मेजर ध्यानचंद सिंह का जीवन परिचय | Major Dhyanchand Biography In Hindi

मेजर ध्यानचंद सिंह का जीवन परिचय

मेजर ध्यानचंद का जीवन परिचय, बायोग्राफी, जन्म, धर्म, जाति, माता पिता, जीवनसाथी, बच्चे, हॉकी का जादूगर, पुरस्कार एवं सम्मान, मृत्यु (Major Dhyan Chand Ki Jivani, Biography, Birth, Religion, Caste, Parents, Spouse, Children, Hockey Magician, Awards and Honors, Death)

इस आर्टिकल में हम बात करेंगे महान भारतीय हॉकी खिलाड़ी "मेजर ध्यानचन्द सिंह" के बारे में, जिन्हें हॉकी का जादूगर के नाम से भी जाना जाता है। इस लेख में हम ध्यानचन्द सिंह जी के सम्पुर्ण जीवनी को बिल्कुल विस्तार से समझेंगे। यहा पर हम इनके व्यक्तिगत जीवन से जुड़े उन सभी सवालों के जवाब जानेंगे जो, अकसर इनके बारे में पूछें जाते है जैसे की, मेजर ध्यानचंद का जन्म कब हुआ था, मेजर ध्यानचंद का जन्म कहां हुआ था, मेजर ध्यानचंद के माता-पिता का नाम, मेजर ध्यानचंद किस जाति के थे, मेजर ध्यानचंद की मृत्यु कब हुई और मेजर ध्यानचंद को मिले पुरस्कार एवं सम्मान आदि। इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको इस आर्टिकल में विस्तारपूर्वक से मिल जायेंगे तो, अगर आप major dhyan chand ka jeevan parichay को अच्छे से समझना चाहते है तो, इस लेख को पुरा अन्त तक जरुर पढ़े।

वैसे अगर आपसे एक ऐसे व्यक्ति का नाम पूछा जाए, जिसने हॉकी के खेल में अपने करिश्माई प्रदर्शन से पूरी दुनिया को अचम्भित कर खेलों के इतिहास में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित करवा लिया हो तो उत्तर के रूप में केवल एक नाम मेजर ध्यानचन्द ही होगा। हॉकी के मैदान पर जब वे खेलने उतरते थे, तब एक ऐसा मायावी इन्द्रजाल बुनते थे कि विरोधी टीम की हार सुनिश्चित लगने लगती थी। उनके बारे में यह कहा जाता है कि वे किसी भी कोण से गोल कर सकते थे। यही कारण है कि सेण्टर फॉरवर्ड के रूप में उनकी तेज़ी और ज़बरदस्त फुर्ती को देखते हुए उनके जीवनकाल में ही उन्हें 'हॉकी का जादूगर' कहा जाने लगा था। तो आइये इनकी सम्पुर्ण जीवनी को हम बिल्कुल विस्तारपूर्वक से समझेंगे।

नाम मेजर ध्यानचन्द
वास्तविक नाम ध्यानचन्द सिंह
उपनाम हॉकी का जादूगर
जन्म तिथि 29 अगस्त 1905
जन्म स्थान प्रयागराज, उत्तर प्रदेश (भारत)
मृत्यु तिथि 3 दिसम्बर 1979
मृत्यु स्थान अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली (भारत)
आयु (मृत्यु के समय) 74 वर्ष
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म हिन्दू
जाति (सिंह) राजपूत
राशि कन्या
लंबाई 5 फिट 7 इंच
वैवाहिक स्थिति विवाहित
विवाह वर्ष 1936
पेशा भारतीय हॉकी खिलाड़ी
कोच पंकज गुप्ता
पुरस्कार पद्म भूषण (1956)
ओलंपिक गोल्ड 1936 बर्लिन (स्वर्ण पदक), 1932 लॉस एंजेलिस (स्वर्ण पदक), 1928 एम्स्टर्डम (स्वर्ण पदक)

मेजर ध्यानचन्द का जीवन परिचय (Major Dhyan Chand Ka Jeevan Parichay)

हॉकी के ऐसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी ध्यानचन्द का जन्म 29 अगस्त, 1905 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (प्रयागराज) शहर में हुआ था। उनके पिता सोमेश्वर दत्त सिंह मूल रूप से पंजाब के निवासी थे और उस समय ब्रिटिश इण्डियन आर्मी में सूबेदार के पद पर इलाहाबाद में तैनात थे। कुछ दिनों बाद उनका स्थानान्तरण झाँसी में हो गया, इसलिए ध्यानचन्द भी अपने पिता के साथ वहीं रहने चले आए। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा भी झाँसी में ही हुई थी।

अपने पिता के स्थानान्तरणों से पढ़ाई के बाधित होने और हॉकी के प्रति अपनी दीवानगी के कारण वे केवल छठी कक्षा तक ही पढ़ाई कर सके। उनके बचपन का नाम ध्यानसिंह था। वे बचपन में अपने मित्रों के साथ पेड़ की डाली से स्टिक और बेकार पड़े कपड़ों की गेंद बनाकर हॉकी खेला करते थे। एक बार की बात है, वे अपने पिता के साथ एक हॉकी मैच देख रहे थे। इसमें एक पक्ष के खिलाफ़ विरोधी पक्ष ने लगातार कई गोल किए। 

कमज़ोर पक्ष की स्थिति देखकर ध्यानचन्द ने अपने पिता से कहा कि यदि वे इस पक्ष की तरफ़ से खेलें, तो परिणाम कुछ और ही होगा। वहीं पास में खड़ा आर्मी का एक अधिकारी उनकी बात को सुन रहा था। उसने ध्यानचन्द को कमज़ोर पक्ष की ओर से खेलने दिया और थोड़ी ही देर में विरोधी टीम के खिलाफ लगातार चार गोल कर उन्होंने अपनी अद्भुत प्रतिभा का परिचय दे दिया। उस समय उनकी आयु मात्र 14 वर्ष थी। उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर कुछ समय बाद आर्मी के उस अधिकारी ने उन्हें मात्र 16 वर्ष की आयु में भारतीय सेना में भर्ती कर लिया। 

इसके बाद हॉकी से उनका साथ किसी-न-किसी रूप में जीवनपर्यन्त रहा। सेना में शामिल होने बाद उनके ब्राह्मण रेजीमेण्ट के कोच भोले तिवारी इनके पहले कोच बने। कहा जाता है कि सेना में सिपाही के तौर पर के कार्य करने के कारण उनके पास हॉकी खेलने के लिए समय नहीं होता था, इसलिए रात को जब उनके सभी साथी बैरक में सो जाते थे तब ध्यानचन्द चाँद की रोशनी में हॉकी का अभ्यास किया करते थे। इससे हॉकी के प्रति उनकी दीवानगी का पता चलता है।

मेजर ध्यानचंद का परिवार

माता का नाम शारदा सिंह
पिता का नाम समेश्वर दत्त सिंह
भाईयों का नाम मूल सिंह, रूप सिंह
बहन का नाम कोई नहीं
पत्नी का नाम जानकी देवी
पुत्रों के नाम बृज मोहन, सोहन सिंह, राज कुमार, अशोक कुमार, देविंदर सिंह, वीरेंदर सिंह, उमेश कुमार
पुत्री का नाम कोई नहीं

ओलम्पिक खेल में ध्यानचन्द जी का प्रदर्शन

सेना में शामिल होने के साथ ही ध्यानचन्द के हॉकी खिलाड़ी के रूप में करियर की शुरुआत तब। हुई, जब 21 वर्ष की आयु में वर्ष 1926 में उन्हें न्यूजीलैण्ड जाने वाली भारतीय टीम में चुन लिया गया। इस दौरे में भारतीय सेना की टीम ने 21 में से 18 मैच जीते थे। 23 वर्ष की उम्र में ध्यानचन्द वर्ष 1928 के एम्सटर्डम ओलम्पिक में पहली बार भाग ले रही भारतीय हॉकी टीम के सदस्य चुने गए। यहाँ चार मैचों में भारतीय टीम ने 23 गोल किए और अन्त में स्वर्ण पदक जीतने में सफल रही।

वर्ष 1932 में लॉस एंजिल्स ओलम्पिक में भारत ने अमेरिका को 24.1 के रिकॉर्ड अन्तर से हराया। इस मैच में ध्यानचन्द एवं उनके बड़े भाई रूपसिंह ने आठ-आठ गोल किए थे। इस ओलम्पिक में भी भारतीय टीम को स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ। वर्ष 1936 के बर्लिन ओलम्पिक में ध्यानचन्द भारतीय हॉकी ओलम्पिक टीम के कप्तान थे। 15 अगस्त, 1936 को हुए फाइनल मैच में भारत ने जर्मनी को 8-1 से हराकर स्वर्ण पदक पर कब्जा किया।

इस मैच को जर्मनी का तत्कालीन तानाशाह हिटलर भी देख रहा था। कहा जाता है कि मैच समाप्त होने के बाद स्वयं उसने ध्यानचन्द से मुलाकात कर उनके खेल की प्रशंसा की थी। इतना ही नहीं, विश्व के महान क्रिकेटर डॉन ब्रेडमैन को भी ध्यानचन्द ने अपना कायल बना दिया था। वर्ष 1932 में भारतीय हॉकी टीम ने वर्षभर में कुल 37 मैच खेलकर 338 गोल बनाए थे और इनमें से 133 गोल ध्यानचन्द ने किए थे।

उनके भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहते हुए टीम ने विभिन्न ओलम्पिक खेलों में कुल 28 गोल किए थे, इनमें से 11 गोल ध्यानचन्द के नाम ओलम्पिक और उसके क्वालीफाई मैचों में 101 गोल करने और अन्य इण्टरनेशनल मैचों में 300 गोल करने का रिकॉर्ड भी उन्हीं के खाते में है। उनके करिश्माई खेल का ही परिणाम था कि हॉलैण्ड में एक मैच के दौरान उनकी स्टिक को तोड़कर देखा गया कि कहीं उसमें चुम्बक तो नहीं लगा है।

जापान में उनकी हॉकी स्टिक का यह सच जानने के लिए परीक्षण किया गया था कि कहीं उसमें गोंद का प्रयोग तो नहीं हुआ है। उनके प्रदर्शन के दम पर ही भारतीय हॉकी टीम ने तीन बार वर्ष 1928 के एम्सटर्डम ओलम्पिक, वर्ष 1932 के लॉस एंजिल्स ओलम्पिक एवं वर्ष 1936 के बर्लिन ओलम्पिक में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। यह भारतीय हॉकी को उनका सबसे बड़ा योगदान है। ध्यानचन्द ने अपना अन्तिम मैच वर्ष 1948 में खेला तथा उसी वर्ष उन्होंने खेल जीवन से संन्यास ले लिया, उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय मैचों में कुल 400 से अधिक गोल किए।

मेजर ध्यानचन्द जी को मिले पुरस्कार एवं सम्मान

ध्यानचन्द को वर्ष 1938 में 'वायसराय का कमीशन' मिला और वे जमादार (नायब सूबेदार) बने। इसके बाद वे पदोन्नति पाते हुए क्रमश: सूबेदार, लेफ्टिनेण्ट और कैप्टन बनते चले गए, अन्तत: उन्हें मेजर बना दिया गया। उनकी उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें विभिन्न पुरस्कारों एवं सम्मानों से विभूषित किया गया। वर्ष 1956 में 51 वर्ष की उम्र में जब वे भारतीय सेना के मेजर पद से सेवानिवृत्त हुए, तो उसी वर्ष भारत सरकार ने उन्हें 'पद्म भूषण' से अलंकृत किया। उनके जन्मदिन 29 अगस्त को 'राष्ट्रीय खेल दिवस' के रूप में मनाया जाता है। 

खेलों से सम्बन्धित अर्जुन पुरस्कार, राजीव गाँधी खेल रत्न अवार्ड और गुरु द्रोणाचार्य अवार्ड प्रतिवर्ष इसी दिन प्रदान किए जाते हैं। उनको सम्मानित करने के लिए वियना के एक स्पोर्ट्स क्लब में उनकी एक मूर्ति लगाई गई है, जिसमें उनको चार हाथों में चार स्टिक पकड़े हुए दिखाया गया है। नई दिल्ली में एक स्टेडियम का नाम उनके नाम पर मेजर ध्यानचन्द स्टेडियम रखा गया है एवं भारतीय ओलम्पिक संघ ने उन्हें शताब्दी का खिलाड़ी घोषित किया है। खेल में उनके योगदान को देखते हुए लम्बे समय से ध्यानचन्द को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित करने की माँग की जा रही है।

FAQ: मेजर ध्यानचंद जी के जीवन से जुड़े कुछ प्रश्न और उनके उत्तर

प्रश्न -- मेजर ध्यानचंद कौन थे?
उत्तर -- मेजर ध्यानचंद एक भारतीय फील्ड हॉकी खिलाड़ी थे, जिन्हें व्यापक रूप से इतिहास में सबसे महान फील्ड हॉकी खिलाड़ियों में से एक माना जाता है।

प्रश्न -- मेजर ध्यानचंद का जन्म कब हुआ था?
उत्तर -- मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 में हुआ था।

प्रश्न -- मेजर ध्यानचंद का जन्म कहां हुआ था?
उत्तर -- मेजर ध्यानचंद का जन्म प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में हुआ था।

प्रश्न -- मेजर ध्यान चंद की मृत्यु कब हुई?
उत्तर -- मेजर ध्यान चंद की मृत्यु 3 दिसम्बर 1979 में हुई थी।

प्रश्न -- मेजर ध्यानचंद के भाई का नाम क्या है?
उत्तर -- मेजर ध्यानचंद के भाई के नाम मूल सिंह और रूप सिंह है।

प्रश्न -- हॉकी के जादूगर का नाम क्या है?
उत्तर -- हॉकी के जादूगर का नाम मेजर ध्यानचंद है।

प्रश्न -- मेजर ध्यानचंद की जाति क्या थी?
उत्तर -- राजपूत

निष्कर्ष

यहा पर हमने major dhyanchand biography in hindi को बिल्कुल विस्तार से समझा, इस लेख में हमने इनके जीवन से सम्बंधित कई सवालों के जवाब जाने  इसके अलावा हमने यहा उन सभी प्रश्नों को भी समझा जोकी, परीक्षाओं में पुछे जाते है। इसके साथ ही हम आशा करते है की, आपको इनकी जीवनी जरुर पसंद आई होगी और हमे उमीद है की इस आर्टिकल की सहायता से आपको मेजर ध्यानचंद पर संपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई होगी। अगर आपके मन में इस आर्टिकल से सम्बंधित कोई प्रश्न या सुझाव हो तो, आप नीचे कमेंट जरुर करे। साथ ही इस dhyanchand ki jeevani को आप अपने दोस्तो के शेयर भी जरुर करे।

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