अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन परिचय | Atal Bihari Vajpayee Biography In Hindi

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अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन परिचय, बायोग्राफी, जन्म, धर्म, जाति, माता-पिता, पत्नी, पुरस्कार एवं सम्मान, मृत्यु (Atal Bihari Vajpayee Ki Jivani, Biography, Birth, Religion, Caste, Parents, Wife, Awards and Honors, Death)


इस आर्टिकल में हम अटल बिहारी वाजपेयी की सम्पुर्ण जीवनी को विस्तारपूर्वक से समझेंगे, यहा इस लेख में हम इनके व्यक्तिगत जीवन के साथ-साथ उन सभी प्रश्नो को देखेंगे जो अकसर इनके बारे में पुछे जाते है जैसे की, अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म कब और कहां हुआ था, अटल बिहारी वाजपेयी कहाँ के निवासी थे, अटल बिहारी वाजपेयी की मृत्यु कब हुई थी, अटल बिहारी वाजपेयी के माता पिता का नाम, अटल बिहारी वाजपेयी की पत्नी का नाम, अटल बिहारी वाजपेयी कितनी बार पीएम बने थे और अटल बिहारी वाजपेयी को मिले पुरस्कार एवं सम्मान आदि। इन सभी सवालों के जवाब आपको इस आर्टिकल में बिल्कुल विस्तार में मिल जायेंगे। तो, यदि आप Atal Bihari Vajpayee Ka Jivan Parichay अच्छे से समझना चाहते है तो, इस लेख को पुरा शुरू से अन्त तक जरुर पढ़े।

"इससे मैंने पाया तन मन इससे मैंने पाया जीवन मेरा तो बस कर्त्तव्य यही कर दूँ सब कुछ इसके अर्पण मैं तो समाज की थाति हूँ मैं तो समाज का हूँ सेवक मैं तो समष्टि के लिए चष्टि का कर सकता बलिदान अभय।" स्वयं को समाज का सेवक कहने वाला और समष्टि के लिए व्यष्टि का बलिदान करने वाला यह व्यक्ति कोई साधारण लेखक या कवि मात्र नहीं है, अपितु यह तो भारतीय राजनीति में एक स्तम्भ के रूप में स्थापित हो चुके पूर्व प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी हैं। भारती राजनीति में जिस प्रकार से उन्होंने एक नए युग की शुरुआत की, वह निश्चय ही प्रशंसनीय है। तो, आइये इनकी सम्पुर्ण जीवनी को विस्तारपूर्वक से समझेंगे।

पुरा नाम अटल बिहारी वाजपेयी
उपनाम बाप जी, अटल जी
जन्म तिथि 25 दिसंबर 1924
जन्म स्थान ग्वालियर, मध्य प्रदेश (भारत)
मृत्यु तिथि 16 अगस्त 2018
मृत्यु स्थान एम्स दिल्ली, नई दिल्ली (भारत)
मृत्यु समय सायं 5 बजे
आयु (मृत्यु के समय) 93 वर्ष
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म हिन्दू
जाति ब्राह्मण
पेशा राजनीतिज्ञ, कवि, लेखक
राजनैतिक दल भारतीय जनता पार्टी
पुरस्कार पद्म विभूषण (1992), भारत रत्न (2015)
माता का नाम श्रीमती कृष्णा देवी
पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी
भाईयों के नाम सुदा बिहारी वाजपेयी, प्रेम बिहारी वाजपेयी, अवध बिहारी वाजपेयी
बहनों के नाम विमला मिश्रा, उर्मिला मिश्रा, कमला देवी
विवाह (नही हुआ) अविवाहित

अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन परिचय (Atal Bihari Vajpayee Ka Jeevan Parichay)

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर, 1924 को ग्वालियर में हुआ था। उनकी माता का नाम श्रीमती कृष्णा देवी तथा पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी था। उस समय इनकी भाता श्रीमती कृष्णा देवी और पिता श्री कृष्ण बिहारी वाजपेयी ने शायद ही यह सोचा होगा कि उनकी यह सन्तान एक दिन प्रधानमन्त्री पद पर सुशोभित होकर उनका नाम रोशन करेगा। 

वाजपेयी की आरम्भिक शिक्षा ग्वालियर के ही सरस्वती शिशु मन्दिर विद्यालय में हुई। इसके बाद इन्होंने विक्टोरिया कॉलेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कॉलेज) से स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की और फिर कानपुर के दयानन्द एंग्लो-वैदिक कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। यद्यपि उन्होंने कानून की पढ़ाई भी की, परन्तु किसी कारणवश वह इसे पूरा नहीं कर पाए। वाजपेयी जी अपने आरम्भिक जीवन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य बन गए थे। 

उन्होंने आर्य कुमार सभा में भी सक्रिय भूमिका निभाई। यद्यपि भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में वाजपेयी जी की सक्रिय भूमिका का उल्लेख नहीं मिलता है तथापि वर्ष 1942 में उन्हें 'भारत छोड़ो' आन्दोलन के अन्तर्गत जेल जाना पड़ा था। इसके बाद वह भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सम्पर्क में आए और शीघ्र ही अपनी प्रतिभा के बल पर उनके राजनीतिक सचिव बन गए। 

इससे पूर्व वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता रहते हुए राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य, चेतना, दैनिक स्वदेश, वीर अर्जुन आदि पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादक रह चुके थे और एक कुशल सम्पादक एवं सफल पत्रकार के रूप में प्रसिद्धि पा चुके थे। 23 जून, 1953 को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के आकस्मिक निधन के बाद भारतीय जनसंघ की अगुवाई का भार अटलजी पर आ पड़ा, जिसे उन्होंने भली-भाँति निभाया। 

अपने राजनीतिक मार्गदर्शक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का सन्देश देश भर में फैलाते हुए अटलजी ने स्वाधीन भारत के राजनीतिक परिदृश्य पर अपनी अमिट छाप छोड़ने में सफलता पाई। श्री अटलजी ने वर्ष 1955 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था, परन्तु धीरे-धीरे उनकी लोकप्रियता में वृद्धि होती गई, जिसका परिणाम यह हुआ कि वह नौ बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के सदस्य चुने गए।

अटल बिहारी वाजपेयी जी प्रधानमन्त्री के रूप में

वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में भी श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मुख्य भूमिका निभाई। कवि हृदय होते हुए भी बेबाक बोलने का कौशल रखने वाले वाजपेयीजी ने लगभग चार दशक से भी अधिक समय तक विपक्ष में रहते हुए सकारात्मक भूमिका निभाई और तीन बार प्रधानमन्त्री पद के लिए चुने गए। 

यद्यपि वह वर्ष 1996 में पहली बार पर्याप्त समर्थन के अभाव में 13 दिन और दूसरी बार (वर्ष 1998 में) 13 महीने ही सरकार चला सके थे, परन्तु वर्ष 1999 में तीसरी बार प्रधानमन्त्री बनने के बाद वह पूरे पाँच साल सफलतापूर्वक सरकार चलाने में सफल रहे। भारतीय राजनीति में यह उपलब्धि दर्ज कराने वाले वह पहले गैर - कांग्रेसी नेता थे।

प्रधानमन्त्री बनने से पूर्व लगभग 40 वर्ष तक अटलजी ने जिस तरह विपक्ष के नेता के रूप में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई। एक बार स्वयं पण्डित नेहरू ने उनकी वाक्पटुता से प्रभावित होकर कहा था कि यह नौजवान एक दिन देश का प्रधानमन्त्री बनेगा। उनका यह कहना सत्य सिद्ध हुआ और नेहरू-इन्दिरा के बाद पुन: देश को एक ऐसा प्रधानमन्त्री मिला, जिसने भारत को एक नई ऊर्जा और दिशा दी।

कवि हृदय वाले होते हुए भी बेझिझक होकर स्पष्ट रूप से अपनी बात रखने के कौशल में माहिर अटलजी ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को नई पहचान दिलाई। बिना किसी के दबाव में आए हुए उन्होंने देश को परमाणु शक्ति बनाने में अहम भूमिका निभाई, तो पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ भी रिश्तों को नए सिरे से आरम्भ किया। उनकी विदेश नीति को अब तक की सबसे सफल विदेश नीति माना जाता है।

उन्होंने दिल्ली-लाहौर बस सेवा का शुभारम्भ किया और स्वयं भी बस में बैठकर लाहौर गए। उस समय इस पहल को लेकर अटलजी की आलोचना अवश्य हुई थी, परन्तु आज विरोधी और आलोचक भी उनकी इस दूरगामी पहल की प्रशंसा किए बिना नहीं रहते। पाकिस्तान ने अटलजी की उदार छवि का अनुचित लाभ उठाते हुए वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध का बिगुल बजा दिया, परन्तु अटलजी ने कारगिल युद्ध की स्थिति को बहुत अच्छी तरह से संभाला और 'ऑपरेशन विजय' के अन्तर्गत भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सेना को पराजित किया। 

इस प्रकार श्री अटल बिहारी वाजपेयीजी के नेतृत्व की कार्यप्रणाली का अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर यह सन्देश गया कि भारत का नेतृत्व कुशल और अनुभवी हाथों में है और भारत किसी भी हमले का तोड़ उत्तर देने में सक्षम है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने ग्रामीण सड़क योजना, स्वर्णिम चतुर्भुज योजना, सर्व शिक्षा अभियान तथा नदी जोड़ो परियोजना जैसी जनकल्याणकारी परियोजनाओं को आरम्भ किया।

बिना किसी वाद-विवाद के वर्ष 2000 में तीन नए राज्यों उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़ और झारखण्ड के गठन का श्रेय भी अटल सरकार को ही जाता है। उनके कार्यकाल में मन्दी के बावजूद भारत विकास दर में वृद्धि दर्ज करा सका। इस प्रकार, उन्होंने 'आज के भारत' को गढ़ने में अपना अविस्मरणीय योगदान दिया। 

राजधर्म को सर्वोपरि मानने वाले एवं उसका पालन करने वाले श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को आज भी एक सशक्त नेता, मन्त्र मुग्ध कर देने वाले वक्ता, कुशल प्रशासक, विरोधियों के बीच सहज स्वीकार्य, विश्वास पैदा करने वाले और असहमतियों का आदर करने वाले व्यक्ति के रूप में याद किया जाता है।

'कदम मिलाकर चलना होगा' में विश्वास रखने वाले अटलजी में स्वाभाविक रूप से सबको साथ लेकर चलने का राजनीतिक कौशल था, जिसके कारण विरोधी भी उनकी प्रशंसा किए बिना नहीं रहते। उन्होंने सदा बड़े विवादों से दूरी बनाए रखी और अपनी एक बेदाग छवि निर्मित की। वह उन गिने चुने हिंदूवादी नेताओं में से एक थे, जिन्होंने बाबरी मस्जिद को गिराए जाने की निन्दा की और गुजरात दंगों के सन्दर्भ में तत्कालीन मुख्यमन्त्री (और वर्तमान प्रधानमन्त्री) नरेन्द्र मोदी को राजधर्म का पालन करने की सलाह दी।

अटल बिहारी वाजपेयी का साहित्यिक अभिरुचि

भारतीय राजनीति के इस 'अजातशत्रु' के जीवन के विविध आयाम हैं और वे सभी प्रशंसनीय हैं। अटलजी एक अच्छे कवि और लेखक भी थे। मेरी इक्यावन कविताएँ, मृत्यु या हत्या, अमर बलिदान, कैदी कविराय की कुण्डलियाँ, इक्कीस कविताएँ, न्यू डाइमेन्शन ऑफ इण्डियन फॉरेन पॉलिसी, फोर डिकेड्स इन पार्लियामेण्ट आदि इनकी प्रमुख कृतियाँ हैं। 

अटलजी भारतीय गीत-संगीत और नृत्य के शौकीन भी थे। शब्दों को नाप-तौलकर बोलना और सार्थक बोलना वाजपेयीजी के व्यक्तित्व की एक बड़ी विशेषता थी। भारतीय राजनीति में वाजपेयीजी का एक अहम स्थान था। पूर्व प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह ने तो इनको भारतीय राजनीति का 'भीष्म पितामह' कहकर सम्बोधित किया था। वाजपेयीजी को पद्म विभूषण (1992) तथा वर्ष 2015 में 'भारत रत्न' सम्मान से भी सम्मानित किया गया। 

इनके जन्म दिवस 25 दिसम्बर को सुशासन दिवस मनाया जाता है। अटल बिहारी वाजपेयी का लम्बे समय तक बीमार रहने के कारण 16 अगस्त, 2018 को निधन हो गया। अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा स्थापित राजनीतिक विचारधारा का ही परिणाम है कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गैर-कांग्रेसी सरकार का गठन संभव हो पाया है, जो वर्ष 2014 से वर्तमान तक है। अतः अटल बिहारी वाजपेयी के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

अटल बिहारी वाजपेयी को मिले पुरस्कार

▪︎ पद्म विभूषण (1992)
▪︎ डी. लिट. कानपुर विश्वविद्यालय से (1993)
▪︎ लोकमान्य तिलक पुरस्कार (1994)
▪︎ उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार (1994)
▪︎ भारत रत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार (1994)
▪︎ भारत रत्न (2015)
▪︎ बांग्लादेश मुक्ति संग्राम सम्मान (बांग्लादेश मुक्तिजुद्धो सनमनोना) (2015)

FAQ: अटल बिहारी वाजपेयी से सम्बंधित पुछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर

प्रश्न -- अटल बिहारी वाजपेयी कहाँ के निवासी थे?
उत्तर -- अटल बिहारी वाजपेयी ग्वालियर के निवासी थे।

प्रश्न -- अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म कब हुआ था?
उत्तर -- अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म 25 दिसंबर 1924 में हुआ था।

प्रश्न -- अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म कहां हुआ था?
उत्तर -- अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म ग्वालियर, मध्य प्रदेश (भारत) में हुआ था।

प्रश्न -- अटल बिहारी वाजपेयी के माता पिता का नाम?
उत्तर -- अटल बिहारी वाजपेयी जी की माता का नाम श्रीमती कृष्णा देवी और पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी है।

प्रश्न -- अटल बिहारी वाजपेयी की मृत्यु कब हुई थी?
उत्तर -- अटल बिहारी वाजपेयी जी की मृत्यु 16 अगस्त 2018 को एम्स दिल्ली में सायं 5 बजे हुई थी।

प्रश्न -- अटल बिहारी वाजपेयी की पत्नी का नाम?
उत्तर -- अटल बिहारी वाजपेयी अविवाहित थे।

प्रश्न -- अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न कब मिला?
उत्तर -- अटल बिहारी वाजपेयी जी को 2015 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

निष्कर्ष

यहा पर इस लेख में हमने Atal Bihari Vajpayee Biography In Hindi को बिल्कुल अच्छे से समझा, हमने यहा वाजपेयी जी के जीवन से जुड़े बहुत से सवालों के जवाब जाने, जिससे की आपको इनकी जीवनी को अच्छे से समझने में असानी हो। हम आशा करते है की आपको यह जीवनी जरुर पसंद आई होगी और हमे उमीद है की इस लेख की सहायता से आपको अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन परिचय अच्छे से समझ में आ गया होगा। अगर आपके मन में इस लेख से सम्बंधित कोई प्रश्न हो तो, आप हमे नीचे कमेंट करके पुछ सकते है। साथ ही इस atal bihari vajpayee ki jeevani को आप अपने मित्रों, सहपाठी के साथ शेयर जरुर करे।

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