सारांश लेखन क्या है | Saransh Lekhan In Hindi

Saransh Lekhan In Hindi

इस आर्टिकल में हम सारांश लेखन क्या है एवं सारांश लेखन कैसे करते हैं इसके बारे में विस्तार से समझेंगे। यह लेख कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों के लिये काफी उपयोगी है क्योकी, सारांश लेखन से सम्बंधित बहुत से प्रश्न कक्षा 9, 10, 11 और 12 के परीक्षाओं में पुछे जाते है। यहा पर हम सारांश से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों को समझेंगे, जिससे की आपको सारांश लेखन अच्छे से समझ में आ जाये। 

सारांश लेखन से सम्बंधित जिन महत्वपूर्ण प्रश्नो की हम बात कर रहे है वो कुछ इस प्रकार है- सारांश लेखन क्या है, सारांश की परिभाषा क्या है, सारांश लेखन कैसे करते हैं, लेख का सारांश क्या कहलाता है, हिंदी में सारांश कैसे लिखा जाता है और सारांश का उदाहरण क्या है आदि। इन सभी प्रश्नों को हम यहा पर एकदम विस्तारपूर्वक से समझेंगे, इसलिए आप इस लेख को पुरा अन्त तक अवश्य पढ़े। तो चलिए अब हम Saransh Lekhan In Hindi को अच्छे से देखे।


सारांश लेखन किसे कहते हैं (Saransh Lekhan Kise Kahate Hain)

परिभाषा -- हिन्दी भाषा में किसी अवतरण अथवा किसी गद्य या पद्य के उद्धृत भाग में निहित मूल भाव को जब अति संक्षिप्त शैली में प्रस्तुत किया जाता है, तब यह सारांश कहलाता है और यह विधा सारांश-लेखन कहलाती है। इसके लेखन में किसी शीर्षक का होना अनिवार्य नहीं होता, केवल महत्वपूर्ण तथ्यों को अपनी भाषा में प्रस्तुत करना होता है।

सारांश लेखन के लिए आवश्यक निर्देश

अभी हमने यह समझ लिया की, सारांश की परिभाषा क्या है। अब हम यह समझते है की सारांश लेखन के लिए आवश्यक निर्देश क्या है। तो, सारांश लेखन के लिए आवश्यक निर्देश निम्नलिखित हैं-

1). सारांश लेखन हेतु प्रस्तुत अवतरण या गद्यांश को बार-बार पढ़े और लेखक के विचार को समझें।
2). महत्वपूर्ण तथ्यों को मस्तिष्क में अथवा कागज पर एकत्र करें।
3). पात्रों की बातचीत को संक्षिप्त रूप में अपनी ओर से प्रस्तुत करें।
4). व्याकरण की दृष्टि से भाषा अति साधारण रखें अर्थात् – लम्बे मुहावरों, लोकोक्तियों एवं अलंकारों से बचें।
5). मूल उद्धरण के बड़े-बड़े शब्दों को यथासंभव संधि-समास में लिखें।
6). वाक्यों को छोटा-छोटा रखें और अपनी ओर से कुछ भी मत जोड़ें।
7). मूल कथन से बिलकुल छेड़छाड़ न करें।

सारांश लेखन का उदाहरण

सारांश लेखन को और भी बेहतर से समझने के लिये, कुछ कहानियाँ और उनके सारांश प्रस्तुत हैं— 

( क ) कहानी --- प्राचीन काल में एक अत्यन्त ही लालची राजा रहता था। उसे सोने एवं चाँदी की अमिट भूख थी। एक बार उसने कई वर्षों तक अपने आराध्य देव को नित्य आराधना द्वारा खुश किया। भगवान उसके सम्मुख प्रकट हुए और बोले, "प्रिय वत्स ! मैं तुम्हारी भक्ति से अति प्रसन्न हूँ। बोलो, तुम्हें क्या चाहिए ?" 

राजा बोला, "प्रभु ! आपके दर्शन मात्र से मैं धन्य हो गया।"
प्रभु ने कहा, "फिर भी एक वरदान माँग लो।"

राजा ने हाथ जोड़कर कहा, "यदि आप सचमुच मुझे कुछ देना चाहते हैं तो मुझे यह वरदान दें कि कोई भी वस्तु मेरे स्पर्श-मात्र से सोना बन जाए। "प्रभु ने कहा, "ऐसा ही हो !"

भगवान के अंतर्धान होते ही राजा जो कुछ भी छूता, वह सोने में परिवर्तित हो जाता। अब वह कुछ खा भी नहीं पाता था क्योंकि भोज्य पदार्थ भी उसके छूते ही सोना बन जाते थे। एक दिन उसका एकमात्र पुत्र उसकी गोद में आ बैठा, वह भी उसके स्पर्श से सोने की गुड़िया जैसा बन गया।
वह राजा अपने लालच और मूर्खता के कारण बहुत ही दुःखी हुआ।

कहनी का सारांश --- एक बार एक राजा ने कठिन तपस्या के बल पर ईश्वर से यह वर प्राप्त किया कि वह जो कुछ भी छूएगा, सोने का बन जाएगा। परन्तु यह उसके लिए अभिशाप सिद्ध हुआ, क्योंकि वह अब कुछ खा भी नहीं सकता था। उसका इकलौता भी उसके स्पर्श से सोने में बदल गया। वह राजा अपने लालची स्वभाव के कारण बहुत दुःखी हुआ।

( ख ) कहानी --- एक नदी के किनारे घना जंगल था। रामा नाम का एक लकड़हाड़ा रोज वहाँ आता और लकड़ियाँ काटकर ले जाता था। उन्हें बेचकर वह अपना और अपने परिवार का पेट भरता था। एक दिन वह नदी के किनारे खड़ा होकर लकड़ी काट रहा था। अचानक उसकी कुल्हाड़ी हाथ से छूटकर नदी में जा गिरी। वह फूट-फूटकर रोने लगा। वरुणदेव उसकी सहायता के लिए उपस्थित हुए।

उन्होंने पूछा, "हे मानव ! तुम क्यों रो रहे हो ?"
रामा ने कहा, "भगवन् ! मेरे पास एक ही कुल्हाड़ी थी, वह नदी में गिरकर खो गयी है। मैं उसके बिना भूखा मर जाऊँगा। कृपया मेरी मदद करें।"

वरुणदेव ने नदी में डुबकी लगायी। कुछ क्षण बाद जब वे ऊपर आये, तो उनके हाथ में सोने की एक कुल्हाड़ी थी। 

उन्होंने पूछा, "क्या यही तुम्हारी कुल्हाड़ी है ?"

रामा ने ध्यान से देखकर कहा, "नहीं भगवन् ! यह कुल्हाड़ी मेरी नहीं है।" वरुणदेव ने एक बार फिर नदी में डुबकी लगायी और चाँदी की कुल्हाड़ी के साथ वापस आये।

रामा ने फिर कहा, "महाराज ! यह भी मेरी नहीं है।" 

तीसरी बार वरुणदेव नदी के अंदर से लोहे की कुल्हाड़ी लेकर आये। उन्होंने रामा से पूछा, "क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है ?"

रामा ने प्रसन्न होकर कहा, "जी भगवन् !"

वरुणदेव उसकी ईमानदारी से अत्यंत खुश हुए और उसे तीनों कुल्हाड़ियाँ पुरस्कार के रूप में दे दीं।

कहानी का सारांश --- रामा नामक लकड़हाड़ा जंगल से लकड़ियाँ काटकर अपनी आजीविका चलाता था। एक दिन लकड़ी काटते समय उसके लोहेवाली कुल्हाड़ी नदी में गिर पड़ी। उसके रोने की आवाज सुनकर वरुणदेव उसकी मदद के लिए आये। उन्होंने उसे बारी-बारी से सोने, चाँदी और लोहे की कुल्हाड़ियाँ दिखायीं। रामा ने उनमें से लोहे की कुल्हाड़ी को अपना कहकर ले लिया। वरुणदेव ने प्रसन्न होकर उसे सभी कुल्हाड़ियाँ पुरस्कार स्वरूप दे दीं।

सारांश लेखन का अभ्यास

अभी हमने सारांश के दो उदाहरण को समझा, आपने देखा की किस प्रकार से एक कहानी को अति संक्षिप्त शैली में प्रस्तुत करके उसका सारांश लिखा गया। अब हम आपके अभ्यास के लिये यहा पर दो कहानी दे रहे है, जिसे पढ़ कर आपको उसका सारांश लिखना है। 

(1) कहानी --- एक झरने के नीचे एक बार एक मेमना पानी पी रहा था। उसी झरने के ऊपरी भाग में एक शेर आकर पानी पीने लगा। जब उसने मेमने को देखा तो क्रोधित होकर गुर्राने लगा।  बेचारा मेमना डर के मारे काँपने लगा। 

शेर ने कहा, "पिछले साल तुम्हीं तो थे जिसने इस झरने का पानी गंदा कर दिया था। आज मैंने तुम्हें देख लिया है। अब मैं तुम्हें दण्डित करूँगा।

"मेमने ने धीरे से कहा, "महाराज ! पिछले साल तो मेरा जन्म भी नहीं हुआ था, तो मैं पानी कैसे गंदा कर सकता था।

शेर ने उसे डाँटते हुए कहा, "तो निश्चय ही वह तुम्हारा भाई रहा होगा।

"मेमना बोला, "महाराज ! मैं तो अपने माता-पिता की एकमात्र संतान हूँ।

"शेर ने गुस्से में कहा, "तब अवश्य ही वह तुम्हारा पिता रहा होगा।"

मेमना कुछ कह पाता, इसके पहले ही शेर ने छलाँग लगाकर उसे पकड़ लिया और मारकर खा गया।

सारांश --- इस कहानी का सारांश आप स्वयं लिखें

(2). कहानी --- एक बार एक मुनि अपनी कुटिया के बाहर बैठे थे। तभी आकाश में उड़ते हुए। किसी पक्षी के मुँह से निकलकर एक चुहिया वहाँ गिर पड़ी। मुनि ने उसे प्यार से उठाकर अपने साथ रख लिया। समय बीतता गया ; चुहिया मुनिवर को अपनी संतान जैसी प्यारी हो गयी और वह भी उनसे उतना ही स्नेह रखने लगी।

एक दिन जब चुहिया इधर-उधर कूद रही थी, तभी एक बिल्ली ने उसे दबोचना चाहा। चुहिया दौड़कर मुनिवर के पास पहुँची। उसकी घबराहट को देखकर मुनि ने पूछा , "क्या बात है ? तुम इतनी परेशान क्यों हो ?

" चुहिये ने कहा, "मैं बहुत कमजोर हूँ। मुझे बिल्ली से बहुत भय लगता है। कृपया आप मुझे बिल्ली बना दें।" 

मुनिराज ने कहा, "ऐसा ही हो !"

उनके इतना कहते ही वह चुहिया बिल्ली बन गयी और निडर होकर रहने लगी। एक दिन किसी कुत्ते ने उसे डरा दिया, तो वह फिर डरकर मुनि के पास दुबक गयी।

मुनि ने पूछा, "अब तुम्हें किस बात का डर है ? तुम यहाँ क्यों छिपी हो ? "
उसने कहा, "महामुने ! आज मुझे एक कुत्ते ने डरा दिया। आप मुझे कुत्ता बना दीजिए।"

मुनि ने हँसकर कहा, "ठीक है, तुम कुत्ता बन जाओ।" 

कुत्ता बनकर वह चुहिया आराम से रहने लगी। एक दिन वह जंगल में चली गयी तो शेर ने गुर्राकर उसे दबोचना चाहा। किसी तरह वह भागी-भागी मुनि के पास पहुँची और रोने लगी। मुनिवर ने पूछा, "बोलो, अब तुम्हें क्या कष्ट है ?"

उसने कहा, "मुझे शेर से बहुत डर लगता है। वह मुझे खा जाना चाहता है। आप मुझे शेर बना दीजिए ताकि मुझे किसी का भय न रहे।"

मुनि ने कहा, "ऐसा ही हो ! तुम शीघ्र ही शेर बन जाओ।" 

शेर बनकर उसे अब किसी भी प्राणी का भय नहीं था। वह शान के साथ अपनी इच्छानुसार रहने लगी। एक दिन जब वह बहुत भूखी थी और उसके पास खाने को कुछ भी नहीं था तो उसने मुनिवर को देखकर कहा, "आज मैं तुम्हें ही खाकर अपनी भूख मिटाऊँगी।"

मुनिवर को उसपर दया के साथ-साथ गुस्सा हो आया और उन्होंने उसे फिर से चुहिया बना दिया।

सारांश --- इस कहानी का सारांश आप स्वयं लिखें

सारांश लेखन pdf

यहा पर हमने सारांश लेखन का पीडीएफ फ़ाईल भी शेयर किया है, जिसे आप नीचे दिये गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करके बहुत ही असानी से डाउनलोड कर सकते हैं।

निष्कर्ष

यहा पर इस लेख के माध्यम से हमने सारांश लेखन क्या है, हिंदी में सारांश कैसे लिखा जाता है, पाठ का सारांश किसे कहते हैं आदि को बिल्कुल अच्छे समझा। यह लेख आपको कैसा लगा कमेंट के माध्यम से अपना विचार हमारे साथ जरुर साझा करे। हम आशा करते है की आपको यह लेख जरुर पसंद आया और हमे उमीद है की इस लेख में दी गई जानकारी से Saransh Lekhan को अच्छे से समझने में आपको काफी मदद मिली होगी। यदि आपके मन में इस लेख से सम्बंधित कोई प्रश्न है तो, आप नीचे कमेंट करके पुछ सकते हैं। साथ ही सारांश लेखन को आप अपने सभी मित्रों के साथ शेयर जरूर करे।

0 Response to "सारांश लेखन क्या है | Saransh Lekhan In Hindi"

Post a Comment

विज्ञापन