राजीव गांधी का जीवन परिचय | Rajiv Gandhi Biography In Hindi

राजीव गांधी का जीवन परिचय

इस आर्टिकल में हम राजीव गांधी के जीवन परिचय को विस्तार से देखेंगे। यहा पर हम राजीव गांधी के जीवन से सम्बंधित बहुत से सवालो के जवाब जानेंगे जैसे, राजीव गांधी का पूरा नाम क्या था, राजीव गांधी का जन्म कहां हुआ, राजीव गांधी का जन्म कब हुआ, राजीव गांधी के पिता का नाम, राजीव गांधी की पत्नी का नाम, राजीव गांधी प्रधानमंत्री कब बने थे और राजीव गांधी की मृत्यु कब हुई और कैसे हुई आदि इन सभी प्रश्नों के उत्तर यहा पर विस्तार से शेयर किया गया है, जिससे की आपको rajiv gandhi ka jeevan parichay अच्छे से समझ आ जाये। तो अगर आप rajiv gandhi biography in hindi को बिल्कुल अच्छे से समझना चाहते है तो, इस आर्टिकल को पुरा अन्त तक जरुर पढ़े।


राजीव गांधी की जीवनी (Rajiv Gandhi Biography In Hindi)

राजीव गाँधी जैसे युवा नेता की दूरदर्शिता के फलस्वरूप ही देश कम्प्यूटर युग में प्रवेश कर सका है। जब कम्प्यूटर के क्षेत्र में अध्ययन एवं अनुसन्धान के प्रयासों को उन्होंने बल देना शुरू किया था, तो लोगों ने इससे बेरोज़गारी बढ़ने की बात कहकर उनकी तीव्र आलोचना की थी, किन्तु आज देश की प्रगति में कम्प्यूटर की उपयोगिता एवं भूमिका से यह स्वाभाविक रूप से अन्दाजा लगाया जा सकता है कि राजीव गाँधी अपने समय से कितना आगे चलते हुए पूरी सूझ-बूझ से निर्णय लिया करते थे। भारत आज सूचना प्रौद्योगिकी की सुपर शक्ति बन चुका है और इसमें कम्प्यूटर की भूमिका अहम है। राजीव गाँधी के नेतृत्व में देश ने आधुनिकीकरण एवं खुशहाली के नए युग में प्रवेश किया।

नाम राजीव गाँधी
पुरा नाम राजीव रत्न गांधी
जन्म तिथि 20 अगस्त 1944
जन्म स्थान मुम्बई, महाराष्ट्र
मृत्यु तिथि 21 मई 1991
मृत्यु स्थान श्री पेरंबदूर, तमिलनाडु (भारत)
आयु (मृत्यु के समय) 46 वर्ष
मृत्यु का कारण हत्या
पिता फिरोज गांधी
माता इंदिरा गांधी
नाना जवाहरलाल नेहरू
पत्नी सोनिया गांधी
बच्चे राहुल गांधी, प्रियंका गांधी
भाई संजय गांधी
राष्ट्रीयता भारतीय
राजनैतिक दल भारतीय राष्ट्रीय कॉंग्रेस
पुरस्कार भारत रत्न (1991)

राजीव गाँधी का जीवन परिचय (Rajiv Gandhi Ka Jivan Parichay)

राजीव गाँधी का जन्म 20 अगस्त, 1944 को बम्बई (मुम्बई) में हुआ था। उनके नाना जवाहरलाल नेहरू ने उनका नाम 'राजीव रत्न' रखा। उनके पिता फिरोज गाँधी, माँ इन्दिरा गाँधी एवं नाना जवाहरलाल नेहरू, जो देश की स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष कर रहे थे, के संघर्षों को देखकर सम्भवतः एक दिन राजीव गाँधी भी इस लड़ाई में कूद पड़ते, किन्तु सौभाग्यवश 15 अगस्त, 1947 को देश को अंग्रेज़ों की गुलामी से मुक्ति मिल गई। आज़ादी के बाद जब राजीव गाँधी के नाना जवाहरलाल नेहरू देश के प्रथम प्रधानमन्त्री बने, तो वे माँ एवं छोटे भाई संजय गाँधी के साथ दिल्ली के तीनमूर्ति भवन में रहने आ गए। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा यहीं के एक स्कूल शिव निकेतन में हुई।

वर्ष 1954 में आगे की पढ़ाई के लिए राजीव को देहरादून के वेल्हम विद्यालय भेजा गया। वहाँ से आईएससी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे सीनियर कैम्ब्रिज में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैण्ड चले गए। वहाँ ट्रिनिटी कॉलेज से उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियर की डिग्री प्राप्त की। पढ़ाई खत्म करने के बाद वे दिल्ली फ्लाइंग क्लब के सदस्य बने तथा विमान संचालन का प्रशिक्षण प्राप्त किया। जब वे कैम्ब्रिज में पढ़ाई कर रहे थे, तब उनकी माँ इन्दिरा गाँधी वर्ष 1966 में भारत की प्रथम महिला प्रधानमन्त्री बनीं।

पढ़ाई खत्म करने के बाद विमान चालक के प्रशिक्षण के दौरान वर्ष 1968 में इटली की सोनिया माइनो से उनका विवाह हो गया। अपने नाना, पिता एवं माँ के देश की राजनीति में अहम स्थान के बावजूद राजीव राजनीति में नहीं आना चाहते थे, इसलिए विमान संचालन के प्रशिक्षण के बाद उन्होंने वर्ष 1970 में इण्डियन एयरलाइंस में पायलट की नौकरी करना शुरू कर दिया। 23 जून, 1980 को अपने छोटे भाई संजय गाँधी की मृत्यु के बाद न चाहते हुए भी खानदान की विरासत को सँभालने के लिए उन्हें राजनीति में आना पड़ा। जून,1981 में वे अमेठी से सांसद निर्वाचित हुए और साथ में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव भी बने।

प्रधानमन्त्री के रूप में राजीव गाँधी (राजीव गांधी प्रधानमंत्री कब बने थे)

31 अक्टूबर 1984 को अपनी माँ तत्कालीन प्रधानमन्त्री इन्दिरा गाँधी की उनके ही अंगरक्षकों द्वारा जघन्य हत्या के बाद शोकाकुल राजीव को समय की आवश्यकता को देखते हुए दुनिया के सबसे बड़े लोकतन्त्र की बागडोर सँभालनी पड़ी। वे अब तक के सबसे युवा प्रधानमन्त्री थे और राजनीति का भी उन्हें अधिक अनुभव नहीं था, इसलिए कुछ लोगों को आशंका थी कि वे राजनीति में सफल नहीं हो पाएँगे, परन्तु जिस कुशलता के साथ देश का संचालन करते हुए वे इसे आधुनिकीकरण के नए युग में ले गए, उससे उनके सभी आलोचक स्तब्ध रह गए। दिसम्बर, 1984 में जब लोकसभा के चुनाव हुए, तो राजीव जी की अद्भुत नेतृत्व क्षमता के कारण कांग्रेस को 542 सीटों में से 411 सीटों पर अभूतपूर्व जीत हासिल हुई। 31 दिसम्बर, 1984 को राजीव गाँधी नई लोकसभा के सदस्यों के नेता के रूप में पुन: देश के प्रधानमन्त्री बने।

राजीव गाँधी का योगदान

अपने कार्यकाल में उन्होंने भारतीय जनता के कल्याण के लिए अनेक महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए, नए कार्यक्रमों की शुरुआत की तथा विश्व के अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर भी भारत को अभूतपूर्व प्रतिष्ठा दिलाई। श्रीलंका में चल रहे लिट्टे और सिंघलियों के बीच युद्ध को शान्त करने के लिए उन्होंने भारतीय सेना को श्रीलंका में तैनात किया। 

राजनीतिक अस्थिरता को समाप्त करने के लिए उन्होंने वर्ष 1985 में राजनीतिक दल-बदल सम्बन्धी विधेयक पारित करवाया। बेरोज़गारी की विकराल समस्या के समाधान के लिए वर्ष 1988 में व्यापक ऋण योजना तथा 1 अप्रैल, 1989 को जवाहर रोज़गार योजना का शुभारम्भ किया, जिसके अन्तर्गत 'इन्दिरा आवास योजना' तथा 'दस लाख कुआँ योजना' जैसे कई कार्यक्रमों की शुरुआत की। पंचायती राजव्यवस्था को मजबूत करने के दृष्टिकोण से 15 मई, 1989 को बहुप्रतीक्षित 64 वाँ पंचायती राज विधेयक संविधान संशोधन प्रस्तुत किया।

प्रथम बार प्रधानमन्त्री बनते समय राजीव गाँधी को पंजाब के आतंकवाद और असम के आन्दोलनकारियों से त्रस्त भारत मिला था, किन्तु अपनी प्रशासनिक क्षमता एवं सूझ-बूझ से ऐसी सभी समस्याओं का समाधान करने में वे सफल रहे। राजीव गाँधी ने देश की सुरक्षा के दृष्टिकोण से पृथ्वी, त्रिशूल और अग्नि जैसी मिसाइल एवं प्रक्षेपास्त्रों का विकास करवाया। उन्हें अपने देश की युवाशक्ति पर बड़ा मान था, यही कारण है कि देश की युवाशक्ति की राजनीति में भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से उन्होंने मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष करने का प्रस्ताव संसद में पारित करवाया।

वर्ष 1989 के सामान्य चुनाव में अपने आकर्षक व्यक्तित्व के बल पर वे अपने निर्वाचन क्षेत्र से भारी मतों से विजयी होने में सफल रहे, किन्तु अपने कुछ सहयोगियों के भीतरघात के कारण उनकी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। राजीव गाँधी यदि चाहते तो उस समय जोड़-तोड़ की सरकार बना सकते थे, परन्तु जनादेश का सम्मान करते हुए उन्होंने विपक्ष में बैठना स्वीकार किया।

राजीव गाँधी अपने व्यवहार के अनुरूप सुरक्षा की परवाह किए बिना जनता के बीच चले जाते थे। इसका लाभ उनके दुश्मनों ने उठाया और चेन्नई के पेरुम्बुदूर नामक स्थान पर एक चुनावी सभा को सम्बोधित करने के लिए जाते समय एक आत्मघाती हमले में 21 मई, 1991 को उनकी मृत्यु हो गई। भारत सरकार ने देश के प्रति राजीव गाँधी द्वारा की गई महान सेवाओं के लिए कृतज्ञता जाहिर करते हुए 7 जुलाई, 1991 को मरणोपरान्त उन्हें देश के सर्वोच्च अलंकरण 'भारत रत्न' से अलंकृत किया।

जिस तरह, इन्दिरा गाँधी की हत्या से पूरा देश स्तब्ध रह गया था, उसी तरह एक बार फिर अपने प्रिय युवा नेता की हत्या से भारतवासी शोकाकुल हो गए। उनके निधन से भारत को जो क्षति हुई उसकी पूर्ति असम्भव है, पर भारत को कम्प्यूटर युग में ले जाने का उनका जो सपना था, वह आज साकार हो चुका है और भारत सूचना प्रौद्योगिकी की सुपर शक्ति बन चुका है। कृतज्ञ भारतवासी, देश की प्रगति में उनके योगदान को कभी भुला नहीं सकते। उनका व्यक्तित्व एवं उनकी कार्यप्रणाली हमेशा देश के युवा वर्ग का मार्गदर्शन करती रहेगी।

Conclusion

यहा पर हमने "biography of rajiv gandhi in hindi" को विस्तार से देखा। इन लेख में हमने राजीव गांधी के जीवन से जड़े बहुत से प्रश्नो के उत्तर को देखा, जिससे की आपको राजीव गांधी के जीवन परिचय को अच्छे से समझने में काफी असानी हुई होगी। हम आशा करते है की, आपको यह आर्टिकल जरुर पसंद आया होगा और हमे उमीद है की इस लेख की सहायता से आपको rajiv gandhi ka jivan parichay को समझने में काफी मदद मिली होगी। अगर आपके मन में इस लेख से सम्बंधित कोई सवाल है तो, आप नीचे कमेंट करके पुछ सकते है। और इस राजीव गांधी की जीवनी को आप अपने मित्रों के साथ शेयर जरुर करे।

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