सूक्ष्मदर्शी क्या होता है | प्रकार | खोज | उपयोग | Microscope In Hindi

Microscope In Hindi

इस आर्टिकल हम सूक्ष्मदर्शी क्या है यह कितने प्रकार का होता है और इसकी खोज किसने की इसके बारे में बिल्कुल विस्तार से समझेंगे। अगर आप छात्र है तो, आपने सूक्ष्मदर्शी का नाम तो जरुर से सुना होगा और हो सकता है आपने इसका प्रयोग भी किया हो, क्योकी आज कल सूक्ष्मदर्शी का प्रयोग लगभग सभी विद्यालयों में कराया जाता है। लेकिन क्या आपको सूक्ष्मदर्शी के बारे में अच्छे से जानकारी है? जैसे की इसका परिभाषा क्या होता है यह कितने प्रकार का होता है और सूक्ष्मदर्शी की खोज किसने और कब की थी आदि। 

हो सकता है की आपको यह सब पता हो, लेकिन अधिकांश विद्यार्थियों को इसके बारे में सम्पुर्ण रुप से जानकारी नहीं होती। बस यह आर्टिकल उन्हीं छात्रों के लिये है जिन्हें सूक्ष्मदर्शी की सम्पुर्ण जानकारी प्राप्त करनी है। यहा पर आप सभी छात्रों को सूक्ष्मदर्शी से सम्बंधित सभी महत्वपुर्ण प्रश्नों के उत्तर एकदम विस्तार से मिल जायेंगे, जिसकी मदद से आप अपने लिये सूक्ष्मदर्शी का एक बेहतरीन नोट्स भी तैयार कर सकते है और उस नोट्स की सहायता से सूक्ष्मदर्शी के बारे में कभी भी अपने समयानुसार अध्याय कर सकते हैं। तो, अगर आप सच में सूक्ष्मदर्शी किसे कहते हैं एकदम बड़िया से समझना चाहते है। तो, इस लेख को पुरा अन्त तक जरुर पढ़े। 

सूक्ष्मदर्शी क्या होता है (What Is Microscope In Hindi)

सूक्ष्मदर्शी की परिभाषा -- सूक्ष्मदर्शी एक ऐसा यांत्रिक उपकरण है जो छोटी वस्तुओं की छवि को बड़ा करता है। माइक्रोस्कोप की सहायता से हम अमीबा जैसी किसी छोटी चीज को भी असानी से देख सकते हैं। अथवा हम सूक्ष्मदर्शी की सहायता से उन जीवधारियों या उनके अंगों का अध्ययन सुगमता से कर सकते हैं, जिन्हें हम नग्न आँख से नहीं देख सकते। 

सूक्ष्मदर्शी कितने प्रकार के होते है

प्रयोगशालाओं में सामान्यतया दो प्रकार के सूक्ष्मदर्शी प्रयोग में लाये जाते हैं। 

1). सरल विच्छेदन सूक्ष्मदर्शी (Simple Dissecting Microscope) 
2). संयुक्त सूक्ष्मदर्शी (Compound Microscope) 

सरल विच्छेदन सूक्ष्मदर्शी (Simple Microscope In Hindi)

Simple microscope in hindi
सरल विच्छेदन सूक्ष्मदर्शी
प्रयोगशाला में सूक्ष्म पौधों व जीवों के अध्ययन के लिए तथा उनके विच्छेदन व उनसे निर्मित स्लाइडों के अध्ययन के लिए इस प्रकार के सूक्ष्मदर्शी का उपयोग किया जाता है। इसकी सहायता से किसी भी वस्तु को उसकी वास्तविक आकृति से 4 से 40 गुना तक बड़े रूप में देखा जा सकता है। 

यह सूक्ष्मदर्शी मुख्यतः दो भागों का बना होता है 

1) यान्त्रिकीय भाग (Mechanical Portion)
2) प्रकाशकीय भाग (Optical Portion)

(1). यान्त्रिकीय भाग

इसमें सबसे नीचे की ओर 'V' या 'U' के आकार का आधारीय भाग होता है जिसे आधार कहते हैं। आधार से निकली एक खड़ी भुजा "स्तम्भ" होती है। स्तम्भ पर आधार से कुछ ऊपर एक परावर्ती दर्पण लगा होता है। इसके कुछ ऊपर दूसरी ओर एक समायोजन पेंज लगा होता है। स्तम्भ ऊपर से खोखली होती है और इस भुजा के ऊपर एक अन्य छोटी भुजा लगी रहती है जिसे पेंच की सहायता से पहली भुजा के अन्दर ऊपर नीचे किया जा सकता है। इस दूसरी भुजा के ऊपर एक मुड़ने वाला भुजा लगी रहती है जिसके अगले सिरे पर नेत्रिका लगी होती है। मुख्य भुजा के ऊपरी सिरे पर काँच का बना एक मंच होता है।

(2). प्रकाशकीय भाग

मंच के नीचे मुख्य भुजा से लगा हुआ दर्पण प्रकाश को परावर्तित करके यन्त्र तक पहुँचाता है। मंच पर स्लाइड को दबाने के लिए पिछले भाग में दो क्लिप लगे रहते हैं। चल भुजा से जुड़ी मुड़ने वाली भुजा के अगले सिरे पर एक उत्तल लेन्स द्वारा बनी नेत्रिका होती है।

सरल सूक्ष्मदर्शी का उपयोग

काँच के बने मंच पर क्लिप की सहायता से स्लाइड को लगाते हैं। यदि विच्छेदन करना है तो विच्छेदन वस्तु को मोम जमी पैट्रीडिश में रखकर मंच पर रखते हैं। नेत्र को लेन्स के ठीक ऊपर रखकर मुड़ने वाली भुजा को मोड़कर मंच पर रखी हुई वस्तु को लेन्स के फोकस क्षेत्र में लाते हैं। वस्तु का स्पष्ट प्रतिबिम्ब प्राप्त करने के लिए पेंच की सहायता से लेन्स को ऊपर-नीचे करके फोकस करते हैं।

संयुक्त सूक्ष्मदर्शी (Compound Microscope In Hindi)

compound microscope in hindi
संयुक्त सूक्ष्मदर्शी
संयुक्त सूक्ष्मदर्शी की परिभाषा -- संयुक्त सूक्ष्मदर्शी प्रयोगशाला का सबसे महत्त्वपूर्ण एवं बहुमूल्य उपकरण होता है। एक आँख से देखने वाले इस प्रकार के संयुक्त सूक्ष्मदर्शी को मोनोकूलर संयुक्त सूक्ष्मदर्शी कहते हैं।

संयुक्त सूक्ष्मदर्शी का निर्माण सर्वप्रथम नीदरलैंड के निवासी वैज्ञानिक जकारियास जानसेन (Zacharias Janssen) ने 1590 में किया था। इस यन्त्र से वस्तु का 400-600 गुणा आवर्धित प्रतिबिम्ब निर्मित होता है। प्रत्येक विद्यार्थी को इसकी रचना, प्रयोग की विधि एवं उपयोगिता का पूर्ण ज्ञान होना अति आवश्यक है।

सरल ढंग से अध्ययन करने के लिए इसे निम्न दो भागों में विभाजित करते हैं -
1). यान्त्रिकीय भाग (Mechanical Portion) 
2). प्रकाशकीय भाग (Optical Portion) 

(1). यान्त्रिकीय भाग

ये आधारिक तथा सहायक भाग होते हैं। इसके अन्तर्गत निम्नलिखित मुख्य भाग होते हैं 

1. आधार (Base) -- संयुक्त सूक्ष्मदर्शी से नीचे घोड़े की नाल सदृश अथवा अंग्रेजी के 'U' या 'V' के आकार का लोहे का भारी ढाँचा होता है।

2. स्तम्भ (Pillar) -- आधार का निचना भाग जो धरातल पर रखा जाता है पैर तथा ऊपरी उठा भाग जो सूक्ष्मदर्शी के अन्य सभी भागों को सीधे रखता है, स्तम्भ कहलाता है।

3. भुजा (Arm Of Limb) -- आधार के स्तम्भ से कुछ बाहर की ओर 'C' के आकार की घुमावदार मजबूत 'भुजा' होती है। इसी को पकड़कर उपकरण को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है।

4. नति सन्धि (Inclination Joint) -- यह आधार के स्तम्भ व भुजा का जोड़ है जिस पर एक गोल पेंच भुजा को आगे पीछे झुकाने के लिए होता है।

5. स्टेज व स्टेज क्लिप्स (Stage And Stage Clips) -- आधार के समानान्तर भुजा के निचले भाग में लगी एक चौकोर लोहे की प्लेट को स्टेज कहते हैं। स्टेज के बीच एक गोल छिद्र प्रकाश के आने के लिए तथा स्टेज के किनारों पर सूक्ष्मदर्शीय स्लाइड को एक स्थान पर कसे रखने के लिए क्लिप होती हैं।

6. उपमंच संघनित्र (Sub-Stage Condenser) -- यह स्टेज के नीचे लगा होता है। यह प्रकाश की मात्रा को नियन्त्रित करने के काम आता है।

7. आइरिस डायफ्राम (Iris Diaphragm) --  उपमंच संघनित्र के नीचे लगा रहता है। इसकी सहायता से प्रकाश के आने का छिद्र छोटा या बड़ा करके प्रकाश की तीव्रता को कम या अधिक किया जा सकता है।

8. नालाकार देह (Body Tube) -- भुजा के ऊपरी भाग से लगी लगभग 16 सेमी की एक सीधी बेलनाकार व नालाकार देह होती है जिसे एक बड़े पेंज स्थूल समायोजक पेंच द्वारा तेजी से तथा एक छोटे सूक्ष्म समायोजक पेंच द्वारा धीरे-धीरे ऊपर नीचे खिसकाया जा सकता है। इस विधि को रैक और पिनियन समंजन कहते हैं। नालाकार देह के ऊपरी निकले हुए भाग को ड्रा नली कहते हैं तथा नीचे वाले गोल भाग को परिक्रामी कहते हैं।

2).  प्रकाशकीय भाग

ये वस्तु पर प्रकाश फोकस करने के लिये होते हैं इनमें निन्म भाग होते है 

1. दर्पण (Reflector) -- उपमन्च संघनित्र के नीचे एक गोल दर्पण, लगा रहता है। दर्पण एक सतह से समतल तथा दूसरी सतह से अवतल होता है। दर्पण के द्वारा प्रकाश परावर्तित होकर स्टेज के छिद्र की ओर पहुँचता है।

2. नेत्रक या आईपीस (Eyepiece) -- नालाकार देह के ऊपरी सिरे पर स्क्रूज द्वारा सरकने वाली एक ट्यूब पर दोनों सिरों पर लगे लेन्स का निर्मित नेत्रक लगा होता है। अध्ययन करते समय इसके ऊपर बायीं आँख लगाकर तथा दाँयी आँख बन्द करके देखते हैं। लेन्स साफ करने के लिए नेत्रक को ट्यूब सहित बाहर भी निकाला जा सकता है तथा आवश्यकतानुसार आवर्धन क्षमता के अंकित नेत्रक (5X , 10X , 15X) लगाये जा सकते हैं।

3. नोजपीस (Nose Piece) -- बॉडी ट्यूब के निचले सिरे पर थोड़ा दायें व बायें गतिशील एक गोल घूमने वाली नोज पीस लगी होती है। इसमें प्रायः दो या तीन अभिदृश्यक  लैन्स लगे होते हैं। लैन्स विभिन्न आवर्धक क्षमता के होते हैं।

संयुक्त सूक्ष्मदशी का उपयोग, देखरेख एवं सावधानियाँ

सूक्ष्मदर्शी महत्त्वपूर्ण एवं कीमती उपकरण है अतः निम्नलिखित सावधानियाँ ध्यान में रखनी चाहिए 
1). अध्ययन करते समय ही सूक्ष्मदर्शी को बॉक्स में से निकालना चाहिए और कार्य समाप्त होते ही पुनः बॉक्स में रखना चाहिए।
2). सूक्ष्मदर्शी को उपयोग करने से पहले तथा उपयोग के पश्चात अच्छी तरह सूखे सूती या रेशमी कपड़े से साफ कर लेना चाहिए।
3). सूक्ष्मदर्शी प्रयोगशाला की मेज पर किनारे से कम से कम 3-4 इंच हटाकर अन्दर की ओर रखना चाहिए।
4). सूक्ष्मदर्शी को कभी भी एक हाथ से नहीं उठाना चाहिए, बल्कि दाहिने हाथ से इसकी भुजा तथा बायें हाथ के आधार को पकड़कर उठाना चाहिए।
5). सूक्ष्मदर्शी के स्टेज पर कभी भी गीली स्लाइड नहीं रखनी चाहिए।
6). आरोपित स्लाइड को कवर स्लिप से ढक कर तथा स्टेज क्लिप्स से कसकर अध्ययन करना चाहिए।
7). स्लाइड को स्टेज के ऊपर इस प्रकार रखना चाहिए ताकि वस्तु छिद्र के ठीक मध्य में तथा न्यूनवर्धी अभिदृश्यक के ठीक नीचे हो।
8). उच्चावर्धक अभिदृश्यक का उपयोग विशेष परिस्थितियों में ही करना चाहिए।
9). सूक्ष्मदर्शी का उपयोग सीधी स्थिति में ही करना चाहिए।
10). सूक्ष्मदर्शी से अनावश्यक छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए।
11). अध्ययन करते समय सूक्ष्मदर्शी को प्रकाश की ओर रखना चाहिए और अत्यधिक तेज या बहुत कम प्रकाश में अध्ययन नहीं करना चाहिए, इससे आँखों को हानि होती है।
12). प्रायः दिन के प्रकाश को समतल दर्पण तथा बिजली के प्रकाश को अवतल दर्पण द्वारा परावर्तित करना चाहिए ताकि सर्वोत्तम प्रकाश स्टेज पर रखी वस्तु के ऊपर छिद्र से होकर पड़ सके।
13). तेज प्रकाश में डायफ्रॉम को घुमाकर छिद्र को छोटा तथा कम प्रकाश में छिद्र बड़ा कर लेना चाहिए।
14). सूक्ष्मदर्शी को सदैव समतल सतह पर ही रखना चाहिए।
15). सूक्ष्मदर्शी से वस्तु को सही आवर्धन में ही देखना चाहिए। नेत्रक या आइपीस तथा अभिदृश्यक या ऑब्जेक्टिव की आवर्धन क्षमता को गुणा करके सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता सरलतापूर्वक ज्ञात की जा सकती है।

इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी क्या है (Electron Microscope In Hindi)

इसका निर्माण मैक्स नोल एवं अर्न्स्ट रुस्का (Max Knoll & Ernst Ruska) ने 1932 में किया। इसकी सहायता से अति सूक्ष्म वस्तुओं विशेषकर कोशिका के कोशिकांगों का अध्ययन किया जाता है इससे किसी वस्तु को दो लाख गुना बढ़ा करके देखा जा सकता है। इसमें प्रकाश किरणों के स्थान पर इलेक्ट्रॉन किरणों तथा लेन्सों के स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र का प्रयोग किया जाता है। इलेक्ट्रॉन किरणें चुम्बकीय क्षेत्र से होती हुई जब किसी वस्तु में से निकलती हैं तो वस्तु के सूक्ष्म कण इन्हें परावर्तित कर देते हैं। ये परावर्तित किरणों एक चुम्बकीय क्षेत्र में होकर एक प्रतिदीप्तिशील पर्दे पर वस्तु के चित्र को प्रतिबिम्बित कर देती हैं। इस अवस्था में चित्र को देखा जा सकता है और उसका फोटो भी तैयार किया जा सकता है।

FAQ: सूक्ष्मदर्शी से जुड़े कुछ प्रश्न और उनके उत्तर

प्रश्न -- सूक्ष्मदर्शी की खोज किसने की थी?

उत्तर -- सूक्ष्मदर्शी की खोज एंटोनी वॉन ल्यूवेनहुक ने की थी।

प्रश्न -- संयुक्त सूक्ष्मदर्शी का आविष्कार किसने किया?

उत्तर -- संयुक्त सूक्ष्मदर्शी का आविष्कार जकारियास जानसेन (Zacharias Janssen) ने किया था।

प्रश्न -- सूक्ष्मदर्शी का खोज कब हुआ था?

उत्तर -- सूक्ष्मदर्शी का खोज सन् 1590 ई॰ में हुआ था।

प्रश्न -- माइक्रोस्कोप का आविष्कार कहां हुआ था?

उत्तर -- माइक्रोस्कोप का आविष्कार नीदरलैंड में हुआ था।

प्रश्न -- माइक्रोस्कोप के 2 प्रकार क्या हैं?

उत्तर -- सूक्ष्मदर्शी के 2 प्रकार निम्न है - पहला सरल विच्छेदन सूक्ष्मदर्शी और दुसरा संयुक्त सूक्ष्मदर्शी।

प्रश्न -- इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की खोज किसने की और कब?

उत्तर -- इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की खोज मैक्स नोल एवं अर्न्स्ट रुस्का ने सन् 1932 में कि थी।

निष्कर्ष

यहा पर इस लेख में हमने sucham darsi kise kahate hain इसके बारे में सम्पुर्ण रुप से जानकारी प्राप्त करी। यदि आप उन छात्रों में से है जो, इस समय किसी सरकारी परीक्षा या प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है, तो आपके लिये यह लेख काफी मददगार साबित हो सकता है क्योकी यहा पर शेयर किया गये सूक्ष्मदर्शी की जानकारी से आपको परिक्षा में काफी मदद मिल सकता है। इसी के साथ हम आशा करते है की आपको यह लेख जरुर पसंद आया होगा अगर आया है तो, हमे नीचे कमेंट के माध्यम से जरुर बताए और हमे उमीद है की इस लेख की सहायता से आपको, सूक्ष्मदर्शी किसे कहते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं बिल्कुल अच्छे से समझ में आ गया होगा। अगर आपके मन में इस लेख से सम्बंधित कोई सवाल है तो, आप नीचे कमेंट कर सकते हैं। और साथ ही आपसे निवेदन है की इस लेख को आप अपने सहपाठी एवं मित्रों के साथ शेयर भी जरुर करे।

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