कपिल देव का जीवन परिचय | Kapil Dev Biography In Hindi

Kapil Dev Biography In Hindi

इस आर्टिकल में हम कपिल देव के जीवन परिचय को बिल्कुल विस्तार से देखेंगे। यहा पर आपको कपिल देव के जीवन से जुड़े कई सारे सवालों के जवाब मिलेंगे जैसे की कपिल देव का जन्म कब हुआ, कपिल देव का जन्म कहाँ हुआ, कपिल देव की कितनी एज है, कपिल देव के पिता का नाम, कपिल देव के माता का नाम और कपिल देव किस लिए प्रसिद्ध है आदि। इन सभी प्रश्नों के उत्तर को हमने यहा पर विस्तार से दिया है। तो अगर आप कपिल देव का जीवन परिचय संक्षेप में विस्तार से जानना चाहते है तो, इस लेख को पुरा अन्त तक पढ़े।


कपिल देव की जीवनी (Kapil Dev Biography In Hindi)

भारत में क्रिकेट के प्रति लोगों का जुनून देखकर कहा जाता है कि यह कोई खेल नहीं रहा, बल्कि एक ऐसा धर्म हो गया है, जिसमें खिलाड़ी ही भगवान बन चुके हैं, वहाँ कपिल देव का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। कपिल विश्व के महानतम ऑलराउण्डर क्रिकेटरों में गिने जाते हैं। क्रिकेट के विश्व कप की चर्चा इनकी चर्चा के बिना पूरी नहीं हो सकती। इन्हीं के नेतृत्व में भारत ने वर्ष 1983 में प्रथम बार क्रिकेट का विश्व कप जीतने का अभूतपूर्व गौरव प्राप्त किया में था।

पूरा नाम कपिल देव रामलाल निखंजी
जन्म तिथि 6 जनवरी 1959
जन्म स्थान चंडीगढ़, भारत
उम्र 63 वर्ष
लम्बाई 6 फीट (183 सेमी)
बल्लेबाजी दांए हाथ से
बॉलिंग दाहिना हाथ तेज-मध्यम
रोल आल-राउंडर
पिता रामलाल निखंज
माता राज कुमारी लाजवंती
पत्नी रोमी भाटिया
बच्चे अमिया देव
भाई रमेश निखांज, भूषण निखांज

कपिल देव का जीवन परिचय (Kapil Dev Ka Jivan Parichay)

कपिल देव, जिनका पूरा नाम कपिल देव रामलाल निखंज है, का जन्म 6 जनवरी, 1959 को चण्डीगढ़ में हुआ था। उनके पिता रामलाल निखंज लकड़ी के व्यापारी थे। 13 वर्ष की छोटी आयु में ही कपिल ने क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। इस खेल के प्रति दीवानगी के कारण ही वे पढ़ाई में मन नहीं लगा सके और इसी में करियर बनाने में स्वयं को केन्द्रित कर लिया। वर्ष 1975 में जब कपिल ने हरियाणा टीम के सदस्य के रूप में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कदम रखा, तब उनकी आयु मात्र 16 वर्ष थी।

तीन साल बाद 19 वर्ष की आयु में उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय खेल में पदार्पण किया। 1 अक्टूबर, 1978 को पाकिस्तान के विरुद्ध कपिल ने अपने जीवन का पहला अन्तर्राष्ट्रीय एक-दिवसीय मैच और उसी महीने की 16 तारीख को पाकिस्तान के ही विरुद्ध अपना पहला अन्तर्राष्ट्रीय टेस्ट मैच खेला। थोड़े समय के बाद ही कपिल देव 'हरियाणा हरिकेन' के रूप में मशहूर हो गए।

कपिल देव का अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण

अन्तर्राष्ट्रीय मैचों में पदार्पण के बाद कपिल देव दाहिने हाथ के मध्यम तेज गति के गेंदबाज के रूप में उभरे और उन्होंने अपनी आउटस्विंग गेंदबाजी और शानदार एक्शन के कारण भारतीय टीम में अपने करियर के ज्यादातर समय में स्ट्राइक गेंदबाज की भूमिका निभाई। जहाँ तक बल्लेबाजी का सवाल है, कपिल दाएँ हाथ के बल्लेबाज रहे हैं। उन्होंने अपने ऑलराउण्डर होने का प्रमाण उस समय दिया, जब उन्होंने नेशनल स्टेडियम कराची में पाकिस्तान के विरुद्ध तीसरे टेस्ट मैच में सिर्फ 33 गेंदों में 2 छक्कों की मदद से भारत का सबसे तेज अर्द्धशतक जड़ दिया।

कपिल देव 21 वर्ष और 27 दिन की आयु में 1,000 रन और 100 टेस्ट विकेट लेने वाले दुनिया के सबसे युवा खिलाड़ी बने। बाद में 2,000 रन और 200 विकेट का डबल भी सबसे कम उम्र में बनाने का रिकॉर्ड उन्होंने अपने नाम किया। वर्ष 1983 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में 175 रनों की उनकी पारी यादगार पारियों में से एक है। वर्ष 1990 में इंग्लैण्ड के विरुद्ध लॉर्ड्स में भारत को फॉलोआन से बचाने के लिए 24 रनों की आवश्यकता थी। कपिल देव के साथ नरेन्द्र हिरवानी पिच पर मौजूद थे। एडी हेमिंग्स के ओवर की चार गेंदें शेष थीं। कपिल देव ने बाकी बची चारों गेंदों पर लगातार चार छक्के मारकर भारतीय टीम को फॉलोआन से बचा लिया।

कपिल देव का क्रिकेट करियर

कपिल देव ने अपने पूरे करियर के 131 टेस्ट मैचों में 31.05 की औसत से 5,248 रन बनाए, जिनमें 8 शतक और 27 अर्द्धशतक शामिल हैं। इन मैचों में उनका उच्चतम स्कोर 163 रन था। इन्हीं 131 टेस्ट मैचों में वे 4,623.2 ओवर की गेंदबाजी कर 434 विकेट लेने में भी सफल रहे। इनमें 83 रन देकर 9 विकेट लेना उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था।

जहाँ तक उनके एक-दिवसीय मैचों में प्रदर्शन का सवाल है, कपिल देव ने कुल 225 एक-दिवसीय मैचों में भाग लिया। इनमें उन्होंने 23.79 की औसत से कुल 3,783 रन बनाए, जिनमें 1 शतक और 14 अर्द्धशतक शामिल हैं। इनमें उनका उच्चतम स्कोर 175 था। इन्हीं एक-दिवसीय मैचों में उन्होंने 1,867 ओवरों की गेंदबाजी कर 253 विकेट भी लिए जिनमें उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 43 रन देकर 5 विकेट लेना रहा।

कपिल देव विश्वकप विजेता कप्तान

कपिल देव ने भारतीय टीम की कमान वर्ष 1982 में उस समय सँभाली थी, जब क्रिकेट खेलने वाले वेस्टइण्डीज और इंग्लैण्ड जैसे देशों के सामने भारतीय टीम आज के बांग्लादेश और केन्या जैसी कमज़ोर टीमों के समान थी, किन्तु उनकी कप्तानी में वर्ष 1983 में विश्व कप जीतने के बाद भारतीय टीम का लोहा सारी दुनिया मानने लगी।

कपिल देव ने अपने ऑलराउण्ड प्रदर्शन से न केवल सबका दिल जीता, बल्कि भारतवासियों को यह विश्वास दिलाने में भारतीय टीम, क्रिकेट की शहंशाह है। विश्व कप के फाइनल में भारतीय टीम ने दो बार विजेता रह चुके वेस्टइण्डीज को वे सफल रहे कि मात दी थी। वर्ष 1986 में कपिल देव की कप्तानी में ही भारत ने लॉर्ड्स में पहला टेस्ट मैच जीता था।

कपिल देव ने वर्ष 1993 में टेस्ट क्रिकेट में सर रिचर्ड हेडली का रिकॉर्ड तोड़कर सर्वाधिक विकेट लेने का रिकॉर्ड बनाया और उसी वर्ष उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास भी ले लिया। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भी वे किसी-न-किसी रूप में इस खेल से जुड़े रहे और वर्ष 1999 में उन्होंने भारतीय टीम के कोच का पद सँभाला।

कपिल देव को मिले पुरस्कार एवं सम्मान

वर्ष 2002 तक वे टीम से इस रूप में जुड़े रहे। बाद में कपिल ने बीसीसीआई से अलग 'इण्डियन क्रिकेट लीग' की स्थापना भी की, जिसमें उन्होंने उन खिलाड़ियों को खेलने का मौका दिया, जो अपने देश की अन्तर्राष्ट्रीय टीम में ज्यादा समय तक नहीं खेल पाए।

उनकी उपलब्धियों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1979-80 में 'अर्जुन पुरस्कार' देकर सम्मानित किया। वर्ष 1982 में उन्हें 'पद्मश्री' से अलंकृत किया गया। अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद् द्वारा वे वर्ष 1983 में विजडन 'क्रिकेटर ऑफ़ द ईयर' चुने गए। वर्ष 1991 में भारत सरकार ने उन्हें 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया। क्रिकेट की बाइबिल मानी जाने वाली इंग्लैण्ड की पत्रिका 'विज़्डन' ने वर्ष 2002 में कपिल देव को बीसवीं सदी के सर्वश्रेष्ठ भारतीय क्रिकेटर के रूप में पुरस्कृत किया।

कपिल देव के सेवानिवृत्ति के बाद की भूमिका

24 सितम्बर, 2008 को उन्हें भारतीय सेना में लेफ्टिनेण्ट कर्नल का पद दिया गया। कपिल देव को ब्रिटेन की संसद हाउस ऑफ लार्ड्स में लाइफ टाइम अचीवमेण्ट पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्हें यह पुरस्कार क्रिकेट की उपलब्धि और असमर्थ गरीब लोगों की भलाई के लिए किए गए कामों को ध्यान में रखते हुए दिया गया। 

वर्ष 2005 में उन्होंने 'खुशी' नामक राष्ट्रीय संगठन की स्थापना की, जो उपेक्षित बच्चों के लिए विद्यालय चलाता है। वर्ष 2017 में कपिल देव को 75 वाँ दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार दिया गया। वर्ष 1983 के क्रिकेट विश्वकप में भारत को विजयी बनाने के उपलक्ष्य में कपिल देव के ऊपर फिल्म - '83' का निर्माण किया जा रहा है।

इस फिल्म के निर्देशक कबीर खान हैं। यह फिल्म मुख्यतः वर्ष 1983 में कपिल देव द्वारा जिम्बाब्वे के खिलाफ खेली गई 175 रनों की महत्त्वपूर्ण पारी पर आधारित है, जिसकी रिकॉर्डिंग वर्तमान में मौजूद नहीं है। रणवीर सिंह इस फिल्म में कपिल देव का, जबकि दीपिका पादुकोण कपिल की पत्नी रोमी का किरदार निभा रही हैं।

वर्ष 1983 में लॉर्ड्स के मैदान में हासिल विश्व कप की ऐतिहासिक जीत की सिल्वर जुबली मनाने के लिए वर्ष 2008 में तत्कालीन पूरी भारतीय क्रिकेट टीम लन्दन गई थी और कहना न होगा कि कपिल देव ने फिर उनकी अगुवाई की। अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद की वर्ष 2010 की पहली हॉल ऑफ़ फेम सूची में 'कपिल देव' का भी नाम शामिल है। इतना ही नहीं वर्ष 2013 में सी के नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड भी दिया गया। वर्तमान में (वर्ष 2019 में) हरियाणा के स्पोर्ट विश्व विद्यालय के प्रथम चांसलर बनाए गए हैं। निःसन्देह कपिल देव भारतीय खिलाड़ियों के प्रेरणास्रोत हैं और आगे भी रहेंगे।

Conclusion

यहा पर हमने biography of kapil dev in hindi को पूरे विस्तार से समझा। इस लेख में हमने कपिल देव के जीवन से सम्बंधित कई सारे महत्वपूर्ण सवालो के जवाब जाने जैसे की कपिल देव कौन है, कपिल देव का जन्म कब हुआ था, कपिल देव का जन्म कहाँ हुआ था और कपिल देव को मिले पुरस्कार एवं सम्मान आदि। इन सभी प्रश्नो के उत्तर हमने यहा पर संक्षेप में शेयर किया है जिससे आपको कपिल देव का जीवन परिचय समझने में असानी हो। हमे आशा है की आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा होगा और हम उमीद करते है की इस लेख की सहायता से आपको kapil dev ka jeevan parichay को अच्छे से समझ में काफी मदद मिली होगी। अगर आपके मन में इस लेख से सम्बंधित या अन्य कोई सवाल हो तो, आप हमे नीचे कमेंट करके पुछ सकते है साथ ही इस कपिल देव की जीवनी को आप अपने मित्रों के साथ शेयर जरुर करे।

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