अरुणिमा सिन्हा का जीवन परिचय | Arunima Sinha Biography In Hindi

अरुणिमा सिन्हा का जीवन परिचय

अरुणिमा सिन्हा का जीवन परिचय, बायोग्राफी, जन्म, धर्म, जाति, पति, भारतीय पर्वतारोही, पुरस्कार एवं सम्मान (Arunima Sinha Ki Jivani, Biography, Birth, Religion, Caste, Husband, Indian Mountaineer, Awards and Honors)

इस आर्टिकल में हम बात करने वाले है भारत के ऐसी महिला के बारे में जो शारीरिक दिव्यांग होने के बावजूद भी माउण्ट एवरेस्ट पर चढ़ने में सफलता प्राप्त की। हम बात कर रहे है अरुणिमा सिन्हा के बारे में, इस लेख में हम अरुणिमा सिन्हा जी की सम्पुर्ण जीवनी को बिल्कुल विस्तार से समझेंगे। हम यहा अरुणिमा जी के जीवन से सम्बंधित उन सभी प्रश्नो को विस्तारपूर्वक से समझेंगे जो अकसर इनके बारें में पुछे जाते है जैसे की, अरुणिमा सिन्हा कौन हैं, अरुणिमा सिन्हा का जन्म कब हुआ था, अरुणिमा का जन्म कहाँ हुआ था, अरुणिमा ने एवरेस्ट पर कब जीत प्राप्त की थी, अरुणिमा सिन्हा के पति का नाम और अरुणिमा सिन्हा को मिले पुरस्कार एवं सम्मान आदि। इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको यहा पर विस्तार से मिल जायेंगे, तो अगर आप Arunima Sinha Ka Jivan Parichay बिल्कुल संक्षेप में समझना चाहते है तो, इस लेख को पुरा अन्त तक अवश्य पढ़े।

आपको बता दे की, अरुणिमा सिन्हा भारत की पहली ऐसी महिला हैं, जिन्होंने अपनी शारीरिक दिव्यांगता के बावजूद भी माउण्ट एवरेस्ट पर चढ़ने में सफलता प्राप्त की। उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत व अदम्य साहस के साथ पूरी दुनिया को दिखा दिया कि यदि मनुष्य के अन्दर कुछ करने का जज्बा है तो कुछ भी मुश्किल नहीं है अरुणिमा के अनुसार, "कमजोर या दिव्यांग होना हमारी मनोदशा पर निर्भर करता है। यदि कोई दिमाग से दिव्यांग है, तो उसके शरीर के मजबूत होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन यदि कोई कोई दिमाग से मजबूत है, तो शरीर की दिव्यांगता व्यक्ति को लक्ष्य तक पहुँचने में बाधा नहीं बन सकती।" आज अरुणिमा करोड़ो लोगों की प्रेरणास्रोत है आइये अब हम इनकी सम्पुर्ण जीवनी को विस्तार से देखे।

नाम अरुणिमा सिन्हा
जन्म तिथि 20 जुलाई 1989
जन्म स्थान अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश (भारत)
उम्र 33 वर्ष (2022 तक)
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म हिन्दू
जाति कायस्थ
माता ज्ञात नही
पिता ज्ञात नही
पति गौरव सिंह
शिक्षा नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (एनआईएम), उत्तरकाशी।
पेशा प्रेरक वक्ता, भारतीय पर्वतारोही, पूर्व सात बार वॉलीबॉल राष्ट्रीय खिलाड़ी।
पुरस्कार पद्म श्री पुरस्कार (2015), तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार (2015), प्रथम महिला पुरस्कार (2016), मलाला पुरस्कार, यश भारती पुरस्कार, रानी लक्ष्मी बाई पुरस्कार।


अरुणिमा सिन्हा का जीवन परिचय (Arunima Sinha Ka Jivan Parichay)

अरुणिमा सिन्हा भारत की राष्ट्रीय स्तर की पूर्व वॉलीबॉल खिलाड़ी तथा एवरेस्ट शिखर पर चढ़ने वाली भारत की पहली दिव्यांग महिला हैं। इनका जन्म 20 जुलाई 1988 को अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनके पिता सेना में इन्जीनियर थे, लेकिन जब अरुणिमा मात्र 3 वर्ष की थी तो इनके पिता का देहान्त हो गया था। इनकी माता स्वास्थ्य विभाग में सुपरवाइजर थीं।

इनकी प्रारम्भिक शिक्षा उत्तर प्रदेश से ही पूरी हुई। उसके बाद इन्होंने नेहरू इन्स्टीट्यूट ऑफ माउण्टेनियरिंग, उत्तरकाशी से माउण्टेनियरिंग कोर्स किया। अरुणिमा की प्रारम्भ से ही खेलकूद में अधिक रुचि थी। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर वालीबॉल खेला था तथा साथ-साथ फुटबॉल भी खेलती थीं जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता अरुणिमा ने बालीबॉल खेलने के दौरान ही अपने पैरों पर खड़े होने के लिए सरकारी नौकरी प्राप्त करने का प्रयास किया। उन्होंने सीआईएसएफ भर्ती परीक्षा के लिए आवेदन किया, लेकिन किस्मत को कुछ और मन्जूर था। 

अरुणिमा 21 अप्रैल, 2011 को सीआईएसएफ की परीक्षा में शामिल होने हेतु पद्मावती एक्सप्रेस से लखनऊ से दिल्ली जा रही थीं। रेल में सफर के दौरान कुछ बदमाशों ने लूटपाट करने की कोशिश की, लेकिन अरुणिमा ने एक संघर्षशील खिलाड़ी की तरह बदमाशों का सामना किया। इसी क्रम में बदमाशों ने अरुणिमा को चलती रेल से नीचे फेंक दिया। अरुणिमा के अनुसार, "वह जब नीचे गिरी तो उन्होंने देखा कि दूसरे ट्रैक पर भी एक ट्रेन आ रही है, लेकिन जब तक अरुणिमा स्वयं को पटरी से हटा पातीं, रेलगाड़ी इनके पैर को कुचलते हुए निकल गई।

इसके बाद वह बेहोश हो गईं, इसलिए इसके बाद की घटना स्वयं उन्हें भी नहीं पता। माना जाता है कि इस घटना के बाद इनके पैर के ऊपर से लगभग 49 रेलगाड़ियाँ गुजरीं। अरुणिमा को सुबह में रेलवे ट्रैक के बगल के गाँव के लोगों ने अस्पताल में भर्ती कराया। डॉक्टर ने इनकी जान बचाने के लिए इनके एक पैर को काट दिया, जिससे उनकी जान तो बच गई, लेकिन वह शारीरिक रूप से यदि ऐसा होता है तो वह ऐसे हादसे को भुला नहीं पाता, परन्तु दिव्यांग हो गईं।

एक सामान्य मनुष्य के जीवन में प्रतिभावान खिलाड़ी के लिए ऐसा हादसा और भी अधिक दर्दनाक होता है, जब उसका राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का सपना टूट जाता है। शीघ्र ही पूरे भारत में इस दुर्घटना की खबर फैल गई। फलत: भारत के खेल मन्त्रालय ने अरुणिमा को 25 हजार रुपए देने की घोषणा की। साथ ही सीआईएसएफ में नौकरी हेतु सिफारिश की। भारतीय रेलवे ने भी इन्हें रेलवे में नौकरी का ऑफर दिया। 

लेकिन स्वाभिमानी अरुणिमा ने अपने दम पर वर्ष 2012 में सीआईएसएफ की हेड कॉन्स्टेबल की परीक्षा पास की। इससे पहले एम्स में अरुणिमा का इलाज हुआ तथा कृत्रिम पैर लगाया गया। यद्यपि प्रशासन ने अरुणिमा पर ट्रेन ट्रिकट न होने, आत्महत्या करने या ट्रेन की पटरी गलत तरीके से पार करने के आरोप लगाए। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपनी लड़ाई स्वयं लड़ी। 

अन्ततः कोर्ट में अरुणिमा की जीत जब अरुणिमा अस्पताल में थीं, तब उन्होंने कुछ नया व अलग करने का निर्णय लिया  उन्हें सबसे अधिक ऊर्जा एक टीवी शो 'टू डू समथिंग' ने प्रदान की थी। इसी दौरान अरुणिमा को दूसरी सबसे बड़ी प्रेरणा भारतीय खिलाड़ी व उनके पसन्दीदा क्रिकेटर युवराज सिंह से मिली, जिन्होंने कैंसर जैसी बीमारी पर विजय पाकर फिर से देश के लिए खेलने का जज्बा दिखाया था।

पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा (अरुणिमा सिन्हा की कहानी)

अस्पताल से छुट्टी मिलने के तुरन्त बाद वह भारत की सर्वप्रथम माउण्ट एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने वाली महिला बछेन्द्री पाल से मिलने गई तथा माउण्ट एवरेस्ट पर अपने देश का झण्डा लहराने की इच्छा व्यक्त की। बछेन्द्री पाल के अनुसार, "अरुणिमा तुमने इस हालत में एवरेस्ट शृंखला जैसी मुश्किल ऊँचाई को छूने के लिए अपने मन को मना लिया है अब तो सिर्फ लोगों को दिखाना रह गया है, क्योंकि मन पर जीत सबसे बड़ी जीत है। 

"वर्ष 2012 में ही अरुणिमा ने टाटा स्टील एडवेंचर फाउण्डेशन से पर्वतारोहण प्रशिक्षण लेने का निर्णय लिया। कड़ी मेहनत से प्रशिक्षण लेने के बाद अन्ततः अरुणिमा ने 21 मई, 2013 को टीएसएफ के ट्रेनर सुसेन महतो के साथ माउण्ट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़कर इतिहास रच दिया। अरुणिमा यहीं नहीं रुकीं। 

उन्होंने अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए सभी महाद्वीपों के सर्वोच्च शिखर पर चढ़ने तथा भारत का तिरंगा चोटी पर फहराने का निर्णय लिया। अरुणिमा ने एशिया में एवरेस्ट, अफ्रीका में किलिमंजारो, यूरोप में एलब्रस, ऑस्ट्रेलिया में कोस्यूस्को, दक्षिण अमेरिका में एकांकागुआ आदि सभी सातों महाद्वीप की सर्वोच्च चोटी पर चढ़ने में सफलता प्राप्त कर पूरे भारत का नाम रोशन किया है।

अरुणिमा सिन्हा को मिले पुरस्कार एवं सम्मान

अरुणिमा के धैर्य, अदम्य साहस, जिजीविषा आदि को देखते हुए, भारत सरकार द्वारा उन्हें वर्ष 2015 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। वर्ष 2016 में अरुणिमा को तेनजिंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर अवार्ड भी दिया गया। इस पुरस्कार को भारत में दिए जाने वाले अर्जुन पुरस्कार के समान माना जाता है। अरुणिमा के साहस को सलाम करते हुए राज्य स्तर पर भी कई पुरस्कार प्रदान किए गए। वर्ष 2018 में अरुणिमा को उत्तर प्रदेश का प्रथम महिला पुरस्कार दिया गया।

इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में सुल्तानपुर जिले के भारत भारती संस्थान ने उन्हें सुल्तानुपर रत्न, अम्बेडकर नगर में अम्बेडकर रत्न पुरस्कार आदि से सम्मानित किया गया। अरुणिमा ने अपने संघर्ष भरे जीवन को अपनी किताब 'बोर्न अगेन ऑन माउण्टेन' में अभिव्यक्त किया है। इस किताब का विमोचन वर्ष 2014 में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। अरुणिमा के अनुसार, "हम तब तक कमजोर नहीं हैं, जब तक हम स्वयं हार नहीं मान लेते।

हमारे देश का हर नागरिक कुछ भी कर सकता है, चाहे वह दिव्यांग ही क्यों न हो बस उसके अन्दर आत्मविश्वास होना चाहिए। इसी आत्मविश्वास को जगाने के लिए मैंने इस किताब की रचना की है। 'अरुणिमा का जज्बा आज भी कायम है। वर्ष 2019 में उन्होंने अपने कृत्रिम पैर के सहारे अण्टार्कटिका के सबसे ऊंचे शिखर माउण्ट विन्सन पर तिरंगा लहराकर 130 करोड़ भारतीयों को गौरवान्वित किया। 

इनकी इच्छा दिव्यांग बच्चों के लिए एक स्पोट्र्स संस्थान की स्थापना करने की है, जिसके लिए वे निरन्तर प्रयासरत हैं। इस प्रकार अरुणिमा सिन्हा ने अपनी दिव्यांगता को दरकिनार करते हुए दुनिया को दिखा दिया कि मनुष्य यदि चाहे तो कठिन-से-कठिन कार्य पर आधिपत्य स्थापित कर सकता है। अरुणिमा सिन्हा देश और दुनिया के करोड़ों दिव्यांगजनों के लिए प्रेरणास्रोत बन कर उभरी हैं। उनकी उपलब्धियों ने भारत के प्रत्येक नागरिक को गौरवान्वित होने का अवसर प्रदान किया है।

FAQ: अरुणिमा सिन्हा से सम्बंधित पुछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर

प्रश्न -- अरुणिमा सिन्हा कौन हैं?
उत्तर -- अरुणिमा सिन्हा राष्ट्रीय स्तर की पूर्व वालीबाल खिलाड़ी तथा एवरेस्ट शिखर पर चढ़ने वाली पहली भारतीय दिव्यांग हैं।

प्रश्न -- अरुणिमा सिन्हा का जन्म कब हुआ था?
उत्तर -- अरुणिमा सिन्हा जी का जन्म 20 जुलाई 1989 में हुआ था।

प्रश्न -- अरुणिमा का जन्म कहाँ हुआ था?
उत्तर -- अरुणिमा का जन्म अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश (भारत) में हुआ था।

प्रश्न -- एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली दिव्यांग महिला कौन थी?
उत्तर -- अरुणिमा सिन्हा

प्रश्न -- अरुणिमा सिन्हा किस जाति की है?
उत्तर -- कायस्थ

प्रश्न -- अरुणिमा सिन्हा के भाई का नाम?
उत्तर -- अरुणिमा सिन्हा के भाई का नाम ओमप्रकाश सिन्हा है।

प्रश्न -- अरुणिमा सिन्हा के पति का नाम?
उत्तर -- अरुणिमा सिन्हा के पति का नाम गौरव सिंह है।

प्रश्न -- अरुणिमा ने एवरेस्ट पर कब जीत प्राप्त की थी?
उत्तर -- अरुणिमा ने 21 मई 2013 को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर जीत प्राप्त की।

निष्कर्ष

यहा पर हमने arunima sinha biography in hindi को बिल्कुल अच्छे से समझा। इस लेख में हमने अरुणिमा सिन्हा जी के जीवन से जुड़े कई सारे प्रश्नो को विस्तार से देखा, ऐसे प्रश्न जो कई बार परीक्षाओं में भी पुछे जाते है। हम आशा करते है की आपको यह जीवनी जरुर पसंद आया होगा और हमे उमीद है की इस आर्टिकल की सहायता से आपको arunima sinha ka jivan parichay अच्छे से समझ में आ गया होगा। अगर आपके मन में इस लेख से सम्बंधित कोई प्रश्न या सुझाव है, तो आप हमे नीचे कमेंट जरुर करे। और साथ ही इस arunima sinha ki jeevani को आप अपने मित्रों के साथ शेयर भी जरुर करे।

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