दुर्गा पूजा पर निबंध - Essay On Durga Puja In Hindi

Essay On Durga Puja In Hindi

दुर्गा पूजा पर निबंध इन हिन्दी (Durga puja essay in hindi)

दुर्गापूजा हिन्दुओं का एक महापर्व है। इसे आश्विन महीने में शुक्लपक्ष प्रथमा से प्रारंभ कर दशमी तिथि तक मनाया जाता है। यह समूचे भारत का महापर्व है, परन्तु इस पूजा की सबसे अधिक धूम पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश और दिल्ली में रहती है। इस महापर्व को विदेशों में रहनेवाले हिन्दू भी परम्परागत ढंग और उत्साह से मनाते हैं।

यह पर्व शुभ ऋतु चक्र का प्रारंभ करता है। इसके आयोजन के उपरान्त मांगलिक कार्यों जैसे शादी, जनेऊ या अन्य आयोजन की शुरुआत हो जाती है। दुर्गापूजा के प्रारम्भ के संबंध में कई प्राचीन मान्यताएँ प्रचलित हैं। एक मान्यता के अनुसार, जब महिषासुर का आतंक तीनों लोकों में भयावह हो गया था, तब सभी देवताओं की शक्ति लेकर माँ दुर्गा का अवतार हुआ और इनके द्वारा महिषासुर का वध हुआ। तब से हर वर्ष नौ दिनों तक इनकी पूजा की जाती है। इस कारण इस पर्व को 'नवरात्र' भी कहा जाता है। एक अन्य मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीराम ने लंका पर आक्रमण कर दस दिनों के घमसान युद्ध के बाद लंकापति रावण का वध किया और देवी सीता को मुक्त कराया। इस उपलक्ष्य में यह पर्व मनाया जाता है, फलतः इसे 'विजयादशमी' या 'दशहरा' भी कहते हैं।

Durga Puja par nibandh in hindi


दुर्गापूजा दस दिनों तक चलनेवाला पर्व है। इसके आयोजन में पहले दिन कलश की स्थापना की जाती है। फिर देवी के विभिन्न रूपों की प्रतिमाएँ स्थापित की जाती हैं और नौ दिनों तक भक्ति-भाव से इनकी आराधना की जाती है। आजकल बड़े बड़े पंडाल और अति आकर्षक प्रतिमाएँ बनायी जाती हैं। लोग अच्छे-अच्छे पकवान खाते हैं और विभिन्न पूजा-स्थलों का भ्रमण करते हैं। बच्चों को पूजा-पंडालों के निकट खिलौने, बैलून आदि बिकने से यह आयोजन मेले-जैसा आनन्द और उत्साह देता है। इस अवसर पर दिल्ली में आयोजित होनेवाली रामलीला विश्व भर में प्रसिद्ध है। इस पूजा के वृहत् आयोजन में काफी खर्च होता है जिसे चन्दा करके पूरा किया जाता है। दशमी के दिन किसी नदी या तालाब में प्रतिमा विसर्जन करके पूजा का समापन किया जाता है। 

यह पूजा अधर्म पर धर्म की और अन्याय पर न्याय की जीत का प्रतीक है। यह हमें प्रेम और भाईचारे का संदेश देती है। दस दिनों तक चलने के कारण इस त्योहार का आयोजन अत्यन्त मुश्किल और अधिक खर्चीला होता है, इसलिए चन्दा प्राप्त करते समय लोग मनमानी और जबरदस्ती करते हैं। यह उचित नहीं है। बिजली और लाउडस्पीकरों के अधिक इस्तेमाल से लोगों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए। सड़कों पर बेढंगे बाँस, पंडाल वगैरह नहीं लगाने चाहिए, ताकि आने-जाने में किसी को कोई असुविधा हो। इसे आपसी सद्भाव और मैत्रीपूर्ण माहौल में मनाया जाना चाहिए।

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