विद्यार्थी के पांच लक्षण संस्कृत में | Vidyarthi Ke 5 Lakshan
आज का यह लेख विद्यार्थियों के लिये काफी महत्वपुर्ण है, क्योकी इस लेख में हम विद्यार्थी के पांच लक्षण जानने वाले है। हर व्यक्ति अपने जीवनी में कभी न कभी विद्यार्थी जरुर रहता है, और यदि आप इस समय विद्यार्थी है यानी की स्कूल या विश्वविद्यालय में पढ़ रहे है, तो एक विद्यार्थी होने के नाते आपको अच्छे विद्यार्थी के लक्षण क्या होते है इसकी जानकारी जरुर होनी चाहिए।
अगर आप एक आदर्श विद्यार्थी के लक्षण क्या होते है नही जानते है, तो कोई बात नही क्योकी इस लेख में हम इसके बारे में एकदम विस्तार से जानेंगे। आप बस इस लेख को पूरे ध्यानपूर्वक से और अन्त तक पढ़े ताकी आपको Vidyarthi Ke 5 Lakshan क्या होते है एकदम अच्छे से समझ में आ जाये। तो, चलिये अब हम विद्यार्थी के पांच लक्षण संस्कृत में विस्तार से देखते है।
विद्यार्थी किसे कहते हैं
विद्यार्थी दो शब्दों से मिलकर बना होता है - "विद्या" + "अर्थी" विद्यार्थी हम उस व्यक्ति को कहते है जो, अपने जीवन में कुछ सीख रहा हो, जैसे जब हम छोटे होते है तो हमे विद्यालय भेजा जाता है पढ़ने के लिये, और हम वहा पर पढ़ना सीखते है तो इस प्रकार से हम विद्यार्थी हुए। इसे और भी असान भाषा में कहे तो, विद्यार्थी का मतलब होता है शिक्षार्थी, विशेष रूप से जो स्कूल या विश्वविद्यालय में जाता है उसे हम विद्यार्थी कहते है। विद्यार्थी होने की कोई आयु सीमा नही होती, विद्यार्थी किसी भी आयुवर्ग का हो सकता है फिर चाहे वो, बालक हो, किशोर हो, युवा हो, या फिर वयस्क हो बस वह अपने जीवन में कुछ सीख रहा होना चाहिए।
एक आदर्श विद्यार्थी के क्या गुण होते हैं
अभी हमने विद्यार्थी किसे कहते हैं यह तो जान लिया अब हम बात करते है, की एक आदर्श विद्यार्थी के क्या गुण होते हैं, एक आदर्श विद्यार्थी का वर्णन करने के बहुत सारे तरीके हैं, जिसमें सबसे आम शब्द मेहनती हैं इसके अलावा शिक्षा में अच्छा होना, समय पर होम वर्क जमा करना, नियमित रहना, कक्षा की गतिविधियों में भाग लेना और उच्च ग्रेड प्राप्त करना। यह सभी गुण एक आदर्श विद्यार्थी में होते है।
विद्यार्थी के पांच लक्षण संस्कृत में (Students Ke 5 Lakshan)
संस्कृत में एक श्लोक है, जिसमें एक आदर्श विद्यार्थी के पांच लक्षण क्या होने चाहिए इसके बारे में वर्णन किया गया है। अगर एक विद्यार्थी को अपने जीवन में सफल होना है तो, आचार्य चाणक्य के अनुसार उनमें यह पांच लक्षण अवश्य होने चलिये। वो पांच लक्षण कौन कौन से है इसके बारे में हम आपको विस्तार से बतायेंगे। चलिये अब हम विद्यार्थी के लक्षण संस्कृत में विस्तार से देखे, साथ ही उसका हिन्दी मलतब भी जाने।
काकचेष्टा बकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च।अल्पहारी गृहत्यागी विद्यार्थी पंचलक्षणम्॥
तो यह है वो श्लोक जिसमें विद्यार्थी के पांच लक्षण बताया गया है, आइये इस श्लोक का क्या अर्थ है उसे एकदम अच्छे से समझे।
1) काक चेष्टा -- काक का अर्थ होता है कौआ और चेष्टा का मतलब होता है प्रयास या कोशिश, काक चेष्टा यानी की कौए की तरह चेष्टा। आपने बचपन में कौआ की वह कहानी तो जरुर सुनी होगी, जिसमें कौआ एक घड़े में पथर डालकर पानी ऊपर लाता है और अपनी प्यास बुझाता है। एक आदर्श विद्यार्थी के अन्दर भी काक की तरह यह गुण होना अवश्य है, सभी विद्यार्थियों को अपने काम के प्रति लगातार प्रयास करते रहना चाहिए।
2) बको ध्यानं -- बको का अर्थ है बगुला और ध्यानं मतलब है ध्यान, यानी की बगुले की तरह ध्यान। आपने कभी बगुले को शिकार करते हुए देखा है? यदि नही तो आप एक बार जरुर देखें। किस तरह से बगुला पानी में एक तांग पर खड़े होकर अपने लक्ष्य यानी की मछली पर अपना पूरा ध्यान केन्द्रित करता है, और जैसे की उसे मछली दिखती है वह उसे तुरंत पकड़ लेता है। ठीक इसी तरह से एक विद्यार्थी को अपने लक्ष्य पर ध्यान लगाए रखना चाहिए, कभी भी अपने लक्ष्य से भटकना नही चाहिए।
3) श्वाननिद्रा -- श्वान का अर्थ है कुत्ता और निद्रा का मतलब है निंद, यानी की कुत्ते की तरह निंद होनी चाहिए। श्वान यानी की कुत्ते की निंद ऐसी होती है की, जरा ही आहट होते ही वह जाग जाता है। कुत्ता निंद के नियंत्रण में नही रहता बल्की निंद को अपने नियंत्रण में रखता है। एक विद्यार्थी को भी श्वान की तरह ही सोना चाहिए, विद्यार्थी के लिये 7 से 8 घन्टे की निंद काफी होती है। इससे ज्यादा सोने से सुस्ती बड़ती है और फुर्ती कम होती है। इसलिए एक आदर्श विद्यार्थी की निद्रा श्वान की तरह ही होनी चाहिए।
4) अल्पहारी -- अल्पहारी का मतलब होता है, कम खाने वाला। एक विद्यार्थी को हमेशा भोजन पर्याप्त मात्रा मे करना चाहिए। क्योकी जरूरत से ज्यादा भोजन करने से सुस्ती आती है, जिसके कारण विद्यार्थी ध्यानपूर्वक अपना कार्य नही कर पाते है। एक आदर्श विद्यार्थी को कभी भी जरूरत से ज्यादा भोजन नही करना चाहिए।
5) गृहत्यागी -- गृहत्यागी का मतलब होता है, घर को त्यागने वाला अथवा घर से दूर रहने वाला। अगर किसी विद्यार्थी को पढ़ने के लिये घर से दूर जाना पड़े तो इसके लिये वह जारा भी संकोच ना करे। क्योकी घर से दूर रह कर ही विद्यार्थी अपना अधिकांस समय पढ़ाई को देने में सक्षम होता है, घर की सुख सुविधा के कारण विद्यार्थी अपने लक्ष्य के प्रति केंद्रित नही रह पाता। इसलिए एक आदर्श विद्यार्थी गृहत्यागी होना चाहिए यानी की घर की मोह माया में नही पड़ना चाहिए।
विद्यार्थी के पांच लक्षण (5 qualities of a student in sanskrit)
क्र. स. | लक्षण संस्कृत में | अर्थ हिन्दी में |
---|---|---|
1). | काक चेष्टा | कौए की तरह चेष्टा |
2). | बकोध्यानं | बगुले की तरह ध्यान |
3). | श्वाननिद्रा | श्वान की तरह नींद |
4). | अल्पहारी | कम भोजन करने वाला |
5). | गृहत्यागी | घर से दूर रहने वाला |
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से हमने Vidyarthi Ke 5 Lakshan को बिल्कुल विस्तारपूर्वक से समझा। यदि आप विद्यार्थी है तो, आपके अंदर यह 5 गुण अवश्य होने चाहिए। आप देखे की आपके अन्दर इन पांच गुण में से कौन कौन से गुण है और जो गुण आपके अन्दर नही है उन्हें आप अपने अन्दर लाइये और उनकी महत्त्व को समझिए। यह लेख आपको कैसा लगा कमेंट के माध्यम से अपना अनुभव हमारे साथ जरुर साझा करे। हम आशा करते है की आपको यह लेख जरुर पसंद आया होगा और हमे उमीद है की इस लेख की सहायता से विद्यार्थी के 5 गुण कौन कौन से हैं? आप बिल्कुल अच्छे से समझ गए होंगे। यदि आपके मन में इस लेख से सम्बंधित कोई प्रश्न है तो आप नीचे कमेंट करके पुछ सकते हैं। साथ ही इस विद्यार्थी के लक्षण को आप अपने सभी मित्रों के साथ षराए जरुर करे।
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