एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन परिचय | APJ Abdul Kalam Biography In Hindi

APJ Abdul Kalam Biography In Hindi

इस लेख में हम एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी के बारे में विस्तार से समझेंगे। यहां हम एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन से जुड़े बहुत से महत्वपूर्ण सवालों के जवाब जानने की पुर्ण प्रयास करेंगे। जैसे की - एपीजे अब्दुल कलाम का पुरा नाम, एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म कहां हुआ था, एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म कब हुआ था, एपीजे अब्दुल कलाम को भारत रत्न कब मिला, एपीजे अब्दुल कलाम के माता-पिता का नाम, और एपीजे अब्दुल कलाम की मृत्यु कब हुई आदि। इस प्रकार के एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन से जुड़े और भी बहुत से सवालों के जवाब हम यहां पर एकदम विस्तार से देखेंगे, ताकि आप एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी को अच्छी तरह से समझ सकें। तो अगर आप APJ Abdul Kalam Ka Jeevan Parichay को अच्छे से समझना चाहते हैं, तो इस लेख को अंत तक पढ़ें।

एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी (APJ Abdul Kalam Biography In Hindi)

तमिलनाडु के मध्यमवर्गीय परिवार में जन्म लेने वाले एक बालक का यह सपना था कि वह एक दिन पायलट बनकर आसमान की अनन्त ऊँचाइयों को नापे। अपने इस सपने को साकार करने के लिए उसने समाचार-पत्र तक बेचे, गरीबी में भी अपनी पढ़ाई जारी रखी और आखिरकार आर्थिक तंगियों से संघर्ष करते हुए यह बालक उच्च शिक्षा हासिल कर पायलट के लिए होने वाली भर्ती परीक्षा में सम्मिलित हुआ। उस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद भी उसका चयन नहीं हो सका, क्योंकि उस परीक्षा के द्वारा केवल आठ पायलटों का चयन होना था और सफल अभ्यर्थियों की सूची में उस बालक का स्थान नौवाँ थ। इस घटना से उसे थोड़ी निराशा हुई, पर उसने हार नहीं मानी।

उसके दृढनिश्चय का ही कमाल था कि एक दिन उसने सफलता की ऐसी बुलन्दियाँ हासिल कीं, जिनके सामने सामान्य पायलटों की उड़ानें अत्यन्त तुच्छ नज़र आती हैं। उस व्यक्ति ने भारत को अनेक मिसाइलें प्रदान कर इसे सामरिक दृष्टि से इतना सम्पन्न कर दिया कि पूरी दुनिया उसे 'मिसाइल मैन' के नाम से जानने लगी। इसके बाद एक दिन ऐसा भी आया जब यह व्यक्ति भारत के सर्वोच्च पद पर आसीन हुआ। चमत्कारी प्रतिभा का धनी वह व्यक्ति कोई और नहीं, बल्कि भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति रह चुके डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम थे, जिनकी जीवनगाथा किसी रोचक उपन्यास की कथा से कम नहीं थी।

नाम ए.पी.जे अब्दुल कलाम
पुरा नाम अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम
जन्म तिथि 15 अक्टूबर 1931
जन्म स्थान धनुषकोडी, रामेश्वरम (तमिलनाडु)
मृत्यु तिथि 27 जुलाई 2015
मृत्यु स्थान शिलांग, मेघालय (भारत)
आयु (मृत्यु के समय) 83 वर्ष
माता का नाम अशिअम्मा जैनुलाब्दीन
पिता का नाम जैनुलाब्दीन मराकायर
भाई का नाम मुहम्मद मुथु मीरा लेब्बई मरईकर, कसीम मोहम्मद, मुस्तफ़ा कमाल
बहन का नाम असीम जोहरा
शिक्षा मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, अन्ना युनिवर्सिटी
राष्ट्रीयता भारतीय
पेशा एयरोस्पेस वैज्ञानिक, लेखक
राष्ट्रपति का कार्यकाल 25 जुलाई 2002 – 25 जुलाई 2007

डॉ॰ एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन परिचय (APJ Abdul Kalam Ka Jivan Parichay)

डॉ॰ एपीजे अब्दुल कलाम, जिनका पूरा नाम अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था, का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को तमिलनाडु राज्य में स्थित रामेश्वरम् के धनुषकोडी नामक स्थान पर एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ था। वे अपने पिता के साथ मस्जिद में नमाज़ पढ़ने जाते हुए रास्ते में पड़ने वाले शिव मन्दिर में भी माथा टेक कर अपनी श्रद्धा को व्यक्त करते थे। इसी गंगा-जमुनी संस्कृति के बीच कलाम ने धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ा।

उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए उन्हें अपनी पढ़ाई पूरी करने एवं घर के खर्चे में योगदान के लिए समाचार-पत्र बेचने पड़ते थे। इसी तरह, संघर्ष करते हुए प्रारम्भिक शिक्षा रामेश्वरम् के प्राथमिक स्कूल से प्राप्त करने के बाद उन्होंने रामनाथपुरम् के श्वार्ट्ज हाईस्कूल से मैट्रिकुलेशन किया। इसके बाद वे उच्च शिक्षा के लिए तिरुचिरापल्ली चले गए।

वहाँ के सेण्ट जोसेफ़ कॉलेज से उन्होंने बीएससी की उपाधि प्राप्त की। वर्ष 1957 में एमआईटी से वैमानिकी इंजीनियरी में डिप्लोमा प्राप्त किया। अन्तिम वर्ष में उन्हें एक परियोजना दी गई, जिसमें उन्हें 30 दिनों के अन्दर विमान का एक डिज़ाइन तैयार करना था, अन्यथा उनकी छात्रवृत्ति रुक जाती। कलाम ने इसे निर्धारित अवधि में पूरा किया।

उन्होंने तमिल पत्रिका 'आनन्द विकटन' में 'अपना विमान स्वयं बनाएँ' शीर्षक से एक लेख लिखा, जिसे प्रथम स्थान मिला। बीएससी के बाद वर्ष 1958 में उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉ. कलाम ने हावरक्राफ्ट परियोजना एवं विकास संस्थान में प्रवेश किया।

इसके बाद वर्ष 1962 में वे भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन में आए, जहाँ उन्होंने सफलतापूर्वक कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। यहाँ रहकर उन्होंने थुम्बा में रॉकेट इंजीनियरी डिविजन की स्थापना की। उनकी उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें 'नासा' में प्रशिक्षण हेतु भेजा गया।

एपीजे अब्दुल कलाम का विज्ञान में योगदान

नासा से लौटने के पश्चात् वर्ष 1963 में उनके निर्देशन में भारत का पहला रॉकेट 'नाइक अपाची' छोड़ा गया। 20 नवम्बर, 1967 को 'रोहिणी -75' रॉकेट का सफल प्रक्षेपण उन्हीं के निर्देशन में हुआ। परियोजना निदेशक के रूप में भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी -3 के निर्माण में भी उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसी प्रक्षेपण यान से जुलाई, 1980 में रोहिणी उपग्रह का अन्तरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया। 

वर्ष 1982 में वे भारतीय रक्षा अनुसन्धान एवं विकास संगठन में वापस निदेशक के तौर पर आए तथा अपना सारा ध्यान गाइडेड मिसाइल के विकास पर केन्द्रित किया। अग्नि मिसाइल एवं पृथ्वी मिसाइल के सफल परीक्षण का श्रेय उन्हें दिया जाता है। जुलाई, 1992 में वे भारतीय रक्षा मन्त्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त हुए। उनकी देख-रेख में भारत ने 11 मई, 1998 को पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ।

वैज्ञानिक के रूप में कार्य करने के दौरान अलग-अलग प्रणालियों को एकीकृत रूप देना उनकी विशेषता थी। उन्होंने अन्तरिक्ष एवं सामरिक प्रौद्योगिकी का उपयोग कर नए उपकरणों का निर्माण भी किया। डॉ. कलाम की उपलब्धियों को देखते हुए वर्ष 1981 में भारत सरकार ने उन्हें 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया, इसके बाद वर्ष 1990 में उन्हें 'पद्म विभूषण' भी प्रदान किया गया।

उन्हें विश्वभर के 30 से अधिक विश्वविद्यालयों ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि से विभूषित किया। वर्ष 1997 में भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया। उन्हें एस्ट्रोनॉटिकल सोसायटी ऑफ इण्डिया का आर्यभट्ट पुरस्कार तथा राष्ट्रीय एकता के लिए इन्दिरा गाँधी पुरस्कार भी प्रदान किया गया है। वे ऐसे तीसरे राष्ट्रपति हैं, जिन्हें यह सम्मान राष्ट्रपति बनने से पूर्व ही प्राप्त हुआ है। अन्य दो राष्ट्रपति हैं - सर्वपल्ली राधाकृष्णन एवं डॉक्टर जाकिर हुसैन।

एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति के रूप में

वर्ष 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन सरकार ने डॉक्टर कलाम को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया। विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी उनका समर्थन किया और 18 जुलाई, 2002 को उन्हें 90% बहुमत द्वारा भारत का राष्ट्रपति चुना गया। इस तरह उन्होंने 25 जुलाई, 2002 को ग्यारहवें राष्ट्रपति के रूप में अपना पदभार ग्रहण किया। उन्होंने इस पद को 25 जुलाई, 2007 तक सुशोभित किया। वे राष्ट्रपति भवन को सुशोभित करने वाले प्रथम वैज्ञानिक हैं। साथ ही वे प्रथम ऐसे राष्ट्रपति भी हैं, जो अविवाहित रहे। राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल में उन्होंने कई देशों का दौरा किया एवं भारत का शान्ति का सन्देश विश्व को दिया। इस दौरान उन्होंने पूरे भारत का भ्रमण किया एवं अपने व्याख्यानों द्वारा देश के नौजवानों का मार्गदर्शन करने एवं उन्हें प्रेरित करने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया।

सीमित संसाधनों एवं कठिनाइयों के होते हुए भी उन्होंने भारत को अन्तरिक्ष अनुसन्धान एवं प्रक्षेपास्त्रों के क्षेत्र में एक ऊँचाई प्रदान की। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। उन्होंने तमिल भाषा में अनेक कविताओं की रचना भी की है, जिनका अनुवाद विश्व की कई भाषाओं में हो चुका है। इसके अतिरिक्त , उन्होंने कई प्रेरणास्पद पुस्तकों की भी रचना की है। 'भारत 2020 : नई सहस्राब्दि के लिए एक दृष्टि' , 'इग्नाइटेड माइण्ड्स : अनलीशिंग द पावर विदिन इण्डिया' , 'इण्डिया माइ ड्रीम' , 'विंग्स ऑफ़ फ़ायर' , 'माइ जर्नी' , 'महाशक्ति भारत' , 'अदम्य साहस' , 'छुआ आसमान' , 'भारत की आवाज़' , 'टर्निंग प्वॉइण्ट' आदि उनकी प्रसिद्ध कृतियाँ हैं। डॉ. कलाम की याद में रामेश्वरम् में एपीजे अब्दुल कलाम नेशनल मेमोरियल बनाया गया है, जिसका उद्घाटन प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने जुलाई, 2017 में किया।

'विंग्स ऑफ़ फ़ायर' उनकी आत्मकथा है, जिसे उन्होंने भारतीय युवाओं को मार्गदर्शन प्रदान करने वाले अन्दाज में लिखा है। उनकी पुस्तकों का अनेक भारतीय एवं विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। उनका मानना है कि भारत तकनीकी क्षेत्र में पिछड़ जाने के कारण ही अपेक्षित उन्नति के शिखर पर नहीं पहुँच पाया है, इसलिए अपनी पुस्तक 'भारत 2020 : नई सहस्राब्दि के लिए एक दृष्टि' के द्वारा उन्होंने भारत के विकास स्तर को वर्ष 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए देशवासियों को एक विशिष्ट दृष्टिकोण प्रदान किया। यही कारण है कि वे देश की नई पीढ़ी के लोगों के बीच काफ़ी लोकप्रिय रहे हैं। 27 जुलाई, 2015 को शिलांग में इनकी मृत्यु हो गई। कलाम का जीवन प्रत्येक भारतीय के लिए प्रेरणास्रोत है। कलाम की कल्पना का नए भारत बनाने में प्रत्येक भारतीय अपना योगदान दे तो उनका सपना साकार किया जा सकता है।

एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन परिचय PDF

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निष्कर्ष

यहा पर हमने biography of apj abdul kalam in hindi एकदम विस्तार से देखा। इस लेख में हमने अब्दुल कलाम के जीवन से सम्बंधित बहुत से सवालों के जवाब जाने, जिससे की आपको एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी को समझने में असानी हुई होगी। यहा पर शेयर किया गया एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी आपको कैसा लगा, कमेंट के माध्यम से आप अपने विचार हमारे साथ जरुर साझा करे। हम आशा करते है की आपको यह जीवनी जरुर पसंद आया होगा और हमे उमीद है की इस लेख की मदद से आपको a.p.j abdul kalam ka jivan parichay को समझ में असानी हुई होगी। यदि आपके मन में इस लेख से सम्बंधित कोई सवाल है, तो आप नीचे कमेंट करके पुछ सकते है और साथ ही इस जीवनी को आप अपने मित्रों के साथ शेयर करना न भूले।

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