अधिकरण कारक | परिभाषा एवं उदाहरण | Adhikaran Karak Kise Kahate Hain

Adhikaran Karak Kise Kahate Hain

इस आर्टिकल में हम कारक के सातवें भाग अधिकरण कारक के बारे में विस्तार से पढ़ने वाले है, यहा पर हम अधिकरण कारक से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर जानेंगे, जिससे की आपको इसे समझने में काफी असानी होगी। जिन महत्त्वपूर्ण प्रश्नो की हम बात कर रहे है वो प्रश्न बहुत से प्रतियोगी परीक्षाओं में भी पुछे जाते है, ऐसे में यदि आप उन विद्यार्थियों में से है जो, इस समय किसी प्रतियोगी परीक्षा या फिर सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा है। तो, आपके लिये यह लेख काफी उपयोगी साबित हो सकता हैं।

ऐसा इसलिए क्योकी इस लेख में हम अधिकरण कारक से जुड़े उन सभी प्रश्नों को देखेंगे जो, आपको प्रतियोगी परीक्षा में पुछे जा सकते हैं जैसे की- अधिकरण कारक की परिभाषा, अधिकरण कारक में कौन सी विभक्ति होती है, अधिकरण कारक का उदाहरण, अधिकरण कारक में कौन सा परसर्ग लगता है और अधिकरण कारक का प्रयोग आदि। इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको यहा पर इस लेख में एकदम विस्तार से देखने को मिल जायेंगे। तो अगर आप वास्तव में adhikaran karak kise kahate hain बिल्कुल अच्छे से समझना चाहते है तो, इस लेख को पूरा अन्त तक अवश्य पढ़े।

कारक के अन्य भाग:-

अधिकरण कारक किसे कहते हैं (Adhikaran Karak Kise Kahate Hain)

परिभाषा -- संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया का आधार सूचित होता है, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। दुसरे शब्दों में, क्रिया होने के स्थान और काल को बताने वाला कारक अधिकरण कारक कहलाता है। अधिकरण कारक का परसर्ग कारक चिह्न (में, पर) होता हैं।

अधिकरण कारक का उदाहरण

अधिकरण की परिभाषा देखने के बाद, अब हम इसे और भी बेहतर से समझने के लिये इसका एक उदाहरण देखते है, जिससे की आपको अधिकरण कारक और भी अच्छे से समझ में आ जायेगा।

उदाहरण -- मछली पानी में तैर रहे है।

इस वाक्य में हमे मछली के तैरने की क्रिया के आधार का बोध पानी में रो रहा है। अर्थात् पानी के माध्यम से हमे क्रिया के आधार का बोध हो रहा है तथा यहा पर (में) विभिक्ती चिन्ह का भी प्रयोग किया गया है। अतः यहा पर (पानी) अधिकरण कारक है।

अधिकरण कारक का प्रयोग

अभी तक हमने अधिकरण कारक की परिभाषा एवं उदाहरण को समझा, अब हम बात करते है अधिकरण कारक का प्रयोग किन-किन स्थितियों में किया जाता है। तो, अधिकरण कारक का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है -

स्थिति (i) --- स्थान, समय, भीतर या सीमा का बोध कराने के लिए अधिकरण कारक का प्रयोग होता है; जैसे --

• उमेश लखनऊ में पढ़ता है।
• पुस्तक मेज पर है।
• ठीक समय पर आ जाना।
• उसके हाथ में कलम है।
• वह तीन दिन में आएगा।

स्थिति (ii) --- तुलना, मूल्य और अन्तर का बोध कराने के लिए अधिकरण कारक का प्रयोग होता है; जैसे --

• कमल सभी फूलों में सुन्दरतम् है।
• यह कलम पाँच रुपए में मिलती है।
• कुछ सांसद चार करोड़ में बिक गए।
• गरीब और अमीर में बहुत अन्तर है।

स्थिति (iii) --- निर्धारण और निमित्त प्रकट करने के लिए अधिकरण कारक का प्रयोग होता है; जैसे --

• छोटी-सी बात पर मत लड़ो।
• सारा दिन ताश खेलने में बीत गया।

FAQ: अधिकरण कारक से सम्बंधित कुछ प्रश्न

प्रश्न -- अधिकरण कारक की परिभाषा क्या है?

उत्तर -- वाक्य में प्रयुक्त, संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से क्रिया के आधार का बोध होता है, उसे ही अधिकरण कारक कहा जाता है।

प्रश्न -- अधिकरण कारक का विभक्ति चिह्न कौन सा है?

उत्तर -- अधिकरण कारक का विभक्ति चिह्न (में, के, पर के भीतर, के अंदर, के ऊपर, के बिच) होता है।

प्रश्न -- अधिकरण कारक के 5 उदाहरण?

उत्तर -- अधिकरण कारक के 5 उदाहरण निम्न है -
1). मोहन के हाथ में किताब है।
2). राकेश दो दिन में आएगा।
3). महेश गोरखपुर में पढ़ता है।
4). मछली में रहती है।
5). पक्षी हवा में उड़ रहे है।

अधिकरण कारक को वीडियो के माध्यम से समझे


निष्कर्ष

यहा पर इस लेख के माध्यम से हमने कारक के सातवें भाग अधिकरण कारक को अच्छे से समझा। हिन्दी व्याकरण में कारक ऐसा विषय है, जिससे सम्बंधित बहुत सारे प्रश्न कॉम्पिटिटिव एग्जाम में पुछे जाते है। इसलिए जो छात्र प्रतियोगीता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं वो कारक को बिल्कुल अच्छे से जरुर पढ़े, क्योकी इससे परीक्षा में काफी मदद मिल सकती है।

कारक को बेहतर से समझने के लिये आपको इसके सभी भागों को अच्छे से समझना होगा, और इस लेख में हमने कारक के सातवें भाग को बिल्कुल अच्छे से समझा। इसके अलावा हमने कारक के अन्य भागों पर भी विस्तार से लेख लिखा है, आप उन सभी लेख को भी जरुर पढ़े।

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