेशों एवं उपनिवेशों को हस्तगत कर लिया था। आगे चलकर मुसोलिनी ने एबीसीनिया अधिकृत कर लिया। जापान ने मंचूरिया अधिकृत कर साम्राज्यवादी नीति को प्रश्रय दिया। इन सब की परिणति द्वितीय विश्वयुद्ध था।

(8). तुष्टीकरण की नीति

दो विश्वयुद्ध के मध्य इंग्लैण्ड ने जिस नीति का अनुसरण किया वह 'तुष्टीकरण की नीति' के नाम से प्रसिद्ध है। इस नीति के कारण इंग्लैण्ड ने तानाशाहों की आक्रामक कार्रवाइयों का विरोध नहीं किया। अन्ततः द्वितीय विश्वयुद्ध आवश्यक हो गया।

(9). विश्वव्यापी आर्थिक मन्दी

प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् विश्वव्यापी आर्थिक मन्दी की समस्या से सभी देश जूझ रहे थे। इसका भी प्रभाव द्वितीय विश्वयुद्ध पर पड़ा।

(10). रोम-बर्लिन-टोकियो धुरी का निर्माण

प्रथम विश्वयुद्ध के समय ही मित्र राष्ट्रों का एक गुट बन गया था। 1937 ई० में रोम-बर्लिन-टोकियो धुरी के बन जाने से विश्व में दो शक्तिशाली गुट बन गये। इस प्रकार गुटबन्दी के द्वारा भी द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए अनुकूल परिस्थितियों का सृजन हुआ।

(11). तात्कालिक कारण

तानाशाह हिटलर ने 1 सितम्बर, 1939 ई० को पोलैण्ड पर आक्रमण कर दिया। पोलैण्ड की रक्षा के लिए इंग्लैण्ड और फ्रांस ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। इस प्रकार धीरे-धीरे विश्वयुद्ध प्रारम्भ हो गया।

द्वितीय विश्वयुद्ध का स्वरूप

द्वितीय विश्वयुद्ध प्रथम विश्वयुद्ध से अधिक विध्वंसक एवं विनाशकारी था। इस युद्ध में आणविक आयुधों का प्रयोग किया गया। हिटलर ने इस युद्ध में अनेक यन्त्रीकृत शस्त्रों का प्रयोग किया। हिटलर की यन्त्रीकृत युद्ध-नीति 'वज्रयुद्ध' (Blitzkrieg) के नाम से प्रसिद्ध है।

द्वितीय विश्वयुद्ध का विस्तार क्षेत्र

द्वितीय विश्वयुद्ध यूरोप महाद्वीप से प्रारम्भ होकर भूमध्य सागर, अफ्रीका, एशिया, आस्ट्रेलिया आदि महाद्वीपों तक फैल गया। विश्व की लगभग 75% जनता ने इस युद्ध में सक्रिय रूप से भाग लिया। 1941 ई० के अन्त तक यह महायुद्ध प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से संसार के सभी महाद्वीपों, महासागरों और सागरों में फैल गया।

द्वितीय विश्वयुद्ध की घटनाएँ

द्वितीय विश्वयुद्ध 1939 ई० से 1945 ई० तक चला। इस प्रलयंकारी युद्ध की प्रमुख घटनाएँ इस प्रकार थीं: 

1939 के घटना क्रम

1). जर्मनी का पोलैण्ड पर आक्रमण --- प्रथम विश्वयुद्ध के बाद देजिंग नगर को जर्मनी से अलग कर दिया गया। कालान्तर में जर्मनी (हिटलर) ने माँग की कि देजिंग नगर जर्मनी को वापस कर दिया जाय परन्तु ब्रिटेन ने उसकी माँग की उपेक्षा कर दी। फलतः हिटलर ने 1 सितम्बर, 1939 ई० को पोलैण्ड पर आक्रमण कर दिया। रूस ने भी इसी समय पोलैण्ड पर हमला बोल दिया। पोलैण्ड पराजित हुआ। पोलैण्ड की रक्षा के लिए 3 सितम्बर, 1939 ई० को फ्रांस और इंग्लैण्ड ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। इस प्रकार इन दोनों आक्रमणों के फलस्वरूप विश्वयुद्ध प्रारम्भ हो गया।

2). सोवियत रूस और फिनलैण्ड का युद्ध --- नवम्बर, 1939 ई० में सोवियत संघ ने फिनलैण्ड पर आक्रमण कर उस पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया। सोवियत संघ ने बाल्टिक राज्यों को अपने प्रभाव में लाने हेतु सन्धियाँ भी कीं।

1940 के घटना क्रम

3). नार्वे, डेनमार्क, हालैण्ड, बेल्जियम और फ्रांस पर विजय --- महत्त्वाकांक्षी हिटलर ने पोलैण्ड की विजय से उत्साहित होकर नार्वे, डेनमार्क, हालैण्ड और बेल्जियम, पर आक्रमण कर अपने अधीन कर लिया।

अपने विजय-अभियान को आगे बढ़ाते हुए हिटलर ने फ्रांस पर आक्रमण किया। बिना किसी भयानक युद्ध के 14 जून, 1940 ई० को वह पेरिस पर कब्जा करने में सफल हो गया। इधर इटली ने जर्मनी के सहयोग के लिए युद्ध में प्रवेश किया। परिणामस्वरूप 22 जून, 1940 ई० को फ्रांस ने आत्मसमर्पण कर दिया। अब जर्मनी यूरोप में सबसे अधिक शक्तिशाली राष्ट्र बन बैठा।

4). ब्रिटेन की लड़ाई --- अब जर्मनी के समक्ष यूरोप में ब्रिटेन ही एक शक्तिशाली स्तम्भ के रूप में अपना अस्तित्व बनाये रख सका था। उस पर जर्मन वायु सेना ने अगस्त, 1940 ई० में हवाई हमला कर दिया। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री चर्चिल ने हमले का प्रतिरोध किया और अपनी स्वतन्त्रता को बनाये रखा।

1941 के घटना क्रम

5). सोवियत संघ पर जर्मनी का आक्रमण --- ब्रिटेन को छोड़कर सम्पूर्ण यूरोप का स्वामी बनने के बाद हिटलर ने 22 जून, 1941 ई० को अनाक्रमण सन्धि की परवाह न करते हुए सोवियत रूस पर आक्रमण कर दिया। जर्मनी के इस आक्रमण ने युद्ध-क्षेत्र को विस्तृत कर दिया। इसी समय एक महत्त्वपूर्ण घटना घटी जिसमें ब्रिटेन, अमेरिका और रूस एक हो गये अर्थात् विश्व दो ध्रुवों में विभाजित हो गया। कालान्तर में इसी एकीकरण ने जर्मनी, जापान और इटली को पराजित करने में सफलता प्राप्त की।

6). जापान द्वारा पर्ल हार्बर पर आक्रमण --- 7 दिसम्बर, 1941 ई० को जापान ने अप्रत्याशित तरीके से पर्ल हार्बर स्थित अमेरिकी नौ सैनिक अड्डे पर आक्रमण कर अमेरिका को भारी नुकसान पहुँचाया। 8 दिसम्बर, 1941 ई० को अमेरिका ने जापान के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी और ठीक इसके बाद जर्मनी और इटली ने संयुक्त राज्य अमेरिका के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। सही अर्थों में विश्वयुद्ध व्यापक हो गया। मित्र राष्ट्रों की संगठित सैन्य शक्ति के सामने जर्मनी की एक न चली। जर्मनी की असफलता का प्रारम्भ हो गया।

1942 का घटना क्रम

7). जापान का ईस्टइंडीज पर अधिकार --- 1942 में जापान ने ईस्टइंडीज पर अधिकार कर लिया तथा मलाया व सिंगापुर को भी अधिगृहीत कर लिया। इस समय सोवियत संघ में जर्मन सेनाएँ पराजित हुईं तथा अफ्रीका में जर्मनी पराजित हुआ अर्थात् मित्र राष्ट्रों की विजय का मार्ग खुल गया।

1943-1944 के घटना क्रम

8). जर्मनी व इटली की पराजय --- 1943 ई० तक मित्र राष्ट्रों ने जर्मनी पर भीषण बमबारी आरम्भ कर दी। सोवियत संघ ने भी जर्मनी पर हमला बोल दिया। 1944 ई० में मित्र राष्ट्रों ने रोम पर अधिकार स्थापित कर लिया। पूर्वी यूरोप में जर्मनी के प्रभुत्व का अंत हो गया। फ्रांस में मित्र राष्ट्रों ने जर्मन सेना को पराजित कर दिया। अब फ्रांस, जर्मन आधिपत्य से मुक्त हो गया। 23 अगस्त, 1944 ई० को जनरल डीगाल ने पेरिस के राजमहल पर फ्रांस का राष्ट्रीय झण्डा फहराया। इधर अमेरिकी सेना ने जापान को परास्त कर मार्शल द्वीप पर अधिकार कर लिया। 

1945 का घटना क्रम

जापान की पराजय तथा द्वितीय विश्वयुद्ध का अन्त

पर्ल हार्बर पर जापानी आक्रमण के प्रतिशोध में अमेरिका ने 6 अगस्त, 1945 ई० को जापान के हिरोशिमा और 9 अगस्त को नागासाकी नगरों पर परमाणु बम गिराया। इस घटना से जापान में भारी धन-जन की हानि हुई और विवश होकर जापान ने 14 अगस्त, 1945 ई० को मित्र राष्ट्रों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। इधर मित्र राष्ट्रों ने जर्मनी पर सीधा आक्रमण प्रारम्भ कर दिया। सोवियत सेनाएँ जर्मनी को पराजित करती हुई बर्लिन पहुँचने में सफल हुईं।

जर्मनी की पराजय को अवश्यम्भावी देखकर हिटलर ने 1 मई को आत्महत्या कर ली। इसके बाद एडमिरल डोनिज ने जर्मनी के प्रधान का पद ग्रहण किया तथा 2 मई, 1945 ई० को मित्र राष्ट्रों के सामने घुटने टेक दिये। 7 मई, 1945 ई० को विराम-सन्धि पर हस्ताक्षर कर दिया। जर्मनी व जापान के आत्मसमर्पण के साथ द्वितीय विश्वयुद्ध का अन्त हो गया।

द्वितीय विश्वयुद्ध के परिणाम

द्वितीय विश्वयुद्ध की महाविनाशलीला के चिह्न आज भी जापान के नागासाकी और हिरोशिमा में दृष्टिगोचर हो रहे हैं। यह एक महाविनाशकारी युद्ध था। इसके निम्न परिणाम हुए :

(1). अपार जन-धन की क्षति

इस महायुद्ध में धन-जन की अपार हानि हुई। लगभग 5 करोड़ लोग काल-कवलित हुए तथा करोड़ों घायल हुए अथवा अपंगता के शिकार हो गये। अरबों पौण्ड की सम्पत्ति नष्ट हुई। बाल्टिक सागर से काले सागर तक का सम्पूर्ण क्षेत्र विनष्ट हो गया। यूरोप के अधिकांश गाँव व नगर ध्वस्त हो गये। लोग भूख की पीड़ा से तड़प तड़पकर मर गये। इस युद्ध में हुई अपार क्षति का अनुमान लगाना असम्भव नहीं तो कठिन अवश्य है।

(2). अमानवीय व्यवहार

इस युद्ध में अमानवीय कृत्य और दरिन्दगी की सीमा नहीं रही। लोग एक-दूसरे राष्ट्र के युद्धबन्दियों के साथ क्रूरतम व्यवहार करने से बिल्कुल विचलित नहीं हुए।

(3). साम्यवाद का प्रसार

द्वितीय विश्वयुद्ध की परिस्थितियों एवं सोवियत रूस के प्रभाव के कारण साम्यवादी प्रसार बड़ी तीव्रगति से हुआ। यूरोप में रूमानिया, हंगरी, बुल्गारिया, यूगोस्लाविया, पोलैण्ड आदि में साम्यवादी सरकारें स्थापित हुई।

(4). अस्त्र-शस्त्र की प्रतिस्पर्द्धा प्रारम्भ

परमाणु अस्त्रों की भयंकर विनाशलीला को देखकर संसार में इस घातक अस्त्र के निर्माण और संग्रह की होड़ लग गयी।

(5). साम्राज्यवाद का अन्त तथा लोकतांत्रिक भावना का विकास

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पराधीन देशों में राष्ट्रीयता एवं देशभक्ति का संचार हुआ। ये देश स्वतन्त्रता संघर्ष की ओर प्रेरित हुए। धीरे-धीरे अफ्रीका और एशिया के देश स्वतन्त्र होते चले गये। इस प्रकार साम्राज्यवाद का अन्त हो गया।

(6). विश्व का गुटीय विभाजन

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सम्पूर्ण विश्व दो गुटों-पूँजीवादी व साम्यवादी में विभाजित हो गया। पूँजीवादी गुट का नेतृत्व संयुक्त राज्य अमेरिका ने तथा साम्यवादी गुट का नेतृत्व सोवियत रूस ने किया।

(7). आर्थिक प्रभाव क्षेत्रों का निर्माण

गुटीय विभाजन के परिणामस्वरूप संयुक्त राज्य अमेरिका तथा सोवियत संघ आर्थिक प्रभाव क्षेत्रों के निर्माण में संलग्न हो गये। दोनों देश निर्बल राष्ट्रों को आर्थिक सहायता देकर उन्हें अपने प्रभाव क्षेत्र में लाने के लिए प्रयत्नशील हो गये।

(8). संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दुनिया भर में त्राहि-त्राहि मच गयी। चारों तरफ से 'शान्ति चाहिए' की आवाज गूंजने लगी। इस महायुद्ध की विनाशलीला ने मानव को प्रेरित किया कि वे इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए स्थायी संगठन की रचना करें। विजेता राष्ट्रों ने विश्वशान्ति के उद्देश्य से 24 अक्टूबर, 1945 ई० को संयुक्त राष्ट्र संघ नामक एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन की स्थापना की।

नोट --

▪︎ द्वितीय विश्वयुद्ध की अवधि 1 सितम्बर, 1939 से 14 अगस्त, 1945 ई० तक थी।

▪︎ द्वितीय विश्वयुद्ध के प्रमुख कारण वर्साय की सन्धि, ब्रिटेन की तुष्टीकरण की नीति, अन्तर्राष्ट्रीय गुटबन्दी, हिटलर की आक्रामक नीति, शस्त्रीकरण, 'लीग ऑफ नेशन्स' की असफलता आदि थी।

▪︎ 1 सितम्बर, 1939 ई० को हिटलर द्वारा पोलैण्ड पर आक्रमण द्वितीय विश्वयुद्ध का तात्कालिक कारण था।

▪︎ द्वितीय विश्वयुद्ध को 'यन्त्रों का युद्ध' कहा जाता है।

▪︎ द्वितीय विश्वयुद्ध का परिणाम महाविनाशकारी रहा।

▪︎ द्वितीय विश्वयुद्ध की विनाशलीला से भयभीत विश्व ने शान्ति की आकांक्षा से 24 अक्टूबर, 1945 ई० को संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना की।

द्वितीय विश्वयुद्ध की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ एवं तिथियाँ

1 सितम्बर, 1939 ई० हिटलर द्वारा पोलैण्ड पर आक्रमण।
3 सितम्बर, 1939 ई० फ्रांस और इंग्लैण्ड द्वारा जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा।
14 जून, 1940 ई० हिटलर द्वारा पेरिस पर अधिकार।
22 जून, 1941 ई० हिटलर द्वारा सोवियत रूस पर आक्रमण।
7 दिसम्बर, 1941 ई० जापान द्वारा पर्ल हार्बर पर आक्रमण।
8 दिसम्बर, 1941 ई० अमेरिका द्वारा जापान के विरुद्ध युद्ध की घोषणा।
1942 ई० जापान द्वारा वेस्टइंडीज पर अधिकार।
1943 ई० मित्र राष्ट्रों द्वारा जर्मनी पर बमबारी।
1944 ई० मित्र राष्ट्रों का रोम पर अधिकार।
7 मई, 1945 ई० जर्मनी द्वारा विराम-सन्धि पर हस्ताक्षर।
6 अगस्त, 1945 ई० जापान के हिरोशिमा पर परमाणु बम द्वारा हमला।
9 अगस्त, 1945 ई० जापान के नागासाकी पर परमाणु बम द्वारा हमला।
14 अगस्त, 1945 ई० जापान द्वारा आत्मसमर्पण।
24 अक्टूबर, 1945 ई० संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना।


Conclusion

यहा पर हमने second world war in hindi के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करी। इस लेख में द्वितीय विश्वयुद्ध से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रश्नो के उत्तर को हमने विस्तार से देखा जैसे की dwitiya vishwa yudh kab hua tha, dwitiya vishwa yudh kab samapt hua tha, द्वितीय विश्वयुद्ध का कारण और द्वितीय विश्वयुद्ध का परिणाम आदि इन सभी सवालों के जवाब को हमने इस आर्टिकल में संक्षेप में समझा।

हमे आशा है कि आपको यह लेख अच्छा लगा होगा और हम उमीद करते है की इस आर्टिकल के माध्यम से second world war in hindi को अच्छे से समझने में आपको काफी मदद मिली होगी। अगर आपके मन में इस लेख से सम्बन्धित या अन्य कोई सवाल हो तो, आप हमे नीचे कमेंट करके पुछ सकते है और इस लेख को आप अपने मित्रों के साथ शेयर जरुर करे।

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