बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध 2023 | Bachao Beti Padhao Par Nibandh

Essay On Beti Bachao Beti Padhao In Hindi

इस लेख में हम बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध एकदम विस्तार में देखेंगे, यह निबंध कक्षा 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 में पढ़ने वाले छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी है। इसलिए यदि आप कक्षा 6 से 12 तक के किसी भी कक्षा के छात्र हैं, तो आप इस निबंध को बिल्कुल अच्छे से जरुर पढ़ें।

आपको बता दे की, बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए यह निबंध बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस प्रकार के निबंध कक्षा 10 और कक्षा 12 के बोर्ड परीक्षा की हिंदी विषय के प्रश्न पत्र में जरूर पूछे जाते हैं। ऐसे में अगर आप भी उन छात्रों में से हैं, जो इस समय बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो आपको इस निबंध को ध्यान से जरुर पढ़ना चाहिए। ताकि अगर आपकी परीक्षा में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध लिखने का प्रश्न आये, तो आप उसे आसानी से लिख सकें।

इसके अलावा अगर आप किसी प्रतियोगी परीक्षा एवं सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं, तो यह निबंध आपके लिए भी बहुत मददगार है। क्योंकि कई तरह की प्रतियोगी परीक्षाओं में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं, और इस निबंध के माध्यम से आपको उन सभी प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे जो किसी भी प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं के लिये इम्पोर्टेन्ट हो सकते है। तो अगर आप वास्तव में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध को हिंदी में अच्छी तरह से समझना चाहते हैं, तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Essay On Beti Bachao Beti Padhao In Hindi)

प्रस्तावना --- कहते हैं कि सुघड़, सुशील और सुशिक्षित स्त्री दो कुलों का उद्धार करती है। विवाहपर्यन्त वह अपने मातृकुल को सुधारती है और विवाहोपरान्त अपने पतिकुल को। उनके इस महत्त्व को प्रत्येक देश-काल में स्वीकार किया जाता रहा है, किन्तु यह विडम्बना ही है कि उनके अस्तित्व और शिक्षा पर सदैव से संकट छाया रहा है। विगत कुछ दशकों में यह संकट और अधिक गहरा हुआ है, जिसका परिणाम यह हुआ कि देश में बालक-बालिका लिंगानुपात सन् 1971 ई० की जनगणना के अनुसार प्रति एक हजार बालकों पर 930 बालिका था, जो सन् 1991 ई० में घटकर 927 हो गया। सन् 2011 ई० की जनगणना में यह सुधरकर 943 हो गया। मगर इसे सन्तोषजनक नहीं कहा जा सकता। जब तक बालक-बालिका लिंगानुपात बराबर नहीं हो जाता तब तक किसी भी प्रगतिशील बुद्धिवादी समाज को विकसित अथवा प्रगतिशील समाज की संज्ञा नहीं दी जा सकती। महिला सशक्तीकरण की बात करना भी तब तक बेमानी ही है। माननीय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी जी ने इस तथ्य के मर्म को जाना-समझा और सरकारी स्तर पर एक योजना चलाने की रूपरेखा तैयार की। इसके लिए उन्होंने 22 जनवरी, 2015 को हरियाणा राज्य से 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना की शुरुआत की।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के उद्देश्य

योजना के महत्त्व और महान् उद्देश्य को दृष्टिगत रखते हुए 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना की शुरुआत भारत सरकार के बाल विकास मन्त्रालय, स्वास्थ्य मन्त्रालय, परिवार कल्याण मन्त्रालय और मानव संसाधन विकास मन्त्रालय की संयुक्त पहल से की गई। इस योजना के दोहरे लक्ष्य के अन्तर्गत न केवल लिंगानुपात की असमानता की दर में सन्तुलन लाना है, बल्कि कन्याओं को शिक्षा दिलाकर देश के विकास में उनकी भागेदारी को सुनिश्चित करना है। सौ करोड़ रुपयों की शुरुआती राशि के साथ इस योजना के माध्यम से महिलाओं के लिए कल्याणकारी सेवाओं के प्रति जागरूकता फैलाने का कार्य किया जा रहा है। सरकार द्वारा लिंग समानता के कार्य को मुख्यधारा से जोड़ने के अतिरिक्त स्कूली पाठ्यक्रमों में भी लिंग समानता से जुड़ा एक अध्याय रखा जाएगा। इसके आधार पर विद्यार्थी, अध्यापक और समुदाय कन्या शिशु और महिलाओं की आवश्यकताओं के प्रति अधिक संवेदनशील बनेंगे तथा समाज का सौहार्दपूर्ण विकास होगा। 'बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ' योजना के अन्तर्गत जिन महत्त्वपूर्ण गतिविधियों पर कार्य किया जा रहा है, वे इस प्रकार हैं

• स्कूल मैनेजमेण्ट कमेटियों को सक्रिय करना, जिससे लड़कियों की स्कूलों में भर्तियाँ हो सकें।
• स्कूलों में बालिका मंच की शुरुआत।
• कन्याओं के लिए शौचालय निर्माण।
• बन्द पड़े शौचालयों को फिर से शुरू करना।
• कस्तूरबा गांधी बाल विद्यालयों को पूरा करना।
• पढ़ाई छोड़ चुकी लड़कियों को माध्यमिक स्कूलों में फिर भर्ती करने के लिए व्यापक अभियान।
• माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में लड़कियों के लिए छात्रावास शुरू करना।

बड़े बेटियाँ से आशय

बेटी बचाओ योजना के रूप में इसका सबसे बड़ा उद्देश्य बालिकाओं के लिंगानुपात को बालकों के बराबर लाना है। मगर यहाँ प्रश्न यह खड़ा होता है कि हम बेटियों के लिंगानुपात को बराबर करके उनकी दशा और दिशा में परिवर्तन लाकर उन्हें देश-दुनिया के विकास की मुख्यधारा में सम्मिलित कर पाएंगे। यदि लिंगानुपात स्त्रियों के देश और समाज के विकास की मुख्यधारा से जुड़ने का मानक होता तो देश की संसद में स्त्रियों के 33 प्रतिशत आरक्षण का मुद्दा न खड़ा होता। मगर पुरुषों के लगभग बराबर जनसंख्या होने के बाद भी हमारी वर्तमान 543 सदस्यीय लोकसभा में महिलाओं की संख्या मात्र 62 है, जबकि लिंगानुपात के अनुसार यह स्वाभाविक रूप में पुरुषों की संख्या के लगभग आधी होनी चाहिए थी। इसलिए बेटियों को बचाकर उनकी संख्या में वृद्धि करने के साथ-साथ यह भी आवश्यक है कि वे निरन्तर आगे बढ़े। उनकी प्रगति के मार्ग की प्रत्येक बाधा को दूर करके उन्हें उन्नति के उच्चतम शिखर तक पहुँचाने का मार्ग प्रशस्त करें। बढ़े बेटियाँ ' नारे का उद्देश्य और आशय भी यही है।

बेटियों को बढ़ाने के उपाय

हमारी बेटियाँ आगे बढ़े और देश के विकास में अपना योगदान करें, इसके लिए अनेक उपाय किए जा सकते हैं, जिनमें से कुछ मुख्य उपाय इस प्रकार हैं 

(i) पढ़ें बेटियाँ --- बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण और मुख्य उपाय यही है कि हमारी बेटियाँ बिना किसी बाधा और सामाजिक बन्धनों के उच्च शिक्षा प्राप्त करें तथा स्वयं अपने भविष्य का निर्माण करने सक्षम हों। अभी तक देश में बालिकाओं की शिक्षा की स्थिति सन्तोषजनक नहीं है। शहरी क्षेत्रों में तो बालिकाओं की स्थिति कुछ ठीक भी है, किन्तु ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति बड़ी दयनीय है। बालिकाओं की अशिक्षा के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा यह है कि लोग उन्हें 'पराया धन' मानते हैं। उनकी सोच है कि विवाहोपरान्त उसे दूसरे के घर जाकर घर-गृहस्थी का कार्य सँभालना है, इसलिए पढ़ने-लिखने के स्थान पर उसका घरेलू कार्यों में निपुण होना अनिवार्य है। उनकी यही सोच बेटियों के स्कूल जाने के मार्ग बन्द करके घर की चहारदीवारी में उन्हें कैद कर देती है। बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए सबसे पहले समाज की इसी नीच सोच को परिवर्तित करना होगा। 

(ii) सामाजिक सुरक्षा --- बेटियाँ पढ़ लिखकर आत्मनिर्भर बनें और देश के विकास में अपना योगदान दें, इसके लिए सबसे आवश्यक यह है कि हम समाज में ऐसे वातावरण का निर्माण करें, जिससे घर से बाहर निकलनेवाली प्रत्येक बेटी और उसके माता-पिता का मन उनकी सुरक्षा को लेकर सशंकित न हो। आज बेटियाँ घर से बाहर जाकर सुरक्षित रहें और शाम को बिना किसी भय अथवा तनाव के घर वापस लौटें, यही सबसे बड़ी आवश्यकता है। आज घर से बाहर बेटियाँ असुरक्षा का अनुभव करती है, वे शाम को जब तक सही-सलामत घर वापस नहीं आ जाती, उनके माता-पिता की साँसे गले में अटकी रहती हैं। उनकी यही चिन्ता बेटी को घर के भीतर कैद रखने की अवधारणा को बल प्रदान करती है। जो माता-पिता किसी प्रकार अपने दिल पर पत्थर रखकर अपनी बेटियों को पढ़ा-लिखाकर योग्य बना भी देते हैं, वे भी उन्हें रोजगार के लिए घर से दूर इसलिए नहीं भेजते कि 'जमाना ठीक नहीं हैं। 'अत : बेटियो को आगे बढ़ाने के लिए इस जमाने को ठीक करना आवश्यक है, अर्थात् हमें बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें सामाजिक सुरक्षा की गारण्टी देनी होगी।

(iii) रोजगार के समान अवसरों की उपलब्धता --- अनेक प्रयासों के बाद भी बहुत-से सरकारी एवं गैर-सरकारी क्षेत्र ऐसे हैं, जिनको महिलाओं के लिए उपयुक्त नहीं माना गया है। सैन्य-सेवा एक ऐसा ही महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है, जिसमें महिलाओं को पुरुषों के समान रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं हैं। यान्त्रिक अर्थात् टेक्नीकल क्षेत्र विशेषकर फील्ड वर्क को भी महिलाओं की सेवा के योग्य नहीं माना जाता है इसलिए इन क्षेत्रों में सेवा के लिए पुरुषों को वरीयता दी जाती है। यदि हमें बेटियों को आगे बढ़ाना है तो उनके लिए सभी क्षेत्रों में रोजगार के समान अवसर उपलब्ध कराने होंगे। यह सन्तोष का विषय है कि अव सैन्य और यान्त्रिक आदि सभी क्षेत्रों में महिलाएं रोजगार के लिए आगे आ रही हैं और उन्हें सेवा का अवसर प्रदान कर उन्हें आगे आने के लिए प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। 

निष्कर्ष

बेटियाँ पढ़े और आगे बढ़े, इसका दायित्व केवल सरकार पर नहीं है। समाज के प्रत्येक व्यक्ति पर इस बात का दायित्व है कि वह अपने स्तर पर वह हर सम्भव प्रयास करे, जिससे बेटियों को पढ़ने और आगे बढ़ने को प्रोत्साहन मिले। हम यह सुनिश्चित करें कि जब हम घर से बाहर हों तो किसी भी बेटी की सुरक्षा पर हमारे रहते कोई आँच नहीं आनी चाहिए। यदि कोई उनके मान-सम्मान को ठेस पहुँचाने की तनिक भी चेष्टा करे तो आगे बढ़कर उसे सुरक्षा प्रदान करनी होगी और उनके मान-सम्मान से खिलवाड़ करनेवालों को विधिसम्मत दण्ड दिलाकर अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना होगा, जिससे हमारी बेटियाँ उन्मुक्त गगन में पंख पसारे नित नई ऊँचाइयों को प्राप्त कर सकें।

FAQ:- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ से सम्बंधित कुछ प्रश्न

प्रश्न -- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध कैसे लिखें?

उत्तर -- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध लिखने के लिये सबसे पहले आप इस योजना के बारे में सारी जानकारी प्राप्त करले, जैसे की- यह योजना कब शुरू हुआ, इस योजना को किसके द्वारा शुरू किया गया तथा इस योजना का उद्देश्य क्या है आदि। इस प्रकार से पहले आप इस योजना के बारे में अच्छे से समझ ले, और फिर आप अपने शब्दों में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध लिखें। आप इस लेख के सहायता से भी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध लिख सकते हैं, क्योकी यहा इस लेख में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के निबंध को एकदम विस्तार से एवं सरल भाषा में दिया गया है।

प्रश्न -- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ किसने शुरू किया था?

उत्तर -- बेटी बचाओ, बेटी पढाओ योजना 22 जनवरी 2015 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया था।

प्रश्न -- बेटी बचाओ अभियान की शुरुआत कब हुई?

उत्तर -- बेटी बचाओ, बेटी पढाओ अभियान की शुरुआत 22 जनवरी 2015 को हुआ था।

प्रश्न -- बेटी बचाओ का नारा किसने दिया था?

उत्तर -- बेटी बचाओ बेटी पढाओ का नारा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया था।

प्रश्न -- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का उद्देश्य क्या है?

उत्तर -- बेटी बचाओ, बेटी पढाओ योजना भारत सरकार का एक अभियान है जिसका उद्देश्य जागरूकता पैदा करना और भारत में लड़कियों के लिए कल्याणकारी सेवाओं की दक्षता में सुधार करना है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध PDF

आप सभी छात्रों की सुविधा हेतू, हमनें यहां बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध का पीडीएफ फ़ाईल भी शेयर किया है, जिसे आप बड़ी ही आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं। और इस पीडीऍफ़ फ़ाईल की मदद से आप अपने समयानुसार कभी भी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध का रिवीजन कर सकते है। Beti bachao beti padhao par nibandh pdf डाउनलोड करने के लिए नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करें और आसानी से पीडीएफ फाइल को डाउनलोड करें।

अंतिम शब्द

इस लेख में हमने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध को विस्तार से देखा। आप इस निबंध को अपनी कक्षा 10वीं या 12वीं की हिंदी बोर्ड परीक्षा में लिखकर अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं। क्योंकि बोर्ड परीक्षा के हिंदी विषय में कई बार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध लिखने का प्रश्न पूछा जाता है।

इसके अलावा बहुत से छात्रों को उनके स्कूल या कॉलेज से निबंध लिखने का होमवर्क या प्रोजेक्ट वर्क भी दे दिया जाता है, ऐसे में अगर आपको भी Beti bachao beti padhao par nibandh लिखने का होमवर्क या प्रोजेक्ट कार्य मिला है, तो आप इस लेख की मदद से उस वर्क को असानी से पूरा कर सकते हैं।  

यहा पर शेयर किया गया (essay on Beti bachao beti padhao) आपको कैसा लगा कमेंट के माध्यम से आप अपने विचार हमारे साथ जरुर साझा करे। हम आशा करते है की आपको यह निबंध जरुर पसंद आया होगा और हमे उमीद है की इस लेख की सहायता से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध कैसे लिखें आप बिल्कुल अच्छे से समझ गए होंगे। यदि इस लेख को लेकर आपके मन में कोई सवाल है, तो आप निचे कमेंट करके पुछ सकते है। और साथ ही इस निबंध को आप अपने सभी मित्रों के साथ शेयर भी जरुर करे।

यदि आप अन्य विषयों पर निबंध पढ़ना चाहते है तो नीचे बहुत से और भी विभिन्न विषयों पर निबंध दिया गया है आप उन सभी को भी जरुर पढ़े।

बाढ़ | योग | भ्रष्टाचार | कम्प्यूटर | इंटरनेट | जातिवाद | आतंकवाद | दहेज प्रथा | जल संकट | चंद्रयान 2 | मेरा विद्यालय | बेरोजगारी | नक्सलवाद | भारतीय रेलवे | आत्मनिर्भर भारत |  डिजिटल इंडिया | गंगा प्रदूषण | ऑनलाइन शिक्षा | ओजोन परत | गणतंत्र दिवस | शिक्षक दिवस | हिंदी दिवस | राष्ट्रभाषा हिन्दी | राष्ट्रीय एकता | पर्यावरण प्रदूषण | जनसंख्या वृद्धि | सोशल मीडिया | 5G टेक्नोलॉजी | साइबर क्राइम | महिला सशक्तीकरण | काला धन | स्वच्छ भारत अभियान | जलवायु परिवर्तन | विज्ञान वरदान या अभिशाप

1 Response to "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध 2023 | Bachao Beti Padhao Par Nibandh"

विज्ञापन