मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय | Maithili Sharan Gupt Ka Jivan Parichay [ PDF ]

मैथिलीशरण गुप्त

इस आर्टिकल में हम मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय एकदम विस्तार से देखेंगे। अगर आप कक्षा 10 या 12 के छात्र है, तो यह जीवनी आपके लिये काफी उपयोगी है। क्योकी मैथिलीशरण गुप्त की जीवनी बोर्ड की परीक्षा में लिखने को आ सकता है, साथ ही इनके जीवन से जुड़े बहुत से ऐसे प्रश्न भी होते है जो, कक्षा 10 एवं 12 के बोर्ड परीक्षा में पुछे जाते है जैसे की- मैथिलीशरण गुप्त जी का जन्म कब और कहाँ हुआ था, मैथिलीशरण गुप्त का मृत्यु कब हुई थी, मैथिलीशरण गुप्त के माता-पिता का नाम, मैथिलीशरण गुप्त का साहित्यिक परिचय, मैथिलीशरण गुप्त की प्रमुख रचनाएं, मैथिलीशरण गुप्त की भाषा शैली और मैथिलीशरण गुप्त का साहित्य में स्थान आदि। तो इस प्रकार के प्रश्न आपके बोर्ड परीक्षा में पुछे जा सकते हैं, इसलिए यदि आप इस समय अपने बोर्ड परिक्षा की तैयारी कर रहे है तो, इस मैथिलीशरण गुप्त की सम्पुर्ण जीवनी को आप पूरे ध्यानपूर्वक से जरुर पढ़े। ताकी, अगर आपके हिन्दी के प्रश्न पत्र में इनकी जीवनी लिखने को आये तो, आप इसे असानी से लेख सके। आइये अब हम Maithili Sharan Gupt Ka Jeevan Parichay बिल्कुल विस्तार से देखें।


मैथिलीशरण गुप्त की जीवनी (Maithili Sharan Gupt Biography In Hindi)

नाम मैथिलीशरण गुप्त
जन्म तिथि 3 अगस्त 1886
जन्म स्थान चिरगाँव, झाँसी (उत्तर प्रदेश)
मृत्यु तिथि 12 दिसम्बर 1964
मृत्यु स्थान झाँसी, उत्तर प्रदेश (भारत)
आयु (मृत्यु के समय) 78 वर्ष
राष्ट्रीयता भारतीय
व्यवसाय नाटककार, कवि, राजनेता, अनुवादक
भाषा खड़ीबोली, ब्रजभाषा
शिक्षा प्राथमिक चिरगाँव, मैकडोनाल्ड हाई स्कूल झांसी
पिता का नाम सेठ रामचरण गुप्त
माता का नाम काशीबाई गुप्ता
भाई का नाम सियारामशरण गुप्ता
पत्नी का नाम श्रीमती सरजू देवी
बच्चे का नाम उर्मिल चरण गुप्ता
प्रेरणास्त्रोत महावीरप्रसाद द्विवेदी। द्विवेदी युग के कवि।
उल्लेखनीय पुरस्कार 1954 में पद्म भूषण, डी.लिट्. की उपाधि, साहित्य वाचस्पति, हिन्दुस्तानी अकादमी पुरस्कार।

मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय 

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का जन्म सन् 1886 ई॰ में चिरगांव जिला झाँसी में हुआ था। इनके पिता सेठ रामचरण जी रामभक्त और काव्यप्रेमी थे। उन्हीं से गुप्तजी को काव्य-संस्कार प्राप्त हुआ। इन्होंने कक्षा 9 तक ही विद्यालयीय शिक्षा प्राप्त की थी, किन्तु स्वाध्याय से अनेक भाषाओं के साहित्य का ज्ञान प्राप्त किया। इन्होंने बचपन में ही काव्य-रचना करके अपने पिता से महान् कवि बनने का आशीर्वाद प्राप्त किया था।

महावीरप्रसाद द्विवेदी के सम्पर्क में आने के बाद उनको अपना काव्य-गुरु मानने लगे। पैतृक सम्पत्ति के रूप में प्राप्त गुप्तजी के संस्कार को द्विवेदीजी ने सँवारा एवं सजाया। द्विवेदीजी के आदेश पर गुप्तजी ने सर्वप्रथम 'भारत-भारती' नामक काव्य-ग्रन्थ की रचना कर युवाओं में देश-प्रेम की सरिता बहा दी। गुप्तजी गाँधीजी के स्वतंत्रता आन्दोलन के प्रभाव में आये और उसमें सक्रिय भाग लिया। इन्होंने देश-प्रेम, समाज-सुधार, धर्म, राजनीति, भक्ति आदि सभी विषयों पर रचनाएं कीं। राष्ट्रीय विषयों पर लिखने के कारण ये 'राष्ट्रकवि' कहलाये सन् 1948 ई॰ में आगरा विश्वविद्यालय तथा सन् 1958 ई॰ में इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने डी॰ लिट् की मानद उपाधि से सम्मानित किया। सन् 1954 ई॰ में भारत सरकार ने 'पद्मभूषण' की उपाधि से इन्हें अलंकृत किया। दो बार ये राज्यसभा के सदस्य भी मनोनीत हुए। इनका देहावसान 12 दिसम्बर, सन् 1964 ई॰ को हुआ।

मैथिलीशरण गुप्त का साहित्यिक सेवाएँ

गुप्तजी की प्रारम्भिक रचनाएँ कलकत्ता से प्रकाशित पत्रिका 'वैश्योपकारक' में प्रकाशित होती थीं। द्विवेदीजी के सम्पर्क में आने के बाद इनकी रचनाएँ 'सरस्वती' पत्रिका में प्रकाशित होने लगीं। सन् 1909 ई॰ में इनकी सर्वप्रथम पुस्तक 'रंग में भंग' का प्रकाशन हुआ। इसके बाद सन् 1912 ई॰ में 'भारत भारती' के प्रकाशित होने से इन्हें अपार ख्याति प्राप्त हुई। 'साकेत' नामक महाकाव्य पर हिन्दी साहित्य सम्मेलन ने इन्हें 'मंगला प्रसाद पारितोषिक' प्रदान किया। इन्होंने अनेक अद्वितीय कृतियों का सृजन कर सम्पूर्ण हिन्दी-साहित्य-जगत् को विस्मित कर दिया। खड़ीबोली के स्वरूप-निर्धारण और उसके विकास में इन्होंने अपना अमूल्य योगदान दिया।

मैथिलीशरण गुप्त की रचनाएँ

गुप्तजी आधुनिक काल के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि थे। इनकी 40 मौलिक तथा 6 अनूदित पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। इनकी प्रसिद्ध रचनाएँ इस प्रकार हैं
(1) भारत-भारती -- इस काव्य-ग्रन्थ में देश के गौरव की कविताएँ हैं।
(2) यशोधरा -- इसमें गौतम के वन चले जाने के पश्चात् उपेक्षित यशोधरा के चरित्र को काव्य का आधार बनाया गया है।
(3) साकेत -- इसमें साकेत (अयोध्या) का वर्णन है।
(4) पंचवटी -- इसमें सीता, राम और लक्ष्मण के आदर्श चरित्र का चित्रण है। इसके अतिरिक्त 'जयद्रथ वध' , 'जय भारत' , 'द्वापर' , 'सिद्धराज' , 'अनघ' , 'झंकार' , 'नहुष' , 'पृथ्वीपुत्र' , 'रंग में भंग' , 'गुरुकुल' , 'किसान' , 'हिन्दू' , 'चन्द्रहास' , 'मंगल घट' , 'कुणाल गीत' तथा 'मेघनाथ वध' आदि महत्त्वपूर्ण रचनाएँ हैं।

मैथिलीशरण गुप्त की भाषा शैली

गुप्तजी ने शुद्ध, साहित्यिक एवं परिमार्जित खड़ीबोली में रचनाएँ की हैं। इनकी भाषा सुगठित तथा ओज एवं प्रसाद गुण से युक्त है। इन्होंने अपने काव्य में संस्कृत, अंग्रेजी, उर्दू एवं प्रचलित विदेशी शब्दों के भी प्रयोग किये हैं। इनके द्वारा प्रयुक्त शैलियाँ हैं -- प्रबन्धात्मक शैली, उपदेशात्मक शैली, विवरणात्मक शैली, गीति शैली तथा नाट्य शैली। वस्तुतः आधुनिक युग में प्रचलित अधिकांश शैलियों को गुप्तजी ने अपनाया है।

मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय कक्षा 12 

जीवन-परिचय --- राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का जन्म संवत् 1943 वि० (सन् 1886 ई०) में, चिरगाँव (जिला झाँसी) में हुआ था। इनके पिता का नाम सेठ रामचरण गुप्त था। सेठ रामचरण गुप्त स्वयं एक अच्छे कवि थे। गुप्त जी पर अपने पिता का पूर्ण प्रभाव पड़ा। आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी से भी इन्हें बहुत प्रेरणा मिली। ये द्विवेदी जी को अपना गुरु मानते थे। गुप्त जी को प्रारम्भ में अंग्रेजी पढ़ने के लिए झाँसी भेजा गया, किन्तु वहाँ इनका मन न लगा; अतः घर पर ही इनकी शिक्षा का प्रबन्ध किया गया, जहाँ इन्होंने अंग्रेजी, संस्कृत और हिन्दी का अध्ययन किया। गुप्त जी बड़े ही विनम्र, हँसमुख और सरल स्वभाव के व्यक्ति थे। इनके काव्य में भारतीय संस्कृति का प्रेरणाप्रद चित्रण हुआ है।

इन्होंने अपनी कविताओं द्वारा राष्ट्र में जागृति तो उत्पन्न की ही, साथ ही सक्रिय रूप से असहयोग आन्दोलनों में भी भाग लेते रहे, जिसके फलस्वरूप इन्हें जेल भी जाना पड़ा। 'साकेत' महाकाव्य पर इन्हें हिन्दी - साहित्य - सम्मेलन, प्रयाग से मंगलाप्रसाद पारितोषिक भी मिला। से भारत सरकार ने गुप्त जी को इनकी साहित्य-सेवा के लिए पद्मभूषण सम्मानित किया और राज्यसभा का सदस्य भी मनोनीत किया। जीवन के अन्तिम क्षणों तक ये निरन्तर साहित्य-सृजन करते रहे। 12 दिसम्बर, 1964 ई० को माँ-भारती का यह महान् साधक पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया।

मैथिलीशरण गुप्त का साहित्यिक परिचय

गुप्त जी का झुकाव गीतिकाव्य की ओर था और राष्ट्रप्रेम इनकी कविता का प्रमुख स्वर रहा। इनके काव्य में भारतीय संस्कृति का प्रेरणाप्रद चित्रण हुआ है। इन्होंने अपनी कविताओं द्वारा राष्ट्र में जागृति तो उत्पन्न की ही, साथ ही सक्रिय रूप से असहयोग आन्दोलनों में भी भाग लेते रहे, जिसके फलस्वरूप इन्हें जेल भी जाना पड़ा। 'साकेत' महाकाव्य पर इन्हें हिन्दी-साहित्य-सम्मेलन, प्रयाग से मंगलाप्रसाद पारितोषिक भी मिला। भारत सरकार ने गुप्त जी को इनकी साहित्य-सेवा के लिए पद्मभूषण से सम्मानित किया और राज्यसभा का सदस्य भी मनोनीत किया।

मैथिलीशरण गुप्त की प्रमुख रचनाएं

गुप्त जी की समस्त रचनाएँ दो प्रकार की हैं-
(1) अनूदित  (2) मौलिक

इनकी अनूदित रचनाओं में दो प्रकार का साहित्य है - कुछ काव्य और कुछ नाटक। इन अनूदित ग्रन्थों में संस्कृत के यशस्वी नाटककार भास के 'स्वप्नवासवदत्ता' का अनुवाद उल्लेखनीय है। 'वीरांगना' , 'मेघनाद-वध' , 'वृत्र-संहार' आदि इनकी अन्य अनूदित रचनाएँ हैं।

इनकी प्रमुख मौलिक काव्य-रचनाएँ निम्नवत् हैं 

साकेत -- यह उत्कृष्ट महाकाव्य है, जो 'श्रीरामचरितमानस' के बाद राम-काव्य का प्रमुख स्तम्भ है । 

भारत-भारती -- इसमें भारत की दिव्य संस्कृति और गौरव का गान किया गया है।

यशोधरा -- इसमें बुद्ध की पत्नी यशोधरा के चरित्र को उजागर किया गया है। द्वापर, जयभारत, विष्णुप्रिया - इनमें हिन्दू संस्कृति के प्रमुख पात्रों के चरित्र का पुनरावलोकन कर कवि ने अपनी पुनर्निर्माण कला उत्कृष्ट रूप में प्रदर्शित की है। गुप्त जी की अन्य प्रमुख काव्य - रचनाएँ इस प्रकार हैं - रंग में भंग, जयद्रथ वध, किसान, पंचवटी, हिन्दू , सैरिन्ध्री, सिद्धराज, नहुष, हिडिम्बा, त्रिपथगा, काबा और कर्बला, गुरुकुल, वैतालिक, मंगल घट, अजित आदि। 'अनघ' , 'तिलोत्तमा' , 'चन्द्रहास' नामक तीन छोटे-छोटे पद्यबद्ध रूपक भी इन्होंने लिखे हैं।

मैथिलीशरण गुप्त का साहित्य में स्थान

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त आधुनिक हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि रहे हैं। खड़ी बोली को काव्य के साँचे में ढालकर परिष्कृत करने का जो असाधारण कौशल इन्होंने दिखाया, वह अविस्मरणीय रहेगा। इन्होने राष्ट्र को जगाया और उसकी चेतना को वाणी दी है। ये भारतीय संस्कृति के यशस्वी उद्गाता एवं परम वैष्णव होते हुए भी विश्वबन्धुत्व की भावना से ओत-प्रोत थे। ये सच्चे अर्थों में इस राष्ट्र के महनीय मूल्यों के प्रतीक और आधुनिक भारत के सच्चे राष्ट्रकवि थे।

FAQ : मैथिलीशरण गुप्त के प्रश्न उत्तर

प्रश्न -- मैथिलीशरण गुप्त कौन थे?

उत्तर -- मैथिली शरण गुप्त भारत के सबसे महत्वपूर्ण आधुनिक हिंदी कवियों में से एक थे। उन्हें खारी बोली कविता के अग्रदूतों में से एक माना जाता है।

प्रश्न -- मैथिलीशरण गुप्त का जन्म कब हुआ था?

उत्तर -- मैथिलीशरण गुप्त जी का जन्म 3 अगस्त सन् 1886 में हुआ था।

प्रश्न -- मैथिलीशरण गुप्त का जन्म कहाँ हुआ था?

उत्तर -- मैथिलीशरण गुप्त का जन्म उत्तर प्रदेश के जिले झाँसी के एक चिरगाँव नामक ग्राम में हुआ था।

प्रश्न -- मैथिली शरण गुप्त का उपनाम क्या है?

उत्तर -- मैथिली शरण गुप्त जी को साहित्य जगत में 'दद्दा' के नाम से सम्बोधित किया जाता था।

प्रश्न -- मैथिली शरण गुप्त की माता का नाम क्या है?

उत्तर -- मैथिली शरण गुप्त की माता जी का नाम काशीबाई गुप्ता था।

प्रश्न -- मैथिलीशरण गुप्त कौन से काल के कवि थे?

उत्तर -- मैथिलीशरण गुप्त जी आधुनिक काल के कवि थे।

प्रश्न -- मैथिलीशरण गुप्त किस युग के कवि थे?

उत्तर -- मैथिलीशरण गुप्त जी द्विवेदी युग के कवि थे।

प्रश्न -- मैथिलीशरण गुप्त को राष्ट्रपति क्यों कहा जाता है?

उत्तर -- मैथिलीशरण गुप्त को राष्ट्रीय विषयों पर लिखने के कारण 'राष्ट्रकवि' कहा गया।

प्रश्न -- मैथिलीशरण गुप्त की पहली रचना?

उत्तर -- मैथिलीशरण गुप्त की पहली रचना रसिछेंद और सरस्वती था, जो साल 1905 में ब्रजभाषा में लिखी थी।

प्रश्न -- मैथिलीशरण गुप्त की मृत्यु कब हुई थी?

उत्तर -- मैथिलीशरण गुप्त की मृत्यु 12 दिसम्बर सन् 1964 में हुई थी?

मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय PDF

यहा पर मैथिलीशरण गुप्त की सम्पुर्ण जीवनी को पीडीएफ के रुप में भी शेयर किया गया है, जिसे सभी छात्र बहुत ही असानी से डाउनलोड कर सकते हैं। और इस पीडीएफ की सहायता से आप कभी भी अपने समयानुसार मैथिलीशरण गुप्त की जीवनी का अध्ययन कर सकते हैं।  मैथिलीशरण गुप्त का साहित्यिक परिचय PDF Download करने के लिये नीचे दिये गए बटन पर  क्लिक करे और पीडीएफ फ़ाईल को सरलतापूर्वक डाउनलोड करे।



निष्कर्ष

यहा पर इस लेख में हमने Maithili Sharan Gupt Ka Jivan Parichay बिल्कुल विस्तार देखा, अगर बोर्ड के परीक्षा की दृष्टिकोण से देखा जाये तो यह जीवनी काफी महत्वपुर्ण है। इसलिए जो छात्र बोर्ड एग्ज़ाम की तैयारी कर रहे है, वे इस जीवनी को अच्छे से पढ़े एवं याद करे। इसी के साथ हम आशा करते है की आपको यह जीवनी जरुर पसंद आया होगा और हमे उमीद है की, इस लेख की सहायता से मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय जीवन परिचय कैसे लिखे, आपको अच्छे से समझ में आ गया होगा। यदि आपके मन में इस लेख से सम्बंधित कोई प्रश्न है तो, नीचे कमेंट करके आप पुछ सकते हैं। साथ ही इस Maithili Sharan Gupt ki jivani को आप अपने सभी मित्रों के साथ षराए जरुर करे।


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